मनुष्य में दोहरा परिसंचरण की व्याख्या कीजिए यह क्यों आवश्यक है - manushy mein dohara parisancharan kee vyaakhya keejie yah kyon aavashyak hai

दोहरा परिसंचरण की व्याख्या कीजिए यह क्यों आवश्यक है?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर : मनुष्य के परिसंचरण तंत्र को दोहरा परिसंचरण इसलिए कहते हैं, क्योंकि प्रत्येक चक्र में रुधिर दो बार हृदय में जाता है। हृदय का दायाँ और बायाँ बँटवारा ऑक्सीजनित तथा विऑक्सीजनित रुधिर को मिलने से रोकता है। अतः शरीर: का तापक्रम बनाए रखने तथा निरन्तर ऊर्जा की पूर्ति के लिए यह परिसंचरण लाभदायक होता है।

मानव परिसंचरण तंत्र के प्रमुख अवयव कौन कौन से हैं?

अनुक्रम

  • हृदय 1.1 हृदय की कपाटिकाएँ 1.2 रुधिर परिसंचरण (Blood Circulation)
  • धमनियाँ 2.1 महाधमनी 2.2 शाखाएँ 2.3 अधोजत्रुक 2.4 अन्तःप्रकोष्ठिका (Ulna)
  • शिराएँ (Veins) 3.1 सामान्य शिरातंत्र 3.2 फुफ्फुसी शिराएँ
  • धमनी और शिरा की रचना
  • केशिकाएँ (Capillaries)
  • अन्य प्राणियों के वाहिका तंत्र
  • सन्दर्भ
  • बाहरी कड़ियाँ

दोहरा परिसंचरण क्या है समझाइए?

इसे सुनेंरोकेंदोहरा परिसंचरण-रक्त का एक चक्र में दो बार हृदय से गुजरनापहली बार शरीर का समस्त अशुद्ध रुधिर हृदय के दाहिने आलिन्द में एकत्रित होकर दाहिने निलय में होते हुए फेफड़ों में जाता तथा दूसरी बार हृदय के बायें आलिन्द में फेफड़ों से फुफ्फुस शिराओं द्वारा एकत्रित होकर शुद्ध रुधिर महाधमनी द्वारा समस्त शरीर में पम्प किया जाता है।

हार्ट कैसे साफ होता है?

इसे सुनेंरोकेंएस्पेरागस आपकी धमनियों को साफ करने के लिए सबसे अच्छे भोजन में से एक है. फाइबर और खनिजों से भरपूर, ये बल्ड प्रेशर को कम करने में मदद करता है और ब्लड क्लॉट्स को रोकता है, जिससे गंभीर दिल से जुड़ी बीमारियां हो सकती हैं. ये नसों और धमनियों की सूजन को कम करता है.

रक्त को लाल रंग कौन प्रदान करता है तथा हमारे शरीर में WBC क्या कार्य करता है?

इसे सुनेंरोकेंचलिए, सबसे पहले यह जान लेते हैं कि मनुष्य के खून का रंग एक प्रोटीन – हीमोग्लोबिन के कारण लाल होता है. हीमोग्लोबिन में लाल-रंग के घटक होते हैं जिन्हें हीम कहा जाता है. ऑक्सीजन के साथ जुड़ने वाला हीमोग्लोबिन नीले और हरे रंग के प्रकाश को सोख लेता है और लाल-नारंगी रंग के प्रकाश को परावर्तित कर देता है.

रक्त संचार प्रणाली का मुख्य कार्य क्या है?

इसे सुनेंरोकेंयह हृदय, नसों, धमनियों और केशिकाओं से बना है. इसका मुख्य कार्य सामग्रियों के परिवहन में निहित है, हालांकि यह प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया से संबंधित होने और रक्त जमावट में योगदान के अलावा पीएच और तापमान के संदर्भ में महत्वपूर्ण कार्यों के लिए एक स्थिर वातावरण के निर्माण में भी भाग लेता है।.

Answer in Brief

मनुष्य में दोहरा परिसंचरण की व्याख्या कीजिए। यह क्यों आवश्यक है?

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Solution

मानव हृदय में रक्त दो बार संचरित होता है। इसके दोहरा परिसंचरण कहते है। इसी कारण ऑक्सीजनित और विऑक्सीजनित रूधिर एक-दुसरे से अलग रहता है। यदि ये बंटवारा न हो तो दोनों प्रकार के रक्त मिल जाएँगे और अंगो को पूर्ण रूप से ऑक्सीजन नहीं मिल पाएँगा।

Concept: श्वसन

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Chapter 6: जैव प्रक्रम - अभ्यास [Page 125]

Q 11.Q 10.Q 12.

