साउथ में नमस्ते को क्या कहते हैं? - sauth mein namaste ko kya kahate hain?

नमस्ते!

Show

इस संस्करण के आरम्भ का इससे उत्तम साधन और क्या हो सकता है!

किसी भी स्थान में सर्वप्रथम जो आप सीखते हैं, वह है उस स्थान के अभिवादन की शैली। किसी भी स्थान में पहुँचने से पूर्व ही आप वहाँ का प्रचलित अभिवादन सुनते हैं, विमान में, विमानतल में, टैक्सी में तथा आपके गंतव्य स्थान पर। साथ ही आप अपने साथ ले जाते हैं अपनी मातृभूमि के अभिवादन की शैली।

साउथ में नमस्ते को क्या कहते हैं? - sauth mein namaste ko kya kahate hain?
नमस्ते सम्पूर्ण भारत का सर्वाधिक प्रयुक्त तथा लोकप्रिय अभिवादन है। अधिकतर समय, जैसे ही लोगों को आपके भारतीय होने की जानकारी प्राप्त होती है, वे अपने हाथ जोड़कर, नमस्ते द्वारा आपका अभिवादन करते हैं।

भारत वर्ष में जहां पग पग पर विभिन्नता हो वहाँ अभिवादन की प्रक्रिया कैसे समान हो सकती हैं! इस संस्मरण में मैं प्रस्तुत करना चाहती हूँ भारत के कुछ प्रमुख क्षेत्रों में प्रयोग में आने वाली अभिवादन की विभिन्न शैलियाँ।

मैं ट्विटर एवं फेसबुक को भी धन्यवाद देना चाहती हूँ जिन्होंने इस सूची में योगदान दिया है। यद्यपि इनमें से अधिकतर  अभिवादनों के विषय में मुझे जानकारी थी, तथापि हिमाचल के ढाल कारु जैसे कुछ अभिवादन मेरे लिए भी नवीन थे।

इस संस्मरण के लिए शोध करना मेरे लिए अत्यंत ही रोचक तथा मनोरंजक था।

नमस्ते तथा इसके विभिन्न स्वरूप

नमस्ते का अक्षरशः अर्थ है, ‘आपके भीतर के दिव्य स्वरूप के समक्ष मैं शीश झुकाता अथवा झुकाती हूँ’। आप किसी भी हिप्पी से पूछिए, वे एक चरण आगे जाकर इसका अर्थ यह बताते हैं, ‘मेरे भीतर का दिव्य स्वरूप आपके भीतर के दिव्य स्वरूप को प्रणाम करता है’।

नमस्ते, इस शब्द के कई रूपांतर हैं।

नमस्कार – इसका प्रयोग तब किया जाता है जब आप एक से अधिक व्यक्तियों का अभिवादन करते हैं।

यही नमस्ते केरल में यह नमस्कारम बन जाता है तो कर्नाटक में यह नमस्कारा तथा आंध्र में नमस्कारमु बन जाता है।

नेपाल के निवासी भी इसी अभिवादन, नमस्कार का प्रयोग करते हैं।

इन सब अभिवादनों का एक ही अर्थ है – किसी भी वार्तालाप अथवा चर्चा से पूर्व मैं आपके भीतर के दिव्य स्वरूप का अभिनंदन करता हूँ।

राम राम तथा इसके विभिन्न प्रकार

राम राम, यह भारत के हिन्दी भाषी क्षेत्रों में नमस्ते के पश्चात सर्वाधिक प्रचलित अभिवादन है। अवध एवं मिथिला में सीता -राम तथा बिहार एवं झारखंड में जय सिया-राम कहा जाता है। हरियाणा में राम राम द्वारा ही अभिवादन किया जाता है।

इन सभी अभिवादनों का पृष्ठभागीय ध्येय है विष्णु के ७ वें अवतार, श्री राम का नाम स्मरण करना। श्री राम को मर्यादा पुरुषोत्तम भी कहा जाता है। कदाचित इस अभिवादन द्वारा हम स्वयं को एवं एक दूसरे को राम के आचरण को आत्मसात करने के लिए प्रेरित करते हैं।

