पपीता को संस्कृत में कैसे लिखें? - papeeta ko sanskrt mein kaise likhen?

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संस्कृत में फलो के नाम, Fruits name in Sanskrit: जैसा कि आप सभी लोगो को ज्ञात होगा। की संस्कृत एक कठिन विषय हैं। इसके कई कारण हैं। जिसका दक मुख्य कारण हैं कि हमे यह सब्जेक्ट पसन्द नही होता हैं। परंतु जो लोग भलीभाँति इस विषय को पसन्द करते है। उनके लिए यह बहुत सरल हो जाता हैं। क्योंकि यदि हम इसी शुरुवात से समझे तो यह बहुत ही सरल हो जाती हैं। शुरुआत के टॉपिक में संस्कृत में फलो के नाम , संस्कृत में गिनती ,संस्कृत में शरीर के अंगों के नाम आदि आते है। इसीलिए आज हिंदीवानी आपके लिए लेकर आया हैं। फलो के नाम संस्कृत में। जिससे आपको इस विषय मे काफी आसानी होगी।

संस्कृत में फलो के नाम, Fruits name in Sanskrit

पपीता को संस्कृत में कैसे लिखें? - papeeta ko sanskrt mein kaise likhen?
संस्कृत में फलो के नाम, Fruits name in Sanskritहिंदी में फल के नामसंस्कृत में फल के नामअंग्रेजी में फल के नामअनारदाडिमम्Pomegranateअंगूरद्राक्षाफलम्grapesअखरोटअक्षोटम्Walnutआमआम्रम्Mangoआड़ूआद्रालुःPeachपपीतामधुकर्कटीPapayaसेबसेवम्Appleककड़ीकर्कटिकाCucumberकागज़ी निम्बूनिम्बुकम्Lemonकत्थाखदिरःblack catechuसिंघाड़ाश्रृंंड्गाटकWater Chestnutआंवलाआमलकम्Gooseberryअनन्नासअनानासम्Pineappleकेलाकदलीफलम्Bananaकिसमिशशुष्कद्राक्षाRaisinककड़ीकर्कटिकाCucumberअमरूदबीजपूरम्Guavaखरबूजावृत्तकर्कटीMelonलीचीलीचिकाLycheeगूलरडदुम्बरम्Sycamoreकदम्बकदम्बम्Kadambचकोटरामधुकर्कटीGrape fruitमहुआमधूकःMahuaनाशपातीअमृतफलम्Pearखजूरखर्जूरम्Dateबेरबदरीफलम्Dateकमरखकमरक्षम्Carambolaतरबूजकालिंदम्Water melonधनियाबीजधान्यम्Corianderनारंगीनारंगम्Orangeबेरबिल्वम्Dateकन्दमूलकंदमूलम्Kandomoalनारियलनारिकेलम्Coconutपिस्ताअकोलम्Pistachioकटहलपनसम्Jackfruitकरौंदाकरमर्दकःCranberryमकोयस्वर्णक्षीरीMakoiकैथकपित्थCanthअंजीरअंजीरम्Fig

संस्कृत में फलो के नाम से सम्बंधित प्रश्नोत्तरी –

प्रश्न -अनार को संस्कृत में क्या कहते हैं?
उत्तर – अनार को संस्कृत में दाडिमम् कहते है।

प्रश्न – अखरोट को संस्कृत में क्या कहते हैं ?
उत्तर – अखरोट को संस्कृत में अक्षोटम् कहते है।

प्रश्न – आम को संस्कृत में क्या कहते हैं ?
उत्तर – आम को संस्कृत में आम्रम् कहते है।

प्रश्न – ककड़ी को संस्कृत में क्या कहते हैं?
उत्तर – ककड़ी को संस्कृत में कर्कटिका कहते है।

प्रश्न – अनानास को संस्कृत में क्या कहते हैं ?
उत्तर – अनानास को संस्कृत में अनानासम् कहते है।

प्रश्न – अमरूद को संस्कृत में क्या कहते हैं?
उत्तर – अमरूद को संस्कृत में बीजपूरम् कहते है।

प्रश्न – नाशपाती को संस्कृत में क्या कहते हैं?
उत्तर – नाशपाती को संस्कृत में अमृतफलम् कहते है।

