सामाजिक परिवर्तन का अर्थ (samajik parivartan kya hai)Samajik parivartan arth paribhasha visheshta karan;सामाजिक परिवर्तन मे दो शब्द है-- प्रथम सामाजिक और दूसरा परिवर्तन। सामाजिक शब्द से आशय है-- समाज से सम्बंधित। मैकाइवर ने समाज को सामाजिक सम्बंधों का जाल बताया है। Show
परिवर्तन शब्द का प्रयोग हम बहुधा करते है, किन्तु उसके अर्थ के प्रति बहुत सचेत नही होते। परिवर्तन का अर्थ है किसी वस्तु, चाहे वह भौतिक हो अथवा अभौतिक, मे समय के साथ भिन्नता उत्पन्न होना। भिन्नता वस्तु के बाहरी स्वरूप मे हो सकती है अथवा उसके आन्तरिक संगठन, बनावट या गुण मे। परिवर्तन प्रकृति का नियम है। यह सर्वकालीन एवं सर्वव्यापी है। यह भौतिक एवं जैविक जगत मे हो सकता है अथवा सामाजिक एवं सांस्कृतिक जगत में। सामाजिक परिवर्तन के सम्बन्ध मे लैंडिस का कहना हैं कि " निश्चित अर्थों मे सामाजिक परिवर्तन से आश्य केवल उन परिवर्तनों से है जो समाज मे अर्थात् सामाजिक संबंधों के ढांचे और प्रकार्यों मे होते है। किंग्सले डेविस ने भी सामाजिक परिवर्तन को सामाजिक संगठन अर्थात् सामाजिक संरचना एवं प्रकार्यों मे परिवर्तन के रूप मे स्पष्ट किया है। सामाजिक परिवर्तन की परिभाषा (samajik parivartan ki paribhasha)जाॅनसन के अनुसार " अपने मौलिक अर्थ मे, सामाजिक परिवर्तन का तात्पर्य होता है सामाजिक संरचना मे परिवर्तन।" डेविस के अनुसार," सामाजिक परिवर्तन से हम केवल उन्ही परिवर्तनों को समझते है, जो सामाजिक संगठन अर्थात समाज की संरचना और कार्यों से घटित होता है।" गिनसबर्ग के अनुसार," सामाजिक परिवर्तन से मैं सामाजिक संरचना मे परिवर्तन समझता हूं।" गर्थ तथा मिल्स के अनुसार," सामाजिक परिवर्तन के द्वारा हम उसे संकेत कहते है, जो समय के कार्यों, संस्थाओं अथवा उन व्यवस्थाओं मे होता है जो 'सामाजिक संरचना एवं उत्पत्ति' विकास एवं पतन से संबंधित होता है।" डासन और गेटिस के अनुसार," सांस्कृतिक परिवर्तन सामाजिक परिवर्तन है, क्योंकि समस्त संस्कृति, अपनी उत्पत्ति, अर्थ और प्रयोग मे सामाजिक है।" मैकाइवर और पेज के अनुसार," समाजशास्त्री होने के नाते हमारी विशेष रूचि प्रत्येक रूप मे सामाजिक संबंध से है। केवल इन सामाजिक संबंधों मे होने वाले परिवर्तन को सामाजिक परिवर्तन कहते है।" डाॅसन व गेटिस के अनुसार," सांस्कृतिक परिवर्तन सामाजिक परिवर्तन है, क्योंकि समस्त संस्कृति अपनी उत्पत्ति, अर्थ और प्रयोगों मे सामाजिक है।" स्पेन्सर के अनुसार," सामाजिक परिवर्तन सामाजिक विकास है।" बी. कुप्पुस्वामी के अनुसार," सामाजिक परिवर्तन सामाजिक संरचना तथा सामाजिक व्यवहार मे परिवर्तन है।" उपरोक्त सभी परिभाषाओं से स्पष्ट होता है कि सामाजिक परिवर्तन का क्षेत्र बहुत व्यापक है। समाज मे हमारे सभी व्यवहार किसी-न-किसी सामाजिक नियम से प्रभावित होते हैं हम अपने सामाजिक मूल्यों के अनुसार कुछ चीजों को अच्छा समझते हैं और कुछ को बुरा विभिन्न आयु, लिंग, नातेदारी और प्रतिष्ठा वाले व्यक्तियों से हमारे संबंध अलग-अलग तरह के होते हैं। इस प्रकार जब कभी भी इन सामाजिक नियमों, मूल्यों अथवा सामाजिक संबंधों मे परिवर्तन के तत्व स्पष्ट होने लगते हैं, तब सामाजिक व्यवस्था का रूप भी बदलने लगता हैं। परिवर्तन की इसी दशा को हम सामाजिक परिवर्तन कहते हैं। सामाजिक परिवर्तन की विशेषताएं (samajik parivartan ki visheshta)सामाजिक परिवर्तन की विशेषताएं या लक्षण इस प्रकार है-- 1. परिवर्तन-सामज का एक मौलिक तत्व है 8. सामाजिक परिवर्तन एक सामुदायिक घटना है सामाजिक परिवर्तन का संबंध किसी व्यक्ति विशेष अथवा समूह विशेष के जीवन मे होने वाले परिवर्तनों से नही है। सामाजिक परिवर्तन का संबंध पूरे समुदाय से होता है। इस प्रकार सामाजिक परिवर्तन की अवधारण सामाजिक है व्यक्तिगत नही। 