गुजरात का जय श्री कृष्ण

यदि आपने गुजरात का भ्रमण किया है, तो आपने गुजराती परिवारों से वार्तालाप किया होगा अथवा दूरदर्शन पर गुजराती कार्यक्रम देखे होंगे। आपने यह अवश्य ध्यान दिया होगा कि वे एक दूसरे का अभिनंदन ‘जय श्री कृष्ण’ द्वारा करते हैं।

कृष्ण ने द्वारका को अपनी स्वर्ण नगरी बनायी थी। उन्होंने वहाँ से विश्व का संचालन किया था। गुजरात के निवासियों के हृदय पर वे अब भी राज करते हैं। इसीलिए द्वारका में यह अभिवादन और भी विशिष्ठ होकर जय द्वारकाधीश बन जाता है।

ब्रज भूमि में राधे राधे

ब्रज में राधाजी राज करती हैं। वे यहाँ की रानी भी हैं तथागोपिका भी। कृष्ण तक पहुँचने के लिए भी आपको राधा का ही सहारा लेना पड़ता है। आपको उनके विषय में कुछ अधिक पढ़ने अथवा जानने की आवश्यकता नहीं है। ब्रज में जहां भी जाएंगे राधे राधे की गूंज सर्वत्र सुनायी देगी। ब्रज में राधे राधे का प्रयोग कई प्रकार से किया जाता है, जैसे अभिवादन, क्षमा करें, रास्ता दीजिए, विस्मय, होकार, नकार इत्यादि।

ब्रज के मंदिरों में कभी कभी आप जय श्री राधे भी सुनेंगे।

पंजाब में सत् श्री अकाल

पंजाबी भाषी एवं सिख समुदाय के लोगों में अधिकांशतः सत् श्री अकाल द्वारा अभिवादन किया जाता है। सत् का अर्थ है सत्य, श्री एक आदरणीय सम्बोधन है तथा अकाल का अर्थ है अनंत अथवा शाश्वत। अतः इस अभिवादन द्वारा आप शाश्वत सत्य का स्मरण कर रहे हैं। आप यह स्वीकार कर रहे हैं कि सत्य शाश्वत है तथा हम सब के भीतर निवास करता है।

सत् श्री अकाल गुरु गोबिन्द सिंह द्वारा दिया गया आव्हान है- जो बोले सो निहाल, सत् श्री अकाल।

एक अन्य अभिवादन है, ‘वाहे गुरु जी का खालसा, वाहे गुरु जी की फतह’ – यह स्मरण कराता है कि हम सब एक परम आत्मा से उत्पन्न हुए हैं जो अत्यन्त पवित्र तथा नश्वर है।

वणक्कम – तमिल नाडु

तमिल भाषी लोग विश्व में जहां भी रहें, वे आपस में एक दूसरे को वणक्कम द्वारा ही प्रणाम करते हैं। अनिवार्य रूप से इसका अर्थ नमस्ते ही है। आपके भीतर वास करते दिव्य स्वरूप के समक्ष नतमस्तक होना तथा उसका आदर करना। इस शब्द कि व्युत्पत्ति हुई है एक अन्य तमिल शब्द, वणगु से जिसका अर्थ है नतमस्तक होना अथवा झुकना। कुछ शास्त्रों के अनुसार वणक्कम विशेषतः आपके भौंहों के मध्य स्थित तीसरी आँख को संबोधित करता है।

खम्मा घणी – राजस्थान

खम्मा घणी, यह अभिवादन मैंने सर्वप्रथम राजस्थानी परिवेश में चित्रित कुछ हिन्दी चलचित्रों में सुना था। अपनी उदयपुर यात्रा के समय मैंने इसका प्रत्यक्ष अनुभव प्राप्त किया। मेरे मस्तिष्क में यह शब्द अनायास ही राजस्थान से जुड़ गया। किन्तु वहाँ किसी ने मुझे इसका अर्थ नहीं समझाया। इसके संबंध में मेरे मस्तिष्क में दो अनुमान कौंध रहे हैं:

