पढ़ने के लिए कौन सी दिशा सही है? - padhane ke lie kaun see disha sahee hai?

पढ़ने के लिए कौन सी दिशा सही है? - padhane ke lie kaun see disha sahee hai?

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बच्चे के स्टडी रूम के लिए वास्तु टिप्स.

वास्तु शास्त्र के अनुसार बच्चे के स्टडी रूम की दिशा सही न हो तो उनका पढ़ाई में मन नहीं लगता, क्योंकि इससे वास्तु दोष होता है, जिससे बच्चे की पढ़ाई प्रभावित होती है. ऐसे में बच्चे की पढ़ाई के साथ ही उसके स्टडी रूम की दिशा पर भी ध्यान दें.

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  • News18Hindi
  • Last Updated : September 19, 2022, 03:55 IST

हाइलाइट्स

स्टडी रूम में वास्तु दोष होने से पढ़ाई से भटकता है बच्चे का मन.
स्टडी टेबल का मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर होता है सबसे अच्छा.
वास्तु के अनुसार, स्टडी रूम को करें व्यवस्थित, बच्चे का पढ़ाई में लगेगा मन.

Vastu Tips For Study Room: वास्तु में दिशा का विशेष महत्व होता है. गलत दिशा होने से घर पर नकारात्मकता बढ़ती है और इससे वास्तु दोष होता है. हर माता-पिता की यह शिकायत रहती है कि उसके बच्चे का पढ़ाई में मन नहीं लगता और बच्चा पढ़ाई से बहाने बनाकर भागता है. हालांकि, हर बच्चे की बौद्धिक क्षमता अलग-अलग होती है. कुछ बच्चे पढ़ाई में सामान्य होते हैं तो वहीं कुछ बच्चे अव्वल नंबर के साथ पास करते हैं. लेकिन, खूब मेहनत करने के बावजूद भी अगर आपका बच्चा पढ़ाई में लगातार पिछड़ रहा है या फिर उसे पढ़ाई में मन नहीं लग रहा है, तो यह बहुत बड़ी समस्या है. इससे उसका भविष्य खतरे में पड़ सकता है.

बच्चे का पढ़ाई में मन न लगने का कारण वास्तु दोष भी हो सकता है, क्योंकि घर में वास्तु दोष होने से नकारात्मकता बढ़ती है और ऐसे में पढ़ाई के लिए बच्चे के मन में एकाग्रता नहीं बन पाती. इसके लिए ज़रूरी है कि आप बच्चे के स्टडी रूम में बदलाव करें. वास्तु में बच्चे के स्टडी रूम को लेकर बताया गया है कि यहां कौन सी चीजें कहां और किस दिशा में रखनी चाहिए, जिससे कि बच्चे का मन पढ़ाई में लगेगा. दिल्ली के आचार्य गुरमीत सिंह जी से जानते हैं बच्चे के स्टडी रूम की दिशा और बदलाव के बारे में.

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किस दिशा में होनी चाहिए स्टडी टेबल
पढ़ाई के लिए पूर्व और उत्तर दिशा को वास्तु में अच्छा माना जाता है, इसलिए आप इस बात का ध्यान रखें कि स्टडी टेबल का मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रहे. साथ ही बच्चे की स्टडी टेबल पर ढेर सारी किताबें न रखें, क्योंकि ढेर सारी किताबों को देखकर बच्चा पढ़ाई के बोझ का अनुभव कर सकता है. आप स्टडी टेबल से हटाकर किताबों के लिए अलमारी या सेल्फ बनवा सकते हैं. साथ ही इस बात का ध्यान रखें बच्‍चों के पढ़ने कमरा उत्‍तर-पूर्व या पूर्व में ही होना चाहिए.

वास्तु के अनुसार बच्चे के स्टडी रूम में करें ये बदलाव

  • स्टडी टेबल पर पूर्व की ओर देवी सरस्वती की तस्वीर रखें.
  • स्टडी टेबल पर एक क्रिस्टल का ग्लोब भी रख सकते हैं.
  • स्टडी रूम में जूते-चप्पल नहीं रखना चाहिए.
  • स्टडी रूम के पूर्वी उत्तर या दक्षिणी भाग में मोमबत्ती जलाने से बच्चे का मन पढ़ाई में लगता है और उसकी बौद्धिक क्षमता बढ़ती है.
  • स्टडी टेबल के ठीक सामने शीशा या आइना न लगाएं. इससे बच्चे का ध्यान पढ़ाई से भटकता है.

