पूंजी की सीमांत दक्षता क्या है हिंदी में? - poonjee kee seemaant dakshata kya hai hindee mein?

इरविंग फिषर नें 1930 में पूंजी की सीमांत उत्पादकता का प्रयोग ‘लागत पर प्राप्त प्रतिफल की दर’ के रुप में किया। पूंजी की सीमांत उत्पादकता से अभिप्राय नए निवेश से प्राप्त होने वाले लाभ की अनुमानित दर से है।

डिल्लर्ड के अनुसार, “किसी पूंजीगत पदार्थ की अतिरिक्त या सीमांत इकाई के लगाने से लागत पर आय की जो अधिकतम दर प्राप्त होती है उसे पूंजी की सीमांत उत्पादकता कहा जाता है।”

इस प्रकार पूंजी की सीमांत उत्पादकता से अभिप्राय पूंजी की अतिरिक्त इकाई से प्राप्त होने वाले प्रतिफल में से लागत निकालने के बाद प्राप्त हुई आय से होता है।

पूंजी की सीमांत उत्पादकता के निर्धारक तत्व

पूंजी की सीमांत उत्पादकता का निर्धारण अनुमानित आय तथा पूर्ति कीमत पर निर्भर करता है। पूंजी की सीमांत उत्पादकता के इन दोनों तत्वों की व्याख्या निम्न प्रकार से की जा सकती है:

1.  अनुमानित आय - अनुमानित आय से अभिप्राय उस कुल आय से होता है जिसका किसी पूंजीगत पदार्थ का प्रयोग करने से उसके कार्य की कुल अवधि में प्राप्त होने का अनुमान होता है।

2  पूर्ति कीमत - पूर्ति कीमत से अभिप्राय वर्तमान पूंजीगत पदार्थ की कीमत से नहीं है। इसका अभिप्राय यह है कि वर्तमान पूंजीगत पदार्थ अर्थात् मशीन के स्थान पर बिल्कुल उसी प्रकार की नई मशीन की लागत क्या होगी।

पूंजी की सीमांत उत्पादकता के निर्धारण का सूत्र

पूंजी की सीमांत उत्पादकता का निर्धारण अनुमानित आय और पूर्ति कीमत के द्वारा किया जाता है। इसे एक समीकरण से स्पष्ट कर सकते है:

पूंजी की सीमांत दक्षता क्या है हिंदी में? - poonjee kee seemaant dakshata kya hai hindee mein?

यहां, m =पूंजी की सीमांत उत्पादकता
n =मशीन की जीवन अवधि
Py =अनुमानित आय
SP =पूर्ति कीमत

इस प्रकार यदि पूर्ति कीमत और अनुमानित आय मालूम हो तो पूंजी की सीमांत उत्पादकता को उपरोक्त समीकरण से ज्ञात किया जा सकता है।

पूंजी की सामान्य सीमांत उत्पादकता की व्याख्या

किसी विषेश पूंजीगत पदार्थ की सीमांत उत्पादकता से अभिप्राय उस अनुमानित आय की दर से है जोपूंजी पदार्थ की एक नई  या अतिरिक्त इकाई  के लगाने से प्राप्त होती है। इसके विपरीत पूंजी की सामान्य सीमांत उत्पादकता से अभिप्राय सबसे लाभदायक पूंजी की नई  इकाई  से प्राप्त होने वाली अनुमानित आय की दर होती है। दूसरे शब्दों में, पूंजी की सामान्य सीमांत उत्पादकता से अभिप्राय अर्थव्यवस्था के सबसे अधिक लाभपूर्ण पूंजीगत पदार्थ की उच्चतम सीमांत उत्पादकता से होता है। 

पूंजी की सीमांत उत्पादकता को एक अनुसूची और रेखाचित्र की सहायता से दिखाया जा सकता है:

