सांप का जहर क्या करता है? - saamp ka jahar kya karata hai?

साँप Archived 2013-07-27 at the Wayback Machine का विष लार का एक अत्यधिक परिवर्धित रूप है[1] जो मुख्यतः प्रोटीन और पॉलीपेप्टाइड्स से निर्मित होता है। अधिकतर साँपों में यह विषदन्तों द्वारा उस जीवधारी के शरीर में पहुँचाया जाता है जिसे सांप काटता है, किन्तु सांपों की कुछ प्रजातियां इसे दूर से फूँकने में भी सक्षम होती हैं।[2]

इसका मुख्य कार्य शिकार को निष्क्रिय करना और उसके पाचन कार्य में सहायता करना है साथ ही यह सांप के लिये सुरक्षा और जीवन रक्षा का हथियार भी है।[2]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "Reptile Venom Research" [सरीसृप विष अनुसन्धान]. ऑस्ट्रेलियाई सरीसृप पार्क. मूल से 2 फ़रवरी 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 4 दिसंबर 2015.
  2. ↑ अ आ (संपादित) बाउष्ट, रोलांड (1994). Snakes: A Natural History [सांप: एक प्राकृतिक इतिहास]. न्यूयॉर्क: स्टर्लिंग प्रकाशन एंड कं. पपृ॰ 194–209. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 1-4027-3181-7.

Snake Venom : सांप का नाम लेते ही उसका खतरनाक जहर हमारे जेहन में आ जाता है. कई लोगों को तो सांप के नाम से भी डर लगता है. अन्य सीजन की तुलना में बरसात के सीजन में सांप अधिक निकलते हैं. वहीं, सांप काटने के मामले भी इस सीजन में अधिक देखने को मिलता है. आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत को 'सपेरों का देश' कहा जाता था, लेकिन अमेरिका में  सांप के डसने की घटना दुनिया में सबसे अधिक होती है. हालांकि अमेरिका में सही समय और बेहतर इलाज की वजह से मरने वालों की संख्या भारत की तुलना में कम है. 

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, दुनियाभर में हर साल सांप डसने की लगभग 50 लाख घटनाएं सामने आती हैं, जिसमें से 1 लाख से अधिक लोगों की मौतें हो जाती हैं. सांप का जहर लोगों के शरीर के लिए जितना घातक है, उतना ही लाभकारी भी माना जाता है. जी हां, सांप का जहर शरीर की कई बीमारियों को दूर करने के लिए प्रयोग में लाया जाता है. आइए जानते हैं इसके बारे में-

खेतों के लिए फायदेमंद है सांप 

खेत या बाग-बगीचों में सांप देखते ही आप डरकर भाग जाते होंगे, लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह बाग और खेतों के लिए काफी अच्छा माना जाता है. दरअसल, सांप खेत में मौजूद उन कीड़े मकोड़ों को खा जाते हैं, जो फसलों को नुकसान पहुंचा सकते हैं. इतना ही नहीं, सांप चूहों को भी खा जाते हैं. इससे फसल और अनाज की सुरक्षा होती है. साथ ही आपका फसल बर्बाद भी नहीं होता है. 

स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है सांप का जहर

अगर आप सांप के जहर से डरते हैं तो यह आपके लिए जानना जरूरी है कि सांप का जहर जहां लोगों की जान लेता है. वहीं, इसकी मदद से कई तरह की दवाओं का भी निर्माण किया जाता है. सांप के जहर के इस्तेमाल से एंटी-वेनम सीरम या एंटी-टॉक्सिन सीरम तैयार होता है. इसके अलावा दुनियाभर में सांप की कई वैरायटीज उपलब्ध हैं. इन अलग-अलग वैरायटीज के सांपों के जहर का इस्तेमाल अलग-अलग समस्याओं को दूर करने के लिए किया जाता है.

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सांप के जहर पर भारी पोलर की दवा

चाहे कोबरा ने काटा हो या करैत ने, जड़ी-बूटी का अर्क पिलाते ही उतरने लगता है जहर

भास्कर संवाददाता| गौरेला

चाहे कोबरा काटे या करैत, गेहुआ हो या काला डोमी या फिर कोई दूसरा जहरीला सांप, पोलर के पास इसकी कारगर दवा है जिसे वह जड़ी-बूटी का अर्क निकाल कर तैयार करता है। इससे मरीज का जहर उतरने लगता है। यही वजह है कि सांप काटने पर लोग पीड़ित को लेकर पोलर के पास पहुंचते हैं। जो पिछले पच्चीस साल से इसका नि:शुल्क इलाज करते हुए अब तक ढाई सौ से ज्यादा पीड़ितों को ठीक कर चुका है।