प्रश्न – खजूर को संस्कृत में क्या कहते हैं?
उत्तर – खजूर को संस्कृत में खर्जूरम् कहते है।

प्रश्न – नारंगी को संस्कृत में क्या कहते हैं ?
उत्तर – नारंगी को संस्कृत में नारंगम् कहते है।

प्रश्न – नारियल को संस्कृत में क्या कहते हैं?
उत्तर – नारियल को संस्कृत में नारिकेलम् कहते है।

Tages – संस्कृत में फल फूल के नाम, ५० फ्रूट्स नाम इन संस्कृत,२० फ्रूट्स नाम इन संस्कृत, संस्कृत में 10 फलों के नाम बताइए, संस्कृत में फल फूल का नाम. Sanskrit language fruit Name in Sanskrit Banana, 10 fruits name, Image of watermelon in sanskrit. watermelon in sanskrit, Image of fruits name in sanskrit, Image of litchi in sanskrit, litchi in sanskrit, 20 fruits name in sanskrit hindi and english, strawberry name in sanskrit, guava name in sanskrit

पपीता एक फल है।... पपीता का वैज्ञानिक नाम कॅरिका पपया ( carica papaya ) है। इसकी फेमिली केरीकेसी ( Caricaceae ) है। इसका औषधीय उपयोग होता है। पपीता स्वादिष्ट तो होता ही है इसके अलावा स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है। सहज पाचन योग्य है। पपीता भूख और शक्ति बढ़ाता है। यह प्लीहा, यकृत को रोगमुक्त रखता और पीलिया जैसे रोगाें से मुक्ती देता है। कच्ची अवस्था में यह हरे रंग का होता है और पकने पर पीले रंग का हो जाता है। इसके कच्चे और पके फल दोनों ही उपयोग में आते हैं। कच्चे फलों की सब्जी बनती है। इन कारणों से घर के पास लगाने के लिये यह बहुत उत्तम फल है।[1]

इसके कच्चे फलों से दूध भी निकाला जाता है, जिससे पपेन तैयार किया जाता है। पपेन से पाचन संबंधी औषधियाँ बनाई जातीं हैं। अत: इसके पक्के फल का सेवन उदरविकार में लाभदायक होता है। पपीता सभी उष्ण समशीतोष्ण जलवायु वाले प्रदेशों में होता है। उच्च रक्तदाब पर नियंत्रण रखने के लिए पपीते के पत्ते को सब्जी में प्रयोग करते है। पपीते में ए, बी, डी विटामिन और केल्शियम, लोह, प्रोटीन आदि तत्त्व विपुल मात्रा में होते है। पपीते से वीर्य बढ़ता है। त्वचा रोग दूर होते हैैं। ज़ख्म जल्दी ठीक होते है। मूत्रमार्ग की बिमारी दूर होती है। पाचन शक्ति बढ़ती है। मूत्राशय की बिमारी दूर होती है। खॉसी के साथ रक्त आ रहा हो तो वह रुकता है। मोटापा दूर होता है। कच्चे पपीता की सब्जी खाने से स्मरणशक्ती बढती है। पपीता और ककड़ी हमारे स्वास्थ्य केंद्र लिए उपयुक्त है।[2]

भारत में पपीता अब से लगभग ३०० वर्ष पूर्व आया। आरंभ में भारतवासियों ने फलों में हीक के कारण इसको कदाचित् अधिक पसंद नहीं किया, परंतु अब अच्छी और नई किस्मों के फलों में हीक नहीं होती।

शीघ्र फलनेवाले फलों में पपीता अत्यंत उत्तम फल है। पेड़ लगाने के बाद वर्ष भर के अंदर ही यह फल देने लगता है। इसके पेड़ सुगमता से उगाए जा सकते हैं और थोड़े से क्षेत्र में फल के अन्य पेड़ों की अपेक्षा अधिक पेड़ लगते हैं।

