चित्र:Cripps-gandhiji.jpg Show
द्वितीय विश्वयुद्ध के समय क्रिप्स और गांधीजी का मिलन क्रिप्स मिशन 22मार्च 1942 में ब्रिटिश सरकार द्वारा भारत भेजा गया एक मिशन था जिसका उद्देश्य द्वितीय विश्वयुद्ध के समय अपने लिए भारत का पूर्ण सहयोग प्राप्त करना था। सर स्टैफोर्ड क्रिप्स इसके अध्यक्ष थे जो विंस्टन चर्चिल के मंत्रिमंडल के साम्यवादी झुकाव वाले एक वरिष्ट राजनेता एवं मंत्री थे। इन्हें भी देखें[संपादित करें]
उत्तर :उत्तर की रूपरेखा
द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जहाँ एक ओर दक्षिण-पूर्व एशिया में ब्रिटेन को करारी हार का सामना करना पड़ा, वहीं दूसरी ओर, भारत पर जापान के आक्रमण का भय दिनों-दिन बढ़ता जा रहा था। ब्रिटेन पर मित्र राष्ट्रों (अमेरिका, सोवियत संघ और चीन) की ओर से दबाव डाला जा रहा था कि वह भारत का समर्थन प्राप्त करे परंतु भारतीयों ने समर्थन देने के बदले शर्त रखी थी कि सरकार ठोस उत्तरदायी सत्ता का त्वरित हस्तांतरण करे तथा विश्वयुद्धोपरांत भारत को पूर्ण आज़ादी देने का वचन दे। इस पृष्ठभूमि में भारत के राजनीतिक गतिरोध को दूर करने के उद्देश्य से ब्रिटिश प्रधानमंत्री चर्चिल ने ब्रिटिश संसद सदस्य तथा मज़दूर नेता सर स्टैफर्ड क्रिप्स के नेतृत्व में मार्च 1942 में एक मिशन भारत भेजा। सर क्रिप्स, ब्रिटिश मंत्रिमंडल के सदस्य भी थे तथा उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का सक्रियता से समर्थन किया था। क्रिप्स मिशन की योजना के प्रमुख प्रस्तावः
(i) संविधान निर्मात्री परिषद द्वारा निर्मित संविधान जिन प्रांतों को स्वीकार नहीं होगा, वे भारतीय संघ से पृथक होने के अधिकारी होंगे। पृथक होने वाले
प्रांतों को अपना पृथक संविधान बनाने का अधिकार होगा। देशी रियासतों को भी इसी प्रकार का अधिकार होगा।
‘क्रिप्स मिशन’ की राष्ट्रवादियों को संतुष्ट करने में विफलता के कारण कान्ग्रेस ने ‘मिशन’ द्वारा भारत को पूर्ण स्वतंत्रता के स्थान पर डोमिनियन स्टेट्स का दर्जा दिये जाने, देशी रियासतों के प्रतिनिधियों के लिये निर्वाचन की जगह मनोनयन की व्यवस्था, प्रांतों को भारतीय संघ से पृथक होने व पृथक संविधान बनाने की व्यवस्था के विरोध में मिशन के प्रस्तावों को अस्वीकार किया। इसके अतिरिक्त, सत्ता के त्वरित हस्तांतरण की योजना के अभाव तथा प्रतिरक्षा के मुद्दे पर वास्तविक भागीदारी न होने और गवर्नर जनरल को पूर्ववत् सर्वोच्चता दिये जाने से भी कान्ग्रेस रुष्ट थी। मुस्लिम लीग को ‘मिशन’ के प्रावधानों में एकल भारतीय संघ की व्यवस्था होना स्वीकार्य नहीं था, और न ही संविधान निर्मात्री परिषद के गठन का आधार स्वीकार्य था। दूसरा, क्रिप्स मिशन के प्रस्तावों में मुसलमानों के आत्मनिर्धारण के सिद्धांत तथा पृथक पाकिस्तान की मांग को भी स्वीकारा नहीं गया था। कान्ग्रेस व लीग के अतिरिक्त अन्य दलों ने भी प्रांतों को