प्रधानमंत्री की नियुक्ति कैसे होती है उसकी शक्तियों एवं कार्यों की विवेचना कीजिए? - pradhaanamantree kee niyukti kaise hotee hai usakee shaktiyon evan kaaryon kee vivechana keejie?

प्रिय पाठकों! माय नियर एग्जाम डॉट इन में आपका स्वागत है। आज इस लेख में प्रधानमंत्री से संबंधित समस्त शक्तियां एवं कार्य के अंतर्गत प्रधानमंत्री की कार्यकाल | प्रधानमंत्री की नियुक्ति कौन करता है | प्रधानमंत्री की नियुक्ति प्रक्रिया | प्रधानमंत्री की शक्तियां एवं कार्य | प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद के बीच संबंध |प्रधानमंत्री एवं संसद के बीच संबंध इत्यादि टॉपिक पर विस्तार से पढ़ने वाले है।

प्रधानमंत्री की नियुक्ति कैसे होती है उसकी शक्तियों एवं कार्यों की विवेचना कीजिए? - pradhaanamantree kee niyukti kaise hotee hai usakee shaktiyon evan kaaryon kee vivechana keejie?

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प्रधानमंत्री की नियुक्ति, शक्तियां एवं कार्य 

संसदीय शासन प्रणाली की सबसे महत्वपूर्ण संस्था मंत्रिपरिषद होती है जो कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में कार्य करते हैं। यह कार्य मंत्रीपरिषद करेगी। संविधान के अनुच्छेद 74 में मंत्रीपरिषद के प्रधान के रूप में प्रधानमंत्री का उल्लेख किया गया है। संविधान द्वारा भारत में संसदीय शासन प्रणाली की स्थापना की गई है तथा कार्यपालिका की सर्वोच्च शक्ति राष्ट्रपति में निहित की गई है, परंतु व्यवहारिक तौर पर उसकी समस्त शक्तियों का प्रयोग प्रधानमंत्री द्वारा किया जाता है। प्रधानमंत्री सत्ताधारी दल का नेता होता है तथा सरकार का प्रमुख भी होता है। 

प्रधानमंत्री का कार्यकाल

प्रधानमंत्री को मुख्यत: 5 वर्षों के लिए चुना जाता है, परंतु उसका कार्यकाल निश्चित नहीं होता है, क्योंकि प्रधानमंत्री अपने पद पर तब तक बना रहता है जबतक उसे लोकसभा में पूर्ण बहुमत का समर्थन प्राप्त होता है। यदि प्रधानमंत्री लोकसभा में बहुमत खो देता है, तो उसे अपना त्यागपत्र देना पड़ता है।

प्रधानमंत्री की न्युक्ति कौन करता है?

राष्ट्रपति संविधान के अनुच्छेद 75(1) के तहत प्रधानमंत्री की नियुक्ति करता है। लेकिन राष्ट्रपति किसे प्रधानमंत्री के पद पर न्युक्ति करेगा, यह स्पष्ट नहीं किया गया है। सामान्य तौर पर राष्ट्रपति सबसे बड़े दल के नेता को अथवा सबसे बड़े गठबंधन वाले दलों के नेता को प्रधानमंत्री के पद पर न्युक्ति करता है।

सामान्य परंपरा यह है कि लोकसभा में बहुमत दल के नेता को प्रधानमंत्री के रूप में न्युक्ति किया जा सकता है, परंतु लोकसभा में किसी भी दल को बहुमत प्राप्त न होने की स्थिति में, प्रधानमंत्री की नियुक्ति में राष्ट्रपति अपना विवेक का प्रयोग कर सकता है। 

प्रधानमंत्री की नियुक्ति की प्रक्रिया

  • प्रधानमंत्री की नियुक्ति के लिए वही योग्यताएं होनी चाहिए, जो लोकसभा का सदस्य बनने के लिए होती हैं, क्योंकि प्रधानमंत्री लोकसभा का सदस्य और बहुमत प्राप्त दल का नेता होता है।
  • प्रधानमंत्री पद के लिए यह अनिवार्य नहीं है कि प्रधानमंत्री लोकसभा का सदस्य हो। 
  • प्रधानमंत्री पद पर ऐसा भी व्यक्ति को नियुक्त किया जा सकता है जो संसद के किसी भी सदन का सदस्य न हो, बशर्ते उस व्यक्ति को लोकसभा के बहुत वाले दल अपना नेता चुने। लेकिन 6 माह के अंदर उस व्यक्ति को लोकसभा का सदस्य बनना जरूरी है।