इसके पेड़ कोमल होते हैं और पाले से मर जाते हैं। ऐसे स्थानों में जहाँ शीतकाल में पाला पड़ता हो, इसको नहीं लगाना चाहिए। यहाँ उपजाऊ, दोमट भूमि में अच्छा फलता है। ऐसे स्थानों में जहाँ पानी भरता हो, पपीता नहीं बढ़ता। पेड़ के तने के पास यदि पानी भरता है तो इसका तना गलने लगता है। पपीते के खेत में पानी का निकास अच्छा होना चाहिए। इसका बीज मार्च से जून तक बोना चाहिए। प्राय: अप्रैल मई में बीज बोते हैं और जुलाई अगस्त में पेड़ लगाते हैं। यदि सिंचाई का सुप्रबंध हो तो फरवरी मार्च में इसका पेड़ लगाना अति उत्तम होता है। पेड़ लगाने के लिये पहले आठ या दस फुट के फासले से डेढ़ या दो फुट गहरे गोल गड्ढे खोद लेने चाहिए। गड्ढे के केंद्र में पेड़ लगाना चाहिए। पेड़ों की सिंचाई के लिये उनमें छल्लेदार थाले बनाकर आवश्यकतानुसार पानी देते रहना चाहिए।

पपीते के पेड़ों में नर एवं मादा पेड़ अलग होते हैं। नर पेड़ों में केवल लंबे-लंबे फूल आते हैं। इनमें फल नहीं लगते। जब पेड़ फलने लगते हैं तो केवल १० प्रतिशत नर पेड़ों को छोड़कर अन्य सब नर पेड़ों को उखाड़ फेंकना चाहिए।

पपीते के पेड़ में तीन या चार साल तक ही अच्छे फल लगते हैं। आवश्यकतानुसार यदि तीसरे चौथे साल पपीते के दो पेड़ों के बीच बीच में नए पेड़ लगते रहें तो चौथे पाँचवें साल नए फलनेवाले पेड़ तैयार होते जाते हैं। नए पेड़ तैयार हो जाने पर पुराने पेड़ों को उखाड़ फेंकना चाहिए। इसकी मुख्य किस्में हनीड्यू (मधुविंदु), सिलोन, राँची आदि हैं। पपीता खाने के अनेको लाभ है। य़ह बहुत ही उत्तम फल हैं

पपीता का दुध पाचक, जंतुनाशक, उदररोगहारक होता है। इसके कारण कृमी नष्ट होते है। पाचन अच्छी तरह से होता है। इसके साथ ही पपीते के दूध में शक्कर डालकर लेने से अपचन नही होता है। कच्चे पपीते की सब्जी अथवा कोशिंबीर अपचन की परेशानी सहन करनेवालो के लिए वरदायी है। मलावरोध, आता की दुर्बलता और उदररोग व हृदयरोग पर पपीते सेवन करना लाभदायक होता है। पपीते के रस से अरुची दूर होती है। आतो पडे हुए अन्न का नाश होता है। सिरदर्द(अजीर्ण) दूर होता है। खट्टी डकार आना बंद होती है। दाद, खाज खुजली पर और गजकर्ण इस पर पपीते का चीक लगाने से फायदा होता है। कच्चे पपीते का रस चेहरेपर मलकर लगाने से फोटो फुंकर, झाइय्या नही होती है। पपीते से सफेद पेशी की बढौतरी होती है। गर्भावस्था में स्त्रियाें ने पपीता नही खाना चाहिए। पपीता गरम तासीर का हेने से गर्भावती महिलाओ को परेशानी होती है।

पपीता का संस्कृत शब्द क्या है?

उत्तर :- पपीता को संस्कृत में 'मधुकर्कटी' कहते हैं।

संस्कृत में 5 फलों के नाम कैसे लिखें?

50 संस्कृत में फलों के नाम | Sanskrit mein falon ke Naam.
सेव सेवम्.
केला कदलीफलम्.
आम आम्रम्.
अंगूर द्राक्षा.
अनार दाडिम.
अमरूद आग्रलम्.
सन्तरा नारङ्गम्.
नाशपाती अमृतफलम्.

नींबू को संस्कृत में क्या कहा जाता है?

इसे संस्कृत में मधुकर्कटिका और हिंदी में चकोतरा कहते हैं

संतरा को संस्कृत में कैसे लिखें?

संस्कृत में संतरे को नारङ्गः कहते हैं। यह पुल्लिंग होता है। इसे नारंगीफलम् भी कहते हैं।