पिताजी को लिखे जाने वाले पत्र में उनके प्रति सम्मान प्रकट करते हुए किस शब्द का प्रयोग किया जाएगा * - pitaajee ko likhe jaane vaale patr mein unake prati sammaan prakat karate hue kis shabd ka prayog kiya jaega *

पत्र लिखना स्कूल में कितना बढ़िया अनुभव था। पत्र लेखन लगभग सभी कक्षाओं में पूछा जाता है। अच्छा पत्र लिखना भी एक कला है जिसके अनुसार ही परीक्षा में अंक दिए जाते हैं। आपको परीक्षा में इस टॉपिक में पूरे अंक प्राप्त हों इसलिए इस ब्लॉग में पत्र लेखन से सम्बंधित सभी महत्वपूर्ण नियम, कुछ प्रश्न और फॉमेट दिए गए हैं, आइए विस्तार से जानते हैं।

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पिताजी को लिखे जाने वाले पत्र में उनके प्रति सम्मान प्रकट करते हुए किस शब्द का प्रयोग किया जाएगा * - pitaajee ko likhe jaane vaale patr mein unake prati sammaan prakat karate hue kis shabd ka prayog kiya jaega *

पिताजी को लिखे जाने वाले पत्र में उनके प्रति सम्मान प्रकट करते हुए किस शब्द का प्रयोग किया जाएगा * - pitaajee ko likhe jaane vaale patr mein unake prati sammaan prakat karate hue kis shabd ka prayog kiya jaega *

This Blog Includes:
  1. पत्र लेखन क्या है?
  2. पत्र लेखन कैसे लिखते हैं?
  3. पत्र लेखन की उपयोगिता अथवा महत्व
  4. पत्र लेखन के आवश्यक तत्व और विशेषताएं
  5. औपचारिक और अनौपचारिक पत्र में अंतर
  6. अनौपचारिक पत्रों को लिखने के उद्देश्य
  7. औपचारिक पत्रों को लिखने के लिए कौन- कौन से तत्व आवश्यक है?
  8. अनौपचारिक पत्र के भाग
  9. औपचारिक पत्र का फॉर्मेट
  10. अनौपचारिक-पत्र का प्रारूप
  11. पत्र प्रेषक 
  12. पत्र लेखन के प्रकार
    1. औपचारिक पत्र लेखन हिंदी
  13. 10वीं कक्षा में विज्ञान लेने के लिए आवेदन पत्र
  14. नौकरी के लिए पत्र लेखन
  15. बेसिक शिक्षा अधिकारी को प्राइमरी शिक्षक के पद के लिए पत्र लेखन
    1. शिकायती पत्र
  16. मोहल्ले की सफाई हेतु पत्र
  17. औपचारिक पत्र लेखन
  18. अनौपचारिक पत्र लेखन
  19. विदेश यात्रा पर जाने वाले मित्रों को शुभकामना के लिए पत्र
  20. FAQs

पत्र लेखन क्या है?

एक व्यक्ति अपनी भावनाओं को एक कागज के पत्र पर लिखकर दूसरे व्यक्ति के सामने प्रकट करता है, उस प्रोसेस को पत्र लेखन कहा जाता है। पत्र लेखन को चिठ्ठी भी कहा जाता है। कोई व्यक्ति जब अपनी भावनाओं को दूसरे के सामने प्रकट करता है, तो पत्र प्राप्त करने वाला व्यक्ति भी उस पत्र का जवाब पत्र के माध्यम से उस व्यक्ति तक पहुंचाता है। कुछ दशक पहले एक स्थान से दूसरे स्थान तक संदेश भेजने का एक मात्र साधन पत्र ही था।

पत्र लेखन कैसे लिखते हैं?

नीचे कुछ बिंदु दिए गए हैं जो पत्र लिखने के लिए बहुत ही आवश्यक है :

  1. सरलता से पत्र लिखें – पत्र लेखन हमेशा सरल, सीधा और स्पष्ट भाषा में होना चाहिए । पत्र लेखन में कठिन शब्दों का प्रयोग नहीं होना चाहिए।
  2. पत्र लेखन में अपना उद्देश्य अच्छे से लिखें – पत्र में अपना उद्देश्य को अच्छे से समझाएं, उसमें किसी भी प्रकार की शंका या जिज्ञासा नहीं होनी चाहिए।
  3. स्पष्टता के साथ पत्र लिखें – पत्र के द्वारा हम जो भी बात बताना चाहते हैं वह स्पष्ट वाक्य में लिखें, उसके अंदर सरल और सीधे वाक्यों का प्रयोग कीजिए।
  4. पत्र लेखन हमेशा प्रभावित होना चाहिए – जब भी सामने वाले हमारा पत्र लेखन अच्छे से समझ जाता है और पढ़ पाता है तब हमारा पत्र प्रभावित कहलाता है। पत्र लेखन में अच्छे शब्द और मुहावरों का प्रयोग करके उसे प्रभावशाली बना सकते हैं।
  5. संक्षिप्तता से भरा पत्र लेखन होना चाहिए – पत्र लेखन में हमेशा काम की चीजें लिखी होनी चाहिए। अनावश्यक शब्दों का प्रयोग होना उचित नहीं होता।
  6. पत्र लेखन में मौलिकता होना आवश्यक है – मौलिकता का गुण बहुत ही अनिवार्य है जब हम पत्रलेखन लिखते हैं । पत्र लेखन लिखते समय पढ़ने वाले के विषय के बारे में ज्यादा से ज्यादा लिखें ।

