गुर्दों का महत्व हमारे लिए बेहद खास है। यह हमारे लिए काफी काम तो करते ही हैं, काफी तकलीफ भी सहते हैं। ऐसे में यह भी बेहद जरूरी है कि हम भी उनकी तकलीफ का खयाल रखें, ताकि वह हमारे लिए सही तरह काम करते रहें। गुर्दों की कौन-कौन सी तकलीफ हमारे लिए खतरे की घंटी हो सकती है और उनका कैसे खयाल रखें, बता रहे हैं अभिजीत श्रीवास्तव Show हमारे शरीर में गुर्दों का बेहद महत्वपूर्ण स्थान है। शरीर की गंदगी बाहर करने के अलावा गुर्दों का काम हमारे शरीर में बनने वाले अम्ल की मात्र को भी निर्धारित करना होता है, ताकि हमारा रक्तचाप नियंत्रित रहे। गुर्दों की एक खास बात यह होती है कि वे बिना किसी बड़ी वजह के दर्द नहीं देते। मतलब अगर आपके गुर्दों में या उनके आसपास के हिस्सों में दर्द हो रहा हो तो इसे नजर अंदाज बिलकुल नहीं करना चाहिए। यहां तक कि दुनिया में प्रचलित किडनी की गंभीर बीमारियों में से ज्यादातर में दर्द का लक्षण नहीं होता। क्रॉनिक किडनी डिजीज (सीकेडी) या गुर्दे की कई गंभीर बीमारियों में शुरुआती दौर में मरीज को दर्द की शिकायत नहीं होती। मगर कुछ बीमारियों में गुर्दे या किडनी के आसपास स्थित शरीर के हिस्सों, जैसे कमर में दर्द हो सकता है। गुर्दे में पथरी यूटीआई संक्रमण पेशाब की नली में रुकावट (यूटीओ) पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज (पीकेडी) रिनल सेल कार्सिनोमा पेज किडनी लोइन
पेन हेमाटय़ूरिया सिंड्रोम किडनी संबंधित बीमारी में सजर्री के विकल्प लिथोट्रिप्सी गुर्दे का प्रत्यारोपण गुर्दे की पथरी का होना एक आम स्वास्थ्य समस्या है और यह 11 व्यक्तियों में से लगभग 1 को हो ही जाता है। गुर्दे की पथरी कैसे बनते हैं? जब मूत्र में कैल्शियम, ऑक्सालेट, यूरिक एसिड और सिस्टीन जैसे कुछ पदार्थों का कंसंट्रेशन बढ़ने लगता है, तो वे क्रिस्टल बनाने लगते हैं जो गुर्दे से जुड़ने लगते हैं और धीरे-धीरे आकार में बढ़ कर पथरी का रूप लेने लगते हैं। पथरी कितने प्रकार की होती हैं? 80% पथरी कैल्शियम के बने पत्थर होते हैं, और कुछेक कैल्शियम ऑक्सालेट तथा कुछ कैल्शियम फॉस्फेट के होते हैं। बाकी पत्थर यूरिक एसिड पत्थर, संक्रमण पत्थर और सिस्टीन पत्थर होते हैं। पथरी बनने के जोखिम कारक:
लक्षण: यह पत्थरों के आकार और उनके स्थान पर निर्भर करता है। पथरी की वजह से जो सबसे आम लक्षण उभरते हैं वो है पेट या उसके निचले हिस्से में दर्द का होना जो कमर तक बढ़ सकता है। पत्थर निकालते समय दर्द का होना सबसे आम है। इसमें गंभीर कष्टदायी दर्द की लहरें भी उठतीं हैं जिसे ‘वृक्क शूल’ कहा जाता है जो 20-60 मिनट तक रहता है। पेशाब करने में कठिनाई, मूत्र में रक्त या उल्टी हो सकती है। मूत्र से रेत जैसे कठोर कण निकल सकते हैं। पथरी मूत्र के रास्ते में फंसा