मरने के 24 घंटे बाद आत्मा अपने घर वापस क्यों आती है? - marane ke 24 ghante baad aatma apane ghar vaapas kyon aatee hai?

मृत्यु के 24 घंटे बाद आत्मा अपने घर वापस क्यों आती है ?

March 17, 2022

🤯

मरने के 24 घंटे बाद आत्मा अपने घर वापस क्यों आती है? - marane ke 24 ghante baad aatma apane ghar vaapas kyon aatee hai?

मित्रों यह बात तो हम सभी जानते हैं कि पृथ्वी लोक पर जन्म लेने वाला कोई भी व्यक्ति अमर नहीं हो सकता, अर्थात उसे एक ना एक दिन मरना ही होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं मरने के बाद आखिर आत्मा का क्या होता है ? एमसी के 24 घंटे बाद आत्मा अपने घर वापस क्यों आती है ? और आत्मा कितने दिनों तक अपने घर पर रहती है। तो मैं आप सभी को बता दूं, कि इन सभी सवालों का जवाब

मरने के 24 घंटे बाद आत्मा अपने घर वापस क्यों आती है? - marane ke 24 ghante baad aatma apane ghar vaapas kyon aatee hai?
मे विस्तार से बताया गया है। और आज के इस आर्टिकल में हम आपको यह भी बताने जा रहे हैं, मित्रों गरुण पुराण में यह बताया गया हैै कि जब किसीी मनुष्य कीी मृत्यु होती है, तो यमराज के दूत उसकी आत्मा को यमलोक ले जाते हैं। जहां उसके पुण्य और पाप का लेखा-जोखाा किया जाता है। फिर 24 घंटेेेे के अंदर ही यमदूत उस मनुष्य की आत्मा को घर छोड़़ जाते है। यमदूत केेेे द्वाराा उसकी आत्मा को वापस छोड़़ देने के बाद उस आत्मा को अपने परिजनों के बीच भटकने से इजाजत देे दी जाती है। और वह आत्मा अपने परिजनों से बातचीत करनेे की कोशिश करते रहती है। परंतु उस आत्मा की आवाज किसी भी परिजनों तक नहींीं पहुंच पाती है। यह देख की आत्मााा बेचैन  जाती हैै। है जोर-जोर से चिल्लाने लगती है। तभी उसकी आवाज को कोई नहीं सुनता, उसकेेेेेेे बाद मृतक की आत्मा अपने शरीर में पुन: प्रवेश करने की कोशिश करती है । लेकिन यमदूत केेे बस में बंदेेेे होने के कारण पुनः शरीर में प्रवेश नहींंंं कर पाते हैं। इसके अलावा गरुण पुराण में यह भी बताया गयाा है कि, किसीी की मृत्यु हो जाने पर उसकेे परिजनों रोते बिलखते हैं तो यह देख मृत आत्मा दुखी हो जाता है। और वह भी रोने लगती है परंतुुु वह कुुछ कर नहीं पाता है। और लाचार होकर अपने जीवन काल में किए बुरे कर्मों को याद कर दुखी होता है।गरुड़ पुराण की मानें तो जब यमदूत मृतक की आत्मा को उसके परिजनों के बीच छोड़ जाते हैं, तो उस आत्मा में इसमें बल नहीं रहता है कि यमलोक की यात्रा तय कर सके।गरुड़ पुराण की मानें किसी भी मनुष्य की मृत्यु के बाद जो 10 दिनों तक पिंडदान किया जाता है, उससे आत्मा के विभिन्न अंगों की रचना होती है। जो 11वें और 12 वें दिल पिंडदान किया जाता है उससे पूर्ण रूप से शरीर की रचना हो जाती है। और 13 वें दिन जो पिंड दान किया जाता है उसे मृतक यमलोक तक की यात्रा तय करती है। अर्थात मृतक के नाम पर 13 दिनों तक जो पिंडदान किया जाता उसी से मृतक की आत्मा को शांति मिलती है , जिससे पृथ्वी से यमलोक तक की यात्रा तय कर पाते हैं।मित्रों इसीलिए गरुण पुराण में यह बताया गया है कि यदि किसी मनुष्य की मृत्यु हो जाती है तो उसकी आत्मा 13 दिनों तक उसके परिजनों के बीच भटकती रहती है।

