मानव का उद्भव आज से कितने वर्ष पहले हुआ माना जाता है? - maanav ka udbhav aaj se kitane varsh pahale hua maana jaata hai?

आधुनिक मानव का उद्भव (origin of modern man )

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भारत के इतिहास को समझने से पहले यह जानना जरूरी है की मनुष्य की उत्पत्ति कैसी हुयी?

ऐसा माना जाता है की हमारी पृथ्वी का जन्म आज से लगभग 450 करोड़ पूर्व वर्ष हुआ था । वही हमारा जन्म आज से लगभग 20000 वर्ष पहले हुयी थी । 

भू गर्भ के अनुसार धरती के इतिहास को चार युगों मे विभाजित किया गया है -

पेलियोंजोइक  

मेसोंजोइक 

तृतीयक 

क्वाटरनरी 

अंतिम दो युगों को सेनोजोइक भी कहते है । इसे स्तनधारियों का युग भी कहते है । 

सेनोजोइक युग को फिर से सात भाग मे विभाजित कर सकते है। इसमे से दो युग मानवों की उत्पत्ति के हिसाब से ज्यादा महत्वपूर्ण है । जो की निम्न है -

प्लीस्टोसीन 

होलोसिन 

आधुनिक मानव के रूप मे विकसित होने का प्रक्रम निम्न तरीके से प्रारंभ होता है -

 सबसे प्राचीन मनुष्य का प्रादुर्भाव एक अनुमान से वर्तमान पूर्वी अफ्रीका में हुआ । यह इसलिए कि मानव का सबसे प्राचीन जीवाश्म (फॉसिल्स ) इस के एक हिस्से इथियोपिया में मिला है। यह लाखों वर्ष पुरानी बात है, जब वहां यह कंकाल एक जीव रूप में चल-फिर रहा होगा । इन्हे मानवशास्त्रियों ने ऑस्ट्रोलिपिथिकस नाम दिया। ऑस्ट्रोलिपिथिकस का मतलब दक्षिण वानर होता है । इसका सबसे पहला अवशेष तंजानिया मे स्थित ऑलडुवई गॉर्ज से प्राप्त हुआ था । 

इनके पश्चात 17 लाख वर्ष पूर्व होमोइरेक्टस का उद्भव हुआ ।  होमोइरेक्टस का उद्भव पूर्वी अफ्रीका मे हुआ । यहाँ से यह पूरी दुनिया मे फैल गए । होमोइरेक्टस के पश्चात होमो हैबिलिस का उद्भव हुआ है । यह मानव पत्थर का उपकरण बनाना जानता था । इसका अवशेष इथोपिया मे ओमी तथा तंजानिया मे ऑलडुवई गॉर्ज से प्राप्त हुआ था । 

मानव विकास क्रम का अगला पड़ाव निएंडरथल था । इससे संबंधित

इसके पश्चात होमोसेमपियन्स का जन्म हुआ । इसका कालक्रम 1.5 लाख वर्ष पूर्व माना जा सकता है । 

भारत मे अभी तक केवल प्रारम्भिक काल के होमोसेमपियन्स के साक्ष्य प्राप्त हुए है । यह साक्ष्य नर्मदा घाटी मे स्थित हथनौर नामक स्थल से प्राप्त हुया है । इसकी खोज अरुण कुमार ने किया था । 

 

 

दंडकारण्य का पठार दंडकारण्य का पठार  यह छत्तीसगढ़ के दक्षिण दिशा में है। यह छत्तीसगढ़ का सांस्कृतिक दृष्टि से सबसे अधिक समृद्ध प्रदेश है। इस क्षेत्र का क्षेत्रफ़ल 39060 वर्ग किलोमीटर है। यह छत्तीसगढ़ के कुल क्षेत्रफल का 28.91 प्रतिशत है। इस पठार  का विस्तार कांकेर ,कोंडागांव ,बस्तर ,बीजापुर ,नारायणपुर ,सुकमा जिला  तथा मोहला-मानपुर तहसील तक है।  इसका निर्माण धारवाड़ चट्टानों से हुआ है।  बीजापुर तथा सुकमा जिले में बस्तर के मैदान का विस्तार है। यहाँ की सबसे ऊँची चोटी नंदी राज (1210 मीटर ) है जो की बैलाडीला में स्थित है।   अपवाह तंत्र  यह गोदावरी अपवाह तंत्र का हिस्सा है। इसकी सबसे प्रमुख नदी इंद्रावती नदी है। इसकी लम्बाई 286 किलोमीटर है। इसका उद्गम मुंगेर पर्वत से होता है। यह भद्राचलम के समीप गोदावरी नदी में मिल जाती है। इसकी प्रमुख सहायक नदी नारंगी ,शंखनी -डंकिनी ,मुनगाबहार ,कांगेर आदि है।  वनस्पति  यहाँ उष्णकटिबंधीय आद्र पर्णपाती वन पाए जाते है। इस क्षेत्र में साल वृक्षों की बहुलता है इसलिए इसे साल वनो का द्वीप कहा जाता है। यहाँ उच्च स्तर के सैगोन वृक्ष पाए जाते है.कुरसेल घाटी(नारायणपुर ) मे