रह सकता है जिससे पेशाब कर्मे में बाधा उत्पन्न होती है और दर्द होता है। गुर्दे में अगर पथरी बहुत छोटा हो तो वे रुकावट पैदा नहीं करते हैं, जिससे पथरी का कोई लक्षण नहीं दिखता है। निदान: गुर्दे की पथरी का निदान अल्ट्रासोनोग्राफी या सीटी स्कैन द्वारा किया जाता है। एक्स-रे और इंट्रावेनस पाइलोग्राफी भी निदान के लिए उपयोगी होते हैं। सीटी स्कैन अधिक सटीक होता है लेकिन रोगी को विकिरण का सामना करना पड़ता है। पथरी किस प्रकार का है यह जानने के लिए, कैल्शियम / ऑक्सालेट / यूरिक एसिड और साइट्रेट का 24 घंटे का मूत्र आकलन आवश्यक होता है। मूत्र में संक्रमण है या नहीं या मूत्र अम्लीय अथवा क्षारीय है, यह देखने के लिए मूत्र की जाँच उपयोगी है। उपचार: पथरी का उपचार इस बात पर निर्भर करता है कि मूत्र पथ में पत्थर का आकार कितना है और किस स्थान पर है। 5 मिमी से कम की पथरी आमतौर पर विशिष्ट उपचार के बिना बाहर निकल जाते हैं। तरल पदार्थ का सेवन और दर्द निवारक दवाएं लेने की आवश्यकता होती है। गुर्दे की बीमारी गंभीर हो जाने पर इंट्रावेनस तरल पदार्थ और अन्य दवाएं लेने के साथ-साथ उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती होने की भी आवश्यकता होती है। बड़ी पथरी यानी 9 मिमी से अधिक के लिए पर्क्यूटेनियस नेफ्रोलिथोटोमी या शॉक-वेव लिथोट्रिप्सी द्वारा ऑपरेशन करके निकलने की आवश्यकता हो सकती है। लगभग 10-20% पथरी के मामलों में सर्जरी की आवश्यकता होती है। बचाव:
डॉ. दीपक शंकर रे, कंसल्टेंट – नेफ्रोलॉजिस्ट और रेनल ट्रांसप्लांट के प्रमुख, रबींद्रनाथ टैगोर इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियक साइंसेज, मुकुंदपुर, कोलकाता मानव गुर्दे का आकार कितना होता है?गुर्दा लगभग 11-14 सेमी लंबा, 6 सेमी चौड़ा और 3 सेमी मोटा होता है।
इंसान के गुर्दे कैसे होते हैं?जैसा कि हम सभी जानते हैं कि हर व्यक्ति के शरीर में दो गुर्दे होते हैं, जो मुख्य रूप से यूरिया, क्रिएटिनिन, एसिड, आदि जैसे नाइट्रोजनयुक्त अपशिष्ट पदार्थों को रक्त में से छानने के लिए जिम्मेदार होते हैं। (जो सभी शरीर में चयापचय के उत्पाद हैं) और इस तरह मूत्र का उत्पादन करते हैं।
किडनी और गुर्दे अलग अलग होते हैं क्या?कुमार ने बताया कि गुर्दे सामान्यत: दांई व बांई ओर अलग-अलग होते हैं किंतु हजारों में किसी एक इंसान में दोनों गुर्दे आपस में जुड़े हुए होते हैं, जिसे चिकित्सकीय भाषा में हॉर्स शू किडनी कहते हैं। आपस में जुडऩे के बाद किडनी का प्रारूप घोड़े के खुर की तरह लगता है। इसकी जानकारी जांच करवाने पर ही होती है।
फेफड़े and गुर्दे में क्या अंतर है?नतीजन सांस की रफ्तार तेज हो जाती है और रक्त चाप बढ़ जाता है.
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