रिपोर्ताज का शाब्दिक अर्थ क्या है? - riportaaj ka shaabdik arth kya hai?

संस्मरण का शाब्दिक अर्थ होता है सम्यक् स्मरण, जिसके मूल में गम्भीर चिन्तन का भाव निहित होता है। मानव-जीवन की कटु, तिक्त एवं मधुर स्मृतियाँ अनुभूति और संवेदना का संसर्ग प्राप्त करके जब हृदय से निकलती हैं तब वे संस्मरण का रूप धारण कर लेती हैं।

रिपोतार्ज किसे कहते हैं? रिपोतार्ज का क्या अर्थ होता है रिपोतार्ज की क्या विशेषताएं होती हैं तो मित्रों आज की इस पोस्ट में हम लोग यही जानेंगे । आपको पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़ना है। तो मित्रो आपके भी मन में यह प्रश्न आया होगा कि आखिर रिपोतार्ज किसे कहते हैं। (What is repotarj in Hindi) जहां तक मुझे लगता है कि कई सारे लोगों को सही मायने में रिपोतार्ज का मतलब भी पता नहीं होगा।


अगर आप भी उन्हीं लोगों में से हैं जो कि रिपोतार्ज के बारे में जानना चाहते हैं कि रिपोतार्ज क्या है?  रिपोतार्ज का क्या अर्थ होता है? तो यह पोस्ट आपके लिए उपयोगी साबित होगी।


दोस्तों रिपोतार्ज शब्द से हम बचपन से ही वाकिफ होते हुए आ रहे हैं लेकिन अगर देखा जाए तो रिपोतार्ज किसे कहते हैं। यह बहुत कम लोगों को पता होगा तो आज मैंने सोचा कि मैं आपको इसी विषय पर जानकारी देती हूं। दोस्तों मैं nityastudypoint.com में आपका हार्दिक स्वागत करती हूं तो आइए अब हम रिपोतार्ज के बारे में जानते हैं।



रिपोतार्ज की परिभाषा


रिपोर्ट के कलात्मक तथा साहित्यिक रूप को रिपोतार्ज कहते हैं। वास्तव में रेखाचित्र की शैली में प्रभावोत्पादक ढंग से लिखे जाने में ही रिपोतार्ज की सार्थकता है। आंखों देखी और कानों सुनी घटनाओं पर भी रिपोतार्ज लिखा जा सकता है। कल्पना के आधार पर रिपोतार्ज नहीं लिखा जा सकता है।



रिपोतार्ज का अर्थ [Nitya Study Point]


जिस गद्द साहित्य में किसी घटना या घटनास्थल का आंखों देखा हाल जब साहित्यिक और कलात्मक ढंग से प्रस्तुत किया जाता है, तो उसे रिपोतार्ज कहते हैं।



रिपोतार्ज के जनक


हिंदी में रिपोर्ताज का जनक शिवदान सिंह चौहान को माना जाता है। 'लक्ष्मीपुरा' जो कि रुपाभ पत्रिका के दिसंबर 1938 में प्रकाशित हुआ था, हिंदी प्रथम रिपोतार्ज माना जाता है।



रिपोर्ताज लेखक का जन्म कब से माना जाता है? [Nitya Study Point]


इसका विकास सन 1936 ईस्वी के बाद दितीय विश्व युद्ध के समय पाश्चात्य प्रभाव से हुआ। जीवन की सूचनाओं की कलात्मक अभिव्यक्ति के लिए रिपोतार्ज का

रिपोर्ताज लेखक की वैयक्तिकता के साथ-साथ इसमें भावना एवं संवेदना का आवेश भी समन्वित होता है। लेखक घटना विशेष को लेखक अपनी मानसिकता से प्रदीप्त करके पुन: मूर्त रूप में इसका प्रस्तुतीकरण रिपोर्ताज का स्वाभाविक धर्म है। रिपोर्ट की साहित्यिकता उसे रिपोर्ताज का स्वरूप प्रदान करती है। 


