रौलट एक्ट को काला कानून किसने कहा है - raulat ekt ko kaala kaanoon kisane kaha hai

Gandhiji ne Kis Kanoon Ko Kala Kanoon Kahaa Tha -

सम्बन्धित प्रश्न



Comments Gaurav kumar on 09-01-2022

Kis vidheyak ko kala kanoon kahakar bhartiyo ne usaka virodh kiya

Pramod on 03-01-2022

Gandhiji ne kis kanoon ko Kala kanoon kaha tha

Jyoti on 26-10-2021

Gandhi Ji kis kanoon ko kala kanoon kaha tha

Kritika on 09-08-2021

Which called kala kanun

Boghani dhruvi on 06-05-2021

Ganthi ji NE kis kayde ko Kala kayda gina

Muskan kachhava on 22-03-2021

Ghandhi jine kis ko kala kayda kaha tha

Muskan kachhava on 22-03-2021

ગાંઘીજી એ કોને "કાળો કાયદો "કહયો હતો ?

Muskan kachhava on 22-03-2021

સુંદરી વૃક્ષનું લાકઙુ કઈ રીતે ઉપયોગી છે ?

yashpal on 28-11-2019

GANDI ji ne saptahik harijan kab suru kiya

Radheshyam baror on 27-11-2019

सत्याग्रह का प्रमुख साधन है

Bajirao on 12-05-2019

Gandhi ne Kala kannon kis kannon ko kaha

Rakesh on 12-05-2019

Gandhiji kis Kanoon ko Kala Kanoon Kaha Tha

Rakesh on 12-05-2019

aisa konsa fal Hai Jisme chilke nahi Paye Jate Hain

Ramsingh on 12-05-2019

Vishal saikil diwas kab manage hai

Bittu Singh on 12-09-2018

राॅलेट एक्ट कानून के बारे में बताईए

Visit Vinit on 08-09-2018

Swaraj dal ki staphana line ki

पृष्ठभूमि

  • वर्ष 1914 में पहला विश्व युद्ध आरंभ हुआ था। इस दौरान भारत में शासन कर रही ब्रिटिश सरकार को विश्व भर में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए भारत के सहयोग की आवश्यकता थी। यह स्पष्ट है कि अंग्रेजों ने बड़ी संख्या में भारतीयों को ब्रिटिश सेना में भर्ती कर रखा था और उन भारतीयों के सहयोग से वह प्रथम विश्व युद्ध में बढ़त हासिल करना चाहती थी।
  • वर्ष 1915 में गांधी जी भारत आ चुके थे और उस दौरान गांधी जी ने इस शर्त पर प्रथम विश्व युद्ध में भारत द्वारा अंग्रेजों का सहयोग करने की बात स्वीकार की थी कि प्रथम विश्व युद्ध समाप्त होने के बाद अंग्रेज भारतीयों को सहूलियत प्रदान करेंगे।
  • लेकिन अंग्रेजों ने अपना वादा तो पूरा नहीं किया, बल्कि भारतीयों पर रौलेट एक्ट नामक एक काला कानून थोप दिया। वास्तव में, प्रथम विश्व युद्ध के दौरान भारत में क्रांतिकारी गतिविधियों घटित हो रही थी और क्रांतिकारी नेतृत्व यह चाहता था कि इस दौरान अंग्रेज विश्व युद्ध में उलझे हुए हैं। ऐसे में, भारत में उनकी शक्ति कमजोर है और उन्हें भारत से उखाड़ फेंकने का यह सही वक्त है। इसीलिए उन्होंने इस दौरान अपनी क्रांतिकारी गतिविधियों को तीव्र कर दिया था, लेकिन अंग्रेज सरकार ने क्रांतिकारी गतिविधियों का निर्मम दमन किया था।
  • इसके अलावा, अंग्रेज भारत में निरंतर प्रसारित हो रही राष्ट्रीयता की भावना को भी कुचलना चाहते थे। इसी पृष्ठभूमि में अंग्रेज सरकार ने एक ब्रिटिश न्यायाधीश ‘सर सिडनी रौलेट’ की अध्यक्षता में एक ‘राजद्रोह समिति’ का गठन किया था।
  • इस समिति को इस बात की जाँच करनी थी कि भारत में क्रांतिकारी गतिविधियाँ किन-किन क्षेत्रों तक विस्तृत है? भारत के कौन-कौन से क्षेत्रों में बैठे लोग ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध षड्यंत्र कर रहे हैं? ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध षड्यंत्र करने वाले लोगों से निपटने के लिये किस प्रकार के कानून निर्मित करने चाहिएँ?
  • सर सिडनी रौलेट की अध्यक्षता में गठित की गई राजद्रोह समिति ने जो सिफारिशें कीं, उन्हीं के आलोक में ब्रिटिश सरकार ने एक कानून पारित किया था। इसी कानून को इतिहास में ‘रौलेट एक्ट’ के नाम से जाना जाता है।

