राजे ने अपनी रखवाली की कविता के रचनाकार कौन हैं 2 मैं बेच रही हूँ दही कविता किसने लिखा है? - raaje ne apanee rakhavaalee kee kavita ke rachanaakaar kaun hain 2 main bech rahee hoon dahee kavita kisane likha hai?

राजे ने अपनी रखवाली की;
किला बनाकर रहा;
बड़ी-बड़ी फ़ौजें रखीं ।
चापलूस कितने सामन्त आए ।
मतलब की लकड़ी पकड़े हुए ।
कितने ब्राह्मण आए
पोथियों में जनता को बाँधे हुए ।
कवियों ने उसकी बहादुरी के गीत गाए,
लेखकों ने लेख लिखे,
ऐतिहासिकों ने इतिहास के पन्ने भरे,
नाट्य-कलाकारों ने कितने नाटक रचे
रंगमंच पर खेले ।
जनता पर जादू चला राजे के समाज का ।
लोक-नारियों के लिए रानियाँ आदर्श हुईं ।
धर्म का बढ़ावा रहा धोखे से भरा हुआ ।
लोहा बजा धर्म पर, सभ्यता के नाम पर ।
ख़ून की नदी बही ।
आँख-कान मूंदकर जनता ने डुबकियाँ लीं ।
आँख खुली-- राजे ने अपनी रखवाली की ।

राजा ने अपनी रखवाली की कविता के रचनाकार कौन है?

राजे ने अपनी रखवाली की / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"

मैं बेच रही हूं यह किसकी रचना है?

उत्तर- हिन्दी सुमित्रानंदन पंत जी कि बोली है।

5 निम्नलिखित में से किन्ही पंद्रह प्रश्नों के उत्तर दीजिए 15 1 राजे ने अपनी रखवाली की कविता के रचनाकार कौन हैं?

अपने उत्तर का कारण लिखो।

राजा ने अपनी रखवाली कैसे की?

e-Content : "राजे ने रखवाली की " की व्याख्या-निराला.
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