APPEARS IN

NCERT Science Class 10 [विज्ञान कक्षा १० वीं]

Chapter 6 जैव प्रक्रम
अभ्यास | Q 11. | Page 125

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मनुष्य में दोहरा परिसंचरण की व्याख्या कीजिए। यह क्यों आवश्यक है?

हृदय दो भागों में बंटा होता है। इस का दायाँ और बायाँ भाग ऑक्सीजनित और विऑक्सीजनित रुधिर को आपस में मिलने से रोकने में उपयोगी सिद्ध होता है। इस तरह का बंटवारा शरीर को उच्च दक्षतापूर्ण ऑक्सीजन की पूर्ति कराता है। जब एक ही चक्र में रुधिर दोबारा हृदय में जाता है तो उसे दोहरा परिसंचरण कहते हैं। इसे इस प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है :
ऑक्सीजन को प्राप्त कर रुधिर फुफ्फुस में आता है। इस रुधिर को प्राप्त करते समय बायाँ अलिंद हृदय में बाँयी ओर स्थित कोष्ठ बायाँ अलिंद शिथिल रहता है। जब बायाँ निलय फैलता है, तब यह संकुचित होता है, जिससे रुधिर इसमें चला जाता है। अपनी बारी पर जब पेशीय बाँया निलय संकुचित होता है, तब रुधिर शरीर में पंपित हो जाता है।

मानव हृदय में रक्त परिसंचरण को दोहरा परिसंचरण क्यों कहा जाता है?

मानव हृदय में रक्त परिसंचरण को दोहरा परिसंचरण कहा जाता है क्योंकि रक्त शरीर के एक पूर्ण चक्र में दो बार हृदय से होकर गुजरता है – एक बार दाएं आधे से फेफड़ों में ऑक्सीजन रहित रक्त के रूप में (फुफ्फुसीय परिसंचरण) और अगला बाएं आधे भाग में शरीर के सभी अंगों (प्रणालीगत परिसंचरण) में ऑक्सीजन युक्त रक्त का रूप।

दोहरा परिसंचरण तंत्र किसे कहते हैं ? यह किनमें पाया जाता है।

दोहरा परिसंचरण- रक्त का एक चक्र में दो बार हृदय से गुजरनापहली बार शरीर का समस्त अशुद्ध रुधिर हृदय के दाहिने आलिन्द में एकत्रित होकर दाहिने निलय में होते हुए फेफड़ों में जाता तथा दूसरी बार हृदय के बायें आलिन्द में फेफड़ों से फुफ्फुस शिराओं द्वारा एकत्रित होकर शुद्ध रुधिर महाधमनी द्वारा समस्त शरीर में पम्प किया जाता है। इस प्रकार के रक्त परिभ्रमण को दोहरा परिसंचरण (Double Circulation) कहते हैं। इस प्रकार परिसंचरण मनुष्य में पाया जाता है।

परिसंचरण का मतलब क्या होता है?

परिसंचरण तंत्र या वाहिकातंत्र (circulatory system) अंगों का वह समुच्चय है जो शरीर की कोशिकाओं के बीच पोषक तत्वों का यातायात करता है। इससे रोगों से शरीर की रक्षा होती है तथा शरीर का ताप एवं pH स्थिर बना रहता है।

दोहरा परिवहन से आप क्या समझते हैं?

दोहरे परिसंचरण का संबंध रक्त परिवहन से है। परिवहन के समय रक्त दो बार हृदय से गुज़रता है। अशुद्ध रक्त दायें निलय से फेफड़ों में जाता है और शुद्ध हो कर बायें आलिंद के पास आता है। इस पल्मोनरी परिसंचरण कहते हैं।

दोहरे परिसंचरण से क्या तात्पर्य है? इसकी क्या महत्ता है?