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रौलेट एक्ट के प्रमुख प्रावधान

  • इस एक्ट के अंतर्गत एक विशेष न्यायालय स्थापित करने का प्रावधान किया गया था। इस न्यायालय को ऐसी शक्ति प्रदान कर दी गई थी कि यह ऐसे साक्ष्यों को भी मान्यता प्रदान कर सकता था, जो कानून के अनुसार मान्य नहीं होते थे।
  • सबसे बढ़कर, इस न्यायालय के निर्णयों के विरुद्ध अन्य किसी भी न्यायालय में अपील नहीं की जा सकती थी। रौलेट एक्ट के अनुसार, प्रांतीय सरकारों को असीमित शक्तियाँ प्रदान कर दी गई थीं। इन शक्तियों का उद्देश्य भारतीयों द्वारा औपनिवेशिक शासन के विरुद्ध संचालित किए जा रहे आंदोलन को पूरी तरह से कुचलना था।
  • इस रौलेट एक्ट के अंतर्गत प्रांतीय सरकारों को किसी के भी विरुद्ध बिना वारंट जारी किए ही तलाशी लेने तथा किसी को भी बिना वारंट के ही गिरफ्तार करने का अधिकार प्रदान कर दिया गया था।
  • रौलेट एक्ट के माध्यम से बंदी प्रत्यक्षीकरण का अधिकार रद्द कर दिया गया था। इसका अर्थ यह था कि सरकार किसी को भी बंदी बनाकर रख सकती थी और इसके लिए सरकार को किसी को भी कोई कारण बताने आवश्यकता नहीं थी।

अन्य प्रमुख बिंदु

  • उपरोक्त वर्णित समस्त असाधारण शक्तियाँ रौलेट एक्ट के माध्यम से ब्रिटिश सरकार को दे दी गई थीं। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान तो यह कानून किसी तरह से उचित ठहराया जा सकता था, लेकिन शांति काल के दौरान इस कानून को किसी भी तरह से उचित नहीं माना जा सकता था।
  • भारतीयों द्वारा संचालित की जाने वाली उपनिवेश विरोधी कार्यवाही को दबाने के लिए तथा उनके अधिकारों को नष्ट करने के लिए ब्रिटिश सरकार द्वारा लाए गए इस कानून को भारत के इतिहास में ‘काला कानून’ कहा जाता है।
  • रौलेट एक्ट की ऐसी शोषण मूलक प्रकृति के कारण ही इस कानून को “बिना वकील, बिना दलील और बिना अपील का कानून” कहा जाता है। कुछ विद्वानों का मत है कि यह कानून वर्ष 1915 में पारित किए गए ‘भारत रक्षा अधिनियम’ का ही अनिश्चितकालीन विस्तार था।
  • वास्तव में, प्रथम विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश सरकार ने ‘भारत रक्षा अधिनियम, 1915’ पारित किया था। इसका उद्देश्य भारत में ऐसी सरकार विरोधी गतिविधियों पर लगाम कसना था, जो प्रथम विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश सरकार द्वारा की जाने वाली कार्यवाही को बाधित करती हों।
  • बहरहाल, भारत के लोगों के द्वारा इस शोषणकारी रौलेट एक्ट के विरुद्ध तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की गई थी। इसी रौलट एक्ट के विरोध में गांधी जी ने भारत में सबसे पहले सत्याग्रह की शुरुआत की थी और इस कुख्यात कानून के विरुद्ध भारत के एक बड़े हिस्से में तीखे विरोध प्रदर्शन हुए थे।