पत्र लेखन की उपयोगिता अथवा महत्व

पत्र लेखन की उपयोगिता अथवा महत्व नीचे बताए गए हैं-

  • आजकल दूर-दूर रहने वाले सगे-संबंधियों व व्यापारियों को आपस में एक दूसरे के साथ मेल जोल रखने एवं संबंध रखने की आवश्यकता पड़ती है, ऐसे में पत्र लेखन का महत्वपूर्ण किरदार है।
  • निजी अथवा व्यापारिक सूचनाओं को प्राप्त करने तथा भेजने के लिए पत्र व्यवहार विषय अत्यंत कारगार है। प्रेम, क्रोध, जिज्ञासा, प्रार्थना, आदेश, निमंत्रण आदि अनेक भावों को व्यक्त करने के लिए पत्र लेखन का सहारा लिया जाता है।
  • पत्रों के माध्यम से संदेश भेजने में पत्र में लिखित सूचना पूर्व रूप से गोपनीय रखी जाती है। पत्र को भेजने वाला तथा पत्र प्राप्त करने वाले के आलावा किसी भी अन्य व्यक्ति को पत्र में लिखित संदेश पड़ने का अधिकार नहीं होता है।
  • मित्र, शिक्षक, छात्र, व्यापारी, प्रबंधक, ग्राहक व अन्य समस्त सामान्य व्यक्तियों व विशेष व्यक्तियों से सूचना अथवा संदेश देने तथा लेने के लिए पत्र लेखन का प्रयोग किया जाता है।
  • वर्तमान व्यावसायिक क्षेत्र में ग्राहकों को माल के प्रति संतुष्टि देने, व्यापार की ख्याति बढ़ाने, व्यवसाय का विकास करने के लिए इत्यादि अनेक कार्यों में पत्र व्यवहार का विशेष महत्व है।

पत्र लेखन के आवश्यक तत्व और विशेषताएं

पत्र लेखन से संबंधित कई सारे महत्व हैं, लेकिन इन महत्वों का लाभ तभी उठाया जा सकता है जब पत्र एक आदर्श पत्र की भांति लिखा गया हो। नीचे इनके बारे में विस्तार से बताया गया है-

  • भाषा- पत्र के अंदर भाषा एक विशेष हिस्सा है। पत्र की भाषा आसान होनी चाहिए। भाषा नर्म एवं शिष्ट होगी तभी पत्र पाठक को प्रभावित कर सकते हैं। कृपया, धन्यवाद जैसे आदि शब्दों का प्रयोग करके पाठक के मन को सीधे पत्र लिखने की भावना का महसूस कराना चाहिए।
  • संक्षिप्त- वर्तमान युग में सभी के लिए समय निकालना बहुत मुश्किल होता है। इस कारण व्यर्थ के लंबे पत्र लेखक व पाठक दोनों का अमूल्य समय व्यर्थ नष्ट करते हैं। मुख्य बातों को बिना किसी संदेह के लिखा जाना चाहिए। अनावश्यक रूप से लंबे शब्दों को लिखने का परित्याग किया जाना चाहिए।
  • स्वच्छता- पत्र की भाषा सरल व स्पष्ट भी होनी चाहिए। साथ ही पत्र को साफ कागज पर अक्षरों का ध्यान रखते हुए साफ साफ लिखना चाहिए। यदि पत्र टाईप किया हुआ हो तो उसमे कोई गलती या काट – पीट नहीं होनी चाहिए। क्योंकि यह पाठक को अच्छी नहीं लगेगी।
  • रुचिपूर्ण- पत्र में रोचकता के बिना पाठक को प्रभावित नहीं किया का सकता, इसलिए पाठक के स्वभाव व सम्मान को ध्यान में रखकर पत्र को प्रारंभ करना चाहिए। पत्र में पाठक के सम्बन्ध में प्रयोग होने वाले शब्दों आदरणीय, प्रिय, महोदय आदि शब्दों का प्रयोग करना चाहिए।
  • उद्देश्यपूर्ण- पत्र जिस उद्देश्य के लिए लिखा जा रहा हो, उस उद्देश्य को ध्यान में रखकर ही आवश्यक बातें पत्र के अंदर लिखनी चाहिए। पाठक का उद्देश्य पर ध्यान केंद्रित करने के लिए पत्र का उद्देश्य पूर्ण होना परम आवश्यक है।

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औपचारिक और अनौपचारिक पत्र में अंतर

पत्र लेखन के अंदर आने वाले औपचारिक और अनौपचारिक पत्रों में क्या अंतर होता है, यह नीचे बताया गया है-

औपचारिक पत्र अनौपचारिक पत्र
औपचारिक पत्रों को सरकारी सूचनाओं तथा संदेशों के प्रेषण में शामिल किया जाता है। अनौपचारिक पत्रों को पारिवारिक, निजी सगे संबंधियों, दोस्तों आदि को लिखा जाता है।
अनौपचारिक पत्रों के अंदर शिष्ट भाषा का प्रयोग किया जाता है। अनौपचारिक पत्रों के अंदर प्रेम, स्नेह, दया, सहानुभूति आदि भावनाओं से परिपूर्ण भाषा का प्रयोग किया जाता है।
इन पत्रों का व्यापारिक जगत में विशेष महत्व होता है। अनौपचारिक पत्रों का व्यापारिक जगत में कोई उपयोग नहीं होता है।
औपचारिक पत्रों को लिखने का एक औपचारिक उद्देश्य होना आवश्यक होता है। अनौपचारिक पत्रों को लिखने का कोई मुख्य उद्देश्य नहीं होता है।
औपचारिक पत्रों में मुख्य विषय को मुख्यतः तीन अनुच्छेदों में विभाजित किया जाता है। अनौपचारिक पत्रों के मुख्य विषय को अधिकतम दो अनुच्छेदों में विभाजित किया जाता है।
औपचारिक पत्रों को स्पष्टता से लिखा जाता है जिससे किसी सूचना या कार्य में बाधा अथवा संशय उत्पन्न ना हो सके। अनौपचारिक पत्रों भावनात्मक रूप से लिखे जाते है।

