सुनो घर है सैंया तुम्हारे बिना - suno ghar hai sainya tumhaare bina

हाय सर्दी जब सैंया पड़ जाए बीमार

मैंने अपने पति रोहन से कहा ..सुनो,सर्दी थोड़ी बढ़ गयी है कुछ गर्म कपडे ले जाओ शनिवार जब तुम लौटोगे तो और सर्दी हो जायेगी।मेरी बात को अनसुना करके रोहन ने मेरी ओर ऐसे देखा जैसे मैंने कोई अजीब बात कह दी हो लेकिन मुझे तो उनकी सेहत की फिक्र थी तो मैंने फिर अपनी बात दोराही सुनो सुबह का टाइम है बहार सर्दी है तो कुछ गर्म कपडा पहन लो कुछ नहीं तो स्वेट टी शर्ट ही पहन जाओ लेकिन मजाल क्या जो टस से मस हो जाये।निकल गए ऐसे ही बिना कुछ गर्म कपडे पहने।

अब मुझे दिन भर चैन कहा मैं दिनभर चिन्ता करती रही कि कही रोहन की तबियत ना बिगड़ जाये वहा कोई देख़ने वाला भी तो नहीं है एक नौकर है थोडा बहुत खाना बना लेता है पर घर जैसी बात कहा दरअसल रोहन की पोस्टिंग दूसरे शहर में है ।मैं बच्चों की वजह से यहां रहती हूँ क्योंकि बच्चे यहाँ पढ़ रहे है।एक नाइंथ और एक इलेवेंथ मे है।

          दिनभर ऑफिस के कामों मे  ये बिजी रहते है इसलिए शाम को ही हमारी बात होती है।शाम को मैं रोज इवनिंग वॉक के लिए जाती हूं वहां से लौटकर रोज इनसे फोन पर बात करती हूं। आज जब मैं  इवनिंग वॉक से वापस आई तो छोटी बिटिया ने मुझसे कहा मम्मी मेरी प्रोजेक्ट में थोड़ी मदद कर दीजिए  ।  मैं प्रोजेक्ट बनाने में उसकी मदद करने लगी इस बीच ही इनका फोन  आ गया ।

मैंने इनसे बोला क्या हुआ सब ठीक तो है । मैं बिटिया की प्रोजेक्ट बनाने में मदद कर रही थी इसलिए फोन नहीं कर पाई कुछ देर ऐसे ही इधर उधर  की बात करने लगे । मैंने फिर पूछा क्या बात है ?तुम्हारी तबीयत तो ठीक है। बोले कहां ठीक है मुझे सर्दी लग गई है उसकी वजह से फीवर हो गया है और पेट भी खराब हो गया ।मुझे मन ही मन  बहुत गुस्सा आया ।

           मैं गुस्से को शांत करते हुए बोली कुछ दवा वगैरा ली बोले हां  दवा तो ले ली है पर शरीर में बहुत थकान महसूस हो रही है। मैंने  धीरे से कहा मैंने आपको बोला था ना कि कुछ गरम कपड़ा पहन कर जाओ  । अब हो गए ना बीमार... हां यार क्या करूं अब लग रहा है तुम्हारी बात मान लेता ।हुआ ये कि जिस बस में  मैं गया था उसकी खिड़की में शीशा नहीं था तो लगता है हवा लग गई ।

        मैंने कहा कोई नहीं अब आराम करो और समय पर दवाई लेते रहना । ये बोले ठीक है।अगले दिन मैंने सुबह  पूछा कैसी तबियत है तुम्हारी ? बोले ठीक है कुछ आराम लग रहा है । मैंने पूछा कुछ खाया?? बोले हा चना खाया नाश्ते मे, मैंने अपना सिर पीट लिया और बोली अरे ! यार एक तरफ तुम्हारा पेट ख़राब है और तुमने चना खा लिया बोले अब मुझे क्या पता कि पेट खराब मे चना नहीं खाना चाइये।मैंने कहा कोई नहीं अब थोडा हल्का खाना खाना तो जल्दी सही हो जाओगे ।क्या मतलब है तुम्हारा ?हल्का खाने से ये बोले।