रौलेट एक्ट के विरुद्ध प्रतिक्रिया

  • विदित है कि ब्रिटिश सरकार ने पहले विश्व युद्ध में भारत के लोगों का सहयोग प्राप्त करने के लिए यह वादा किया था कि विश्व युद्ध समाप्त होने के बाद भारत में संवैधानिक सुधार किए जाएँगे और भारतीयों को सहूलियत प्रदान की जाएगी।
  • लेकिन विश्व युद्ध समाप्त होने के बाद ब्रिटिश सरकार ने अपना वादा पूरा नहीं किया और संवैधानिक सुधार करने के स्थान पर भारत की जनता पर रौलेट एक्ट जैसा एक शोषणकारी कानून थोप दिया गया। ऐसी स्थिति में, भारत की जनता के पास ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध आंदोलन करने के सिवाय कोई चारा शेष नहीं रह गया था। इस आंदोलन का नेतृत्व गांधी जी द्वारा किया गया था।
  • तत्कालीन परिस्थितियों का आकलन करने और ब्रिटिश सरकार का रवैया देखने के बाद गांधी जी द्वारा सत्याग्रह प्रारम्भ करने का निर्णय लिया गया और एक ‘सत्याग्रह सभा’ का गठन किया गया।
  • गांधी जी के नेतृत्व में संपूर्ण देश में हड़ताल करने, उपवास रखने और प्रार्थना सभाएँ आयोजित करने का निर्णय लिया गया। इस दौरान यह निर्णय भी लिया गया कि आंदोलनकारियों द्वारा कुछ प्रमुख कानूनों की अवज्ञा की जाएगी तथा उनके द्वारा अपनी गिरफ्तारियाँ भी दी जाएगी।
  • अमृतसर और लाहौर में आंदोलन अत्यंत चरम पर था और जब इस शोषणकारी कानून के विरुद्ध 13 अप्रैल, 1919 को जलियांवाला बाग में लोग शांतिपूर्ण विरोध कर रहे थे, तो अंग्रेजी सरकार ने नियत की भीड़ पर गोलियाँ चलवा दी थीं। इस घटना को भारतीय इतिहास में जलियांवाला बाग हत्याकांड के नाम से जाना जाता है।

सम्बंधित लिंक्स:

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रौलट एक्ट क्या था इसका विरोध किसने किया?

महात्मा गाँधीजी ने व्यापक हड़ताल का आह्वान किया। रॉलेट एक्ट गांधीजी के द्वारा किया गया राष्ट्रीय स्तर का प्रथम आंदोलन था

रौलट एक्ट का विरोध कब हुआ?

जिसमें जनरल डायर ने लोगों पर गोलियां बरसा दीं। इस घटना को ब्रिटिश भारतीय इतिहास का सबसे काला दिन माना जाता है। आज जलियांवाला बाग हत्याकांड को 100 साल पूरे हो गए हैं। 13 अप्रैल, 1919 को अमृतसर के जलियांवाला बाग में रोलेट एक्ट के विरोध में हजारों लोग एकत्र हुए थे।

रोलेट एक्ट को काला कानून क्यों कहा जाता है?

रौलट एक्ट को काला कानून भी कहा जाता है। यह कानून तत्कालीन ब्रिटिश सरकार द्वारा भारत में उभर रहे राष्ट्रीय आंदोलन को कुचलने के लिए बनाया गया था। इस कानून के तहत ब्रिटिश सरकार को ये अधिकार प्राप्त हो गया था, कि वह किसी भी भारतीय पर अदालत में बिना मुकदमा चलाए, उसे जेल में बंद कर सकती थी।

रौलट एक्ट का पूरा नाम क्या है?

रौलट एक्ट का पूरा नाम क्या है? रॉलेट एक्ट का आधिकारिक नाम अराजकता और क्रांतिकारी अपराध अधिनियम 1919 ( Anarchical and Revolutionary Crimes Act of 1919 ) था।