छत्तीसगढ़ टोनही प्रताड़ना निवारण अधिनियम 2005 compilation - Mrs Purnima Verma आधुनिकता, शिक्षा, समानता के बीच कुछ पक्ष इनसे अछूते रह जाते हैं। जो समाज मे जादू-टोना, अन्धविश्वास, व कुरीतियों के रूप में व्यापत रहते हैं। इसका एक उदाहरण किसी व्यक्ति को टोनही उच्चारित कर उसे प्रताड़ित करना और उसके मानसिक, शारीरिक, व ख्याति को नुकसान पहुंचाना है। इस प्रकार का कृत्य संविधान द्वारा प्रदत्त समानता के अधिकार व गरिमापूर्ण जीवन जीने के अधिकार का हनन है।अतः इस स्थिति में सुधार हेतु व अंधविश्वास व कुरीतियों को हटाकर व्यक्ति को जीवन जीने के लिए स्वास्थ्य वातावरण व विधिक सुरक्षा प्रदान करने हेतु छत्तीसगढ़ टोनही प्रताड़ना निवारण अधिनियम 2005 को अधिनियमित किया गया है। यह अधिनियम सम्पूर्ण छत्तीसगढ़ में दिनांक 30 सितम्बर 2005 से लागू है। इसके परिभाषा खण्ड (धारा 2) में टोनही, पहचानकर्ता, ओझा व हानि को परिभाषित किया गया है। जिसके अनुसार- टोनही- इस अधिनियम के अनुसार, किसी व्यक्ति की पहचान इस प्रकार की जाये की वह किसी अन्य व्यक्ति अथवा समाज, पशु, अथवा जीवित वस्तुओं को काला जादू, बुरी नजर या अन्य रीति से नुकस

भारतीय दर्शन  (INDIAN PHILOSOPHY)  भा रतीय दर्शन(INDIAN PHILOSOPHY)  दुनिया के अत्यंत प्राचीन दर्शनो में से एक है.इस दर्शन की उत्त्पति के पीछे उस स्तर को प्राप्त करने की आस है  जिस स्तर पर व्यक्ति दुखो से मुक्त होकर अनंत आंनद की प्राप्ति करता है.इस दर्शन का मुख्य उद्देश्य जीवन से दुखो को समाप्त कर मोक्ष की प्राप्ति करना है. इस लेख में निम्न बिन्दुओ पर चर्चा करेंगे - भारतीय दर्शन की उत्पत्ति  भारतीय दर्शन की विशेषताएं  भारतीय दर्शन के प्रकार  भारतीय दर्शन क्या निराशावादी है? निष्कर्ष  भारतीय दर्शन की उत्पत्ति (ORIGIN OF INDIAN PHILOSOPHY) भारतीय दर्शन  की उत्पत्ति वेदो से हुई है.इन वेदो की संख्या 4 है.ऋग्वेद ,यजुर्वेद ,सामवेद तथा अथर्ववेद। वेद को ईश्वर की वाणी कहा जाता है। इसलिए वेद को परम सत्य मानकर आस्तिक दर्शन ने प्रमाण के रूप में स्वीकार किया है अर्थात वेदो की बातो को ही इन दर्शनों के द्वारा सत्य माना जाता है.प्रत्येक वेद के तीन अंग है मंत्र ,ब्राम्हण तथा उपनिषद। संहिंता मंत्रो के संकलन को कहा जाता है। ब्राम्हण में कमर्काण्ड की समीक्षा की गयी है.उपनिषद

मानव का उद्भव कितने वर्ष पहले हुआ?

➲ होमिनिड मानव का उद्भव आज से लगभग 56 लाख साल पहले अफ्रीका में हुआ माना जाता है।

आधुनिक मानव कितने वर्ष पूर्व अस्तित्व में आया?

आधुनिक मानव अफ़्रीका में 2 लाख साल पहले , सबके पूर्वज अफ़्रीकी थे। होमो इरेक्टस के बाद विकास दो शाखाओं में विभक्त हो गया।

मानव जाति की उत्पत्ति कब हुई?

आधुनिक मनुष्य का विकास पूर्वी अफ्रीका में, लगभग 25 लाख वर्ष पहले आस्ट्रेलोपिथेकस नामक वानरों के एक जीनस से हुआ, जिसका अर्थ “दक्षिणी वानर” हैं। लगभग 20 लाख वर्ष पहले, इनमें से कुछ अपनी मातृभूमि को छोड़कर उत्तरी अफ्रीका, यूरोप और एशिया में बस गए।

मानव कब और किस रूप में सर्वप्रथम अस्तित्व में आया?

56 लाख वर्ष पहले पृथ्वी पर ऐसे प्राणियो का पादुर्भाव हुआ जिन्हे हम मानव कह सकते हैं ।