प्रथम अनुमान सहज है – खम्मा संस्कृत के शब्द क्षमा से उत्पन्न प्रतीत होता है। घणी का अर्थ है बहुत। अतः खम्मा घणी, इस अभिवादन का अर्थ है, आपके आतिथ्य सत्कार में मेरे द्वारा किसी भी प्रकार की चूक अथवा अनादर हुआ हो तो उसके लिए मैं क्षमाप्रार्थी हूँ।

दूसरा अनुमान मैंने ऐतिहासिक तथ्यों से कुछ ऐसा लगाया – ८ वीं. शताब्दी में ३ उत्तरोत्तर मेवाड़ी सम्राटों के नामों में खम्मन, इस शब्द का समन्वय था। ये तीनों सम्राट अरबी सेना के कई आक्रमणों को सफलता पूर्वक टालने में सफल हुए थे। इन सम्राटों के राज में उनकी प्रजा ने आगामी १००० वर्षों तक सुरक्षित एवं सुखपूर्वत जीवन व्यतीत किया था। इसीलिए लोगों ने एक दूसरे का अभिवादन खम्मा घणी द्वारा करना आरंभ किया जिसका अर्थ है – हमें इसी प्रकार के कई खम्मनों का वरदान प्राप्त हो।

इन अनुमानों से आप किससे सहमत हैं इसका निर्णय आप स्वयं लें। किन्तु जब लोग आदर से अपने हाथ जोड़कर इसका उच्चारण करते हैं तब यह कानों में शहद घोल देता है।

बड़ों को अभिवादन करते समय आदर प्रदान करने के लिए ‘सा’ शब्द जोड़ा जाता है, जैसे खम्मा घणी सा।

लद्दाख का जूले

जब आप हिमाचल में लाहौल स्पीति घाटी का भ्रमण कर रहे हैं अथवा लद्दाख में सड़क यात्रा पर निकले हैं तो आपको कोई ना कोई जूले शब्द से नमस्ते अवश्य करेगा। इस अभिवादन का प्रयोग अधिकतर हिमालय की घाटियों के बौद्ध बहुल क्षेत्रों में किया जाता है। इसका अर्थ कदाचित आदर होता है। मुझे विश्वसनीय रूप से ना तो इसका अर्थ ज्ञात है, ना ही इस शब्द की जड़ों के विषय में जानकारी है। यदि आप जानते हैं तो अपनी जानकारी हमसे अवश्य साझा करें।

राधे राधे के समान जूले का अर्थ भी लद्दाख में कई हो सकते हैं, जैसे अभिवादन, धन्यवाद, कृपया, क्षमा करें इत्यादि।

लद्दाख के कुछ क्षेत्रों में ताशी देलेक का भी प्रयोग किया जाता है।

सम्पूर्ण भारत के जैनियों का जय जिनेन्द्र

जय जिनेन्द्र, इस अभिवादन का प्रयोग जैन धर्म के सभी अनुयायी एक दूसरे को संबोधित करने के लिए करते हैं। दैनिक जीवन में हमारा सामना इस शब्द से अधिक नहीं होता क्योंकि भारत में तथा भारत के बाहर भी जैन समुदाय के लोग अल्प संख्या में हैं। वे अधिकतर आपस में ही इस अभिवादन का प्रयोग करते हैं।

जय जिनेन्द्र का अर्थ है जिनेन्द्र अथवा तीर्थंकर की जीत। तीर्थंकर का अर्थ है ऐसी दिव्य आत्मा जिसने अपनी सभी इंद्रियों पर विजय पा ली हो तथा परम ज्ञान प्राप्त कर लिया हो।

यह अभिवादन वास्तविक ज्ञान प्राप्त लोगों के समक्ष नतमस्तक होने के समान है।

आयप्पा के अनुयायियों का स्वामी शरणं

स्वामी शरणं अथवा स्वामी शरणं आयप्पा वास्तव में एक मंत्रोच्चारण है जिसका प्रयोग आयप्पा के अनुयायी एक दूसरे से मिलने पर अभिवादन के रूप में करते हैं। वे किसी भी वार्तालाप का आरंभ तथा अंत इस मंत्र के उच्चारण द्वारा करते हैं। केरल तथा अन्य दक्षिण भारतीय राज्यों में आयप्पा के कई अनुयायी हैं।