Post navigation

 नमस्कार दोस्तो आज की इस पोस्ट में हम जानने वाले हैं कि मृत्यु के 24 घंटे बाद आत्मा वापस अपने घर क्यों आती है?मरने के बाद आत्मा कितने दिन तक घर में रहती है? आदि आप भी जानना चाहते हैं तो इस पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़े

                           

मरने के 24 घंटे बाद आत्मा अपने घर वापस क्यों आती है? - marane ke 24 ghante baad aatma apane ghar vaapas kyon aatee hai?

मृत्यु के 24 घंटे बाद आत्मा वापस अपने घर क्यों आती है?मरने के बाद आत्मा कितने दिन तक घर में रहती है

दोस्तो गरुड़ पुराण में हमें मनुष्य के जीवन और मरण से संबंधित ऐसे कई रहस्यों के बारे में पढ़ने को मिलता है जिन्हें जानकर कोई भी व्यक्ति अपने जीवन की गति को सुधार सकता है। 

दोस्तो इस में हम जानने वाले हैं  मृत्यु के समय मनुष्य के साथ क्या-क्या घटित होता है और वह किस प्रकार यमलोक ले जाया जाता है? इस प्रस्तुति में आज हम जानेंगे की मृत्यु के बाद जीव आत्मा कितने दिनों तक घर में रहती हैं?

                    हमारे धर्म शास्त्रों में इस संदर्भ में क्या-क्या वर्णित किया गया है वह सब हम आपको इस पोस्ट के माध्यम से बताएंगे। 

गरुड़ पुराण वैष्णव संप्रदाय से संबंधित है और इस पुराण के अधिष्ठाता देव सृष्टि के पालन करता भगवान विष्णु है। 

            दोस्तों  कैसे यमदूत उस जीवात्मा को यमलोक ले जाते हैं।  वह जीव आत्मा  24 घंटों के पश्चात पुनः वापस आती है और 24 घंटों के दौरान जीवात्मा को उसके संपूर्ण जीवन का लेखा-जोखा दिखाया जाता है, जिसमें  यह यकलान होता है कि अपने जीवन काल में इस जीवात्मा ने कितने पाप और पुण्य किए हैं।

 इसके पश्चात आत्मा को फिर उसी घर में लाया जाता है जहां उसने अपने शरीर का त्याग किया था और 13 दिन तक वह जीवात्मा वही अपने परिवार के बीच रहती है। मोह वासना से भरी वह जीवात्मा बार-बार अपनी देह में प्रवेश करने का प्रयास करती है। किंतु यमदूतों के  पास द्वारा बंद जाने से वह कुछ भी करने में असमर्थ हो जाती है। 

वह अपने परिवार रिश्तेदार व मित्रों को उसकी मृत्यु का शोक मनाते देखती है। वह उन्हें चुप कराने का प्रयास भी करती है परंतु उसकी उपस्थिति का ज्ञान किसी को नहीं होता। फिर वह अपने सामने स्वयं के मृत शरीर को देखती है और भूख प्यास से जोर-जोर से बिलाव करते हुए रोने लगती है और इसके साथ-साथ गरुड़ पुराण में यह भी बताया गया है कि मनुष्य पुण्य कर्म तो करता है परंतु उसके पुण्य की संख्या उसके द्वारा किए गए पापों से कम होती है। 

पिंड दान क्यों करते हैं 

अर्थात मनुष्य पूनियों की अपेक्षा बाप अधिक करता है। इसके समाधान स्वरूप मृत्यु के पश्चात पिंड दान करना आवश्यक बताया गया है। 10 दिनों तक जीवात्मा के उद्देश्य से पुत्र गण पिंड दान देते हैं। अगर मृतक का पिंडदान नहीं किया गया तो जीवात्मा अनंत काल तक भटकती रहती है और हजारों सालों तक पीड़ा व कष्ट भोगने के बाद अगला जन्म लेती है।

