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एक एकड़ खेत में 150 लीटर पानी में नैनो यूरिया की एक बोतल का घोल बनाकर इस्तेमाल किया जाता है. (Image @IFFCOBAZAR)एक एकड़ खेत में 150 लीटर पानी में नैनो यूरिया की एक बोतल का घोल बनाकर इस्तेमाल किया जाता है. घोल के रूप में यूरिया देने से पौधों को पूरी मात्रा में नाइट्रोजन मिलती है. नैनो यूरिया के ट्रायल के दौरान फसलों में 8 से 25 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है. नैनो यूरिया लिक्विड की आधा लीटर की एक बोतल में 40,000 पीपीएम नाइट्रोजन होता है.अधिक पढ़ें ...
Nano Urea Kya Hai: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 मई, शनिवार को गुजरात के कलोल में देश के पहले नैनो यूरिया (लिक्विड) प्लांट (IFFCO NANO UREA Liquid) का उद्घाटन किया. नैनो यूरिया उत्पादन के लिए अल्ट्रामॉडर्न नैनो फर्टिलाइजर प्लांट को करीब 175 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया गया है. इस प्लांट से रोजाना 500 मिलीलीटर की लगभग 1.5 लाख बोतलों का उत्पादन होगा. इस प्लांट के बाद देश में 8 और नैनो प्लांट खोलने की योजना है. हालांकि, नैनो यूरिया का इस्तेमाल देश में पिछले 2 सालों से हो रहा है. लंबे समय तक इसके ट्रायल किए जा रहे थे. खेतों में खाद की जरूरत को पूरा करने के लिए नैनो यूरिया को बेहद कारगर माना जा रहा है. नैनो यूरिया लिक्विड की आधा लीटर की बोतल में 40,000 पीपीएम नाइट्रोजन होता है जो सामान्य यूरिया के एक बैग के बराबर नाइट्रोजन पोषक तत्व देता है. इफको के प्रबंध निदेशक डॉक्टर उदय शंकर अवस्थी का कहना है कि इफको का मिशन है कि सभी संयंंत्रों पर नैनो यूरिया और नैनो डीएपी का उत्पादन किया जाएगा. डॉ. अवस्थी के अनुसार, इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोआपरेटिव लिमिटेड- इफको (IFFCO) ने दुनिया का पहला नैनो यूरिया विकसित किया है और कलोल स्थित अपने प्लांट में नैनो यूरिया का उत्पादन शुरू किया है. अब इस प्लांट को प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्र को समर्पित किया गया है. पिछले साल इफको ने 2.9 करोड़ बोतल नैनो यूरिया का उत्पादन किया था जो 13.05 लाख मीट्रिक टन परंपरागत यूरिया के बराबर है. दावा किया जा रहा है कि नैनो यूरिया से फर्टिलाइजर के मामले में भारत की विदेशों पर निर्भरता कम होगी. इफको के मुख्य क्षेत्र प्रबंधक (पीलीभीत) बृजवीर सिंह (Brijveer Singh Chief Area Manager IFFCO) ने बताया कि 1 जुलाई, 2021 से नैनो यूरिया की बिक्री की जा रही है और यह देशभर में स्थित इफको के सभी केंद्रों पर उपलब्ध है. बृजवीर सिंह ने बताया कि देशभर में 11,000 सफल ट्रायल के बाद नैनो यूरिया को बिक्री के लिए उपलब्ध कराया गया है. लगभग 100 फसलों पर इसका ट्रायल किया गया. यह भी पढ़ें- आबकारी विभाग की नौकरी छोड़ खेती करने लगे, 21 साल से बीजों को बचाने का कर रहे हैं काम किसान को फायदा बृजवीर सिंह ने बताया कि एक एकड़ खेत में 150 लीटर पानी में नैनो यूरिया की एक बोतल का घोल बनाकर इस्तेमाल किया जाता है. घोल के रूप में यूरिया देने से पौधों को पूरी मात्रा में नाइट्रोजन मिलती है. उन्होंने बताया कि नैनो यूरिया के ट्रायल के दौरान फसलों में 8 से 25 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है. किसान की बचत नैनो यूरिया से सरकार को फायदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने कलोल