गौरेला जनपद क्षेत्र में ग्राम भदौरा के कटेराटोला के किसानी-मजदूरी करने वाले 58 वर्षीय पोलर सिंह राठौर ने सांप काटने की यह दवा अपने पिता तेरसु राठौर से नब्बे के दशक में सीखी थी। तब से वह इससे लोगों नि:शुल्क इलाज कर रहा है। पोलर ने बताया वह ऐसा परोपकार की नीयत से कर रहा है। उसने इस दवा की जानकारी 55 वर्षीय प|ी सोनकुंवर व 35 वर्षीय पुत्र जगदीश को भी सिर्फ इसलिए दे रखी है कि काेई भी मरीज घर से निराश न लौटे। इसलिए पोलर के नहीं रहने पर उसकी प|ी या उसका पुत्र मरीज का इलाज करते हैं। कई लोग व कुछ डॉक्टर उससे सांप काटने की इस दवा के बारे में पूछ चुके हैं। पर उसने इसलिए नहीं बताया कि वे इसका व्यवसायिक लाभ उठाएंगे।

पोलर ने बताया वह अब तक गौरेला, पेण्ड्रा, मरवाही सहित तरईगांव, झाबर, धनगांव, नेवरी, खोडरी, सधवानी, ललाती व आस-पास के गांवों के अलावा कोतमा के पड़ौर के सांप पीड़ितों का यहां या फिर उनके घर जाकर इलाज कर चुका है। उसका कहना है कि जिंदगी और मौत ऊपर वाले के हाथ में है। पर यह गारंटी है कि मेरी दवा पीने के बाद सांप का जहर उतर जाएगा।

उसने इलाज किए गए मरीजों के नाम-पते का कोई रजिस्टर नहीं बनाया है। यह जनसेवा का काम है इसलिए इस ओर कभी ध्यान नहीं दिया। साल भर पहले कोतमा के पड़ोर में तीन लोगों का इलाज किया था। इसके अलावा खोडरी के अालोक जैन के नौकर की बीबी, नेवरी परसवानी के सुंदर राठौर, ललाती के उपसरपंच सधवानी के देवराजपारा लिक्खी की प|ी संता की लड़की, मन्ना बढ़ाई, जोहन सधवानी के ही िबशंभर टोला के मैथिलीशरण बंसोड़ की प|ी ललिता आिद को सांप काटने पर वह ठीक कर चुका है। सांप काटने पर यदि मरीज को अस्पताल में भर्ती कराया गया है तो वह तकनीकी कारणों से वहां जाकर इलाज नहीं करता। इसके लिए मरीज को उसके घर लाना पड़ता है या फिर वह मरीज के घर जाता है। आस-पास के ग्रामीण अपने बैल-भैंस, बकरी को सांप काटने पर पोलर से ही इलाज कराते हैं।

नमक, मिर्च खिलाकर परखता है जहर का असर
सांप काटने पर इलाज के लिए आए मरीज काे दवा देने से पहले पोलर उसके जहर का असर परखने नमक-मिर्च खिलाता है। यदि मरीज को नमक-मिर्च के स्वाद पता चलता है तो वह मरीज पर जहर का असर कम होने का इंतजार करता है। स्वाद का पता नहीं चलने पर वह तत्काल दवा पिलाता है। यही प्रक्रिया दवा पिलाने के दो घंटे बाद फिर अपनाई जाती है। यदि मरीज को नमक-मिर्च का स्वाद पता चल गया तो समझो कि जहर पूरी तरह से उतर गया।

एेसे करता है इलाज
इलाज के लिए आए मरीज को जड़ी-बूटी से निकालकर बनाए गए अर्क की 10 एमएल मात्रा पिलाई जाती है। इनमें पांच एमएल मुंह से व पांच एमएल नाक के जरिए डाला जाता है। इसके लिए पोलर ने बाकायदा सीरिंज रखी है। अर्क पिलाने के कुछ देर बाद मरीज को उल्टी होने लगती है। यह रुक-रुककर तब तक होती है जब तक शरीर से पूरा जहर निकल नहीं जाता। उल्टी होती रहे इसलिए मरीज काे थोड़ा-थोड़ा कर डेढ़ से दो बाल्टी तक पानी पिलाया जाता है। जहर का असर खत्म होने के बाद करीब दो से तीन घंटे मरीज को बैठाकर रखा जाता है। उसे कनेर का फूल सुंघाया जाता है, जो मरीज के नाक व श्वांस नली से बची-खुची खरखराहट दूर करता है। इसके तीन घंटे बाद मरीज को खिचड़ी खिलाई जाती है। इस पूरी प्रक्रिया के दौरान मरीज सोने न पाए, इसका विशेष ध्यान रखा जाता है। इसी तरह जानवरों के इलाज के लिए पोलर के पास करीब एक फीट लंबा पाइप की तरह पोला बांस का टुकड़ा है। जिसे जानवर को उसके कद के हिसाब से पांच बार भरकर दवा पिलाई जाती है।

दिखाता है पर जड़ी का नाम नहीं बताता
वह कौन सी जड़ी है जिसका अर्क सांप के जहर का उतारने में इतना कारगर है। बार-बार पूछने पर पोलर जड़ी तो दिखा देता है पर उसका नाम नहीं बताता। पर इससे फायदा जरूर होता है।

