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पाठ का सारांशरधिया बाबूजी के घर काम करती थी। उसकी दोनों बेटियाँ रम्मो और कल्लो कभी-कभी उसके साथ बाबूजी के घर काम पर आ जाया करती थीं। वे बाबूजी के घर मन लगाकर काम किया करती थीं। एक दिन बाबूजी के मन में रम्मो और कल्लो के प्रति अपनी पुत्रियों का भान हुआ और उन्होंने रधिया से उन्हें पढ़ाने की बात कही। समझाइश के बाद रधिया और उसका पति कन्हैयालाल मान गए। बाबूजी ने उन्हें पहले घर पर ही दोपहर में पढ़ाया। बाद में उन्हें विद्यालय में दाखिला दिला दिया। वे दोनों बहनें बड़ी होनहार थी। उन्होंने अच्छे अंकों से सारी कक्षाओं को पास कर लिया। आगे की पढ़ाई के लिए बाबूजी ने उनकी मदद करते हुए शिक्षक प्रशिक्षण विद्यालय में प्रवेश दिलवा दिया। उन्होंने अपनी लगन और मेहनत से प्रशिक्षण पूरा कर लिया और उन्हें दीदी (शिक्षिका) की नौकरी भी मिल गई। एक दिन ऐसा भी आया जब बाबूजी को एक डाक मिली जिसमें रमावती और कलावती (रम्मो और कल्लो) के विवाह का निमंत्रण मिला। बाबूजी परिवार सहित विवाह समारोह में सम्मिलित हुए और उन्हें खूब आशीर्वाद दिया। कक्षा 5 हिन्दी के इन 👇 पाठों को भी पढ़ें। सम्पूर्ण पाठरधिया हमारे घर की सफ़ाई करती थी। कभी वह सफ़ाई करने आती तो कभी उसकी दोनों लड़कियों में से कोई एक। एक का नाम था रम्मो और दूसरी का नाम था कल्लो। कभी-कभी वे दोनों साथ भी आ जातीं। वे तीनों सफ़ाई का काम बड़ी लगन से करती थीं। ऐसा लगता था कि वे हमारे घर को अपना घर मानकर सफ़ाई करती हैं। बच्चों में भी उनके प्रति अपनापन था। वे रधिया को आन्टी कहते थे और रम्मो और कल्लो को दीदी। रम्मो की उम्र चौदह वर्ष थी और कल्लो की बारह वर्ष। पढ़ाई-लिखाई उन्होंने बिल्कुल
नहीं की थी बस माँ को काम में सहायता करतीं और अपने घर का काम-काज करतीं। एक दिन सफ़ाई करने दोनों बहनें आईं। मुझे उनमें अपनी पुत्रियों का भास हुआ। सोचने लगा कि क्या इनका सारा जीवन यों ही व्यतीत होगा ? क्या ये पढ़-लिख नहीं सकतीं? "नहीं बाबूजी, हमारे परिवार में लड़कियों को पढ़ने कोई नहीं भेजता। हाँ, लड़के ज़रूर थोड़ा-बहुत पढ़ लेते हैं।" "क्या मैं तुम्हारी माँ से इस बारे में बात करूँ?" कक्षा 5 हिन्दी के इन 👇 पाठों को भी पढ़ें। "यही काम करना है। तुम्हारा मतलब गुज़ारे के लिए पैसा कमाना है। सो पढ़-लिखकर पैसा कमाने के लिये ये कुछ और