संघ से पृथक होने का अधिकार दिये जाने का विरोध किया। गांधी जी ने क्रिप्स के प्रस्तावों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि "यह आगे की तारीख का चेक था, जिसका बैंक नष्ट होने वाला था।" द्वितीय विश्व युद्ध में ब्रिटिश युद्ध के प्रयासों के लिए भारतीय सहयोग प्राप्त करने के लिए मार्च 1942 में ब्रिटिश सरकार द्वारा क्रिप्स मिशन को भारत भेजा गया था। इसका नेतृत्व ब्रिटेन में विंस्टन चर्चिल की गठबंधन सरकार में श्रम मंत्री सर रिचर्ड स्टैफोर्ड क्रिप्स ने किया था। क्रिप्स मिशन – पृष्ठभूमि
क्रिप्स मिशन के सदस्य मिशन का नेतृत्व स्टैफोर्ड क्रिप्स ने किया था। लॉर्ड प्रिवी सील उनके साथ थे। हाउस ऑफ कॉमन के नेता आदि सहित राज्य परिषद के अन्य सदस्य भी थे। क्रिप्स मिशन का उद्देश्यद्वितीय विश्व युद्ध के बाद, क्रिप्स मिशन के भारत आने के कई कारण थे। कारण नीचे दिए गए हैं:
क्रिप्स मिशन के प्रस्ताव
क्रिप्स मिशन का महत्व
क्रिप्स मिशन विफल क्यों हुआ?
ध्यान दें: मिशन की विफलता के बाद, क्रिप्स इंग्लैंड लौट आए, और गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस ने अगस्त 1942 में अपना नया अभियान, भारत छोड़ो आंदोलन शुरू किया। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने मिशन को खारिज कर दिया INC ने निम्नलिखित कारणों से क्रिप्स मिशन को अस्वीकार कर दिया:
government of india act 1858 क्रिप्स प्रस्ताव क्या है?क्रिप्स प्रस्ताव लेबर पार्टी के सौजन्य से भेजा गया था जिसका मानना था की भारतीयों को स्वशासन का अधिकार है। क्रिप्स ने भारतीय नेताओं के साथ मुलाकात के बाद एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया जिसे क्रिप्स प्रस्ताव कहते हैं , जिसे कांग्रेस व मुस्लिम लीग दोनों ने अस्वीकृत कर दिया।
क्रिश्चियन मिशन के प्रमुख प्रस्ताव क्या थे?एक भारतीय प्रभुत्व की स्थापना। इस प्रभुत्व को ब्रिटिश राष्ट्रमंडल के साथ रहने या इससे अलग होने की स्वतंत्रता होगी। यह अंतरराष्ट्रीय संगठनों में भाग लेने के लिए भी स्वतंत्र होगा।
क्रिप्स प्रस्ताव क्या थे कांग्रेस ने उन्हें क्यों निकाला?क्रिप्स प्रस्ताव एक संविधान सभा और लीग के वादे द्वारा कांग्रेस को संतुष्ट करने का एक प्रयास था कि कोई भी प्रांत ब्रिटिश सरकार के साथ समझौते द्वारा संविधान को अस्वीकार करने और एक नया संविधान बनाने के लिए स्वतंत्रता पर होगा। 11 अप्रैल, 1942 को अपनी बैठक में क्रिप्स के प्रस्तावों को कांग्रेस ने अस्वीकार कर दिया था।
महात्मा गांधी ने क्रिप्स प्रस्ताव को क्या कहा?महात्मा गांधी ने क्रिप्स के प्रस्तावों को "विफल बैंक पर पोस्ट-डेटेड चेक" के रूप में वर्णित किया। मार्च 1942 में ब्रिटिश सरकार द्वारा क्रिप्स मिशन भारत भेजा गया था। इस प्रस्ताव का उद्देश्य ब्रिटिश युद्ध प्रयासों के लिए भारतीय सहयोग और समर्थन को सुरक्षित करना है।
|