माहेश्वर सूत्रों की संख्या कितनी होती है? - maaheshvar sootron kee sankhya kitanee hotee hai?

पौराणिक कथाओं के अनुसार ऐसा माना जाता है कि माहेश्वर सूत्रों की उत्पत्ति भगवान शिव के नटराज रूप के तांडव नृत्य द्वारा हुई थी जो इस प्रकार है।

नृत्यावसाने नटराजराजो ननाद ढक्कां नवपञ्चवारम्
उद्धर्तुकामः सनकादिसिद्धानेतद्विमर्शे शिवसूत्रजालम्

माहेश्वर सूत्र का संस्कृत व्याकरण में आधार के रूप में स्थान है। पाणिनि इसके जनक माने जाते हैं। उन्होंने भाषा संस्कृत के तत्काल के स्वरूप को बदल कर परिष्कृत और नियमित करने की इच्छा से भाषा के भिन्न-भिन्न अवयव घटक, ध्वनि-विभाग (अक्षरसमाम्नाय) नाम (संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण), पद, क्रिया, उपसर्ग, वाक्य, लिंग इत्यादि के संबंधों का अष्टाध्यायी में समावेशन किया।

32 पदों से सुसज्जित अष्टाध्यायी समान रूप से 8 अध्याय में बटा है। इसे व्याकरण का ग्रंथ कहते हैं। पाणिनी द्वारा विभक्ति प्रधान भाषा संस्कृत के विशाल सागर की संपूर्ण विवेचना लगभग 4000 सूत्रों की है। जब असमान रूप से 8 अध्याय में विभक्त है।

वर्तमान समय के दृष्टिकोण से उन्होंने (पाणिनी) लेखन सामग्री की विश्वसनीयता को बनाए रखने के लिए व्याकरण में स्मृति गम जोड़कर सूत्र शैली की सहायता से इसे बनाया।

इस विवेचना को फिर से संक्षिप्त रूप में लाने के लिए उन्होंने पूर्व में ही व्याप्त व्याकरण से प्राप्त ज्ञान और उपकरण को साथ साथ लेकर स्वयं का भी उपकरण जोड़ा जिनमें माहेश्वर सूत्र (Maheshwar Sutra) का विशेष स्थान है।

जैसा कि पूर्व में ही उल्लेखित किया गया है कि माहेश्वर सूत्रों की उत्पत्ति भगवान शिव के तांडव नृत्य से मानी जाती है।

नृत्यावसाने नटराजराजो ननाद ढक्कां नवपञ्चवारम्
उद्धर्तुकामः सनकादिसिद्धानेतद्विमर्शे शिवसूत्रजालम्

जिसका अर्थ है

  1. नृत्य के अवसान पर नटराज (शिव) द्वारा ऋषि मुनियों की कामना पूर्ति के लिए 14 बार डमरू बजाया गया और इसी डमरु की ध्वनि से 14 शिवसूत्रो की वर्णमाला की उत्पत्ति हुई।
  2. 14 बार डमरू को बजाने से 14 सूत्रों में ध्वनि निकली और इन ध्वनियों से ही व्याकरण बना, इसीलिए व्याकरण सूत्रों के प्रवर्तक और उत्प्रेरक भगवान नटराज ही माने जाते हैं।

यह भी प्रसिद्ध है कि पाणिनि को भगवान शिव ने यह सूत्र आशीर्वाद के रूप में दिया, जिसे पाणिनीय संस्कृत व्याकरण को आधार प्रदान किया।

माहेश्वर सूत्र संख्या में 14 है जो निम्न है:

  1. अ, इ ,उ ,ण्।
  2. ॠ ,ॡ ,क्,।
  3. ए, ओ ,ङ्।
  4. ऐ ,औ, च्।
  5. ह, य ,व ,र ,ट्।
  6. ल ,ण्
  7. ञ ,म ,ङ ,ण ,न ,म्।
  8. झ, भ ,ञ्।
  9. घ, ढ ,ध ,ष्।
  10. ज, ब, ग ,ड ,द, श्।
  11. ख ,फ ,च, ट, त, व्,छ ,ठ ,थ।
  12. क, प ,य्।
  13. श ,ष ,स ,र्।
  14. ह ,ल्।

इन सूत्रों की व्याख्या

उपर्युक्त्त 14 सूत्रों में संस्कृत भाषा के वर्णों (अक्षरसमाम्नाय) का संयोजन एक विशेष प्रकार से किया गया है। फलस्वरूप पाणिनि शब्दों के निर्वचन या नियमों मे जब भी किन्ही विशेष वर्ण समूहों (एक से अधिक) के उपयोग की जरूरत होती है, तो वे उन वर्णों (अक्षरों) को माहेश्वर सूत्रों से प्रत्याहार बनाकर संक्षिप्त मे ग्रहण करते हैं। माहेश्वर सूत्रों को इसी कारण ‘प्रत्याहार विधायक’ सूत्र के नाम से भी जाना जाता है।

इन 14 सूत्रों में संस्कृत भाषा के सभी वर्णों को समावेशित किया गया है। शुरू में 4 सूत्रों (अइउण् – ऐऔच्) में स्वर वर्णों तथा शेष 10 सूत्र व्यञ्जन वर्णों की गणना की गयी है। संक्षेप में – 

  • स्वर वर्णों को अच् एवं 
  • व्यञ्जन वर्णों को हल् कहा जाता है। 

अच् एवं हल् भी प्रत्याहार हैं।

श्रावण मास में नटराज भगवान के डमरू से उत्पन्न हुए इन 14 सूत्रों को एक श्वास में बोलने का अभ्यास करने से कई बीमारियों के समाधान हो सकते हैं और इसके प्रयोग से किसी भी कार्य की सिद्धि प्राप्त की जा सकती है प्रत्येक दिन इनकी एक माला (108 मंत्र) का जप सुखद अनुभव प्राप्त कराते हैं।

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Rahul Singh Tanwar

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थे संस्कृत में कुल लगाया 14 माहेश्वर सूत्र हैं और महेश्वर सूत्रों को संस्कृत व्याकरण का आधार माना जाता है और यही यह संस्कृत की वर्णमाला भी है जिसे हम बाकी भाषाओं में वर्णमाला वर्णमाला पढ़ते हैं पहला है आई उड़ा दूसरा है लीला का तीसरा औरंगा चौथा और पांचवां हाय आवारा टाटा वाड़ा साथियामा अन गाना नामा आठवां नवा नवा घटा दशा दिशा दशा 11 खफा चटक चटक का 12वां 13वां शतक और ज्यादा फल तुझे कॉल 14 माहेश्वर सूत्र हैं जिनको की पेशी पानी ने ने ने ऑर्गेनाइज किया था और यही आखिर में जाकर संस्कृत व्याकरण के आधार बने अब जो भी हम सुधर गए कभी संस्थापक पढ़ते हैं चाहे वह संधि में पड़े जैसे संधि व्याकरण संधि की बात करें तो कहते हैं यह कोई आना चाहिए यानी कि वहां पर जो हम बात करें इसको डिकोड करें ताकि मतलब उसका ही होता है जो एक प्रत्याहार है वह जान में कंवर्ट हो जाता है अब एक क्या है जो हमें सबसे पहला पहला पहला है अरुणा दूसरा है रेल रखा तो रियल र य या ना में कन्वर्ट हो जाते हैं नहीं यावर रावला में बदल जाते हैं तो यह जितना भी संस्कृत में बाकी कोडिफिकेशन आया जब सूत्र दिया हुआ तो सारे के सारे इसी सही डेवलप किया हुआ है आशा करता हूं कि आपको यह चीज समझ में आई होगी और अब अब आगे जहां कहीं पर भी देखेंगे इस बाकी सोचना तो इनके हिसाब से आप समझ सकेंगे शुभकामनाएं