आदाब – मुस्लिम समुदाय का अभिवादन

मुस्लिम समुदाय के लोग तथा उन क्षेत्रों के लोग जहां उर्दू भाषा का चलन हो, आदाब द्वारा एक दूसरे का अभिवादन करते हैं। मुझे कहीं भी इस शब्द का अर्थ अथवा उद्देश्य ज्ञात नहीं हो पाया। यदि आप जानते हैं तो कृपया साझा करें।

हिमाचल का ढाल करू

यह भी हिमाचली क्षेत्रों के लोगों के अभिवादन का एक प्रकार है। यद्यपि सत्य कहूँ तो मैंने अभी तक यह शब्द सुना नहीं है। तथापि मेरे हिमाचली मित्रों ने सत्यापित किया है कि हिमाचल के कुल्लू मनाली क्षेत्र में अभिवादन के लिए इसका प्रयोग किया जाता है। संभवतः इसका अर्थ भी नमस्ते के समान है।

नर्मदा के तट पर नर्मदे हर

नर्मदा नदी के तीर जब आप चलेंगे, तब सबके मुख से आप केवल एक ही अभिवादन सुनेंगे, नर्मदे हर। इसका अर्थ है, नर्मदा देवी हमारे सभी दुख एवं कष्ट हर ले।

हर हर गंगे भी ऐसा ही अभिवादन है जो आप ऋषिकेश, प्रयागराज तथा वाराणसी जैसे स्थानों में अवश्य सुनेंगे। किन्तु वहाँ इसका प्रयोग इतना आम नहीं है जितना कि नर्मदा के निकट नर्मदे हर का है।

बीकानेर में जय जय बोलिए

बीकानेर की यात्रा के समय जब मैं अपने अतिथि गृह पहुंची, उन्होंने मेरा स्वागत ‘जय जय’ द्वारा किया। जब मैंने उनसे इसके विषय में पूछा, तब उन्होंने मुझे बताया कि बीकानेर के लोग इसी प्रकार एक दूसरे का अभिवादन करते हैं। बीकानेर में अन्यत्र मुझे यह सुनाई नहीं दिया, किन्तु सुनने में मुझे यह अत्यन्त मधुर, राजसी तथा वीर रस से ओतप्रोत प्रतीत हुआ।

बड़ों को प्रणाम

यह सम्पूर्ण भारत में छोटों द्वारा बड़ों के अभिवादन स्वरूप प्रयोग में लाया जाता है। अधिकांशतः इसके साथ चरण स्पर्श भी किए जाते हैं।

विभिन्न क्षेत्रों में इसके स्वरूप में भिन्नता आ जाती है किन्तु इसका अर्थ परिवर्तित नहीं होता। जैसे पंजाब में पैरी पौना अथवा मत्था टेकदा, हिन्दी भाषी क्षेत्रों में पाय लागूँ इत्यादि। इन सबका अर्थ एक ही है, मैं आपके चरण स्पर्श करती अथवा करता हूँ, आप मुझे आशीर्वाद देने की कृपया करें।

क्षेत्र अथवा समुदाय संबंधी अभिवादन

साउथ में नमस्ते को क्या कहते हैं? - sauth mein namaste ko kya kahate hain?

  • जय भोले नाथ – वाराणसी में। वाराणसी एक शिव नगरी है। अतः अभिवादन में उनका नाम लिया जाना स्वाभाविक है।
  • जय जगन्नाथ – पुरी तथा उड़ीसा के आसपास के क्षेत्रों में।
  • हरी ॐ – चिन्मय मिशन के सदस्य तथा अनुयायी इस प्रकार एक दूसरे का अभिवादन करते हैं। वे इसका प्रयोग वार्तालाप के आरंभ तथा अंत में, किसी को पुकारने में तथा जहां कहीं भी संभव हो, करते हैं।
  • जय श्री महँकाल – उज्जैन में।
  • जय स्वामीनारायण – स्वामीनारायण के अनुयायी इस प्रकार नमस्कार कहते हैं।