निवेश करोड़ रुपये

पूंजी की सीमांत उत्पादकता

50 12%
100 9%
200 6%
400 5%
600 2%

तालिका से पता चलता है कि जैसे जैसे निवेश में वृद्धि होती जाती है, वैसे वैसे पूंजीगत पदार्थ की सीमांत उदत्पादकता कम होती जाती है। जब निवेश 50 करोड़ रुपये है तो सीमांत उत्पादकता 12% है। जब निवेश बढ़कर 600 करोड़ रुपये हो जाता है तो सीमांत उत्पादकता कम होकर 2% रह जाती है।

पूंजी की सीमांत उत्पादकता की घटती हुई प्रवृत्ति को निम्न रेखाचित्र के द्वारा दिखाया जा सकता है:

पूंजी की सीमांत दक्षता क्या है हिंदी में? - poonjee kee seemaant dakshata kya hai hindee mein?

रेखाचित्र में OX अक्ष पर निवेश और OYअक्ष पर पूंजी की सीमांत उत्पादकता तथा ब्याज की दर को लिया गया है। MECवक्रपूंजी की सीमांत उत्पादकता को प्रकट करता है। यह बाई  ओर से दाई ओर की तरफ गिरता है। इससे सिद्ध होता है कि निवेश के वृद्धि होने से पूंजी की सीमांत उत्पादकता में कमी आती है।

पूंजी की सीमांत उत्पादकता को प्रभावित करने वाले तत्व

पूंजी की सीमांत उत्पादकताको प्रभावित करने वाले तत्वों को मुख्य रुप से दो भागों में बाटा जा सकता है:

1.  अल्पकालीन तत्व

पूंजी की सीमांत उत्पादकताको प्रभावित करने वालेतत्वों में अल्पकालीन तत्व इस प्रकार है:

  1. बाजार का आकार
  2. लागत तथा कीमत सम्बन्धी भावी सम्भावनाएं
  3. उपभोग प्रवृति में परिवर्तन
  4. उद्यमियों की मनोवैज्ञानिक अवस्था
  5. आय में परिवर्तन
  6. कर नीति
  7. पूंजी पदार्थों का वर्तमान भण्डार
  8. तरल परिसम्पत्तियों में परिवर्तन
  9. भविष्य में लाभ की सम्भावनाएं
  10. वर्तमान पूंजीगत पदार्थों की उत्पादन क्षमता
  11. वर्तमान निवेश की मात्रा
  12. पूंजीगत पदार्थ से वर्तमान में होने वाली आय

2. दीर्घकालीन तत्व

पूंजी की सीमांत उत्पादकता को प्रभावित करने वाले तत्वों में दीर्घकालीन तत्व इस प्रकार है:

  1. जनसंख्या
  2. सरकार की आर्थिक नीति
  3. तकनीकी विकास
  4. असामान्य परिस्थितियां
  5. नये क्षेत्रों का विकास
  6. पूंजी उपकरण की पूर्ति में परिवर्तन
  7. मांग में दीर्घकालीन वृद्धि

पूंजी की सीमांत उत्पादकता की आलोचनाएं

पूंजी की सीमांत उत्पादकता की धारणा की आलोचना निम्नलिखित आधारों पर की जा सकती है:

केन्ज ने पूंजी की सीमांत उत्पादकता का प्रयोग इतने विभिन्न अर्थों में किया है कि पूंजी की सीमांत उत्पादकता को एक अस्पष्ट और जटिल धारणा बना दिया है।

केन्ज के इस विचार की भी आलोचना की जाती है कि आषंसाओं का पूंजी की सीमांत उत्पादकता से तो सम्बन्ध है परन्तु ब्याज की दर से नहीं है। उन्होंने इस प्रकार से पूंजी की सीमांत उत्पादकता को गतिशील अर्थशास्त्र और ब्याज की दर को गतिहीन अर्थशास्त्र के क्षेत्र में सम्मिलित किया है। यह दृष्टिकोण वास्तविक नहीं है।

पूंजी की सीमांत उत्पादकता का तब तक अनुमान नहीं लगाया जा सकता जब तक हमें उत्पादन के सभी साधनों की उत्पादकता का ज्ञान न हो।

केन्ज ने पूंजी की सीमांत उत्पादकता का अनुमान पूर्ण प्रतियोगिता की अवास्तविक मान्यता पर लगाया है।