           मैंने कहा खिचड़ी ,केला,दलिया और हा ओ. आर. एस. का घोल पीना मत भूलना।बोले यार मुझे कौन बना कर देगा।मैं बोली खुद बना लेना ओ.आर.एस का घोल बहुत इजी है । ये बोले तुम्हारे बिना तो मुझे हर चीज़ कठिन लगती है ,सुनकर मैं मन ही मन बहुत खुश हो गयी।दो तीन दिन तो ऐसे ही निकल गए।मैंने कहा तबियत ठीक नहीं तो घर आ जाओ आराम मिलेगा तो जल्दी ठीक हो जाओगे।ये बोले ठीक है ।

         फ्राइडे को ये घर पर आ गए मैंने पूछा अब कैसी तबियत है? बोले ठीक है बहुत वीकनेस लग रही है सुनकर मुझे थोड़ी हसीं आ गयी मैंने बोला इतनी तबीयत खराब होने पर हम औरतें तो घर के सारे काम करती रहती है और तुम आदमी थोड़ी सी तबियत खराब होने पर पूरा घर सर पर उठा लेते हो

       ये बोले यार तुम औरतें बड़ी हिम्मत वाली होती हो ....सुनकर मैं मुस्कुरा दी क्योंकि मुझे पता था इनका बीमार होना मतलब मेरा बीमार हो जाना दोनों मे जमीन आसमान का फर्क हैं।जब भी ये बीमार होते है तो ऐसा लगता है जैसे घर मे कोई भूचाल आया है सारा घर सर पे उठा लेते है  । कभी कहेंगे मेरे यहाँ दर्द हो रहा है ,मेरा शरीर बहुत दुख रहा है ।मुझे खाने में कुछ अच्छा सा बना कर दे दो ।मेरे मुंह का टेस्ट बहुत बिगड़ रहा है ।बीमारी मे पूछेगे मैं नहा लूं ,या ना नहाहू, बिल्कुल छोटा बच्चा बन जाते है।पूरा दिन बेड पर ही टीवी  देखते हुए बिताते है लेकिन जैसे ही कोई दोस्त मिलने आ जाये तो फिर पूछो मत इनकी बीमारी छूमन्तर हो जाती है और जब मैं बीमार होती हूँ तो कहेंगे यार तुम बीमार मत हुआ करो । तुम्हारे बीमार हो जाने से सारा घर अस्तव्यस्त हो जाता है । ऐसा लगता है सारा घर बीमार हो गया।तुम कैसे सारा घर सभाल लेती हो ।एक साथ कई काम निबटा लेती हो । मुझसे नहीं होता । मैं तो  तुम्हारे बीमार होने पर एक दिन भी घर नहीं सभाल सकता।तुम औरतें तो फिजिकली और मेंटली बड़ी मजबूत होती हो ।

        अब इन पति महोदय को कौन समझाए कि जब हम औरतें बीमार होती है तो हम भीं चाहती हैं कि हम आराम करें ।हमारी भी कोई  केयर करें लेकिन हम औरतों के नसीब में भगवान शायद आराम लिखना ही भूल गया है क्योकि हम बीमारी में  भी अपने बच्चों को भूख से  बिलकता हुआ नहीं  देख  सकती हैं। बिखरा हुआ घर हमको पसंद नहीं आता ।पति का मायूस चेहरा हम देख नहीं पाती इसलिए बीमार होकर भी हम अपने को बीमार नहीं दिखाती जब तक की बेड पर ना पड़ जाए।

सखियों ,आपके पति जब भी बीमार होते है।तब उनके कैसे नख़रे होते है क्या वो भी बीमारी मे छोटे बच्चे बन जाते है या बीमारी मे पूरा घर सर पर उठा लेते है । आप जब खुद बीमार पड़ती हैं तब कैसा महशूस करती हैं ।आपके बीमार होने मे और आपके पति के बीमार होने मे क्या फर्क है।हमें अपने अनुभव जरूर बताये।आपके विचारों का तहेदिल से स्वागत है। धन्यबाद।

कॉपीराइट@..अनीता सिंह

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Published:Oct 22, 2020

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