रोमन साम्राज्य का प्रमुख धर्म क्या है? - roman saamraajy ka pramukh dharm kya hai?

रोमन साम्राज्य का प्रमुख धर्म क्या है? - roman saamraajy ka pramukh dharm kya hai?

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रोमन साम्राज्य का प्रमुख धर्म क्या है? - roman saamraajy ka pramukh dharm kya hai?

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रोमन धर्म प्राचीन रोम नगर और इटली देश का सबसे मुख्य और राजधर्म था। रोमन धर्म सामी धर्म बिलकुल नहीं था। वो एक भारोपीय (हिन्द-यूरोपीय) धर्म था। ये एक मूर्तिपूजक और बहुदेवतावादी धर्म था। इसमें एक अदृश्य ईश्वर की अवधारणा नहीं थी। ईसाई धर्म के राजधर्म बनने के बाद ईसाइयों ने इसपर प्रतिबंध लगा दिया। इसके बाद ये लुप्त हो गया। इस धर्म के कई देवताओं के सम्तुल्य देवता प्राचीन यूनानी धर्म में, जर्मनिक धर्म और फ़ारसी धर्म में मिलते हैं।

देवता[स्रोत सम्पादित करें]

इस धर्म में कई देवता थे: जुपिटर (देवराज), बैक्कस, अपोलो, क्यूपिड, मार्स, मरक्युरी, प्लूटो, सैटर्न, वुल्कन, नेप्चून, मिथ्रास (मित्र), इत्यादि। रोमन देवताओं में बाद के रोमन सम्राट भी शामिल थे।

देवियाँ[स्रोत सम्पादित करें]

प्रमुख देवियाँ थीं जूनो, मिनर्वा, सिरीस, फ़्लोरा, फ़ोर्तूना, डायना, वीनस, इत्यादि।

पूजा[स्रोत सम्पादित करें]

पूजा मुख्यतः पशुबलि द्वारा होती थी (गाय, सांड, सूअर, भेड़, आदि)। इस धर्म में कुछ ख़ास आध्यात्मिकता नहीं थी।

इन्हें भी देखें[स्रोत सम्पादित करें]

सन्दर्भ[स्रोत सम्पादित करें]

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अपने महत्तम विस्तार पर 117 इस्वी में रोमन साम्राज्य

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रोमन साम्राज्य का उत्थान एवं पतन

रोमन साम्राज्य (27 ई.पू. –- 476 (पश्चिम); 1453 (पूर्व)) यूरोप के रोम नगर में केन्द्रित एक साम्राज्य था। इस साम्राज्य का विस्तार पूरे दक्षिणी यूरोप के अलावा उत्तरी अफ्रीका और अनातोलिया के क्षेत्र थे। फारसी साम्राज्य इसका प्रतिद्वंदी था जो फ़ुरात नदी के पूर्व में स्थित था। रोमन साम्राज्य में अलग-अलग स्थानों पर लातिनी और यूनानी भाषाएँ बोली जाती थी और सन् १३० में इसने ईसाई धर्म को राजधर्म घोषित कर दिया था।

यह विश्व के सबसे विशाल साम्राज्यों में से एक था। यूँ तो पाँचवी सदी के अन्त तक इस साम्राज्य का पतन हो गया था और इस्तांबुल (कॉन्स्टेन्टिनोपल) इसके पूर्वी शाखा की राजधानी बन गई थी पर सन् १४५३ में उस्मानों (ऑटोमन तुर्क) ने इसपर भी अधिकार कर लिया था। यह यूरोप के इतिहास और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण अंग है।

साम्राज्य निर्माण[संपादित करें]

रोमन साम्राज्य रोमन गणतंत्र का परवर्ती था। ऑक्टेवियन ने जूलियस सीज़र के सभी संतानों को मार दिया तथा इसके अलावा उसने मार्क एन्टोनी को भी हराया जिसके बाद मार्क ने खुदकुशी कर ली। इसके बाद ऑक्टेवियन को रोमन सीनेट ने ऑगस्टस का नाम दिया। वह ऑगस्टस सीज़र के नाम से सत्तारूढ़ हुआ। इसके बाद सीज़र नाम एक पारिवारिक उपनाम से बढ़कर एक पदवी स्वरूप नाम बन गया। इससे निकले शब्द ज़ार (रूस में) और कैज़र (जर्मन और तुर्क) आज भी विद्यमान हैं।

गृहयुद्धों के कारण रामन प्रातों (लीजन) की संख्या 50 से घटकर 28 तक आ गई थी। जिस प्रांत की वफ़ादारी पर शक था उन्हें साम्राज्य से सीधे निकाल दिया गया। डैन्यूब और एल्बे नदी पर अपनी सीमा को तय करने के लिए ऑक्टेवियन (ऑगस्टस) ने इल्लीरिया, मोएसिया, पैन्नोनिया और जर्मेनिया पर चढ़ाई के आदेश दिए। उसके प्रयासों से राइन और डैन्यूब नदियाँ उत्तर में उसके साम्राज्यों की सीमा बन गईं।