अनौपचारिक पत्रों को लिखने के उद्देश्य

अनौपचारिक पत्र लिखने के उद्देश्य नीचे दिए गए हैं-

  • अनौपचारिक पत्रों को लिखने का मुख्य उद्देश्य अपने परिवार वालों को, प्रियजनों को, सगे संबंधियों को, मित्रजनों आदि को निजी संदेश भेजना है।
  • किसी निजी जन को बधाई देने, शोक सूचना देने, विवाह, जन्मदिन पर आमंत्रित करने के लिए आदि के लिए इन्हीं पत्रों का प्रयोग किया जाता है।
  • ख़ुशी, दुःख, उत्साह, गुस्सा, नाराज़गी, सलाह, सहानुभूति इत्यादि भावनाओं को अनौपचारिक पत्र के माध्यम से व्यक्त करना।
  • समस्त अनौपचारिक कार्यों के लिए अनौपचारिक पत्रों का प्रयोग किया जाता है।

औपचारिक पत्रों को लिखने के लिए कौन- कौन से तत्व आवश्यक है?

तत्वों के नाम इस प्रकार हैं:

  • मौलिकता- पत्र की भाषा पूरी असली होनी चाहिए। पत्र सदैव उद्देश्य के अनुरूप लिखा होना चाहिए।
  • संक्षिप्तता – आधुनिक युग में समय अत्यंत कीमती है। औपचारिक पत्र के लिए आवश्यक है कि मुख्य विषय को संक्षिप्त में परंतु पूरे रूप से लिखा जाए।
  • योजनाबद्ध- पत्र लिखने से पूर्व पत्र के संबंध में योजना बनाना आवश्यक होता है। बिना योजना के पत्र का प्रारंभ व अंत अनुकूल रूप से नहीं हो पाता है।
  • पूर्णता- पत्र को लिखते समय समय पूर्णता का ध्यान रखना भी जरूरी है। पत्र में समस्त बातें लिखने के बाद, महत्वपूर्ण दस्तावेजों को अटैच करना चाहिए। अतः संपूर्ण पत्र पर विचार मंथन कर ही पत्र लिखना प्रारंभ करना चाहिए।
  • आकर्षक- पत्र को आकर्षक करने का तत्व पाठक को अत्यंत प्रभावित करता है। पत्र पढ़ने व देखने में सुंदर व आकर्षक होना चाहिए। पत्र अच्छे कागज पर सुंदर ढंग से टाइप किया जाना चाहिए।

अनौपचारिक पत्र के भाग

अनौपचारिक पत्र के भाग नीचे दिए गए हैं-

  • प्रेषक का पता अनौपचारिक पत्र लिखते समय सबसे पहले प्रेषक का पता लिखा जाता है। पता पत्र के बायीं ओर लिखा जाता है।
  • तारीख-दिनांक प्रेषक के पते के ठीक नीचे बायीं ओर तिथि लिखी जाती है। यह तिथि उसी दिवस की होनी चाहिए, जब पत्र लिखा जा रहा है।
  • संबोधन तिथि के बाद जिसे पत्र लिखा जा रहा है उसे संबोधित किया जाता है। संबोधन का अर्थ है किसी व्यक्ति को पुकारने के लिए इस्तेमाल शब्द। संबोधन के लिए प्रिय, पूज्य, स्नेहिल, आदरणीय आदि सूचक शब्दों का प्रयोग किया जाता है।
  • अभिवादन सम्बोधन के बाद नमस्कार, सादर चरण-स्पर्श आदि रूप में अभिवादन लिखा जाता है।
  • विषय-वस्तु अभिवादन के बाद मूल विषय-वस्तु को क्रम से लिखा जाता है। जहाँ तक संभव हो अपनी बात को छोटे-छोटे परिच्छेदों में लिखने का प्रयास करना चाहिए।
  • स्वनिर्देश/अभिनिवेदन इसके अन्तर्गत प्रसंगानुसार ‘आपका’, ‘भवदीय’, ‘शुभाकांक्षी’ आदि शब्दों का प्रयोग किया जाता है।
  • हस्ताक्षर पत्र में अभिनिवेदन के पश्चात् अपना नाम लिखा जाता है अथवा हस्ताक्षर किए जाते हैं।

औपचारिक पत्र का फॉर्मेट

पिताजी को लिखे जाने वाले पत्र में उनके प्रति सम्मान प्रकट करते हुए किस शब्द का प्रयोग किया जाएगा * - pitaajee ko likhe jaane vaale patr mein unake prati sammaan prakat karate hue kis shabd ka prayog kiya jaega *

अनौपचारिक-पत्र का प्रारूप

पिताजी को लिखे जाने वाले पत्र में उनके प्रति सम्मान प्रकट करते हुए किस शब्द का प्रयोग किया जाएगा * - pitaajee ko likhe jaane vaale patr mein unake prati sammaan prakat karate hue kis shabd ka prayog kiya jaega *

