Lakar in Sanskrit: संस्कृत व्याकरण में विभिन्न काल (Tenses) और अवस्था (Mood) को लकार कहा जाता है. 11 लकारों में से केवल एक का उपयोग वैदिक संस्कृत में और अन्य 10 लकारों का उपयोग वैदिक और लौकिक संस्कृत में किया जाता है. चूंकि इनमें से पहला अक्षर ‘ल’ है, इसलिए इन्हें ‘लकार’ कहा जाता है. इनमें से केवल 5 लकारों का प्रयोग होता है. इनमें से लट्, लङ् और लृट् को काल लकार कहा जाता है, लोट् और विधिलिङ् लकार को अर्थ लकार कहा जाता है. Show
लकार संस्कृत में – Lakar in Sanskritलट्लकार (वर्तमान काल)(क) कोई कार्य शुरू होकर चल रहा होता है, तो उस “काल” को “वर्तमान काल” कहा जाता है. वह कार्य जो अभ्यस्त तरीके से किया जाता है या होता है या किसी ऐतिहासिक घटना की व्याख्या करता है, वर्तमान काल अर्थ में लट् लकार का प्रयोग होता है. उदाहरण :-
(ख) लट् लकार का उपयोग निकट भविष्य या अतीत का वर्णन करने के लिए भी किया जाता है; उदाहरण :-
Note: – लट् लकार का उपयोग मौखिक वाक्यांश जैसे ‘अगर ऐसा होता है’ में भी देखा जाता है. लङ्लकार (भूत काल)जो कार्य शुरू होकर पूरा हो चुका होता है और उस कार्य का वर्तमान काल तक कोई भी प्रभाव नहीं रहता है, वह क्रिया को अतीत या भूतकाल में प्रयोग किया जाता है. अतीत और भूतकाल में लङ्लकार होता है. उदाहरण:-
लृट्लकार (भविष्य काल)जो कार्य आने वाले समय में होगा, वह भविष्य काल होता है. और भविष्य काल में लृट्लकार होता है. उदाहरण:-
लोट्लकार (आदेश के अर्थ में)लोट्लकार किसी भी समय को नहीं दर्शाता है. यह आदेश, उपदेश, निमंत्रण, प्रार्थना और आशीर्वाद अर्थ में प्रयोग होता है. उदाहरण:-
त्वं शीघ्रम् आगच्छ. – तुम जल्दी आओ.
सत्यं वद, धर्मं चर. – सच बोलो, धर्म का पालन करो.
मम गृहे भोजनं करोतु. – मेरे घर पर भोजन करो.
मातः! भिक्षां देहि. – माँ भिक्षा दो.
आयुष्मान् भव. – सदा आप जीते रहो. विधिलिङ्लकार (संभावना के अर्थ में)लोट्लकार की तरह विधिलिङ्लकार भी किसी भी समय को नहीं दर्शाता है. यह केवल चाहिए और संभावना के अर्थ पर प्रयोग होता है. उदाहरण :-
सत्यं वदेत्. – सच बोलना चाहिए.
अद्य ब्रुष्टिः भवेत. – आज बारिश हो सकती है. आपके लिए :-
ये था lakar in Sanskrit. मुझे उम्मीद है की ऊपर दिए गए पांच लकार को आप अच्छे से समझ गए होंगे. अगर फिर भी इन पांच लकारों को लेकर आपके पास कोई सवाल है तो आप हमें जरूर पूछिए. 5 Lakar In Sanskrit: हेलो स्टूडेंट्स, आज हम इस आर्टिकल में संस्कृत कि 5 लकारे (5 Lakar In Sanskrit) के बारे में पढ़ेंगे | यह हिंदी व्याकरण का एक महत्वपूर्ण टॉपिक है जिसे हर एक विद्यार्थी को जानना जरूरी है | Table of Contents
