कस्तूरी का मिरग का प्रसंग कवि ने क्यों उठाया है? - kastooree ka mirag ka prasang kavi ne kyon uthaaya hai?


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कस्तूरी का मिरग का प्रसंग कवि ने क्यों उठाया है? - kastooree ka mirag ka prasang kavi ne kyon uthaaya hai?

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कवि ने कस्तूरी मृग को अपने ऊपर...

Text Solution

दुर्गम दर्रे मेंदुर्गम बर्फीली घाटी में,दुर्गम कानन में, अथाह समुद्र में।

Answer : B

112170673

7.3 K

9.7 K

3:36

`SO_(2)` की विरंजक क्रिया का कारण इसकी `............प्रकृति है।

112168924

0

2.5 K

5:06

`CH_(3)COOH` के एक `0*001 mol L^(-1), विलयन की छलकता `3*905 xx 10^(-5) Scm^(-1)` है इसकी मोलर छलकता तथा वियोजन की मात्रा `( alpha )` का परिकलन कीजिय | <br> दिया गया है ---- <br> `^_((H^(+)))^0=349*6 Scm^2 mol^(-1)` `^^_((CH_(3)COOH))^0=40*Scm^(2)mol^(-1)`

58124220

0

4.2 K

1:57

किसी स्थान पर पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र का क्षैतिज घटक `0.3xx10^(-4)" वेबर/मी"^(2)` तथा उर्ध्व घटक `3sqrt(3) xx 10^(-5) `" वेबर/मी"^(2)` है | नति कोण का मान ज्ञात कीजिए |

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कस्तूरी का मिरग का प्रसंग कवि ने क्यों उठाया है? - kastooree ka mirag ka prasang kavi ne kyon uthaaya hai?

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कबीर सज्जन और दुर्जन में क्या अंतर बताते है ? 


कबीर कहते है की सज्जन अच्छे लोगो से संबंध बनाकर उसे कायम रखता है | वे रूढ़ते है तो उन्हे बार-बार मनाकर संबंध को जोड़े रखना है | दुर्जन का व्यवहार इससे उलटा है | जैसे मटके को जरा-सा धक्का मारने पर वह फुट जाता है, उसी तरह दुर्जन व्यक्ति टूटे रहे संबंध को पूरी तरह तोड़ने में संकोच नही करता |

इस तरह सज्जन में जोड़ने और दुर्जन में तोड़ने की बुद्धि होती है |


कबीर ने संतोकी महिमा किस प्रकार बताई है | 


कबीर कहते है की मनुष्य को लालच के जाल में नही फसना चाहिए | जो कुछ भगवान ने उसे दिया है, उसी में संतुष्ट रहना चाहिए | मनुष्य के पास गायें, हाथी, घोड़े और खान से मिलनेवाली बहुमुली रत्न मिल जाए, फिर भी धन-संपती के लोभ से वह मुक्त नही हो सकता | जब तक यह लोभ है, तब तक उसे सुख-शांति नही मिल सकती| यदि मनुष्य जो कुछ उसके पास है, उसी में संतोष माने तो सभी तरह के धन उससे मिट्टी के समान तुछ लगने लगेंगे | उसे अनुभव होगा की संतोष से बड़ा कोई धन नही है |


संत की सेवा करने क्या लाभ होगा ? 


संत का ह्रदय पवित्र होता है | संत भगवान का ही रूप है | उसकी सेवा करने से जीवन में कृतार्थता अर्थात सफलता प्राप्त होगी |


कस्तूरी और मृग के उदाहरण द्धारा कबीर ने क्या संदेश दिया है ? 


कस्तूरी मृग की नाभि में रहती है, पर मृग को इसका पता नही होता | वह उसे वन में यंहा-वंहा ढूँढता-फिरता है | कबीर कहते है की संसार के लोग की यही दशा है | परमात्मा उनके ह्रदय में निवास करता है, पर वे अज्ञान के कारण इस सत्य को जान नही पाते | वे उसे पाने के लिए इधर-उधर चक्कर लगाते रहते है |

इस प्रकार कबीर कहते है की मनुष्य को अपने ह्रदय में ही इश्वर की खोज करनी चाहिए |


कबीर भगवान के स्मरण का क्या महत्व बताते है | 


मनुष्य का यह स्वभाव है की दु:ख का समय आने पर वह भगवान को याद करता है और सुख के दिनो वह भगवान को भूल जाता है | कबीर कहते है की यदि सुख में भी हम भगवान को न भूले तो हमारे जीवन में कभी दु:ख नही आएगा |


Switch

कबीर ने कस्तूरी मृग का उदाहरण देकर क्या स्पष्ट करने का प्रयास किया है?

कस्तूरी मृगों में असली हिरणों की भांति सींग नहीं होते और इनमें कस्तूरी ग्रंथी होती है, जो हिरणों में नहीं होती।

मृग तथा कस्तूरी का क्या संबंध है?

नाभि से निकलती है सुंगधित धारा जो इस मृग को सबसे बड़ी खासियत है। इस मृग की नाभि में गाढ़ा तरल (कस्तूरी) होता है जिसमें से मनमोहक खुशबू की धारा बहती है। बता दें कि कस्तूरी केवल नर मृगों में ही पाया जाता है। यह जीव उत्तराखंड के अलावा अन्य हिमालयी क्षेत्रों (हिमाचल प्रदेश, कश्मीर, सिक्किम) में भी पाया जाता है।

कस्तूरी मृग बन बन में क्या खोजता फिरता है?

उत्तर : रामानन्द। (ग) कस्तूरी मृग वन वन में क्या खोजता फिरता है ? (अ) कोमल घास।

कस्तूरी मृग का अपने पर चिढ़ने का क्या कारण?

' (ख) अलख नाभि से उठनेवाले / निज के ही उन्मादक परिमल - के पीछे धावित हो-होकर / तरल तरुण कस्तूरी मृग को अपने पर चिढ़ते देखा है। 8. संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए- (क) छोटे-छोटे मोती जैसे (ख) समतल देशों से आ- आकर (ग) ऋतु वसंत का सुप्रभात था* (घ) ढूँढ़ा बहुत परंतु लगा क्या" योग्यता - विस्तार "कमलों पर गिरते देखा है।