भी काम कर सकेंगी। फिर यह काम करने की क्या ज़रूरत है ?" "अच्छा, ऐसा करो कि रविवार के दिन काम से निपटकर तुम दोनों मेरे पास आओ तो बैठ कर बातचीत करेंगे।" "क्या करेंगी ये विद्यालय जाकर, मुझे इनके विद्यालय जाने से काम की कठिनाई होगी। मैं आधा काम कर पाऊँगी। मेरी आमदनी आधी रह जाएगी और मेरे घर भी छूट जाएँगे। फिर, इतनी बड़ी लड़कियों को विद्यालय में जगह कौन देगा ? इनके लिए तो काला अक्षर भैंस बराबर है।" “रधिया, तुम्हारी दोनों कठिनाइयाँ दूर हो जाएँगी। अभी वर्ष भर इन्हें मैं पढ़ाऊँगा। ये काम करके दोपहर के बाद मेरे पास आ जाया करेंगीं। ये मेरी बेटियों की तरह हैं। जैसे तुम हमारे घर की सफ़ाई मन लगाकर करती हो, वैसे मैं इन्हें पढ़ाऊँगा और तुमसे कुछ नहीं लूँगा। इनकी किताबों और कापियों पर जो खर्च होगा वह मैं करूंगा। सुबह को ये तुम्हारे साथ काम करेंगी और दोपहर बाद मेरे पास पढ़ने आएँगी।" रधिया में आत्मविश्वास आया। रम्मो और कल्लो में अच्छी तरह जीवन-यापन की इच्छा ने जन्म लिया। रधिया ने अपने पति से अनुमति लेकर रम्मो और कल्लो को पढ़ने के लिये मेरे पास भेजना प्रारंभ कर दिया। सुबह को वे माँ के काम में सहायता करतीं और दोपहर बाद मेरे पास पढ़ने आतीं। मैंने उन्हें समझाया तुम उन बच्चों से अच्छे हो जो केवल पढ़ते हैं और माता-पिता के काम में सहायता नहीं करते। जिस लगन से तुम घरों की सफाई करती हो वैसी ही लगन से अपनी पढ़ाई करो। इन प्रकरणों 👇 के बारे में भी जानें। वे दोनों मेरे पास वर्ष भर पढ़ने आती रहीं। उन्होंने बहुत लगन से पढ़ाई की और एक ही वर्ष में कक्षा आठ के स्तर तक पहुँच गई। मैंने उनसे कक्षा आठ की परीक्षा दिलवाई। दोनों परीक्षा में उत्तीर्ण हो गईं। रम्मो ने प्रथम श्रेणी के अंक प्राप्त किए और कल्लो द्वितीय श्रेणी के अंकों से उत्तीर्ण हुई। अब उनकी पढ़ाई करने की इच्छा और तीव्र हो गई। उन्होंने उसी विद्यालय में कक्षा नौ में प्रवेश लिया। रम्मो को सौ रूपये महीने की छात्रवृत्रि भी मिल गई। सौ रूपये मासिक पर रधिया ने अपनी एक सहायक रख ली और रम्मो और कल्लो को नियमित रूप में विद्यालय भेजना प्रारम्भ कर दिया। रम्मो और कल्लो ने उसी विद्यालय में पढ़कर अगले वर्ष बोर्ड की कक्षा दस की परीक्षा पास कर ली – रम्मो ने प्रथम श्रेणी में और कल्लो ने द्वितीय श्रेणी में, पर कल्लो ने रम्मो से खेल में बाजी मार ली थी। विद्यालय की अध्यापिकाएँ उन्हें प्यार करती थीं। बहुत सी लड़कियाँ उनकी सहेलियाँ बन गई थीं। तीज-त्यौहार पर वे एक दूसरे के घर भी आती-जाती थीं। रधिया और उसके पति कन्हैया पुत्रियों के उत्तीर्ण होने पर खुशी से फूले नहीं समाए। वे सब मिठाई लेकर आए और दोनों परिवारों ने साथ-साथ मिठाई खाई। कन्हैया ने मेरे पैर छुए और बोला -'बाबू जी, ये लड़कियाँ आपकी हैं। अब बताइए, इन्हें आगे क्या कराना है?" मैंने उन्हें रम्मो और कल्लो को अध्यापिका बनाने की सलाह दी। वे मान गए। समय आने पर मैंने रम्मो और कल्लो के प्रार्थना पत्र शिक्षक प्रशिक्षण विद्यालय में दिलवा दिए। थोड़ा-सा प्रयास करना पड़ा, पर दोनों को वहाँ प्रवेश मिल गया, रम्मो को परीक्षाफल के आधार पर और कल्लो को परीक्षाफल और खेलों