हेलो फ्रेंड्स प्रश्न है पेड़ पौधे श्वसन क्रिया में कार्बन डाइऑक्साइड गैस ग्रहण करते हैं तो दोस्तों हमें यहां पर कथन दिया गया है कि जो पेड़ पौधे होते हैं श्वसन की क्रिया में कार्बन डाइऑक्साइड गैस ग्रहण करते हैं और हमें बताना है कि यह कथन सही है या गलत है ठीक है तो दोस्तों जो पेड़ पौधे होते हैं ठीक है यह श्वसन की क्रिया में ठीक है श्वसन की क्रिया में क्या करते हैं ऑक्सीजन को ग्रहण करते हैं और कार्बन डाइऑक्साइड को मुक्त करते हैं और दोस्तों इन में जब क्या होता है प्रकाश संश्लेषण की क्रिया होती है लड़की जिसे फोटोसिंथेसिस भी कहते हैं ठीक है प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में क्या करते हैं कार्बन डाइऑक्साइड गैस ग्रहण करते हैं और ऑक्सीजन Show मुक्त करते हैं ठीक है सर यहां पर कि हम सही लिख लेते इसको क्या करते हैं ऑक्सीजन मुक्त करते हैं तो दोस्तों यहां पर जो खत्म दिया गया है पौधे श्वसन क्रिया में कार्बन डाइऑक्साइड गैस ग्रहण करते हैं या क्या हो जाएगा गलत हो जाएगा धन्यवाद
Register now for special offers +91 Home > Hindi > कक्षा 6 > Chemistry > Chapter > हमारे चारों ओर वायु > पौधे वायुमंडल में ऑक्सीजन और क... पौधे वायुमंडल में ऑक्सीजन और कार्बन-डाइऑक्साइड का संतुलन कैसे बनाते हैं?UPLOAD PHOTO AND GET THE ANSWER NOW! लिखित उत्तर Solution : पौधे श्वसन क्रिया में ऑक्सीजन लेते हैं और कार्बन-डाइऑक्साइड वायुमंडल में छोड़ते हैं। परंतु प्रकाश-संश्लेषण क्रिया के दौरान कार्बन-डाइऑक्साइड लेते हैं और ऑक्सीजन छोड़ते हैं। इस प्रकार इन दो प्रक्रियाओं द्वारा वायुमंडल में ऑक्सीजन और कार्बन-डाइऑक्साइड का संतुलन बना रहता है।
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सुशील जोशी [Hindi PDF, 200 kB] यह तो सब जानते हैं कि मनुष्य समेत सारे प्राणी श्वसन करते हैं। अधिकांश प्राणियों की श्वसन की क्रिया में शर्करा (मूलत: ग्लूकोज़) और ऑक्सीजन की क्रिया होती है। इस क्रिया में काफी सारी ऊर्जा मुक्त होती है जो प्राणी अपने कामकाज के लिए उपयोग करते हैं। इस क्रिया में कार्बन डाईऑक्साइड और पानी पैदा होते हैं। कार्बन डाईऑक्साइड को किसी-न-किसी तरह शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है। मनुष्य और कई अन्य प्राणियों में ऑक्सीजन प्राप्त करने और कार्बन डाईऑक्साइड को बाहर निकालने के लिए विशेष अंग पाए जाते हैं, जबकि कई प्राणियों में इस कार्य के लिए कोई विशेष अंग नहीं होते। प्राणियों के समान पेड़-पौधे भी श्वसन की क्रिया करते हैं; आखिर शरीर के कामकाज के लिए ऊर्जा तो उन्हें भी चाहिए। पेड़-पौधों में भी श्वसन में शर्करा का उपयोग होता है, ऑक्सीजन से उसकी क्रिया होती है और कार्बन डाईऑक्साइड व पानी बनते हैं। कुछ
भ्रम, कुछ तथ्य
सवाल यह है कि यदि मनुष्य श्वसन की क्रिया में ऑक्सीजन लेकर कार्बन डाईऑक्साइड छोड़ते हैं, तो ज़रा सोचिए कि फिर एक व्यक्ति द्वारा दूसरे को कृत्रिम श्वसन देने की बात कैसे सम्भव है। दरअसल, आप जो हवा फेफड़ों में खींचते हैं और जो हवा फेफड़ों से छोड़ते हैं, यदि उनका विश्लेषण करें तो उनमें बहुत अन्तर नहीं होता। जैसे जो हवा आप साँस में लेते हैं उसमें करीब 79 प्रतिशत नाइट्रोजन, 20 प्रतिशत ऑक्सीजन और 1 प्रतिशत अन्य गैसें व जलवाष्प होते हैं। अन्य गैसों में करीब 0.03 प्रतिशत कार्बन डाई-ऑक्साइड