ऑगस्टस के बाद टाइबेरियस सत्तारूढ़ हुआ। वह जूलियस की तीसरी पत्नी की पहली शादी से हुआ पुत्र था। उसका शासन शांतिपूर्ण रहा। इसके बाद कैलिगुला आया जिसकी सन् 41 में हत्या कर दी गई। परिवार का एक मात्र वारिस क्लाउडियस शासक बना। सन् 43 में उसने ब्रिटेन (दक्षिणार्ध) को रोमन उपनिवेश बना दिया। इसके बाद नीरो का शासन आया जिसने सन 58-63 के बीच पार्थियनों (फारसी साम्राज्य) के साथ सफलता पूर्वक शांति समझौता कर लिया। वह रोम में लगी एक आग के कारण प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि सन् 64 में जब रोम आग में जल रहा था तो वह वंशी बजाने में व्यस्त था। सन् 68 में उसे आत्महत्या के लिए मजबूर होना पड़ा। सन् 68-69 तक रोम में अराजकता छाई रही और गृहयुद्ध हुए। सन् 69-96 तक फ्लाव वंश का शासन आया। पहले शासक वेस्पेसियन ने स्पेन में कई सुधार कार्यक्रम चलाए। उसने कोलोसियम (एम्फीथियेटरम् फ्लावियन) के निर्माण की आधारशिला भी रखी।

सन् 96-180 के काल को पाँच अच्छे सम्राटों का काल कहा जाता है। इस समय के राजाओं ने साम्राज्य में शांतिपूर्ण ढंग से शासन किया। पूर्व में पार्थियन साम्राज्य से भी शांतिपूर्ण सम्बन्ध रहे। हँलांकि फारसियों से अर्मेनिया तथा मेसोपोटामिया में उनके युद्ध हुए पर उनकी विजय और शांति समझौतों से साम्राज्य का विस्तार बना रहा। सन् 180 में कॉमोडोस जो मार्कस ऑरेलियस सा बेटा था शासक बना। उसका शासन पहले तो शांतिपूर्ण रहा पर बाद में उसके खिलाफ़ विद्रोह और हत्या के प्रयत्न हुए। इससे वह भयभीत और इसके कारम अत्याचारी बनता गया।

सेरेवन वंश के समय रोम के सभी प्रातवासियों को रोमन नागरिकता दे दी गई। सन् 235 तक यह वंश समाप्त हो गया। इसके बाद रोम के इतिहास में संकट का काल आया। पूरब में फारसी साम्राज्य शक्तिशाली होता जा रहा था। साम्राज्य के अन्दर भी गृहयुद्ध की सी स्थिति आ गई थी। सन् 305 में कॉन्स्टेंटाइन का शासन आया। इसी वंश के शासनकाल में रोमन साम्राज्य विभाजित हो गया। सन् 360 में इस साम्राज्य के पतन के बाद साम्राज्य धीरे धीरे कमजोर होता गया। पाँचवीं सदी तक साम्राज्य का पतन होने लगा और पूर्वी रोमन साम्राज्य पूर्व में सन् 1453 तक बना रहा।

शासक सूची[संपादित करें]

  • ऑगस्टस सीजर (27 ईसापूर्व - 14 इस्वी)
  • टाइबेरियस (14-37)
  • केलिगुला (37-41)
  • क्लॉडिअस (41-54)
  • नीरो (54-68)
  • फ़्लावी वंश (69-96)
  • नेर्वा (96-98)
  • ट्राजन (98-117)
  • हेद्रिअन (117-138)
  • एन्टोनियो पिएस
  • मार्कस ऑरेलियस (161-180)
  • कॉमोडोस (180-192)
  • सेवेरन वंश (193-235)
  • कॉन्सेन्टाइन वंश (305-363)
  • वेलेंटाइनियन वंश (363-392)
  • थियोडोसियन वंश (379-457)
  • पश्चिमी रोमन साम्राज्य का पतन - (395-476)
  • पूर्वी रोमन साम्राज्य (393- 1453)

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

  • पवित्र रोमन साम्राज्य
  • रोमन गणराज्य

रोमन साम्राज्य का धर्म क्या था?

लातिनी (जो रोम में बोली जाती थी) साम्राज्य की मुख्य भाषा थी। हालाँकि पूर्व में रहने वाले कई लोग यूनानी भाषा का ही प्रयोग करते रहे। रोम के लोगों में यूनानी संस्कृति के प्रति गहरा आदर-भाव था

रोमन साम्राज्य के प्रमुख देवी देवता कौन थे?

प्रमुख देवियाँ थीं जूनो, मिनर्वा, सिरीस, फ़्लोरा, फ़ोर्तूना, डायना, वीनस, इत्यादि।

रोमन लोगों द्वारा किसकी पूजा नहीं की जाती थी?

मेसोपोटामिया की खोज कब एवं किसके द्वारा की गई ?

रोम के राजा का नाम क्या था?

यह कहावत रोमन सम्राट नीरो के बारे में मशहूर है. नीरो पर रोम में आग लगवाने का आरोप भी लगाया जाता है और कहा जाता है कि उसने जानबूझकर ऐसा किया. नीरो को इतिहास के एक ऐसे क्रूर शासक के रूप में जाना जाता है, जिसने अपनी मां, सौतेले भाइयों और पत्नियों की हत्या कराई थी और अपने दरबार में मौजूद किन्नरों से शादियां की थी.