पत्र प्रेषक 

पत्र भेजने वाला को पत्र प्रेषक कहते हैं पत्र प्राप्त करता पत्रों को प्राप्त करने वाले को यात्रा को पाने वाले को पत्र प्राप्त करता कहते हैं I पत्र लेखन मैं अलग-अलग प्रकार के अंग होते हैं I पत्र लेखन लिखते समय कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत ही जरूरी है I

  1. पत्र प्रेषक का नाम और उस दिन की दिनांक – ऊपर बताए गए दोनों चीजों को दाएँ कोने में लिखा जाता है । साथ ही जब भी हम किसी व्यवसाय और कार्यालय को पत्र लिखते हैं तब प्रेषक का नाम लिखना भी अनिवार्य है
  1. पत्र पाने वाले का नाम और पता – प्रेषक लिखने के बाद पत्र पाने वाले के बारे में लिखा जाता है। पत्र पाने वाले के बारे में नीचे बताए गए चीजों लिखें
    • पत्र पाने वाले का नाम
    • उनका पद नाम
    • कार्यालय का नाम
    • वहां का स्थान
    • वहां का शहर , जिला और साथ में पिन कोड भी लिखें
  1. पत्र लेखन लिखने का विषय संकेत – विषय संकेत में पत्र लेखन कौन से विषय में लिखा जा रहा है उसकी जानकारी देना बहुत ही आवश्यक है।
  1. पत्र लेखन में संबोधन करना आवश्यक है – विशेषण के लिखने के बाद पत्र के बाई तरफ संबोधन का प्रयोग होता है। जैसे:
    1. प्रिय भाई
    2. प्रिय मित्र
    3. आदरणीय
      1. बड़ों के लिए नीचे बताए गए शब्दों का प्रयोग करते हैं:
        पूज्य
        मान्यवर
        आदरणीय
        माननीय
  1. पत्र लेखन में अभिवादन करें – कार्यालय और व्यावसायिक जगह पर जब हम पत्र लिखते हैं तब अभिवादन का प्रयोग नहीं करते। हमारे  रिश्तेदारों को अभिवादन शब्दों का प्रयोग कर सकते हैं। जैसे-
    • सादर
    • नमस्ते
    • नमस्कार
    • प्रणाम
  1. मुख्य सामग्री लिखें – संबोधन लिखने के बाद हम पत्र लेखन में मूल सामग्री का प्रयोग करते हैं इसके अंदर समय , परिस्थिति के अनुसार विषय लिखते हैं
  1. पत्रलेखन में समाप्त के समय समापन सूचक शब्दों का प्रयोग करें – जब हम पत्र लेखन का समापन करता है तभी कुछ शब्दों का प्रयोग करते हैं। जैसे:
    • आपका
    • आपका प्रिय
    • आपका आज्ञाकारी
    • स्नेही
    • भवदीय
  1. हस्ताक्षर और नाम भी लिखें – समापन शब्दों के बाद पत्र लिखने वालों को हस्ताक्षर और अपना पूरा नाम लिखना आवश्यक है।
  1. संलग्नक मैं भेजें – जब भी हम सरकारी पत्र लिखता है तब उसे संलग्नक करके भेजें।
  1. पुनश्च शीर्षक लिखें – पत्र लेखन लिखने के बाद उसके अंदर हस्ताक्षर और संलग्न शब्दों का प्रयोग होने के बाद उसे पुनश्च शीर्षक देकर फिर से हस्ताक्षर में लिखा जाता है।
संबंधसंबोधनअभिवादनसमापन
दादा, पिता श्रद्धेय दादाजी पूजनीय/पूज्य दादाजी सादर चरण स्पर्श सादर नमस्कार आपका आज्ञाकारी स्नेहाभिलाषी शुभचिंतक
पुत्र, पुत्री चिरंजीव, प्रिय, आयुष्मती सुखी रहो हितैषी, शुभ चिंतक
माता, दादी, नानी आदरणीय……जी पूज्यनीया……जी सादर नमस्कार चरण वंदना आपका आज्ञाकारी स्नेहाभिलाषी शुभचिंतक
छोटा भाई, छोटी बहन प्यारे, प्रिय, स्नेहमयी शुभाशीर्वाद, सौभाग्यवती हितैषी, शुभ चिंतक
मित्र मित्रवर, प्रिय, स्नेही मित्र स्नेह, मधुर स्मृति दर्शनाभिलाषी, तुम्हारा अभिन्न मित्र
बड़ा भाई, बड़ी बहन आदरणीय भाई साहब आदरणीय बहन जी सादर प्रणाम सादर प्रणाम आपका आज्ञाकारी स्नेहाभिलाषी
माता, दादी, नानी आदरणीय……जी पूज्यनीया……जी सादर प्रणाम चरण स्पर्श आपका आज्ञाकारी स्नेहाभिलाषी

पत्र लेखन के प्रकार

  1. औपचारिक पत्र
  2. अनौपचारिक पत्र

औपचारिक पत्र लेखन हिंदी

औपचारिक पत्र हम उसे लिखते हैं जिनके साथ हमारा कोई भी पारिवारिक संबंध या निजी संबंध नहीं होता इसके अंदर हम किसी भी प्रकार की बातचीत या आत्मीयता का समावेश नहीं करते। औपचारिक पत्र लेखन में हम नीचे बताए गए कुछ मुख्य बातों का ध्यान रखना जरूरी है।

1. प्रार्थना पत्र – विद्यालय में किसी भी प्रकार की समस्या से संबंधित प्रार्थना पत्र लिखा जाता है।