 पिंड दान करने से मृत का क्या लाभ होता हैं 

प्रतिदिन दिए जाने वाले पिंड के 4 भाग हो जाते हैं। उसके दुसराभाग से मृतक का शरीर बनता है।तीसरा भाग यमदूत ले लेते हैं और चौथाभाग मृतक को खाने के लिए मिलता है। 9 दिन रात में प्रेत पुनः शरीर युक्त हो जाता है। शरीर बन जाने पर दसवींपिंड से प्राणी को अत्यधिक भूख लगने के कारण आहार रोकने प्राप्त होता है। 

गरुड़ पुराण के अनुसार 10 दिन तक दिए जाने वाले पिंड दान में विधि मंत्र स्वधा आवास और आशीर्वाद का प्रयोग नहीं होता। केवल नाम तथा गोत्र से पिंड दान दिया जाता है। मृतक का दाह संस्कार हो जाने के पश्चात पुनः शरीर उत्पन्न होता है। 

मृत्य व्यक्ति के जल जाने पर पिंडदान द्वारा उसे एक हाथ लंबा शरीर प्राप्त होता है जिसके द्वारा वह प्राणी अमलोक के मार्ग में अपने शुभ-अशुभ कर्मों को भोगता है। पहले दिन जो पिंड दान दिया जाता है, उससे मूर्धा दूसरे दिन के पिंड दान से ग्रीवा और दोनों स्कंध बनते हैं, तीसरे दिन की  पिंडदान से हृदय व चौथे दिन के पिंड दान से पृष्ठ भाग उत्पन्न होता है। पांचवे दिन के  पिंडदान  से नाभि छठे दिन की पिंडदान से कटीप्रेस सातवें दिन के पिंड दान से गौ विभाग आठवें दिन के पिंड दान स्वरूप नौवें दिन के पिंड दान से डालू व पैर और दसवे दिन के पिंड दान से सुधा की उत्पत्ति होती है। 

जीवात्मा शरीर प्राप्त करने के पश्चात भूख से पीड़ित होकर घर के द्वार पर रहता है। 10 वे दिन जो पिंडदान होता है, उसमें मृतक का प्रिय भोजन बना कर देना चाहिए क्योंकि शरीर निर्माण हो जाने पर मृतक को अत्यधिक भूख लगती है। प्रिय खोजे पदार्थ के अतिरिक्त अन्य किसी भोजन का पिंड दान देने से उसकी भूख दूर नहीं होती 11 और 12 दिन प्रेत भोजन करता है।

 मरे हुए स्त्री पुरुष दोनों के लिए प्रेम शब्द का उच्चारण करना चाहिए। उन दिनों दीप अन्य जल वस्त्र जो कुछ भी दिया जाता है, उसको प्रेत शब्द के द्वारा देना चाहिए क्योंकि वह मृतक के लिए आनंददायक होता है। 13 दिन तक शरीर धारण करके भूख प्यास से पीड़ित व प्रेत और अमदूतों के द्वारा महा पर लाया जाता है। 

इंसान की कर्मो के कारण उसके दंड दिए जाते हैं

और यहां से इसकी यमलोक की यात्रा आरंभ होती है। मनुष्य अपने कर्मों के कारण ही मृत्यु के पश्चात होने वाली घटनाओं को भोक्ता है जो व्यक्ति जितना पापी होगा उसका अंतिम मार्ग उतना ही कठिन होता है और वह जितना पुणे कारी निष्पत्ति और भगवत प्रेमी होगा, उसकी स्वर्ग की यात्रा उतनी ही सुखदायक होगी। इसलिए हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि कर्मों का फल जीते जी ही नहीं अपितु मृत्यु के पश्चात भी भोगना होगा।

 गरुड़ पुराण का यह बात हम यहीं पर समाप्त करते हैं। इससे आगे आप अगले भाग में जानेंगे। हमारा उद्देश्य केवल आपके ज्ञान में वृद्धि करना वह धर्म के प्रति आपकी जिज्ञासा को बढ़ाना है। अगर हमसे कोई त्रुटि रह गई हो तो हमें क्षमा करें

मृत्यु के 24 घंटे बाद आत्मा वापस अपने घर क्यों आती है?

