राजकोषीय नीति के उद्देश्य की विवेचना कीजिए - raajakosheey neeti ke uddeshy kee vivechana keejie

Question – राजकोषीय नीति के प्रमुख उपकरणों पर चर्चा कीजिए? अर्थव्यवस्था में निवेश या मांग को प्रोत्साहित/निराश करने के लिए कर दरों का उपयोग किस प्रकार किया जा सकता है? सविस्तार वर्णन कीजिए। 19 February 2022

Answerराजकोषीय नीति प्रसिद्ध अर्थशास्त्री जॉन मेनार्ड कीन्स के सिद्धांतों पर आधारित है। केनेसियन अर्थशास्त्र के रूप में भी लोकप्रिय यह सिद्धांत मूल रूप से बताता है कि, सरकारें कर स्तर और सार्वजनिक व्यय को बढ़ाकर या घटाकर व्यापक आर्थिक उत्पादकता स्तरों को प्रभावित कर सकती हैं।

अर्थव्यवस्था में परिस्थितियों के आधार पर कर दरों और सार्वजनिक खर्च के बीच संतुलन खोजने का विचार है। अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति के दबाव एक ‘संविदात्मक राजकोषीय नीति’ की गारंटी देते हैं जिसमें करों में वृद्धि, सार्वजनिक खर्च को कम करना, या दोनों शामिल हैं।

राजकोषीय नीति के महत्वपूर्ण उपकरण निम्नलिखित हैं, और वे कैसे काम करते हैं:

राजकोषीय नीति सरकार की आय, व्यय तथा ऋण से सम्बन्धित नीतियों से लगाया जाता है। अर्थव्यवस्था में सर्वोच्च उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए राजकोषीय नीति व्यय, ऋण, कर, आय, हीनार्थ प्रबन्धन आदि की समुचित व्यवस्था बनाये रखती है, जैसे-आर्थिक विकास, कीमत में स्थिरता, रोजगार, करारोपण, सार्वजनिक आय-व्यय, सार्वजनिक ऋण आदि। इन सबकी व्यवस्था राजकोषीय नीति में की जाती है।

राजकोषीय नीति के आधार पर सरकार करारोपण करती है। वह यह देखती है कि देश में लोगों की करदान क्षमता बढ़ रही है अथवा घट रही है। इन सब बातों का अनुमान लगाकर ही सरकार करों का निर्धारण करती है। व्यय नीति में भी वे निर्णय शामिल किये जाते हैं जिनका अर्थव्यवस्था पर प्रभाव पड़ता है। ऋण नीति का सम्बन्ध व्यक्तियों के ऋणों के माध्यम से क्रय शक्ति को प्राप्त करने से होता है। सरकारी ऋण-प्रबन्ध नीति का सम्बन्ध ब्याज चुकाने तथा ऋणों का भुगतान करने से होता है।

राजकोषीय नीति के उद्देश्य

  • राजकोषीय नीति के अन्तर्गत करारोपण द्वारा चालू उपभोग को कम करके, बचत में वृद्धि करने के प्रयत्न किए जाते हैं, ताकि पूंजी निर्माण के लिए आवश्यक धनराशि प्राप्त हो सके।
  • पूंजी निर्माण के अलावा राजकोषीय नीति का दूसरा महत्वपूर्ण उद्देश्य राष्ट्रीय आय में वृद्धि करना है।
  • आय व धन के वितरण की समानता बनाए रखना आर्थिक विकास का केवल लक्ष्य ही नहीं वरन् एक पूर्व आवश्यकता भी है। अत: सरकार को चाहिए कि अपनी राजकोषीय नीति का निर्माण इस प्रकार से करे कि धन वितरण की विषमताएँ देश में कम से कम हो सकें।
  • राजकोषीय नीति के विभिन्न उद्देश्यों में एक उद्देश्य अर्थव्यवस्था में पूर्ण रोजगार की स्थिति को बनाए रखना है।

राजकोषीय नीति के उपकरण

  • करारोपण: करारोपण करदान क्षमता के आधार पर किया जाना उचित है। करारोपण इस प्रकार से किया जाय कि उसका बुरा प्रभाव काम करने की इच्छा व योग्यता पर न पड़े, साथ ही सरकार को आय भी प्राप्त हो सके।
  • सार्वजनिक व्यय: राजकोषीय नीति का यह महत्वपूर्ण उपकरण है, सार्वजनिक व्यय का उद्देश्य लोक कल्याण होना चाहिए। सार्वजनिक व्यय उत्पादक होना चाहिए जिससे आधारभूत ढाँचे को व्यवस्थित किया जा सके।
  • सार्वजनिक ऋण नीति: राजकोषीय नीति के अन्तर्गत सार्वजनिक ऋणों का भी महत्वपूर्ण स्थान होता है। ये ऋण आन्तरिक एवं बाह्य दोनों प्रकार के होते है। एक विकासशील देश साधनों की कमी के कारण अपना समुचित विकास नहीं कर पाता है फलत: उसे ऋण लेकर अपनी अर्थव्यवस्था का संचालन करना होता है।

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राजकोषीय नीति के प्रमुख उद्देश्य क्या है?

अर्थनीति के सन्दर्भ में, सरकार के राजस्व संग्रह (करारोपण) तथा व्यय के समुचित नियमन द्वारा अर्थव्यवस्था को वांछित दिशा देना राजकोषीय नीति (fiscal policy) कहलाता है। अतः राजकोषीय नीति के दो मुख्य औजार हैं - कर स्तर एवं ढांचे में परिवर्तन तथा विभिन्न मदों में सरकार द्वारा व्यय में परिवर्तन।

राजकोषीय नीति का उपकरण कौन कौन से हैं?

अर्थव्यवस्था में सर्वोच्च उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए राजकोषीय नीति व्यय, ऋण, कर, आय, हीनार्थ प्रबन्धन आदि की समुचित व्यवस्था बनाये रखती है, जैसे-आर्थिक विकास, कीमत में स्थिरता, रोजगार, करारोपण, सार्वजनिक आय-व्यय, सार्वजनिक ऋण आदि। इन सबकी व्यवस्था राजकोषीय नीति में की जाती है।

राजकोषीय नीति क्या है एक विकासशील अर्थव्यवस्था में इसकी भूमिका की विवेचना कीजिए?

अल्प विकसित देशों में, राजकोषीय नीति उन उत्पादक मार्गों में निवेश को उत्साहित करती है जिन्हें सामाजिक एवं आर्थिक रूप में अभीष्ट माना जाता है । इसका अर्थ यह है कि अनुकूलतम निवेश वह है जो आर्थिक विकास को बढ़ाते हुये व्यर्थतापूर्ण एवं अनुत्पादक निवेश की उपेक्षा करते हैं ।

राजकोषीय नीति से क्या आशय है इसके उपकरणों को विस्तार से समझाइये?

बहुधा सरकार उत्पादक पूँजीगत व्यय अथवा कल्याण संबंधी व्यय में कटौती करती है। इसके परिणामस्वरूप विकास की गति धीमी होती है और कल्याण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। राजकोषीय घाटा: राजकोषीय घाटा सरकार के कुल व्यय और ऋण - ग्रहण को छोड़कर कुल प्राप्तियों का अंतर है।