  • विद्यालय के प्रधानाचार्या
  • विद्यालय के मुख्याध्यापक
  • विद्यालय के मुख्यध्यापिका को अवकाश
  • शुल्क मुक्ति
  • आर्थिक सहायता के लिए पत्र
  • छात्रवृत्ति के लिए पत्र

2. आवेदन पत्र – किसी भी कंपनी यह संस्था में नौकरी के लिए आवेदन पत्र लिखा जाता है।

3. बधाई पत्र – जब भी हम किसी भी अधिकारी को उसी सफलता की उपलब्धि पर पत्र लिखते हैं उसे बधाई पत्र लेखन कहते हैं।

4. शुभकामना पत्र – किसी भी अधिकारी को जब हम किसी यात्रा या पदोन्नति की प्राप्ति पर पत्र लिखता है उसे शुभकामना पत्र लेखन कहते हैं।

5. व्यावसायिक पत्र – जब हम किसी व्यापारिक फैशन शो को पत्र लिखते हैं उसे व्यावसायिक पत्र कहता है।

6. शिकायती पत्र – जब हम किसी भी समस्या हो या  कठिनाई के आधारी पत्र लिखता है उसे शिकायती पत्र लेखन कहता है।

7. धन्यवाद पत्र – जब हम किसी भी कार्यक्रम यह विशेष उत्सव के लिए धन्यवाद देने के लिए पत्र लिखता है उसे धन्यवाद पत्र लेखन कहते हैं।

8. सांत्वना पत्र – जब हम किसी भी अधिकारी के स्वयं या उसी परिवार के सदस्य के साथ दुर्घटना ग्रस्त हादसा होने पर जब हम पत्र लिखते हैं उसे हम सांत्वना पत्र कहते हैं।

9. संपादकीय पत्र – जब हम किसी भी सरकारी अधिकारी को बात पहुंचाने के लिए समाचार पत्र के संपादक का माध्यम से अपनी बात पहुँचाते है तब वह पत्र को संपर्क किए पत्र लेखन कहते हैं।

मुख्य तीन भागों में औपचारिक पत्र को बाँटा गया है:

  1. सामाजिक पत्र
  2. व्यापारिक अथवा व्यवसायिक पत्र
  3. सरकारी कार्यालयों के लिए पत्र

औपचारिक पत्रों को निम्नलिखित वर्गों में विभाजित किया जा सकता हैं

(1) प्रार्थना-पत्र (रिक्वेस्ट पत्र)- जिन पत्रों में निवेदन अथवा प्रार्थना की जाती है, वे ‘प्रार्थना-पत्र’ कहलाते हैं।ये अवकाश, शिकायत, सुधार, आवेदन के लिए लिखे जाते हैं।

(2) सम्पादकीय पत्र (एडिटोरियल पत्र)-सम्पादक के नाम लिखे जाने वाले पत्र को संपादकीय पत्र कहा जाता हैं। इस प्रकार के पत्र सम्पादक को सम्बोधित होते हैं, जबकि मुख्य विषय-वस्तु ‘जन सामान्य’ को लक्षित कर लिखी जाती हैं।

(3) कार्यालयी-पत्र (आधिकारिक पत्र)- विभिन्न कार्यालयों के लिए प्रयोग किए जाने अथवा लिखे जाने वाले पत्रों को ‘कार्यालयी-पत्र’ कहा जाता हैं। ये पत्र किसी देश की सरकार और अन्य देश की सरकार के बीच, सरकार और दूतावास, राज्य सरकार के कार्यालयों, संस्थानों आदि के बीच लिखे जाते हैं।

(4) व्यापारी अथवा व्यवसायिक पत्र (बिज़नेस पत्र)- व्यवसाय में सामान खरीदने व बेचने अथवा रुपयों के लेन-देन के लिए जो पत्र लिखे जाते हैं, उन्हें ‘व्व्यवसायिक पत्र’ कहते हैं।आज व्यापारिक प्रतिद्वन्द्विता का दौर हैं। प्रत्येक व्यापारी यही कोशिश करता हैं कि वह शीर्ष पर विद्यमान हो। व्यापार में बढ़ोतरी बनी रहे, साख भी मजबूत हो, इन उद्देश्यों की पूर्ति हेतु जिन पत्रों को माध्यम बनाया जाता हैं, वे व्यापारिक पत्रों की श्रेणी में आते हैं। इन पत्रों की भाषा पूर्णतः औपचारिक होती हैं।

औपचारिक पत्र लेखन हिंदी लिखते समय ध्यान रखने योग्य बातें

  • औपचारिक-पत्र नियमों में बंधे हुए होते हैं।
  • इस प्रकार के पत्रों में नपी-तुली भाषा का प्रयोग किया जाता है। इसमें अनावश्यक बातों (कुशलक्षेम आदि) का उल्लेख नहीं किया जाता।
  • पत्र का आरंभ व अंत प्रभावशाली होना चाहिए।
  • पत्र की भाषा-सरल, लेख-स्पष्ट व सुंदर होना चाहिए।
  • यदि आप कक्षा अथवा परीक्षा भवन से पत्र लिख रहे हैं, तो कक्षा अथवा परीक्षा भवन (अपने पता के स्थान पर) तथा क० ख० ग० (अपने नाम के स्थान पर) लिखना चाहिए।
  • पत्र पृष्ठ के बाई ओर से हाशिए (Margin Line) के साथ मिलाकर लिखें।
  • पत्र को एक पृष्ठ में ही लिखने का प्रयास करना चाहिए ताकि तारतम्यता बनी रहे।
  • प्रधानाचार्य को पत्र लिखते समय प्रेषक के स्थान पर अपना नाम, कक्षा व दिनांक लिखना चाहिए।