शामिल है। अब साँस में छोड़ी जाने वाली हवा पर गौर करें। इसमें 79 प्रतिशत नाइट्रोजन, करीब 16 प्रतिशत ऑक्सीजन और करीब 3 प्रतिशत कार्बन डाईऑक्साइड होती है (शेष प्रमुख तौर पर जलवाष्प)। आप देख ही सकते हैं कि साँस लेने व छोड़ने में मौजूद इन दो हवाओं में कोई बड़ा अन्तर नहीं है। अब सवाल पेड़-पौधों का। पेड़-पौधों में श्वसन के लिए कोई विशेष अंग नहीं होते। इनमें हवा का आदान-प्रदान मूलत: पत्तियों में उपस्थित छिद्रों के ज़रिए होता है। इन छिद्रों को स्टोमेटा कहते हैं। इनके अलावा तने पर भी कुछ छिद्र होते हैं और जड़ें अपनी पूरी सतह से ‘साँस’ लेती हैं। श्वसन की
क्रिया में पेड़-पौधे भी ऑक्सीजन का उपयोग करते हैं और कार्बन डाई-ऑक्साइड का निर्माण करते हैं। प्रकाश संश्लेषण और श्वसन इसके आधार पर दो बातें साफ हैं। प्रकाश संश्लेषण अधिकांश पौधों में सिर्फ पत्तियों तक सीमित होता है और रात में नहीं होता। दूसरी ओर, श्वसन दिन-रात हर समय चौबीसों घण्टे चलता रहता है। इसके साथ एक बात और ध्यान देने योग्य है। प्रकाश संश्लेषण की क्रिया बहुत तेज़ गति से होती है। सुबह होने के साथ ही तमाम पत्तियाँ कारखानों की तरह काम करना शु डिग्री कर देती हैं और कार्बन डाईऑक्साइड और पानी की क्रिया से शर्करा बनाने लगती हैं। इस शर्करा को कई अन्य पदार्थों में बदला जाता है। प्रकाश संश्लेषण की तेज़ रफ्तार का ही नतीजा है कि ये पदार्थ न सिर्फ पौधों के लिए बल्कि समस्त प्राणियों के लिए भी जीवन का आधार बन पाते हैं। ध्यान दें कि दिन उगने के बाद भी श्वसन की क्रिया चल रही है। मगर पेड़-पौधों में श्वसन की क्रिया धीमी होती है। उन्हें हिलना-डुलना, चलना-फिरना, धड़कना तो है नहीं। इसलिए उनकी ऊर्जा की ज़रूरत भी कम होती है और श्वसन की रफ्तार भी। श्वसन की क्रिया में जो कार्बन डाईऑक्साइड पैदा होती है, वह पत्तियों के अन्दर ही खाली स्थानों में पहुँचती है। इन्हीं पत्तियों में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया भी चल रही है। इस प्रकाश संश्लेषण क्रिया के लिए हवा में मौजूद कार्बन डाईऑक्साइड का उपयोग किया जाता है। इसके अलावा श्वसन क्रिया में बनी कार्बन डाईऑक्साइड भी इसी में खप जाती है। इसलिए कुल मिलाकर लगता है कि दिन में पौधे कार्बन डाईऑक्साइड लेकर ऑक्सीजन छोड़ते हैं। वैसे ध्यान दें कि स्टोमेटा में से जो हवा अन्दर जाती है उसमें भी 20 प्रतिशत ऑक्सीजन, 79 प्रतिशत नाइट्रोजन और अल्प मात्रा में कार्बन डाईऑक्साइड व अन्य गैसें होती हैं। स्टोमेटा से बाहर आने वाली हवा में कार्बन डाईऑक्साइड नहीं होती जबकि ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ जाती है और नाइट्रोजन उतनी ही रहती है।
दिन के समय भी श्वसन तो बदस्तूर जारी रहता है और इस क्रिया में कार्बन डाईऑक्साइड पैदा होती है। मगर होता यह है कि श्वसन में उत्पन्न कार्बन डाईऑक्साइड का उपयोग प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में कर लिया जाता है। लिहाज़ा दिन के समय पत्तियों से नेट ऑक्सीजन बाहर निकलती है। अब आई रात। प्रकाश संश्लेषण तो हो गया बन्द, मगर श्वसन चलता रहा। यानी रात को ऑक्सीजन निर्माण नहीं हो रहा है। श्वसन के कारण ऑक्सीजन खर्च हो रही है और कार्बन डाईऑक्साइड बन रही है। दिन का टाइम होता, तो इस कार्बन डाई-ऑक्साइड का उपयोग हो जाता मगर ये न थी हमारी किस्मत। यानी पौधे रात में कार्बन