UP Board Solutions for Class 12 Sahityik Hindi गद्य Chapter 2 भाग्य और पुरुषार्थ part of UP Board Solutions for Class 12 Sahityik Hindi. Here we have given UP Board Solutions for Class 12 Sahityik Hindi गद्य Chapter 2 भाग्य और पुरुषार्थ.
भाग्य और पुरुषार्थ – जीवन/साहित्यिक परिचय (2018, 17, 16, 14, 13, 12, 11) प्रश्न-पत्र में पाठ्य-पुस्तक में संकलित पाठों में से लेखकों के जीवन परिचय, कृतियाँ तथा भाषा-शैली से सम्बन्धित एक प्रश्न पूछा जाता हैं। इस प्रश्न में किन्हीं 4 लेखकों के नाम दिए जाएँगे, जिनमें से किसी एक लेखक के बारे में लिखना होगा। इस प्रश्न के लिए 4 अंक निर्धारित हैं। जीवन परिचय एवं साहित्यिक उपलब्धियाँ आरम्भ में इनका नाम आनन्दीलाल था, किन्तु जब जैन गुरुकुल में अध्ययन के लिए इनका नाम लिखवाया गया, तब इनका नाम जैनेन्द्र कुमार रख दिया गया। वर्ष 1912 में इन्होंने गुरुकुल छोड़ दिया। वर्ष 1919 में इन्होंने मैट्रिक की परीक्षा पंजाब से उत्तीर्ण की। इनकी उच्च शिक्षा ‘काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में हुई। वर्ष 1921 में इन्होंने विश्वविद्यालय की पढ़ाई छोड़ दी और असहयोग’ आन्दोलन में सक्रिय हो गए। वर्ष 1921 से वर्ष 1923 के बीच जैनेन्द्र जी ने अपनी माताजी की सहायता से व्यापार किया, जिसमें इन्हें सफलता भी मिली। वर्ष 1923 में ये नागपुर चले गए और यहाँ राजनैतिक पत्रों में संवाददाता के रूप में कार्य करने लगे। उसी वर्ष इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और तीन माह के बाद छोड़ा गया। दिल्ली लौटने पर इन्होंने व्यापार से स्वयं को अलग कर लिया और जीविकोपार्जन के लिए कलकत्ता (कोलकाता) चले गए। वहाँ से इन्हें निराश लौटना पड़ा। इसके बाद इन्होंने लेखन कार्य आरम्भ किया। इनकी पहली कहानी वर्ष 1928 में ‘खेल’ शीर्षक से “विशाल भारत में प्रकाशित हुई। वर्ष 1929 में इनका पहला उपन्यास ‘परख’ शीर्षक से प्रकाशित हुआ, जिस पर अकादमी’ ने पांच सौ रुपये का पुरस्कार प्रदान किया। 24 दिसम्बर, 1988 को इस महान साहित्यकार का स्वर्गवास हो गया। साहित्यिक सेवाएँ
भाग्य और पुरुषार्थ
भाषा-शैली हिन्दी साहित्य में स्थानी भाग्य और पुरुषार्थ – पाठ का सार परीक्षा में पाठ का सार’ से सम्बन्धित कोई प्रश्न नहीं पूछा जाता है। यह केवल विद्यार्थियों को पाठ समझाने के उद्देश्य से दिया गया है। प्रस्तुत निबन्ध ‘भाग्य और पुरुषार्थ जैनेन्द्र कुमार द्वारा रचित है, जिसमें इन्होंने भाग्य और पुरुषार्थ के महत्त्व को व्याख्यायित करते हुए दोनों के बीच के सम्बन्ध को प्रकट करने का प्रयास किया है। शाश्वत एवं सर्वव्यापी : विधाता अतः भाग्य तो विधाता का दूसरा नाम है। विधाता की कृपा को पहचानना ही भाग्योदय है। मनुष्य का सारा पुरुषार्थ विधाता की कृपा प्राप्त करने तथा पहचानने में ही है। विधाता की कृपा प्राप्त होते ही मनुष्य के अन्दर जो अहंकार का भाव विद्यमान होता है, वह मिट जाता है और उसका भाग्योदय हो जाता है। अहं से विमुक्त होकर, भाग्य से संयुक्त होना लेखक का मानना है कि पुरुषार्थ का अर्थ-पशु चेष्टा से मिन्न एवं श्रेष्ठ है। पुरुषार्थ केवल हाथ-पैर चलाना नहीं है और न ही वह क्रिया का वेग एवं कौशल है। पुरुष का भाग्य देवताओं को भी पता नहीं होता है, क्योंकि पुरुष का भाग्य तो उसके पुरुषार्थ से निर्धारित होता है। लेखक का मानना है कि पुरुष अपने भाग्य से तभी जुड़ता है, जब वह अपने अहं को त्याग देता है। लेखक के अनुसार, अकर्म का आशय सही अर्थों में निम्न स्तर का कर्म है। अकर्म का अर्थ ‘कर्म नहीं’ से नहीं लेना चाहिए। इसे ‘कर्म के अभाव’ से न जोड़ते हुए कर्तव्य के क्षय यानी कर्तव्य की स्थिति में पतन, किए जाने वाले कर्म में गिरावट, उसमें क्षय या पतन से सम्बन्धित मानना