औपचारिक letter writing in Hindi के निम्नलिखित सात अंग होते हैं

(1) पत्र प्रापक का पदनाम तथा पता।
(2) विषय- जिसके बारे में पत्र लिखा जा रहा है, उसे केवल एक ही वाक्य में शब्द-संकेतों में लिखें।
(3) संबोधन- जिसे पत्र लिखा जा रहा है- महोदय, माननीय आदि।
(4) विषय-वस्तु-इसे दो अनुच्छेदों में लिखें : पहला अनुच्छेद – अपनी समस्या के बारे में लिखें।दूसरा अनुच्छेद – आप उनसे क्या अपेक्षा रखते हैं, उसे लिखें तथा धन्यवाद के साथ समाप्त करें।
(5) हस्ताक्षर व नाम- भवदीय/भवदीया के नीचे अपने हस्ताक्षर करें तथा उसके नीचे अपना नाम लिखें।
(6) प्रेषक का पता- शहर का मुहल्ला/इलाका, शहर, पिनकोड।
(7) दिनांक।

Source: Black Board

सेवा में
प्रधानाचार्य
केंद्रीय विद्यालय

अहमदाबाद गुजरात

महोदय,
सविनय निवेदन है कि मैं आपके विद्यालय में दक्षिण कक्षा में पढ़ती हूं। इसी सत्र में मैंने बोर्ड की परीक्षा दी है। मेरे परिवार में ज्यादातर लोग इंजीनियरिंग के क्षेत्र में है , मुझे भी विज्ञान विषय में बहुत ही रुचि है और मैं भी इंजीनियर बनना चाहती हूं। दसवीं कक्षा में मैंने 90% अंक प्राप्त किए हैं और 92% मैंने विज्ञान के विषय में प्राप्त किए हैं। मैं आपसे यह प्रार्थना करती हूं कि मुझे 11वीं कक्षा में विज्ञान विषय लेने के लिए अनुमति दें और मैं इंजीनियर बनने का अपना सपना साकार कर सकूं।

आपकी अति कृपा होगी

धन्यवाद

आपकी आज्ञाकारी
निकिता शर्मा
कक्षा 10
8 अप्रैल 2021

नौकरी के लिए पत्र लेखन

परीक्षा भवन
नई दिल्ली
दिनांक: 1 जनवरी, 20xx

प्रधानाचार्य जी
समरविला हाई स्कूल

मयूर विहार

दिल्ली-110091

विषय: हिंदी अध्यापक के पद हेतु आवेदन-पत्र

महोदय,
आपके द्वारा ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ में प्रकाशित विज्ञापन के प्रत्युत्तर में मैं हिंदी अध्यापक के पद हेतु अपना आवेदन-पत्र भेज रहा हूँ। मेरा व्यक्तिगत विवरण निम्नलिखित है: नाम: क०ख०ग०, पिता का नाम: अब०स०, जन्म तिथि: 20 मई, 1970. क्षणिक योग्यता अर्थ:

– मैंने माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से दसवीं की परीक्षा 1986 में 70% अंक प्राप्त कर उत्तीर्ण की है।
– मैंने माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से बारहवीं की परीक्षा 1988 में 78% अंक प्राप्त कर उत्तीर्ण की है।
– दिल्ली विश्वविद्यालय से बी०ए० की परीक्षा 1992 में 72% अंक प्राप्त कर उत्तीर्ण की है।
– मैंने रोहतक विश्वविद्यालय से बी०एड्० की परीक्षा 1993 में 70% अंक प्राप्त कर उत्तीर्ण की है।

मैं पिछले वर्ष डी०ए०वी० स्कूल, कृष्णा नगर में हिंदी अध्यापक के पद पर कार्य कर चुका हूँ। यह पद मात्र एक वर्ष के लिए ही रिक्त था। इसलिए मुझे वहाँ से कार्य छोड़ना पड़ा है। मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि यदि आपकी चयन समिति ने मुझे यह अवसर प्रदान किया, तो निश्चित ही मैं आपकी उम्मीदों पर खरा उतरूँगा और अपनी पूरी निष्ठा व लगन के साथ काम करूँगा।

धन्यवाद सहित
भवदीय
चीराग

बेसिक शिक्षा अधिकारी को प्राइमरी शिक्षक के पद के लिए पत्र लेखन

बी०पी० 153
शालीमार बाग
दिल्ली
दिनांक: 25 जनवरी, 20XX

बेसिक शिक्षा अधिकारी
जिला परिषद
लखनऊ (उ०प्र०)

विषय: प्राइमरी शिक्षक के पद के लिए आवेदन-पत्र

मान्यवर
दिनांक 24 जनवरी, 20XX के दैनिक समाचार पत्र ‘दैनिक जागरण’ से ज्ञात हुआ कि आपके विभाग में प्राइमरी शिक्षकों के कुछ स्थान रिक्त हैं। उन पदों के लिए आवेदन-पत्र आमंत्रित किए गए हैं। मैं भी अपने को इस पद के उम्मीदवार के रूप में प्रस्तुत करना चाहती हूँ। मेरी योग्यताएँ व अन्य विवरण इस प्रकार हैं: नाम: संगीता जुनेजा, पिता का नाम: श्री सुरेश कुमार जुनेजा। जन्मतिथि: 17 अगस्त, 1975 स्थायी पता बी०पी० 153, शालीमार बाग, दिल्लीI शैक्षणिक योग्यताएँ:

– बारहवीं
– बी०ए०
– बेसिक टीचर कोर्स

अन्य योग्यताएँ:
– शास्त्रीय संगीत में डिप्लोमा
– सांस्कृतिक कार्यक्रमों में पुरस्कृत
– महाविद्यालय की हिंदी साहित्य परिषद की सचिव

अनुभव: डी०ए०वी० मिडिल स्कूल, कानपुर में प्राइमरी शिक्षक के पद पर कार्यरत।महोदय, यदि उक्त पद पर कार्य करने का अवसर प्रदान करें, तो मैं अपनी कार्यकुशलता से अपने अधिकारियों को संतुष्ट रखने का प्रयास करूँगी तथा पूरी निष्ठा से अपने कर्तव्यों का पालन करूँगी। प्रार्थना-पत्र के साथ सभी प्रमाण-पत्रों की प्रतियाँ संलग्न हैं।

धन्यवाद
भवदीया
संगीता जुनेजा

शिकायती पत्र

किसी विशेष कार्य, समस्या अथवा घटना की शिकायत करते हुए सम्बन्धित अधिकारी को लिखा गया पत्र ‘शिकायती पत्र’ कहलाता है। शिकायती पत्र लिखते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि जिस सम्बन्ध में शिकायत की जा रही है, उसका स्पष्ट रूप से उल्लेख किया जाना चाहिए। शिकायत हमेशा विनम्रता के साथ प्रस्तुत की जानी चाहिए।

अपने मुहल्ले के पोस्टमैन की कार्यशैली का वर्णन करते हुए पोस्टमास्टर को शिकायती पत्र लिखिए।

15, दूंगाधारा,
अल्मोड़ा (उत्तराखण्ड)।
दिनांक 13-4-20xx

सेवा में,
पोस्ट मास्टर,
उप-डाकघर पोखर खाली, अल्मोड़ा।

महोदय,

मैं आपका ध्यान मुहल्ला दूंगाधारा के पोस्टमैन की कर्तव्य-विमुखता की ओर आकर्षित करना चाहता हूँ। इस मुहल्ले के निवासियों की शिकायत है कि यहाँ डाक कभी भी समय से नहीं बँटती है। अतः यहाँ के निवासियों को बड़ी असुविधा है। आपसे निवेदन है कि इस मामले की जानकारी प्राप्त करके उचित कार्यवाही करने की कृपा करें, ताकि इस समस्या का निराकरण हो सके।

सधन्यवाद!

मोहल्ले की सफाई हेतु पत्र

पिताजी को लिखे जाने वाले पत्र में उनके प्रति सम्मान प्रकट करते हुए किस शब्द का प्रयोग किया जाएगा * - pitaajee ko likhe jaane vaale patr mein unake prati sammaan prakat karate hue kis shabd ka prayog kiya jaega *
Source : Pinterest

औपचारिक पत्र लेखन

औपचारिक पत्र लेखन इस प्रकार है:

  • पहली बात यह कि पत्र के ऊपर दाहिनी ओर पत्रप्रेषक का पता और दिनांक होना चाहिए।
  • दूसरी बात यह कि पत्र जिस व्यक्ति को लिखा जा रहा हो- जिसे ‘प्रेषिती’ भी कहते हैं- उसके प्रति, सम्बन्ध के अनुसार ही समुचित अभिवादन या सम्बोधन के शब्द लिखने चाहिए।
  • यह पत्रप्रेषक और प्रेषिती के सम्बन्ध पर निर्भर है कि अभिवादन का प्रयोग कहाँ, किसके लिए, किस तरह किया जाय।
  • अँगरेजी में प्रायः छोटे-बड़े सबके लिए ‘My dear’ का प्रयोग होता है, किन्तु हिन्दी में ऐसा नहीं होता।
  • पिता को पत्र लिखते समय हम प्रायः ‘पूज्य पिताजी’ लिखते हैं।
  • शिक्षक अथवा गुरुजन को पत्र लिखते समय उनके प्रति आदरभाव सूचित करने के लिए ‘आदरणीय’ या ‘श्रद्धेय’-जैसे शब्दों का व्यवहार करते हैं।
  • यह अपने-अपने देश के शिष्टाचार और संस्कृति के अनुसार चलता है।
  • अपने से छोटे के लिए हम प्रायः ‘प्रियवर’, ‘चिरंजीव’-जैसे शब्दों का उपयोग करते हैं।

अनौपचारिक पत्र लेखन

अनौपचारिक पत्र लेखन इस प्रकार है:

यह पत्र उन लोगों को लिखा जाता है जिनसे हमारा व्यक्तिगत सम्बन्ध रहता है। यह पत्र अपने परिवार के लोगों को जैसे माता-पिता, भाई-बहन और मित्रों को उनके हालचाल पूछने, निमंत्रण देने और सूचना आदि देने के लिए लिखे जाते हैं। आपको बताते चले कि इन पत्रों में भाषा के प्रयोग में थोड़ी ढ़ील की जा सकती है। इन पत्रों में शब्दों की संख्या नहीं होती है क्योंकि इन पत्रों में इधर-उधर की बातों का भी जोड़ा जाता है।

अनौपचारिक पत्र उन व्यक्तियों को लिखे जाते हैं, जिनसे पत्र लेखक का व्यक्तिगत या निजी सम्बन्ध होता है। अपने मित्रों, माता-पिता, अन्य सम्बन्धियों आदि को लिखे गये पत्र अनौपचारिक-पत्रों के अंदर आते हैं। अनौपचारिक पत्रों में आत्मीयता का भाव रहता है तथा व्यक्तिगत बातों का उल्लेख भी किया जाता है। इस तरह के पत्र लेखन में व्यक्तिगत सुख-दुख का ब्योरा एवं विवरण के साथ व्यक्तिगत संबंध को उल्लेख किया जाता है।