5 Lakar In Sanskritसंस्कृत भाषा में दस लकारें होती हैं – लट् लकार , लोट् लकार , लङ्ग् लकार, विधिलिङ्ग् लकार , लुट् लकार , लृट् लकार , लृङ्ग् लकार , आशीर्लिन्ग लकार , लिट् लकार , लुङ्ग् लकार। उनमें से आज पाँच लकारें (लट् लकार, लङ् लकार, लृट् लकार, लोट् लकार तथा विधि लिङ् लकार) ही प्रचलन में है। 1. लट् लकार लट् लकार का प्रयोग वर्तमान काल में किया जाता है। क्रिया के जिस रूप से वर्तमान काल में क्रिया होती हुई पाई जाती है, उसे वर्तमान काल कहते हैं। क्रिया हमेशा अपने विषय के अनुसार प्रयोग की जाती है। जिस व्यक्ति, शब्द और काल का कर्ता होता है, उसी व्यक्ति, शब्द और समय का भी प्रयोग किया जाता है। यह पहले ही स्पष्ट किया जा चुका है कि मध्य पुरुष में युष्मद (तवं) शब्द का और श्रेष्ठ पुरुष में अस्मद (अहम्) शब्द का प्रयोग होता है। शेष सभी संज्ञा या सर्वनाम का प्रयोग प्रथम व्यक्ति में ही किया जाता है। 2. लिट् लकार परोक्ष भूत का प्रयोग अप्रत्यक्ष भूतकाल में किया जाता है। आँखों के सामने की जाने वाली क्रिया को परोक्ष भूत काल कहते हैं। उत्तम पुरुष में लिट् लकार का प्रयोग स्वप्न या उन्मत्त अवस्था में ही किया जाता है। इसे भी पढ़े: गम् धातु रूप लट् लकार – वर्तमान काल । 3. लुट् लकार अद्यतन भविष्य काल में, एक लूटकार का उपयोग किया जाता है। पिछली रात बारह बजे से अगली रात बारह बजे तक का समय “नवीकरण” (आज का समय) कहलाता है। आने वाली रात के बारह बजे के बाद के समय को नवीकृत भविष्य काल कहा जाता है। 4. लृट् लकार सामान्य भविष्य काल में, “लूट” का प्रयोग किया जाता है। क्रिया का वह रूप जो आमतौर पर भविष्य में होता है, उसे “सामान्य भविष्य काल” कहा जाता है। 6. लोट् लकार लोट् लकार का उपयोग आदेश, प्रार्थना, अनुमति, आशीर्वाद आदि की समझ बनाने के लिए किया जाता है। 5 Lakar In Sanskrit VideoCredit: Magical Education by Kumar Ketan; 5 Lakar In Sanskritआर्टिकल में अपने पढ़ा कि संस्कृत कि 5 लकारे कौन सी है ?हमे उम्मीद है कि ऊपर दी गयी जानकारी आपको आवश्य पसंद आई होगी। इसी तरह की जानकारी अपने दोस्तों के साथ ज़रूर शेयर करे । पांच लकार कौन कौन से होते हैं?लकार संस्कृत में लट् , लिट् , लुट् , लृट् , लेट् , लोट् , लङ् , लिङ् , लुङ् , लृङ् – ये दस लकार होते हैं।
कौन कौन सा लकार किस काल और किन अर्थों में होता है?(१) लट् लकार = ये वर्तमान काल में प्रयोग होता है, इसमें जो धातुरूप चलते हैं वह वर्तमान काल के वाक्यों में प्रयोग होते हैं । (२) लोट् लकार = ये आज्ञा , विधी आदि के अर्थों में प्रयोग होते हैं । जैसे किसी को कुछ करने को बोला जाए । (३) लङ् लकार = ये सामान्य भूतकाल के लिए प्रयोग होता है ।
संस्कृत कितने प्रकार के होते हैं?आओ संस्कृत सीखें. परस्मैपदी. आत्मनेपदी। परस्मैपदी क्रियाओं के रुप लगभग एक समान चलते हैं व आत्मनेपदी क्रियाओं के रुप एक समान चलते हैं।. अव्यय शब्द- इस वर्गीकरण के अन्तर्गत वे शब्द आते हैं जिनके रुप सभी विभक्तियों,लिङ्गों व वचनों में एक समान रहते हैं अर्थात् उनमें किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं होता ।. लकार का अर्थ क्या होता है?Lakar in Sanskrit: संस्कृत व्याकरण में विभिन्न काल (Tenses) और अवस्था (Mood) को लकार कहा जाता है. 11 लकारों में से केवल एक का उपयोग वैदिक संस्कृत में और अन्य 10 लकारों का उपयोग वैदिक और लौकिक संस्कृत में किया जाता है. चूंकि इनमें से पहला अक्षर 'ल' है, इसलिए इन्हें 'लकार' कहा जाता है.
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