रिपोर्ताज को अन्य अनेक नाम दिए गए हैं जिनमें रूपनिका, सूचनिका तथा वृत निदेशन आदि प्रमुख हैं किंतु प्रचलित एवं सर्वमान्य शब्द रिपोर्ताज है।

रिपोर्ताज शब्द का रिपोर्ट अंग्रेजी से कोई संबंध प्रतीत नहीं होता है क्योंकि रिपोर्ट का अर्थ किसी घटना आदि का वह विवरण है जो किसी अधिकारी को उनकी जानकारी के लिए दिया जाता है जिसे प्रतिवेदन कहते हैं। किसी संस्था आदि के कार्यों का विस्तृत विवरण कार्य विवरण किसी वस्तु या व्यक्ति के संबंध में जानने योग्य बातों का ब्यौरा रिपोर्ट का बहुवचन रिपोर्ट्स बनेगा रिपोर्ताज नहीं। इससे स्पष्ट हो जाता है कि रिपोर्ताज रिपोर्ट का हिंदी करण नहीं है। रिपोर्ट की संज्ञा रिपोर्टर होता जो प्रतिवेदन नहीं संवाददाता कहलाता है जिसका कार्य समाचार पत्रों में प्रकाशनार्थ घटनादि की सूचना देना होता है। महाभारत युद्ध के समय संजय धतराष्ट्र को आंखों देखा समाचार देता था धतराष्ट्र के साथ बैठे हुए। प्रथम विश्वयुद्ध के समय चर्चिल युद्ध की विभीषिका का संवाद दाता बना था। इसलिए यह कहना कि प्रथम विश्वयुद्ध के समय रिपोर्ताज का आविर्भाव हुआ सत्य नहीं है। आविर्भाव तो महाभारत काल में हो गया था। 


डॉ. हरदयाल का मानना है कि द्वितीय विश्व महायुद्ध के समय रिपोर्ताज का प्रचार प्रसार हुआ। डॉ. हरदयाल का कहना है-

 

"रिपोर्ताज का जन्म द्वितीय विश्वयुद्ध के समय हुआ जब साहित्यकारों ने युद्ध भूमि में राष्ट्रीयता और मानवीयता की भावना से लिया हुआ तथ्य, युद्ध भूमि के दश्यों और घटनाओं की रिपोर्ट समाचार पत्रों में दी। इन रिपोर्टों में व्यावसायिक संवाददाताओं की रिपोर्ट में स्वाभाविक भिन्नता आ गई थी यह भिन्नता इनकी साहित्यिकता कलात्मकता और उत्साह में थी जो युद्ध में विद्यमान था। इस प्रकार अनायास ही रिपोर्ताज का जन्म हो गया।"

 

महादेवी वर्मा का कहना है -

 

"रिपोर्ट या विवरण से संबंध रिपोर्ताज समाचार युग की देन है और उसका जन्म सैनिक की खाईयों में हुआ है।" रिपोर्ताज का विकास रूस में हुआ। द्वितीय विश्व युद्ध के समय इलिया एहरेन वर्ग को रिपोर्ताज लेखक के रूप में विशेष प्रसिद्धि मिली।

 

रिपोर्ताज शब्द का अर्थ 

  • रिपोर्ताज मूलतः फ्रेंच (फ्रांसीसी) भाषा का शब्द है। इसका अंग्रेजी पर्याय रिपोर्ट माना जाता है। रिपोर्ताज का अभिप्राय किसी घटना, खबर, आंखो देखा हाल का यथा तथ्य वर्णन है जिसमें संपूर्ण विवरण दश्यमान हो जाता है। जबकि वास्तविक घटना का यथातथ्य चित्र उपस्थित करना रिपोर्ट कहलाता है। हिंदुस्तानी में इसे रपट कहते हैं। इसका सीधा संबंध समाचार पत्र से होता है इसलिए तथ्य चयन पर विशेष महत्व दिया जाता है।


रिपोर्ताज की व्याख्या  

  • किसी विषय का आंखो देखा या कानों सुना वर्णन इतने कलात्मक, साहित्यिक और प्रभावोत्पादक ढंग से किया जाता है कि उसकी अमिट छाप हृदय पटल पर अंकित हो जाती है उसे रिपोर्ताज की संज्ञा दी जाती है। 