केस-3
केस-2
केस-1
पिता भी करते थे इलाज
दवा पिलाकर ठीक किया
पोलर ने ठीक किया था
सधवानी के देवराजपारा में हड्‌डी व नसें बैठाने का काम करने वाले सुखीराम ने बताया दो माह पहले वह शाम को जमीन पर सोया था। इसी बीच काले डोमी ने उसे जांघ में काट लिया। वह भागा तो अंगूठे में काट लिया। घर वाले उसे फेलर के पास लाए। जहां उसकी दवा पीने के बाद वह ठीक हुआ था। तीन साल पहले भी मुझे सांप ने काटा था। उस समय भी फेलर ने ही ठीक किया था।

सधवानी के बिंसभर टोला के नर्मदा बसोड़ ने बताया कुछ दिन पहले रात में उनके भाई मैथलीशरण की प|ी ललिता को डंडा करैत ने काटा था। उसका इलाज फोलर ने किया था। दुखीराम को तेरसू ने पिलाई थी दवा सांप काटने पर लोगों को पोलर तो ठीक कर ही रहा है उसका पिता तेरसू राठौर भी इसका इलाज करता था। आज तेरसू नहीं है ।

देवराजपारा के ही बिहारी ने बताया चार साल पहले मेरी 55 वर्षीय प|ी रामेश्वरी को डंडा करैत सांप ने बांह में काट लिया। वह फेलर की दवा पीने के बाद ठीक हुई थी। भदौरा में उसके दामाद को भी गेहुंआ सांप ने काटा था। फेलर ने उसे भी दवा पिलाकर ठीक किया था। इसके पहले भी कई लोगों को सांप काटने पर वह ठीक कर चुका है ।

वैज्ञानिक पुष्टि नहीं हुई है
सांप के डसने का जड़ी-बूटी से इलाज संभव है। पर अब तक इसकी वैज्ञानिक पूष्टि नहीं हुई है। इसलिए दावे के साथ कुछ नहीं कहा जा सकता। -डॉ. पीएस ठाकुर, नोडल अिधकारी, जिला आयुर्वेद मुंगेली

सुश्रत संहिता व योग र|ाकर में इसका उल्लेख है
सांप के डसने का जड़ी-बूटी से इलाज संभव है। सुश्रत संहिता व योग र|ाकर में इसके इलाज का विस्तार से उल्लेख है। रिस्क होने की वजह से हम आयुर्वेद से इलाज नहीं करते। यही कारण है हम ऐसे लोगों को अस्पताल रेफर कर देते हैं। -डॉ. समीर तिवारी, आयुर्वेद चिकित्सा अिधकारी, बिलासपुर

जड़ी-बूटी से इलाज संभव है

जड़ी-बूटी से बनी दवाअों (आयुर्वेद) से सांप के द्वारा डंसे मरीज का इलाज हो सकता है। इससे सभी प्रकार के जहरीले कीड़े-मकोड़े व जानवरों के काटने से शरीर में फैले जहर का इलाज किया जा सकता है। -डॉ. नागेंद्र नीरज, सीएमओ पतंजलि योग ग्राम, हरिद्वार

घर की देहरी पर प|ी सोनकुंवर के साथ बैठा फोलर सिंह राठौर।

सांप का जहर कितनी देर में चढ़ता है?

कुछ सांप के काटने पर ब्लड पर असर होता है कुछ के काटने पर नर्वस पर। - जहां सांप ने काटा है, उसे जगह को कपड़े सा हल्का सा बांध लेना चाहिए। जल्द से जल्द डॉक्टर के पास जाना चाहिए। डेढ़ से दो घंटे में जहर पूरी बॉडी में फैल सकता है।

सांप के शरीर में जहर कैसे बनता है?

ये दाँत कुछ मुड़े होते हैं। काटते समय जब ये दाँत धंस जाते हैं तब उनके निकालने के प्रयास में साँप अपनी गर्दन ऊपर उठाकर झटके से खीचता है। उसी समय विषग्रंथि के संकुचित होने से विष निकलकर आक्रांत स्थान पर पहुँच जाता है।

सांप का जहर क्या काम में आता है?

इसका मुख्य कार्य शिकार को निष्क्रिय करना और उसके पाचन कार्य में सहायता करना है साथ ही यह सांप के लिये सुरक्षा और जीवन रक्षा का हथियार भी है।

सांप के अंदर जहर क्यों होता है?

ऐसा नहीं है कि सांप का जहर पीने वाले व्यक्ति में कोई विशेष गुण होता है, बल्कि इसकी वजह ये है कि सांप के शरीर में विष उसकी विष ग्रंथि में होता है, जो विषदंत से जुड़ा होता है । दरअसल सांप जो भी खाता है उससे जो भी उसके शरीर में विष बनता है वो विष ग्रंथि में बनने वाला द्रव होता है।