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क्यों जरूरी है बच्चे के स्टडी रूम में बदलाव
बच्चों को नई-नई चीजें पसंद होती है. वह पुरानी चीजों से थोड़े समय बाद बोर हो जाते हैं. यही कारण है कि बच्चे अपने पुराने खिलौने से धीरे-धीरे कम खेलने लगते हैं. जैसे ही उनके पास कोई नया खिलौना आता है, वो उसके बड़े ही रुचि से खेलने लगते हैं. यही कारण है कि समय-समय पर बच्चों को नई चीजें मिलनी चाहिए, जिसमें उनका मन खेलने में लगाता है. ठीक इसी तरह बच्चे के पढ़ाई को लेकर भी कुछ बदलाव करने चाहिए. बच्चे के स्टडी के रूम में बदलाव करने से उनका मन पढ़ाई में फिर से लगने लगता है.

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वास्तु के अनुसार, बच्चे के स्टडी रूम को व्यवस्थित करने से मानसिक एकाग्रता बढ़ती है और बच्चे का पढ़ाई में मन लगता है. इससे बच्चा अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सफलता को हासिल करता है.

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Tags: Dharma Aastha, Vastu, Vastu tips

FIRST PUBLISHED : September 19, 2022, 03:55 IST

पढ़ाई के दौरान अच्छी आदतें और नियम भी जनना बहुत ही ज्यादा जरूरी है। पढ़ाई किस दिशा में करनी चाहिए? और पढ़ाई करने की सही दिशा क्या है? इस विषय में पूरी विस्तार से जानकारी प्राप्त करेंगे इसके लिए पूरी पोस्ट जरूर पढ़ें।

हमारे प्रिय छात्रों आशा है की आप सब अच्छे और कुशल होंगे और बराबर पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित कर रहे होंगे। जैसा की आप जानतें हैं की यहाँ हर रोज नई ज्ञान की बातें बताई जाती है। तो आज भी हमलोग जानेंगे की पढ़ाई किस दिशा में मुँह कर के करनी चाहिए?

वैसे भी हमारा प्रयास रहा है एक विधार्थी के पढ़ाई करने की तरीकों को सरल और सुगम बनाने का। विधार्थी जीवन में कुछ-कुछ बाते बहुत ही महत्वपूर्ण होता है जिसपर हमेशा ध्यान देने की जरुरत होता है। तभी वह एक सफल छात्र बन सकते हैं। उनमे से एक यह है की पढ़ाई करने की सही दिशा क्या होनी चाहिए? आइए जानते हैं कौन सी दिशा में बैठकर पढ़ाई करनी चाहिए? Padhai Karne ki sahi disha kaun si hai?

पढ़ने के लिए कौन सी दिशा सही है? - padhane ke lie kaun see disha sahee hai?
पढ़ाई करने की सही दिशा कौन सी है? इस दिशा में करें पढ़ाई मिलेंगे 100% सफलता

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पढ़ाई करने की सही दिशा क्या है?

पढ़ाई करते समय विधार्थी का मुख पुर्व या उत्तर दिशा में होनी चाहिए। पढ़ाई करने वाले बच्चों को हमेशा पुर्व दिशा में बैठकर पढ़ाई करनी चाहिए। वास्तु के अनुसार इस दिशा को सरस्वती की दिशा माना जाता है। और इस दिशा में मुँह कर के पढ़ने वाले विधार्थी को अच्छी ज्ञान और बुद्धि की प्राप्ति होती है। देव दिशा यानी की पुर्व की ओर मुख करके बैठने से अच्छे विचार और एकाग्रता  में बढ़ोतरी होती है।

पुर्व या उत्तर दिशा की ओर मुँह करके करनी चाहिए पढ़ाई 

पढ़ने के लिए शास्त्रों के अनुसार पुर्व की दिशा उत्तम मानी जाती है। क्योंकि इस दिशा को देव दिशा भी माना जाता है और कोई भी शुभ काम इसी दिशा में ही होता है ऐसे में पढ़ाई भी सरस्वती की प्रसाद रुपी तपस्या है जिससे की ज्ञान की देवी सरस्वती प्रसन्न हो सकें और बच्चें पढ़ाई में बहुत ही ज्यादा उच्च स्थान प्राप्त कर सकें।

इस दिशा में ही लगाएं पढ़ने के लिए टेबल

अगर आप घर में यह सोच रहे हो की पढ़ाई करने के लिए टेबल किस दिशा में लगाएं? ध्यान दें की स्टडी रुम के पुर्व के दीवाल से सटे टेबल को लगाएं और यह ध्यान रहें की बैठते समय मुँह पुर्व की ओर हो इसके अलावा आप जमीन पर बैठकर पढ़ाई करते हैं तो भी पढ़ाई करते वक्त कोशिश करे की पुर्व दिशा की ओर मुँह करके ही बैठें। अगर पुर्व की ओर किसी कारणवश नही बैठ सकतें हैं तो उत्तर की दिशा भी अच्छा माना जायेगा।