के प्रमाण-पत्रों के आधार पर। यह प्रशिक्षण दो वर्ष का था। वे उसमें इतनी व्यस्त हो गईं कि उसके बाद उनसे मेरी भेंट नहीं हुई। यदा-कदा रधिया से उनके बारे में पूछ लेता था। रधिया यही कहती-"बाबूजी, आपने उनका जीवन ही बदल दिया। अब इनकी शादी आप ही करना।" मैं उसे तसल्ली देता रहता और कहता– "रधिया, तुमने उनका जीवन बदला है, मैंने नहीं।" रम्मो और कल्लो ने प्रशिक्षण समाप्त कर लिया। उन्हें नौकरी भी जल्दी मिल गई और वे दीदी बन गई। कक्षा 5 हिन्दी के इन 👇 पाठों को भी पढ़ें। लेखक परिचय – डॉ. कृष्णगोपाल रस्तोगीडॉ. कृष्णगोपाल रस्तोगी का जन्म 01 जुलाई 1928 बदायूँ (उ.प्र.) में हुआ। आपने भाषा विज्ञान, मनोभाषा विज्ञान, हिन्दी व्याकरण आदि विषयों पर शोधपरक कार्य किया है, आपके अनेक कहानी संग्रह तथा अनेक शोध प्रपत्र तथा लेख प्रकाशित हो चुके हैं। हिन्दी व्याकरण पर अनेक पुस्तकों का प्रणयन आपने किया है आपका हिन्दी के अलावा अंग्रेजी व तमिल भाषा पर भी समान अधिकार है। अभ्यास बोध प्रश्न1. निम्नलिखित शब्दों के अर्थ शब्दकोश से खोजकर लिखिए– 2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए– (ख) रम्मो और कल्लो ने पढ़ाई-लिखाई क्यों नहीं की थी ? (ग) बाबूजी दोनों बहनों को क्यों पढ़ाना चाहते थे ? (घ) रधिया लड़कियों को क्यों नहीं पढ़ाना चाहती थी? (ङ) बाबू जी ने लड़कियों को पढ़ाने-लिखाने में किस प्रकार सहायता की? इन प्रकरणों 👇 के बारे में भी जानें। (च) रम्मो और कल्लो को शिक्षक प्रशिक्षण संस्था में किस आधार पर प्रवेश मिला? (छ) पढ़ाई करते हुए भी हम घर के कामों में किस प्रकार मदद कर
सकते है ? (ज) बाबूजी ने दोनों लड़कियों का जीवन किस प्रकार बदल दिया? 3. निम्नलिखित कथन किसने किससे कहें हैं? 4. निम्नलिखित वाक्यों में रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए– इस पाठ के भाषा अध्ययन (व्याकरण) के लिए नीचे की लिंक पर क्लिक करें। इन प्रकरणों 👇 के बारे में भी जानें। आशा है, उपरोक्त जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी। I hope the above information will be useful and important. रम्मो और कल्लो को काम करते देखकर बाबूजी के मन में क्या विचार आया?" पर..."
रामू और कल्लू की पढ़ाई करने की इच्छा और तेज कैसे हो गई?दूसरी तरह की समस्या यह देखी जाती है कि कुछ लोग पढ़ाई तो गंभीरता के साथ करते हैं, पर वे पढ़ी हुई बातों को याद नहीं रख पाते.
प्रश्न 14 रधिया की दो कौन सी कठिनाइयाँ थीं?उसमें से १७,१०० हाइड्रो, ४६,१०० थर्मल और ३,२०० मैगावाट न्यूक्लियर जनरेशन है।
बाबू जी ने यह क्यों सोचा कि क्या राम और कल्लू का सारा जीवन यूंही व्यतीत होगा?यशोधर बाबू को यही बात बुरी लगती है।।
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