Karwa Chauth 2022 पीरियडस के समय व्रत रखने की कोई मनाही नहीं होती लेकिन इस दौरान व्रत और पूजा करते समय बहुत सी बातों का ध्यान रखना आवश्यक होता है। साथ ही खाने पीने का ध्यान रखने से आपका स्वास्थ्य और मूड दोनों ही ठीक रहेंगे। Show मुंबई, जागरण आनलाइन डेस्क। Karwa Chauth 2022: करवा चौथ पर सुहागन महिलाएं निर्जला व्रत रख अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। करवा चौथ का व्रत पति पत्नी के रिश्ते को और मजबूत कर उसमें मिठास भर देता है। लेकिन शास्त्रों में व्रत रखने के कई नियम बताये गए हैं। ऐसी मान्यता है कि पीरियडस के दौरान महिलाओं को धाार्मिक कार्य नहीं करने चाहिए और भगवान और किसी भी पूजा सामग्री को नहीं छूना चाहिए। लेकिन कई बार ऐसी स्थिति पैदा हो जाती हैं कि महिलाओं का समझ नहीं आता कि वो क्या करें। करवा चौथ का व्रत साल में एक बार आता है ऐसे में अगर पीरियडस आ जाएं तो महिलाएं परेशान हो जाती हैं। तो आइये हम आपको बताते हैं कि ऐसी स्थिति में पूजा कैसे की जाए। शास्त्रों के अनुसार मासिक धर्म में करवा चौथ का व्रत रखना वर्जित नहीं है। ऐसे में अगर आप मासिक धर्म के समय से गुजर रहे हैं तो आप बिना किसी परेशानी के व्रत पूरा कर सकती हैं। बस आपको व्रत के दौरान कुछ खास बातों का ध्यान रखने की जरूरत है। ताकि आप बिना किसी गलती के अपना व्रत पूरा कर सकें। इन बातों का रखें ध्यान
-यदि व्रत के दिन ही आपको पीरियडस शुरू हो जाए तो आप नियमानुसार व्रत रख सकती हैं, लेकिन देवकार्य से खुद को अलग कर लें और पूजा का कोई सामान स्पर्श न करें। इस समय स्वास्थ्य के प्रति रहें अधिक सजगअगर आप पीरियडस के दौरान करवा चौथ का व्रत रख रखी हैं तो आपका स्वास्थ्य बिगड़ सकता है आपको कमजोरी, सिरदर्द और चिड़चिड़ापन जैसी शिकायत हो सकती है जिससे न चाहते हुए भी आपका मूड खराब हो सकता है। इससे बचने के लिए आप इन बातों को ध्यान रखें।
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पीरियड्स में ऐसे करें करवा चौथ व्रत का पालन - फोटो : अमर उजाला विस्तारKarwa Chauth 2022 Fasting Rules During Periods: सनातन धर्म में मानव जीवन के कल्याण के लिए कई व्रत बताए गए हैं। धर्म शास्त्रों के अनुसार इन व्रतों में नियम, संयम और पवित्र आचरण का ध्यान रखना बेहद जरूरी होता है। प्रत्येक व्रत को पूरी पवित्रता के साथ करना चाहिए। खास तौर पर स्त्रियों के लिए कहा जाता है कि मासिक धर्म यानी पीरियड्स के दौरान महिलाओं को पूजा पाठ या कोई धार्मिक अनुष्ठान नहीं करना चाहिए। साथ ही भगवान और किसी भी पूजा सामग्री को भी नहीं छूना चाहिए। लेकिन कई बार ऐसी स्थिति पैदा हो जाती है, जब महिलाओं का समझ नहीं आता कि वो क्या करें। 14 अक्टूबर को करवा चौथ व्रत है। ये व्रत साल में एक बार आता है। सुहागिन महिलाएं इस व्रत का साल भर इंतजार करती हैं। ऐसे में यदि पीरियड्स शुरू हो जाएं तो महिलाएं ये सोच कर परेशान हो जाती हैं कि पूजा करें या नहीं। तो चलिए जानते हैं कि ऐसी स्थिति में पूजा कैसे की जाए... Karwa Chauth Vrat 2022: क्या कुंवारी लड़कियां भी रख सकती हैं करवा चौथ का व्रत? जानिए क्या है मान्यता पीरियड्स में करवा चौथ व्रत कैसे करें? पीरियड्स के दौरान पूजा-पाठ क्यों नहीं करना चाहिए ? Karwa Chauth 2022 Date: कब है करवा चौथ व्रत? जानें तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): ये खबर लोक मान्यताओं पर आधारित है। इस खबर में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए अमर उजाला उत्तरदायी नहीं है। करवा चौथ pe पीरियड आ जाए तो क्या करें?पीरियड्स में करवा चौथ व्रत कैसे करें? यदि करवा चौथ व्रत या पूजा-पाठ के दौरान पीरियड्स शुरू हो जाएं तो ऐसे में महिलाओं को अपना व्रत पूरा करना चाहिए। इस दौरान मानसिक रूप से करवा माता की आस्था करनी चाहिए। व्रती महिलाएं इस दिन पूजा-पाठ के दौरान दूर बैठकर किसी अन्य व्यक्ति से पूजा करवा सकती हैं।
करवा चौथ की रात को पति पत्नी क्या करते हैं?Karwa Chauth 2022: सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए हर साल करवाचौथ मनाती हैं। करवा चौथ पति-पत्नी के रिश्ते से जुड़ा सबसे बड़ा पर्व माना जाता है, जिसमें महिलाएं पति के लिए निर्जला उपवास करती हैं। शाम को पूजा करती हैं और चांद देखकर अपना उपवास खोलती हैं।
क्या पीरियड के 4 दिन पूजा कर सकते हैं?माहवारी के कितने दिन बाद पूजा करना चाहिए
माहवारी आने के चार दिन बाद महिलाएं पूजा कर सकती हैं. इन चार दिनों के भीतर महिलाओं को पूर्ण रूप से नियम पालना होता हैं. इन चार दिन के दौरान महिलाओं को पूजा करने से बचना चाहिए. साथ-साथ इन चार दिन के भीतर महिलाएं भगवान के लिए भोग तथा प्रसाद आदि भी तैयार नहीं कर सकते हैं.
क्या मासिक धर्म में व्रत कर सकते हैं?मासिक धर्म में महिलाओं को चक्कर आना, भूख न लगना और कब्ज जैसी समस्याएं हो सकती हैं। ऐसे में आपको व्रत नहीं रखने चाहिए। लेकिन जिन महिलाओं को ऐसी समस्याएं नहीं होती हैं, वे व्रत रख सकती हैं। इस दौरान आपको माता की प्रतिमा को स्पर्श नहीं करना चाहिए और न ही पूजा की कोई सामग्री छूनी चाहिए।
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