क्या मृत्यु के बाद संबंध समाप्त हो जाते हैं?

मरने के बाद कितने दिन तक आत्मा भटकती है?

मरने के बाद लोग कहाँ जाते हैं?

क्या मृत्यु के बाद अपने प्रियजन से बात हो सकती है?

मरने के बाद दोबारा जन्म कब मिलता है?

तेरहवीं क्यों की जाती है?

मृत्यु के बाद आत्मा कैसे निकलती है?

आत्मा को कैसे पहचाना जा सकता है?

आत्मा के बारे में विज्ञान क्या कहता है?

मृत्यु के लक्षण क्या है?

मरने के बाद इंसान क्या सोचता है?

शी के दिन मृत्यु होने पर क्या होता है?

मृत्यु के बाद आत्मा कहां जाती है

मृत्यु के बाद आत्मा कहां जाती है

हिंदू धर्म में मरने के बाद क्या होता है

मरने के बाद यमराज क्या सजा देता है

अकाल मृत्यु के बाद आत्मा का क्या होता है

इंसान के मरने के बाद कितने देर तक शरीर में खून रहता है

आदमी मरने के बाद क्या सोचता है

मृत्यु के बाद क्या होता है ओशो

मृत्यु के कितने दिन बाद जन्म मिलता है



मृत्यु के 24 घंटे बाद आत्मा अपने घर वापस क्यों आती है एक मिनिट निकालकर जरूर पढ़ें?

बता दें कि गरुड़ पुराण में इस बारे में विस्तार से बताया गया है। गरुड़ पुराण में बताया गया है कि जब किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है तो यमराज के यमदूत उसे अपने साथ यमलोक ले जाते हैं। यहां उसके अच्छे और बुरे कर्मों का हिसाब होता है और फिर 24 घंटे के अंदर यमदूत उस प्राणी की आत्मा को वापिस घर छोड़ जाते हैं।

मृत्यु के बाद आत्मा कितने दिन तक घर रहती है?

तब भगवान विष्णु अपने वाहन गरुड़ से कहते हैं की हे गरुड़ जब कोई जीव अपना शरीर त्याग करता है यानि उसकी मृत्यु होती है तो उस जीव की आत्मा 47 दिनों के बाद यमलोक पहुँचती है और इन 47 दिनों के अंदर उस जीव की आत्मा कई प्रकार की दुःखो और यातनाओ को सह कर गुजारना पड़ता है। लगता है। उस जीव की सम्पूर्ण इंडियां शिथिल हो जाती हैं।

क्या मरे हुए लोग वापस आ सकते हैं?

जी नहीं, मरे हुए लोग वापस नहीं आते। वो सृष्टिकर्ता के हिसाब से आते हैं जैसा कि ईश्वर ने निर्धारित किया होता है। लेकिन घर के प्यारे सदस्य की यादों में जब उनकी यादें समाई होते हैं तो ऐसा लगता है कि जैसे उस सपने में दर्शन दे गए हो। बड़ा भावनात्मक सवाल है।

मरते समय आत्मा कैसे निकलती है?

गरुड़ पुराण के मुताबिक मरते समय आत्मा शरीर के नौ द्वारों में से किसी से शरीर छोड़ती है. ये नौ द्वार दोनों आखें, दोनों कान, दोनो नासिका, मुंह या फिर उत्सर्जन अंग हैं. जिस व्यक्ति की आत्मा उत्सर्जन अंग से निकलती है, मरते समय वो मल-मूत्र त्याग देते हैं.