डाई-ऑक्साइड छोड़ेंगे। और मनुष्य सहित सारे प्राणी तो दिन में यही कर रहे थे और रात में भी यही करेंगे। इसके आधार पर कहा जाता है कि रात में यदि आप पेड़ के नीचे सोए, तो आपकी खैर नहीं क्योंकि रात में आपको ऑक्सीजन के लिए पेड़ के साथ प्रतिस्पर्धा करनी होगी। साथ ही, पेड़ जो कार्बन डाईऑक्साइड छोड़ेगा वह आपके फेफड़ों में घुस जाएगी और आपका दम घोट देगी। इसे मेरा एक मित्र मनोहर झाला बहुत ही रोचक ढंग से बयान किया करता था। वह कहता था कि रात में पेड़ भी ऑक्सीजन खींच रहे हैं और आप भी। अब पेड़ तो इतना बड़ा है, इसलिए उसकी ऑक्सीजन खींचने की ताकत भी बहुत ज़्यादा है। तो वह आसपास की हवा की सारी ऑक्सीजन खींच लेगा। जब हवा में ऑक्सीजन खत्म हो जाएगी, तो वह आपके फेफड़ों के अन्दर से भी ऑक्सीजन खींचेगा। ऑक्सीजन के साथ-साथ फेफड़े भी खिंचकर बाहर आ जाएँगे - ठीक उसी तरह जैसे किसी थैली को खाली करते वक्त हम उसे उलट देते हैं - और आप खींचे जाकर फेफड़ों के ज़रिए पेड़ पर चिपक जाएँगे। पेड़ बनाम कमरा अब आसानी से देखा जा सकता है कि एक पेड़ के नीचे सोने एवं एक और व्यक्ति के साथ कमरे में सोने के बीच क्या अन्तर है। ज़ाहिर है, एक और व्यक्ति के साथ सोना ज़्यादा घातक साबित हो सकता है। पेड़ के नीचे सोने के खतरे की बात एक और कारण से भी बेतुकी है। किसी भी स्थान की हवा को एक स्थिर आयतन मानना कदापि ठीक नहीं है। आपके आसपास की हवा लगातार बदलती रहती है। खास तौर से तब जब आप खुले में सो रहे हैं। इतने सारे पक्षी, प्राणी पेड़ों पर ही रहते हैं। यदि वे सब ऑक्सीजन के लिए पेड़ों से प्रतिस्पर्धा करें तो उपरोक्त अधकचरे तर्क के आधार पर सब के सब, रातों रात मर जाने चाहिए। इसी प्रकार से, जाड़े के दिनों में ट्रेन के किसी खचाखच भरे डिब्बे में हमें किसी के बचने की उम्मीद नहीं करनी चाहिए क्योंकि जाड़ों में खिड़कियाँ तो सारी बन्द रहती हैं। पेड़ के नीचे सोने का खतरा, दरअसल, अधूरी वैज्ञानिक जानकारी के अधकचरे उपयोग का नतीजा है। जो खतरे हो सकते हैं, उनमें पेड़ की शाखा का गिरना और किसी पक्षी द्वारा बीट किया जाना वगैरह गिनाए जा सकते हैं। और इनका सम्बन्ध ऑक्सीजन से कदापि नहीं है। सुशील जोशी: एकलव्य द्वारा संचालित स्रोत फीचर सेवा से जुड़े हैं। विज्ञान शिक्षण व लेखन में गहरी रुचि। पेड़ पौधे कार्बन डाइऑक्साइड कब छोड़ते हैं?श्वसन के कारण ऑक्सीजन खर्च होती रहती है और कार्बन डाईऑक्साइड बनती रहती है. दिन में तो प्रकाश संश्लेषण के द्वारा कार्बन डाईऑक्साइड का उपयोग हो जाता है. यानी पौधे रात में कार्बन डाई-ऑक्साइड छोड़ते हैं.
पौधे से कार्बन डाइऑक्साइड कैसे निकलती है?पौधों के पत्तियों की सतह पर एक बड़ी संख्या में छेद होते हैं जिसे स्टोमेटा (stomata) या स्टोमा (stoma) कहा जाता है. प्रकाश संश्लेषण के लिए हरे पौधे हवा से कार्बन डाइऑक्साइड लेते हैं. कार्बन डाइऑक्साइड उनकी सतह पर मौजूद स्टोमेटा के माध्यम से पत्तियों में प्रवेश करती है.
पौधे कौन सी क्रिया में ऑक्सीजन छोड़ते हैं?पौधे श्वसन क्रिया में ऑक्सीजन गैस छोड़ते हैं।
वह कौन सी प्रक्रिया है जिसमें एक पौधा कार्बन डाइऑक्साइड लेता है और ऑक्सीजन छोड़ता है?प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis) के दौरान पेड़-पौधे ऑक्सीजन को वेस्ट प्रोडक्ट के तौर पर बाहर छोड़ते हैं.
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