इस दिशा की ओर मुख करके ना करें पढ़ाई

एक छात्र को दक्षिण की ओर मुह करके पढ़ाई करने के लिए नही बैठना चाहिए। ऐसा माना जाता है की इस तरफ मुख करके पढ़ाई करने से बच्चों में अनुशासनहिन भावनाए प्रकट हो जाते हैं। तो आप लोगों को दक्षिण दिशा की ओर मुह करके पढ़ाई करने से बचना चाहिए।

एक प्रकार से देखा जाए तो सिर्फ दिशा ही नही बहुत से ऐसे बातें हैं जिनके कारण बच्चों की पढ़ाई अव्यवस्थित हो सकता है। ऐसे में ध्यान दे की वह कारण क्या है और जल्द की उसका समाधान करें।

स्टूडेंट का ऐसे होनी चाहिए रुम

जब बात आपके पढ़ाई की हो ही रही है तो एक नजर पढ़ाई करने वाले रूम के बारे में बातें की जाए तो बेहतर ढंग से समझ पाएंगे। एक विधार्थी का रूम बिल्कुल साफ होनी चाहिए। और हर वस्तु को अपनी जगह पर रखें। कभी भी अध्ययन कक्ष में मनोरंजन यंत्र ना रखें जैसे की टीवी इत्यादी। आप चाहे तो कंप्यूटर रख सकतें हैं। लेकिन पहले पढ़ाई पर ध्यान देना अनिवार्य है। 

अध्ययन कक्ष में ऐसे बैठें

पढ़ाई करने के दौरान आपके मुँह पुर्व या उत्तर दिशा की ओर होनी चाहिए। और साथ में ये ध्यान दें की आपके मुख दरवाजे के सामने ना हो दरवाजे की तरफ पीठ करके बैठे ऐसा करने से आपको बाकी लोगों के द्वारा कोई परेशानी नही होगी और आप बेहतर तरीके से पढ़ाई कर सकेंगे।

ये बाते थी विधार्थी से जुड़े हुए दिनचर्या की और हमारा प्रयास था एक छात्र की जीवन को सुगम बनाने का।

आशा है की हमारे द्वारा किए गए एक छोटी सी प्रयास आपको काफी ज्यादा पसंद आया होगा जिसमें जाना की कौन सी दिशा में बैठकर पढ़ाई करनी चाहिए? और पढ़ाई करने की सही दिशा क्या है? जो की काफी अच्छे और आसान भाषा में बताएँ गए हैं। आपको ये कैसा लगा हमे कमेंट के माध्यम से जरूर बताएँ। किसी भी तरह की प्रश्न या सुझाव है वह हमें जरूर बताएँ ।

इसी तरह के उपयोगी जानकारी प्राप्त करने के लिए हमसे हमेशा जुड़े रहें 

धन्यवाद,

Study करते समय मुंह किधर होना चाहिए?

इस बात का ध्‍यान रखें कि अध्‍ययन करते समय बच्‍चे का मुख उत्‍तर-पूर्व या फिर उत्‍तर या पूर्व दिशा में होना चाहिए। इस दिशा को देव दिशा माना जाता है। इस दिशा में मुख करके पढ़ने से बच्‍चों को मां सरस्‍वती की कृपा प्राप्‍त होती है।

वास्तु के अनुसार पढ़ाई के लिए कौन सी दिशा सबसे अच्छी होती है?

पढ़ाई के लिए पूर्व और उत्तर दिशा को वास्तु में अच्छा माना जाता है, इसलिए आप इस बात का ध्यान रखें कि स्टडी टेबल का मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रहे.

Study के लिए कौन सी दिशा सही है?

स्टडी टेबल के लिए बेस्ट डायरेक्शन का निष्कर्ष कुल मिलाकर स्टडी टेबल के लिए सबसे अच्छी दिशा पूर्व या उत्तर को कहा जाता है।

किताबें कौन सी दिशा में रखनी चाहिए?

घर में किताबें रखने की सही दिशा वास्तु शास्त्र के अनुसार स्टडी रूम हमेशा ईशान और पूर्व के मध्य, उत्तर और वायव्य, पश्चिम और वायव्य कोण में बनाना चाहिए. वास्तु शास्त्र के अनुसार स्टडी रूम में किताबें कभी खुली हुई रैक पर नहीं रखनी चाहिए. ऐसा करने से स्टूडेंट में निगेटिव एनर्जी उत्पन्न होती है.