the sanskrit mein kul lagaya 14 maheshvar sutra hain aur maheswar sootron ko sanskrit vyakaran ka aadhaar mana jata hai aur yahi yah sanskrit ki varnmala bhi hai jise hum baki bhashaon mein varnmala varnmala padhte hain pehla hai I uda doosra hai leela ka teesra auranga chautha aur panchavan hi awaara tata vada sathiyama an gaana nama aathwan nava nava ghata dasha disha dasha 11 khafa chetak chetak ka va va shatak aur zyada fal tujhe call 14 maheshvar sutra hain jinako ki pepsi paani ne ne ne organize kiya tha aur yahi aakhir mein jaakar sanskrit vyakaran ke aadhaar bane ab jo bhi hum sudhar gaye kabhi sansthapak padhte hain chahen vaah sandhi mein pade jaise sandhi vyakaran sandhi ki baat kare toh kehte hain yah koi aana chahiye yani ki wahan par jo hum baat kare isko dikod kare taki matlab uska hi hota hai jo ek pratyahar hai vaah jaan mein kanvart ho jata hai ab ek kya hai jo hamein sabse pehla pehla pehla hai aruna doosra hai rail rakha toh real r ya ya na mein convert ho jaate hain nahi yavar rawala mein badal jaate hain toh yah jitna bhi sanskrit mein baki kodifikeshan aaya jab sutra diya hua toh saare ke saare isi sahi develop kiya hua hai asha karta hoon ki aapko yah cheez samajh mein I hogi aur ab ab aage jaha kahin par bhi dekhenge is baki sochna toh inke hisab se aap samajh sakenge subhkamnaayain

थे संस्कृत में कुल लगाया 14 माहेश्वर सूत्र हैं और महेश्वर सूत्रों को संस्कृत व्याकरण का आध

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माहेश्वर सूत्र की कुल संख्या कितनी है?

व्याकरण के इस महनीय ग्रन्थ मे पाणिनि ने विभक्ति-प्रधान संस्कृत भाषा के विशाल कलेवर का समग्र एवं सम्पूर्ण विवेचन लगभग ४००० सूत्रों में किया है , जो आठ अध्यायों में (संख्या की दृष्टि से असमान रूप से) विभाजित हैं।

14 सूत्र को क्या कहते हैं?

माहेश्वर सूत्र की व्याख्या प्रत्याहार बनाने की विधि तथा संस्कृत व्याकरण मे उनके बहुविध प्रयोगों को आगे दर्शाया गया है। इन १४ सूत्रों में संस्कृत भाषा के समस्त वर्णों को समावेश किया गया है। प्रथम ४ सूत्रों (अइउण् – ऐऔच्) में स्वर वर्णों तथा शेष १० सूत्र व्यञ्जन वर्णों की गणना की गयी है।

संस्कृत में सूत्र कितने प्रकार के होते हैं?

संस्कृत के 14 सूत्र जिन्हें हम माहेश्वर सूत्र के नाम से जानते हैं वह इस प्रकार हैं...
१. अइउण्।.
२. ऋऌक्।.
३. एओङ्।.
४. ऐऔच्।.
५. हयवरट्।.
६. लण्।.
७. ञमङणनम्।.

प्रत्याहार सूत्रों की संख्या कितनी है?

इन सूत्रों से कुल 41 प्रत्याहार बनते हैं। एक प्रत्याहार उणादि सूत्र (१.११४) से “ञमन्ताड्डः” से ञम् प्रत्याहार और एक वार्तिक से “चयोः द्वितीयः शरि पौष्करसादेः” (८.४.४७) से बनता है। इस प्रकार कुल 43 प्रत्याहार हो जाते हैं। अन्तिम अक्षरों के अनुसार।