9. सामाजिक परिवर्तन एक जटिल तथ्य है सामाजिक परिवर्तन की प्रकृति गुणात्मक होती है। इसकी माप संभव नही है। अतः यह एक जटिल तथ्य है। किसी भी संस्कृति मे होने वाले परिवर्तनों को नाप-तौल नही सकते। अतः ऐसे परिवर्तनों को सरलतापूर्वक समझ नही सकते। सामाजिक परिवर्तन के कारक या कारण (samajik parivartan ke karak)samajik parivartan ke karan;समाज मे परिवर्तन क्यों होता है? यह एक ऐसा प्रश्न है जिस पर विद्वन युगों से विचार करते आए है। आज भी अनेक समाज वैज्ञानिक अध्ययन प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से सामाजिक परिवर्तन के कारण के अध्ययन से ही सम्बंधित है। 7. राजनैतिक कारक ये सभी सामाजिक परिवर्तन के लिए उत्तरदायी है-- द्वितीय महायुद्ध, हिटलर के अधिनायकवाद, बंग्लादेश की समस्या, भारत का विभाजन, कश्मीर समस्या आदि ने विभिन्न सामाजिक परिवर्तनों को जन्म दिया। सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रियाएंसामाजिक परिवर्तन की कुछ प्रक्रियाएं निम्नलिखित होती हैं-- 1. क्रांति के रूप में क्रांति सामाजिक परिवर्तन का चरम स्वरूप होता है जो आकस्मिक, तीव्र तथा व्यापक होता हैं, यह राजनीतिक संगठन से शुरू होकर संपूर्ण सामाजिक संरचना एवं संगठन को प्रभावित करता है जिससे समाज में तीव्र सामाजिक परिवर्तन होता हैं। 2. चक्रीय प्रक्रिया इस प्रक्रिया में जहाँ से परिवर्तन शुरू होता है वहीं पर पुनः आना होता है। जैसे-- ॠतुओं एवं मौसमों में परिवर्तन। इसी तरह सामाजिक परिवर्तन भी एक चक्र के रूप में होता हैं। 3. विकासवादी प्रक्रिया सामाजिक परिवर्तन की यह उद्विकासवादी या विकासवादी प्रक्रिया निरंतर क्रियाशील रहती हैं, जिससे समाज में निरंतर क्रमिक सामाजिक परिवर्तन होता हैं। इस प्रक्रिया में आंतरिक तथा अस्पष्ट तत्व धीरे-धीरे अपने आप में स्वतः स्पष्ट होते जाते हैं तथा परिवर्तन लाते जाते हैं। 4. अनुकूलन के रूप में अनुकूलन की प्रक्रिया के रूप में होने वाले सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रिया को समाज में समायोजन, अभियोजन, एकरूपता तथा सात्मीकरण के रूप में देखा जा सकता हैं। 5. प्रगति के रूप में प्रगतिरूपी परिवर्तन वह परिवर्तन है जो समाज के सामाजिक मूल्यों, उद्देश्यों, लक्ष्यों इच्छाओं के अनुसार होते हैं, तथा जिनमें समाज का कल्याण या भलाई होती हैं। वर्तमान समय में विज्ञान और प्रौद्योगिकी की उन्नति से समाज में प्रगति रूपी सामाजिक परिवर्तन अत्यधिक होता हैं। शायद यह जानकारी आपके के लिए बहुत ही उपयोगी सिद्ध होगी सामाजिक परिवर्तन क्या है इसकी विशेषता बताएं?सामाजिक परिवर्तन, समाज के आधारभूत परिवर्तनों पर प्रकाश डालने वाला एक विस्तृत एवं कठिन विषय है। इस प्रक्रिया में समाज की संरचना एवं कार्यप्रणाली का एक नया जन्म होता है। इसके अन्तर्गत मूलतः प्रस्थिति, वर्ग, स्तर तथा व्यवहार के अनेकानेक प्रतिमान बनते एवं बिगड़ते हैं। समाज गतिशील है और समय के साथ परिवर्तन अवश्यंभावी है।
सामाजिक संरचना से आप क्या समझते हैं इसकी विशेषताओं का वर्णन कीजिए?सामाजिक संरचना अमूर्त होती हैं अमूर्त का मतलब है कि जो जो मूर्त या आकार रूप में न हो,निराकार,देहरहित,निरवयव,अप्रत्यक्ष। सामाजिक संबंधों का आधार सामाजिक संस्थाएं,सामाजिक प्रतिमान तय करते हैं जो कि अमूर्त होते हैं। 2. सामाजिक संरचना बहुत उपसंरचनाओं से मिलकल बनती है जैसे की कुटुंब,नातेदार,संस्थाएं,समितियां,समूह वगैरह।
सामाजिक व्यवस्था की विशेषता क्या है?उद्देश्य सामाजिक संरचना का निर्माण करते हैं। सामाजिक व्यवस्था से संबंधित सामाजिक संरचना के सदस्यों से एक निश्चित कार्य को परस्पर क्रियाओं द्वारा पूर्ण करने की आशा की जाती है। सामाजिक व्यवस्था की प्रकृति मनुष्य की जरूरत, लक्ष्य एवम् परिणाम से निर्धारित होती है।
सामाजिक परिवर्तन क्या है इसके प्रमुख कारणों की व्याख्या कीजिए?समाज के अन्तर्गत विभिन्न सांस्कृतिक तत्व भी सामाजिक परिवर्तन के लिए उत्तरदायी हैं। संस्कृति के अन्तर्गत धर्म, विचार, नैतिक, विश्वास, आचार, प्रथाएँ, परम्पराएँ, लोकाचार एवं संस्थाओं को सम्मिलित किया जाता है। इन विभिन्न सांस्कृतिक तथ्यों में परिवर्तन होने के कारण सामाजिक परिवर्तन होता है।
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