प्रधानमंत्री की शक्तियां एवं कार्य

  • प्रधानमंत्री द्वारा मंत्रियों की नियुक्ति एवं पद्धति के अनुसार सा राष्ट्रपति को ही की जाती है।
  • लोकसभा में बहुमत दल के नेता होने के कारण वह लोकसभा में शासन की प्रमुख नीतियों एवं कार्यों की घोषणा करता है तथा लोकसभा के सदस्यों द्वारा गंभीर विषयों से संबंधित पूछे गए प्रश्नों के उत्तर देता है।
  • देश की वित्त व्यवस्था एवं वार्षिक वित्तीय विवरण निर्धारित करने में भी प्रधानमंत्री की मुख्य भूमिका होती है।
  • प्रधानमंत्री की सलाह पर मंत्री परिषद के सदस्य नियुक्त और बर्खास्त किए जाते हैं। प्रधानमंत्री मंत्रियों के विभागों का आवंटन करता है तथा प्रधानमंत्री मंत्रियों के विभागों में परिवर्तन भी कर सकता है।
  • प्रधानमंत्री किसी भी समय लोकसभा के विघटन के अनुशंसा राष्ट्रपति से कर सकता है।
  • प्रधानमंत्री मंत्री परिषद की बैठकों की अध्यक्षता करता है तथा उसके निर्णय को प्रभावित करता है।
  • संविधान के अनुच्छेद 78 के अनुसार प्रधानमंत्री को यह शक्ति है कि वह प्रशासन तथा विधान से संबंधित सूचना राष्ट्रपति को देता है।
  • प्रधानमंत्री के सलाह पर ही सभी राज्यों के राज्यपाल, महान्यायवादी, महालेखा परीक्षक, लोक सेवा आयोग के अधिपति व अन्य सदस्य, विभिन्न देशों के राजदूत, वाणिज्य दूत इत्यादि सभी उच्च स्तरीय नियुक्ति का कार्य भारत के राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है।
  • प्रधानमंत्री नीति आयोग का अध्यक्ष होता है तथा भारत रत्न, पदम विभूषण, पदम भूषण एवं पदम श्री आदि उपाधियों को स्वीकृति का कार्य वास्तविक तौर पर प्रधानमंत्री द्वारा ही की जाती है।

प्रधानमंत्री और मंत्रीपरिषद के बीच संबंध

91वें संविधान संशोधन 2003 में केंद्र और राज्य मंत्री परिषद की सदस्य संख्या लोकसभा और विधानसभा की कुल संख्या की 15% से अधिक नहीं होनी चाहिए तथापि छोटे राज्यों के लिए न्यूनतम संख्या 12 निर्धारित की गई है।

प्रधानमंत्री एवं मंत्रियों के लिए यह आवश्यक है कि वे संघ की विधायिका के सदस्य हो।

मंत्रिमंडल में शामिल मंत्री आवश्यक रूप से संसद के सदस्य होते हैं परंतु ऐसे व्यक्ति को भी मंत्री बनने पर कोई प्रतिबंध नहीं है, जो संसद के सदस्य न हो। अगर वह व्यक्ति 6 माह के संसद के किसी भी सदन का सदस्यता प्राप्त नहीं करता है तो वह मंत्रीमंडल के मंत्री पद पर नहीं रह सकता है।

प्रधानमंत्री व संसद के बीच संबंध

प्रधानमंत्री संसद की गतिविधियों में भी खास भूमिका निभाता है। संसद के नेता की दृष्टि से प्रधानमंत्री विशेष है जो निम्नलिखित है :-

प्रधानमंत्री की नियुक्ति कैसे होती है उसकी शक्तियों एवं कार्यों की विवेचना कीजिए? - pradhaanamantree kee niyukti kaise hotee hai usakee shaktiyon evan kaaryon kee vivechana keejie?

