न्यायिक समीक्षा
चर्चा में क्यों?हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय (SC) ने सेंट्रल विस्टा परियोजना (Central Vista project) को ऐसी विशिष्ट परियोजना मानने से इनकार कर दिया जिसके लिये बृहत्तर या व्यापक न्यायिक समीक्षा की आवश्यकता हो। Show
प्रमुख बिंदु:न्यायिक समीक्षा:
न्यायिक समीक्षा के प्रकार:
न्यायिक समीक्षा का महत्त्व:
न्यायिक समीक्षा से संबंधित मुद्दे:
न्यायिक समीक्षा संबंधी संवैधानिक प्रावधान
आगे की राह
न्यायिक समीक्षा से आप क्या समझते हैं?सार्वजनिक निर्णय न्यायिक रूप से उच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित किए जा सकते हैं कि वे असंवैधानिक या अवैध हैं। न्यायिक समीक्षा एक कानूनी तंत्र है जो व्यक्तियों (कानूनी व्यक्तियों सहित) को सार्वजनिक निकायों या ऐसे निकायों के चूक को चुनौती देने में सक्षम बनाता है।
न्यायिक समीक्षा क्या है यह न्यायिक सक्रियता से कैसे भिन्न है?लक्ष्यों के आधार पर: न्यायिक संयम: न्यायाधीश और न्यायालय मौजूदा कानून को संशोधित करने के बजाय उस कानून की समीक्षा को प्रोत्साहित करते हैं, जबकि न्यायिक सक्रियता में वे कुछ कृत्यों या निर्णयों को रद्द करने की शक्ति का प्रयोग करते हैं।
न्यायिक समीक्षा की शक्ति क्या है?न्यायिक समीक्षा विधायी अधिनियमों तथा कार्यपालिका के आदेशों की संवैधानिकता की जाँच करने हेतु न्यायपालिका की शक्ति है जो केंद्र एवं राज्य सरकारों पर लागू होती है। विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया: इसका अर्थ है कि विधायिका या संबंधित निकाय द्वारा अधिनियमित कानून तभी मान्य होता है जब सही प्रक्रिया का पालन किया गया हो।
न्यायिक समीक्षा के सिद्धांत से आप क्या समझते हैं इसके दायरे और महत्व पर चर्चा करें?सर्वोच्च न्यायालय की सबसे महत्त्वपूर्ण शक्ति संभवतया न्यायिक पुनरावलोकन की शक्ति है। न्यायिक पुनरावलोकन का अर्थ है कि सर्वोच्च न्यायालय किसी भी कानून की संवैधानिकता जाँच सकता है और यदि वह संविधान के प्रावधानों के विपरीत हो, तो न्यायालय उसे गैर-संवैधानिक घोषित कर सकता है।
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