अनौपचारिक-पत्र लिखते समय ध्यान रखने योग्य बातें

  • भाषा सरल व स्पष्ट होनी चाहिए।
  • संबंध व आयु के अनुकूल संबोधन, अभिवादन व पत्र की भाषा होनी चाहिए।
  • पत्र में लिखी बात संक्षिप्त होनी चाहिए
  • पत्र का आरंभ व अंत प्रभावशाली होना चाहिए
  • भाषा और वर्तनी-शुद्ध तथा लेख-स्वच्छ होना चाहिए।
  • पत्र प्रेषक व प्रापक वाले का पता साफ व स्पष्ट लिखा होना चाहिए।
  • कक्षा/परीक्षा भवन से पत्र लिखते समय अपने नाम के स्थान पर क० ख० ग० तथा पते के स्थान पर कक्षा/परीक्षा भवन लिखना चाहिए।
  • अपना पता और दिनांक लिखने के बाद एक पंक्ति छोड़कर आगे लिखना चाहिए।

अनौपचारिक पत्र की प्रशस्ति, अभिवादन व समाप्ति

  1. अपने से बड़े आदरणीय संबंधियों के लिए :
    प्रशस्ति – आदरणीय, पूजनीय, पूज्य, श्रद्धेय आदि।
    अभिवादन – सादर प्रणाम, सादर चरणस्पर्श, सादर नमस्कार आदि।
    समाप्ति – आपका बेटा, पोता, नाती, बेटी, पोती, नातिन, भतीजा आदि।
  2. अपने से छोटों या बराबर वालों के लिए :
    प्रशस्ति – प्रिय, चिरंजीव, प्यारे, प्रिय मित्र आदि।
    अभिवादन – मधुर स्मृतियाँ, सदा खुश रहो, सुखी रहो, आशीर्वाद आदि।
    समाप्ति – तुम्हारा, तुम्हारा मित्र, तुम्हारा हितैषी, तुम्हारा शुभचिंतक आदि।

(2)औपचारिक पत्र- प्रधानाचार्य, पदाधिकारियों, व्यापारियों, ग्राहकों, पुस्तक विक्रेता, सम्पादक आदि को लिखे गए पत्र औपचारिक पत्र कहलाते हैं।

विदेश यात्रा पर जाने वाले मित्रों को शुभकामना के लिए पत्र

52, सरदार चौक
दिल्ली
प्रिय मित्रों धर्मेश
सस्नेह नमस्ते

अभी अभी तुम्हारा पत्र मिला , यह जानकर बहुत खुशी हो रही है कि तुम 25 अप्रैल को कनाडा जा रहे हो। बचपन से ही तुम विदेश आने का सपना देखा करते थे। अब बोलो सपना तुम्हारा साकार होने को आ रहा है। कनाडा जाने के लिए मेरे पूरे परिवार की तरफ से तुम्हें बहुत सारी शुभकामना और तुम्हारी यात्रा सफल रहे। वहां जाकर मुझे भूल मत जाना और पत्र लिखते रहना। 

मेरे प्रिय मित्र धर्मेश , इस बात का हमेशा ध्यान रखना कि तुम भारतीय हो वहां जाकर अपनी सभ्यता और संस्कृति को भूल मत जाना। तुम जैसे हो वैसे ही रहना अपने स्वभाव और व्यवहार पर विदेशी प्रभाव को पढ़ने मत देना। हार्दिक शुभकामना।

तुम्हारा मित्र
दीप

पिताजी को लिखे जाने वाले पत्र में उनके प्रति सम्मान प्रकट करते हुए किस शब्द का प्रयोग किया जाएगा * - pitaajee ko likhe jaane vaale patr mein unake prati sammaan prakat karate hue kis shabd ka prayog kiya jaega *

पिताजी को लिखे जाने वाले पत्र में उनके प्रति सम्मान प्रकट करते हुए किस शब्द का प्रयोग किया जाएगा * - pitaajee ko likhe jaane vaale patr mein unake prati sammaan prakat karate hue kis shabd ka prayog kiya jaega *

FAQs

पत्र लेखन कितने प्रकार के हैं?

पत्र लेखन 2 प्रकार के होते हैं,जैसे- 
औपचारिक पत्र 
अनौपचारिक पत्र

पत्र लेखन क्या है?

पत्र लेखन एक ऐसी कला है, जिसके माध्यम से दो व्यक्ति या दो व्यापारी जो एक दुसरे से काफी दूरी पर स्थित हो, परस्पर एक दूसरे को विभिन्न कार्यों अथवा सूचनाओं के लिए पत्र लिखते हैं।

पत्र के मुख्य भाग कौन कौन से होते हैं?

पत्र लेखन के मूल रूप से तीन भाग होते हैं। जैसे –

1. प्रारंभ: यानि पत्र के आरंभ में पत्र लिखकर हम प्रेषक के पते का अभिवादन करने लगते हैं।
2. मध्य भाग: यानी पत्र-लेखन में मूल विषय के बारे में व्यक्त करने के लिए कि हम अपने पत्र में मुख्य समाचार विस्तार से लिखते हैं, जो कि 150 से 200 शब्दों में है।
3. अंतिम भाग: अर्थात पत्र-लेखन का अंत जिसमें हम प्रेषक का नाम या देश का नाम, पता लिखते हैं।

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