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(आ) लिखिए : (a) जीवन यही है (b) मिलना वही है – शब्द संपदा प्रश्न 2. अभिव्यक्ति प्रश्न 3.
बल्कि उनका ३ दृढ़तापूर्वक सामना करके उसमें से अपना मार्ग प्रशस्त करना और ३ निरंतर आगे बढ़ते रहना चाहिए। एक दिन मंजिल अवश्य मिलेगी। जीवन संघर्ष कभी न खत्म होने वाला संग्राम है। इसका सामना करने का एकमात्र मार्ग है निरंतर चलते रहना और हर स्थिति में संघर्ष जारी रखना। (आ) ‘संघर्ष करने वाला ही जीवन का लक्ष्य प्राप्त करता है, इस विषय पर अपने विचार प्रकट कीजिए। पर ऐसे लोग इन रुकावटों से डरते नहीं, बल्कि हँसते-हँसते इनका सामना करते हैं। सामना करने में अनेक बार असफलता भी इनके हाथ लगती है। पर ये इससे हताश नहीं होते। ये फिर अपनी गलतियों को सुधारते हैं और नए सिरे से संघर्ष करने में जुट जाते हैं। परिस्थितियाँ कैसी भी हों, वे न झुकते हैं और न हताश होते हैं। उनके सामने सदा उनका लक्ष्य होता है। उसे प्राप्त करने के लिए वे निरंतर संघर्ष करते रहते हैं। ऐसे लोग अपनी निष्ठा और लगन के बल पर एक-न-एक दिन अवश्य सफल हो जाते हैं। वे संघर्ष के बल पर अपने जीवन का लक्ष्य प्राप्त करके रहते हैं। रसास्वादन प्रश्न 4. कवि पानी-सी बहने वाली सीधी-सादी जिंदगी का विरोध करते हुए संघर्षपूर्ण जीवन जीने की बात करते हैं। वे कहते हैं, जो जहाँ भी हो, उसे संघर्ष करते रहना चाहिए। संघर्ष में मिली असफलता से निराश होने की आवश्यकता नहीं है। ऐसी हालत में हमें किसी के सहयोग की आशा नहीं करनी। हमें अपने आप में खुद हिम्मत लानी होगी और अपनी क्षमता को पहचानकर नए सिरे से संघर्ष करना होगा। मन में यह विश्वास रखकर काम करना होगा कि हर राही को भटकने के बाद दिशा मिलती ही है और उसका प्रयास व्यर्थ नहीं जाएगा। उसे भी दिशा मिलकर रहेगी। कवि ने सीधे-सादे शब्दों में प्रभावशाली ढंग से अपनी बात कही है। अपनी बात कहने के लिए उन्होंने ‘अपने नयन का नीर पोंछने’ शब्द समूह के द्वारा हताशा से अपने आपको उबार कर स्वयं में नई शक्ति पैदा करने तथा ‘आकाश सुख देगा नहीं, धरती पसीजी है नहीं’ से यह कहने का प्रयास किया है कि भगवान तुम्हारी सहायता के लिए नहीं आने वाले हैं और धरती के लोग तुम्हारे दुख से द्रवित नहीं होने वाले हैं। इसलिए तुम स्वयं अपने आप को सांत्वना दो और नए जोश के साथ आगे बढ़ो। तुम अपने लक्ष्य पर पहुँचने में अवश्य कामयाब होंगे। साहित्य संबंधी सामान्य ज्ञान प्रश्न 5. प्रश्न 6. (1) बहुत चेष्टा करने पर भी हरिण न आया। (2) सिद्धहस्त लेखिका बनना ही उनका एकमात्र सपना था।
(3) तुम एक समझदार लड़की हो। (4) मैं पहली बार वृद्धाश्रम में मौसी से मिलने आया था। (5) तुम्हारे जैसा पुत्र भगवान सब को दे। (6) साधु की विद्वत्ता की धाक दूर-दूर तक फैल गई थी। (7) बूढ़े मर गए। (8) वह एक दस वर्ष का बच्चा छोड़ा गया। (9) तुम्हारा मौसेरा भाई माफी माँगने पहुंचा था। (10) एक अच्छी सहेली के नाते तुम उसकी पारिवारिक पृष्ठभूमि का अध्ययन करो। Hindi Yuvakbharati 12th Digest Chapter 3 सच हम नहीं; सच तुम नहीं Additional Important Questions and Answers कृतिपत्रिका के प्रश्न 2 (अ) तथा प्रश्न 2 (आ) के लिए प्रश्न. निम्नलिखितपद्यांशपढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए : कृति 1 : (आकलन) प्रश्न 1. उत्तर :
प्रश्न 2. प्रश्न 3. पदयांश क्र. 2 कृति 1 : (आकलन) प्रश्न 1. कृति 2 : (शब्द संपदा) प्रश्न 1.
(2) निम्नलिखित शब्दों के विरुद्धार्थी शब्द लिखिए : रसास्वादन मुद्दों के आधार पर प्रश्न 1. इन पंक्तियों में अपनी समस्याओं को पहचानने और उनका समाधान ढूँढ़ने के लिए बिना किसी की सहायता की उम्मीद किए स्वयं कमर कस कर तैयार होने की प्रेरणा मिलती है। (8) कविता पसंद आने का कारण : कवि ने इस पंक्ति में यह बताया है कि संघर्ष में असफलता हाथ लगे, तो भी निराश होने की जरूरत नहीं है। हमें अपने आप अपनी आँखों के आँसू पौंछकर फिर से हिम्मत के साथ संघर्ष में जुट जाना है। सच हम नहीं सच तुम नहीं इस कविता के कवि का नाम क्या है?संदर्भ -प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ सच हम नहीं सच तुम नहीं कविता से ली गयी है। इसके लेखक डॉ. जगदीश गुप्त जी है। सच हम नहीं- है जीवन वही।
सच हम नहीं सच तुम नहीं सच है महज संघर्ष ही संघर्ष से हटकर जिए तो क्या जिए हम या कि तुम?सच है सतत संघर्ष ही। संघर्ष से हटकर जिए तो क्या जिए हम या कि तुम। जो #नत हुआ वह मृत हुआ ज्यों वृन्त से झरकर कुसुम। जिसने मरण को भी लिया हो जीत है जीवन वही।
सच हम नहीं सच तुम नहीं कविता में हर एक राही को कैसे दिशा मिलती है?हए एक राही को भटककर ही दिशा मिलती रही। सच हम नहीं, सच तुम नहीं। बेकार है मुस्कान से ढकना हृदय की खिन्नता। आदर्श हो सकती नहीं तन और मन की भिन्नता।
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