(i) सदन का कार्यक्रम निश्चित करना :

प्रधानमंत्री संसद का अधिवेशन बुलाता है एवं स्थगित भी कर सकता है। लोकसभा की कार्रवाई किस प्रकार चलेगी! कौन सा प्रस्ताव पहले पेश किया जाएगा एवं कौन बाद में, आदि बातों की निर्णय लोकसभा का अध्यक्ष, प्रधानमंत्री एवं विपक्ष के नेता की सलाह से करता है

(ii) महत्वपूर्ण नीतियों की घोषणा

परंपरा के अनुसार सदन में सभी महत्वपूर्ण नीतियों की घोषणा प्रधानमंत्री स्वयं करता है। युद्ध जैसी घटनाओं के समय केवल प्रधानमंत्री ही बोल सकता है। यह अधिकार उसके पास है।

(iii) सरकार की नीतियों का बचाव

सरकार की नीतियों का बचाओ अथवा विरोधी दल की आलोचना का जवाब देना प्रधानमंत्री की जिम्मेदारी है।

(iv) लोकसभा का भंग करना

ब्रिटेन के परंपरा के अनुसार प्रधानमंत्री के पास यह विशेषाधिकार है कि वह लोकसभा को भंग कर सकता है और नया सभा बुला सकता है।

निष्कर्ष (Conclusion) :-

दोस्तों..आज हम इस लेख में प्रधानमंत्री की समस्त कार्य एवं शक्तियां के बारे में जानकारी प्राप्त की है। इसके साथ-साथ भारत के प्रधानमंत्री से संबंधित अन्य महत्वपर्ण टॉपिक जैसे प्रधानमंत्री की नियुक्ति कौन करता है | प्रधानमंत्री की नियुक्ति की प्रक्रिया |प्रधानमंत्री का कार्यकाल | प्रधानमंत्री की शक्तियां एवं कार्य | प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद के बीच संबंध इत्यादि को कवर किया।

भारत देश का राष्ट्रपति औपचारिक या संवैधानिक शासक है परंतु प्रधानमंत्री को देश का वास्तविक शासक समझा जा सकता है, क्योंकि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 75 के अनुसार देश की वास्तविक कार्यपालिका की शक्तियां प्रधानमंत्री के पास है।

भारतीय संविधान में प्रधानमंत्री की उपादेयता बहुआयामी एवं सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। देश की एकता और अखंडता का सूत्रधार है। प्रधानमंत्री देश की राजनीतिक व्यवस्था की धुरी है। इसे देश का हृदय स्थल 'गुरुत्वाकर्षण का केंद्र' राजनीतिक शासक और सर्वोच्च शासक की संज्ञा दी जाती है। अतः प्रधानमंत्री को राष्ट्र का नेता अथवा नायक माना जा सकता है।

प्रधानमंत्री की शक्तियां और कार्य क्या है?

प्रधानमंत्री की शक्तियां एवं कार्य प्रधानमंत्री, मंत्री परिषद का नेता होता है। राष्ट्रपति केवल नाममात्र का शासक होता है राष्ट्रपति से ज्यादा अधिकार प्रधानमंत्री के पास होते है जबकि प्रमुख कार्यकारी शक्तियां प्रधानमंत्री में निहित होती हैं। मंत्री नियुक्त करने हेतु अपने दल के सदस्यों के नाम राष्ट्रपति को सुझाता है।

भारत में प्रधानमंत्री का निर्वाचन कैसे होता है प्रधानमंत्री के अधिकार एवं शक्तियों का वर्णन कीजिए?

प्रधानमन्त्री, लोकसभा में बहुमत-धारी दल का नेता होता है, और उसकी नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा लोकसभा में बहुमत सिद्ध करने पर होती है। इस पद पर किसी प्रकार की समय-सीमा निर्धारित नहीं की गई है परंतु एक व्यक्ति इस पद पर केवल तब तक रह सकता है जब तक लोकसभा में बहुमत उसके पक्ष में हो।

निम्नलिखित में से कौन कौन से कार्य और शक्तियां प्रधानमंत्री द्वारा प्रयोग में लाई जाती हैं *?

प्रधानमंत्री के कार्य और अधिकार प्रधानमंत्री देश के राजनीतिक दल का नेता और संसद के बहुमत दल का नेता होता है और मंत्रिपरिषद का गठन करता है। वह मंत्रियों के बीच कार्यों का बँटवारा करता है और इस कार्य में उसे लगभग पूर्ण स्वतंत्रता रहती है। आवश्यकतानुसार किसी भी मंत्री को इस्तीफा देने के लिये कह सकता है।

पीएम का कार्यकाल कितना होता है?

अमेरिका के राष्ट्रपति का कार्यकाल 4 वर्ष होता है जबकि अन्य देशों में यह 5 वर्ष 6 वर्ष होता है, जैसे भारत में प्रधानमंत्री ,मुख्यमंत्री और राष्ट्रपति तीनों का कार्यकाल 5 वर्ष होता है।