दोहरा परिसंचरण – विऑक्सिजनित रक्त शरीर के विभिन्न भागों से महाशिराओं द्वारा दाएँ अलिंद में इकट्ठा किया जाता है। जब दायाँ अलिंद सिकुड़ता है तो यह दाएँ निलय में चला जाता है। जब दायाँ निलय सिकुड़ता है तो यह विऑक्सिजनित रक्त फुफ्फुस धमनी के माध्यम से फुस्फुस (फेफड़ों) में चला जाता है, जहाँ पर गैसों का विनिमय होता है। यह रक्त ऑक्सिजनित होकर फुफ्फुस शिराओं के द्वारा वापिस ह्दय में बाएँ अलिंद में आ जाता है। जब बायाँ अलिंद सिकुड़ता है तो यह ऑक्सिजनित रक्त बाएँ निलय में आता है। जब बायाँ निलय सिकुड़ता है तो यह रक्त शरीर के विभिन्न भागों में महाधमनी के माध्यम से वितरित किया जाता है।

अत: वही रक्त ह्दय चक्र में ह्दय में से दो बार गुज़रता है, एक बार ऑक्सिजनित तथा दूसरी बार विऑक्सिजनित रक्त के रूप में। इसी को दोहरा परिसंचरण कहते हैं।
महत्व – हमारा ह्दय चार कोष्ठकों से मिलकर बना है इसके ही कारण से हमारे शरीर के सभी भागों को ऑक्सिजनित रक्त वितरित किया जाता है। इसके कारण से ही कोशिकाओं व ऊतकों में ऑक्सीजन का वितरण सही आवश्यकता अनुसार बना रहता है।

दोहरा परिसंचरण किसे कहते हैं?

मानव संचार प्रणाली एक दोहरा संचार प्रणाली है। इसके दो अलग-अलग सर्किट होते हैं और रक्त दो बार हृदय से होकर गुजरता है: फुफ्फुसीय सर्किट हृदय और फेफड़ों के बीच होता है। प्रणालीगत सर्किट हृदय और अन्य अंगों के बीच है।

इस पोस्ट में मनुष्य में दोहरा परिसंचरण की व्याख्या कीजिए। यह क्यों आवश्यक है? दोहरा परिसंचरण तंत्र का चित्र दोहरा परिसंचरण तंत्र को समझाइए रक्त परिसंचरण तंत्र का चित्र खुला परिसंचरण तंत्र manushya me dohra parisancharan tantra ki vyakhya kijiye मनुष्य में दोहरा परिसंचरण कैसे होता है? मानव परिसंचरण को दोहरा परिसंचरण क्यों कहा जाता है? से संबंधित काफी महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है यह जानकारी फायदेमंद लगे तो अपने दोस्तों के साथ शेयर करें और इसके बारे में आप कुछ जानना यह पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट करके अवश्य पूछे.

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मनुष्य में दोहरा परिसंचरण की व्याख्या कीजिए है क्यों आवश्यक है?

मनुष्य के परिसंचरण तंत्र को दोहरा परिसंचरण इसलिए कहते हैं, क्योंकि प्रत्येक चक्र में रुधिर दो बार हृदय में जाता है। हृदय का दायाँ और बायाँ बँटवारा ऑक्सीजनित तथा विऑक्सीजनित रुधिर को मिलने से रोकता है। चूंकि हमारे शरीर में उच्च ऊर्जा की आवश्यकता होती है, जिसके लिए उच्च दक्षतापूर्ण ऑक्सीजन जरूरी होता है।

दोहरा परिसंचरण क्या है समझाइए?

Solution : दोहरा परिसंचरण-रक्त का एक चक्र में दो बार हृदय से गुजरनापहली बार शरीर का समस्त अशुद्ध रुधिर हृदय के दाहिने आलिन्द में एकत्रित होकर दाहिने निलय में होते हुए फेफड़ों में जाता तथा दूसरी बार हृदय के बायें आलिन्द में फेफड़ों से फुफ्फुस शिराओं द्वारा एकत्रित होकर शुद्ध रुधिर महाधमनी द्वारा समस्त शरीर में पम्प किया ...

खुला परिसंचरण तंत्र क्या होता है?

खुला परिसंचरण तंत्र (ओपन circulatory system) :- कुछ विकसित अकशेरुकी जंतुओं जैसे अर्थो पॉड्स एवं मोलस्क में रुधिर नालियों तक सीमित न रहकर पूरी देहगुहा में स्वतंत्रत रूप से बहता है। इस कारण ऐसे जन्तु की कोशिकाएं तथा ऊतक के सीधे सम्पर्क में रहती है। इस प्रकार का परिसंचरण तंत्र खुला परिसंचरण तंत्र कहते हैं।