प्लांट का उद्घाटन करते हुए समय अपने भाषण में कहा था- भारत फर्टिलाइजर के मामले में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है लेकिन उत्पादन के मामले में हम तीसरे नंबर पर हैं. फर्टिलाइजर की अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत दशकों से बहुत बड़ी मात्रा में विदेशों पर निर्भर है. हम अपनी जरूरत का लगभग एकचौथाई उवर्रक इंपोर्ट करते हैं, लेकिन पोटाश और फॉस्फेट के मामले में तो हम करीब-करीब शतप्रतिशत विदेशों पर ही निर्भर हैं. यह भी पढ़ें- नैनो यूरिया को लेकर मोदी सरकार का मास्टर प्लान तैयार, अब ऐसे Game Changer साबित होगा यह तकनीक भारत विदेशों से यूरिया मंगाता (Fertilizer Import) है उसमें यूरिया का एक बैग 3500 रुपए का पड़ता है. लेकिन किसान को वही यूरिया का बैग 3,500 से खरीदकर सिर्फ 300 रुपये से भी कम कीमत में दिया जाता है. यूरिया के एक बैग पर सरकार तकरीबन 3200 रुपये से ज्यादा खुद वहन कर रही है. (भारत में निर्मित यूरिया के मामले में सब्सिडी लगभग 2100 रुपये है.) इसी प्रकार डीएपी के 50 किलो के बैग पर सरकार 2500 रुपये वहन कर रही है. पिछले साल 1.60 लाख करोड़ रुपये की सब्सिडी फर्टिलाइजर में केंद्र सरकार ने दी है. उवर्रक सब्सिडी की बचत Image-@IFFCOBAZARकुल मिलाकार नैनो यूरिया की एक बोतल पर सरकार को 2100 से 3200 रुपये तक की सब्सिडी की बचत होगी. और डीएपी पर 2500 रुपये की बचत होगी. उवर्रक सब्सिडी की बचत को अन्य विकास कार्यों में इस्तेमाल किया जाकेगा. इफको ने बांटी तकनीक डीएपी
का इस्तेमाल उन्होंने बताया कि इफको नैनो डीएपी पर काम कर रहा है. देशभर में इसके ट्रायल किए जा रहे हैं. उन्होंने उम्मीद जताई कि नैनो डीएपी को इस साल के अंत तक किसानों को बिक्री के लिए उपलब्ध करा दिया जाएगा. पौधों के लिए जरूरी पोषक तत्व है नाइट्रोजन (Poshak Tatva) इन तमाम पोषक तत्वों सबसे ज्यादा नाइट्रोजन का इस्तेमाल होता है. पौधे की बढ़वार के लिए नाइट्रोजन की जरूरत होती है. यूरिया के माध्यम से हम पौधों में नाइट्रोजन को पहुंचाने का काम करते हैं. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी| Tags: Agriculture, Farmer, Gujarat, Narendra modi, Urea production FIRST PUBLISHED : May 29, 2022, 10:12 IST नैनो यूरिया और यूरिया में क्या अंतर है?नैनो यूरिया ठोस यूरिया का ही तरल (liquid) रूप है। इसके 500 मिलीलीटर की एक बोतल में 40,000 पीपीएम नाइट्रोजन होता है, जो सामान्य यूरिया के एक बैग के बराबर नाइट्रोजन पोषक तत्व प्रदान करता है। यह तरल यूरिया किसानों के लिए काफी सुविधाजनक और किफायती है।
सबसे अच्छी यूरिया कौन सी है?नैनो यूरिया लिक्विड की एक बोतल में 40,000 पीपीएम नाइट्रोजन होता है जो सामान्य यूरिया के एक एक बैग के बराबर नाइट्रोजन पोषक तत्व देता है। IFFCO नैनो यूरिया एकमात्र नैनो फर्टिलाइजर है जिसे भारत सरकार ने मान्यता दी है और फर्टिलाइजर कंट्रोल ऑर्डर में शामिल किया है।
नैनो यूरिया का इस्तेमाल कैसे किया जाता है?किसानों के लिये नैनो यूरिया का इस्तेमाल बेहद आसान है. फसलों पर छिड़काव के लिये 2-4 मिली. नैनो यूरिया लिक्विड़ को प्रति लीटर पानी में घोलकर स्प्रेयर की मदद से फसलों पर छिड़का जाता है. नैनो यूरिया के छिड़काव से फसल और मिट्टी की सेहत में सुधार होता ही है, साथ ही, ये जमीन में पानी की क्वालिटी को भी बेहतर बनाता है.
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