  • रिपोर्ताज लेखक की वैयक्तिकता के साथ-साथ इसमें भावना एवं संवेदना का आवेश भी समन्वित होता है। लेखक घटना विशेष को लेखक अपनी मानसिकता से प्रदीप्त करके पुनः मूर्त रूप में इसका प्रस्तुतीकरण रिपोर्ताज का स्वाभाविक धर्म है। रिपोर्ट की साहित्यिकता उसे रिपोर्ताज का स्वरूप प्रदान करती है। रिपोर्ताज को अन्य अनेक नाम दिए गए हैं जिनमें रूपनिका सूचनिका तथा वत निदेशन आदि प्रमुख हैं किंतु प्रचलित एवं सर्वमान्य शब्द रिपोर्ताज है।

 

रिपोर्ताज की परिभाषा 

डॉ. भगीरथ मिश्र ने रिपोर्ताज को परिभाषित करते हुए लिखा है-


 "किसी घटना या दश्य का अत्यंत विवरणपूर्ण सूक्ष्म, रोचक वर्णन इसमें इस प्रकार किया जाता है कि वह हमारी आंखों के सामने प्रत्यक्ष हो जाए और हम उससे प्रभावित हो उठें।"

 

कोई भी निबंध, कहानी, रेखाचित्र या संस्मरण पत्रकारिता से संपक्त होकर रिपोर्ताज का स्वरूप ग्रहण कर लेता है। साहित्यिकता इसका अनिवार्य तत्व है। रेखांकित एवं रिपोर्ट का समन्वित रूप रिपोर्ताज को जन्म देता है क्योंकि रेखाचित्र साहित्यिक विधा है।

 

रिपोर्ताज का विवेचन करते हुए शिवदान सिंह चौहान ने लिखा है - 


"आधुनिक जीवन की द्रुतगामी वास्तविकता में हस्तक्षेप करने के लिए मनुष्य को नई साहित्यिक रूप विधा को जनम देना पड़ा। 

रिपोर्ताज शब्द का अर्थ क्या है?

रिपोर्ट किसी घटना के यथातथ्य वर्णन को कहते हैं। रिपोर्ट सामान्य रूप से समाचारपत्र के लिये लिखी जाती है और उसमें साहित्यिकता नहीं होती है। रिपोर्ट के कलात्मक तथा साहित्यिक रूप को रिपोर्ताज कहते हैं। वास्तव में रेखाचित्र की शैली में प्रभावोत्पादक ढंग से लिखे जाने में ही रिपोर्ताज की सार्थकता है।

रिपोर्ताज शब्द की उत्पत्ति कैसे हुई?

इस शब्द का उद्भव प्रफांसीसी भाषा से माना जाता है। इस विधा को हम गद्य विधाओं में सबसे नया कह सकते हैं। द्वितीय विश्वयुद्ध के समय यूरोप के रचनाकारों ने युद्ध के मोर्चे से साहित्यिक रिपोर्ट तैयार की। इन रिपोर्टों को ही बाद में रिपोर्ताज कहा गया।

रिपोतार्ज की विशेषताएं क्या है?

(1) रिपोर्ताज हिन्दी की ही नहीं, पाश्चात्य साहित्य की भी नवीनतम विधा है। (2) इसका जन्म साहित्य और पत्रकारिता के संयोग से हुआ है। (3) रिपोर्ताज घटना का आँखों देखा हाल होता है। (4) इसमें कुछ घटनाओं के सूक्ष्म निरीक्षण के आधार पर मनोवैज्ञानिक विवेचन तथा विश्लेषण होता है।

रिपोर्ताज शब्द मूलतः कौन सी भाषा का शब्द है?

रिपोर्ताज गद्य-लेखन की एक विधा है। रिपोर्ताज फ्रांसीसी भाषा का शब्द है। रिपोर्ट अंग्रेजी भाषा का शब्द है।