चाहिए। वास्तव में व्यक्ति के अन्दर मौजूद अहं भाव ही इस अकर्म के लिए उत्तरदायी होता है। अतः आवश्यक है कि व्यक्ति अपने अहं को समाप्त करे, जिससे उसके कर्तव्य के स्तर में सकारात्मक परिवर्तन आए। भाग्य की प्रवृत्ति व निवृत्ति का चक्र वह कुछ वर्षों का जीवन व्यतीत कर काल का ग्रास बन जाता है, परन्तु सृष्टि तब भी चलती रहती है। मनुष्य प्रायः भाग्य की प्रतीक्षा में स्वयं कोसता है, क्योंकि वे इस बात से अनभिज्ञ होते हैं कि सामने आई स्थिति भी उसी (भाग्य) के प्रकाश से प्रकाशित होती है। उस प्रवृत्ति से वह रह-रहकर थक जाता है और निवृत्ति चाहता है। यह प्रवृत्ति और निवृत्ति का चक्र उसको द्वन्द्व से थका मारता है। वस्तुतः भाग्य एवं पुरुषार्थ दोनों का संयोग ही मनुष्य को सफलता की ऊँचाइयों तक पहुँचाने में सहायक होता है। गद्यांशों पर आधारित अर्थग्रहण सम्बन्धी प्रश्नोत्तर प्रश्न-पत्र में गद्य भाग से दो गद्यांश दिए जाएँगे, जिनमें से किसी एक पर आधारित 5 प्रश्नों (प्रत्येक 2 अंक) के उत्तर: देने होंगे। प्रश्न 1. उपर्युक्त गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर: दीजिए। (i) लेखक ने भाग्य को विधाता का दूसरा नाम क्यों बताया है? (ii) लेखक ने भाग्योदय की तुलना किससे की है और क्यों? (iii) लेखक के अनुसार भाग्योदय के लिए क्या आवश्यक होता है? (iv) व्यक्ति कब अपने स्वार्थों के वशीभूत हो जाते हैं? (v)
‘भाग्योदय’, ‘सूर्योदय’ में सन्धि-विच्छेद करते हुए सन्धि का नाम भी लिखिए। प्रश्न 2. उपर्युक्त गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर: दीजिए। (i) लेखक ने दुःख को ईश्वर का वरदान क्यों माना है? (ii) लेखक के अनुसार व्यक्ति के भाग्योदय का क्षण कौन-सा होता है? (iii)
लेखक के अनुसार पुरुषार्थ का क्या उद्देश्य होता हैं? (iv) प्रस्तुत गद्यांश में लेखक ने किस बात पर बल दिया है? (v) ‘प्रयत्न’, ‘सम्मुखता’ शब्दों के क्रमशः उपसर्ग एवं प्रत्यय अँटकर लिखिए। प्रश्न 3. निम्नलिखित अद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर: दीजिए। (i) प्रस्तुत गद्यांश में लेखक ने
किस बात पर प्रकाश डाला है? (ii) निरर्थक प्रयास करने वाले मनुष्य किस प्रकार भाग्य से उल्टे बने रहते हैं? (iii) लेखक के अनुसार मनुष्य कर्म के पश्चात् किस कारण अहंकार भाव से भर जाता है? (iv) लेखक के अनुसार व्यक्ति के भाग्योदय में बाधक तत्त्व क्या है? (v) उल्टे-सीधे’ शब्द का समास-विग्रह करके उसमें प्रयुक्त समास का भेद भी बताइए। प्रश्न 4. उपर्युक्त गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर: दीजिए। (i) प्रस्तुत मद्यांश किस पाठ से लिया गया है तथा इसके लेखक कौन हैं? (ii) पुरुषार्थ को भाग्य से अलग क्यों नहीं किया जा सकता है? (iii) पुरुषार्थ एवं बल में अन्तरे स्पष्ट कीजिए। (iv) पुरुषार्थ के लिए लेखक ने क्या आवश्यक माना हैं? (v) ‘हाथ-पैर’ का समास-विग्रह करके इसमें प्रयुक्त समास का भेद भी लिखिए। प्रश्न 5. उपर्युक्त गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर: दीजिए। (i) प्रवृत्ति-निवृत्ति के चक्र में फँसा मनुष्य क्यों थक जाता है? (ii) प्रेम और ईष्र्या की वासनाओं में पड़कर व्यक्ति की स्थिति कैसी हो जाती हैं? (iii) लेखक के अनुसार मनुष्य का सच्चा भाग्योदय कब सम्भव है? (iv) प्रवृत्ति’ व ‘राग’ शब्दों के क्रमशः विलोम शब्द लिखिए। (v) ‘राग-द्वेष’ का समास-विग्रह करके समास का भेद भी लिखिए। We hope the UP Board Solutions for Class 12 Sahityik Hindi गद्य Chapter 2 भाग्य और पुरुषार्थ help you. If you have any query regarding UP Board Solutions for Class 12 Sahityik Hindi गद्य Chapter 2 भाग्य और पुरुषार्थ, drop a comment below and we will get back to you at the earliest. |