हैलो

हैलो भारतीय अभिवादन नहीं है। दुर्भाग्य से भारत में अभिवादन के रूप में इसका प्रयोग सर्वाधिक रूप से होता है। विशेषतः शहरी क्षेत्रों में तथा दूरभाष का प्रयोग करते समय। यह संस्करण लिखते समय मुझे हैलो शब्द की उत्पत्ति के विषय में ज्ञात नहीं था। यद्यपि हम सब इस शब्द का प्रयोग एक दिवस में अनेक बार करते हैं। वस्तुतः यह शब्द अभिवादन कदापि नहीं है, अपितु किसी का ध्यान खींचने के लिए इसका प्रयोग किया जाता था। इसका एक अन्य रूप अहोय है।

हैलो के विषय में चौंकाने वाला सत्य जाने : हैलो का संक्षिप्त इतिहास

हैलो को संक्षिप्त कर हाय भी कहा जाता है।

गुड मॉर्निंग अर्थात सुप्रभात

गुड मॉर्निंग, गुड आफटरनून, गुड इवनिंग तथा गुड नाइट एक दूसरे का अभिवादन करने का निष्पक्ष तथा धर्मनिरपेक्ष साधन है। मैंने भी इन्हे विद्यालय में सीखा था तथा इनका प्रयोग अपने कॉर्पोरेट जीवन के अंत तक करती आई हूँ। गुड मॉर्निंग अब मॉर्निंग में ही सिमट गया है।

जय झूलेलाल

जय झूलेलाल का प्रयोग सिन्धी समाज के लोग करते हैं। झूलेलाल को समुद्र देवता वरुण का अवतार माना जाता है।

जय माता दी

देवी माँ के भक्तगण नमस्कार स्वरूप इसका प्रयोग करते हैं। यहाँ माता का अर्थ जगदंबा है। अर्थात माता जो जन्मदायिनी है, पालनकर्ता है तथा ब्रम्हांड में स्थित प्रत्येक चल-अचल तथा जीव-निर्जीव की नाशक भी है।

साउथ में नमस्ते को क्या कहते हैं? - sauth mein namaste ko kya kahate hain?

श्री लंका में आयुबोवन

श्री लंका का आयुबोवन संस्कृत भाषा से उत्पन्न हुआ है। यह आयुष्मान भव, इस शब्द से संबंधित है।  इसका अर्थ है, आप दीर्घायु हों या आपके आयु लंबी हो।

थायलैंड का सवत्दी

सवत्दी थायलैंड का देशव्यापी अभिवादन है। वहाँ भी इसे हाथ जोड़कर कहा जाता है। स्वस्ति से उत्पन्न इस शब्द का अर्थ शुभेच्छा है।

वे सब अभिवादन, जिनकी उत्पत्ति भारत में हुई है अथवा संस्कृत भाषा से संबंधित है, उन्हे औपचारिक रूप से हाथ जोड़कर कहा जाता है। तथापि अनौपचारिक रूप से कभी कभी ऐसे भी कह दिया जाता है।

यदि मुझसे किसी भारतीय अभिनंदन का उल्लेख छूट गया हो तो कृपया टिप्पणी खंड में उनके विषय में अवश्य लिखें।

अनुवाद: मधुमिता ताम्हणे

साउथ में नमस्कार को क्या कहते हैं?

नमस्ते या नमस्कार मुख्यतः हिन्दुओं और भारतीयों द्वारा एक दूसरे से मिलने पर अभिवादन और विनम्रता प्रदर्शित करने हेतु प्रयुक्त शब्द है। इस भाव का अर्थ है कि सभी मनुष्यों के हृदय में एक दैवीय चेतना और प्रकाश है जो अनाहत चक्र (हृदय चक्र) में स्थित है। यह शब्द संस्कृत के नमस् शब्द से निकला है।

तमिल में नमस्ते को क्या कहा जाता है?

तमिल में "नमस्ते" कहने का तरीका जानने के लिए निम्नलिखित रिकॉर्डिंग सुनें (एक देशी वक्ता से उच्चारण): வணக்கம் (vanakkam) : Your browser does not support the audio tag.

नमस्ते को उड़ीसा में क्या बोलते हैं?

शबराभीरचांडाल सचलद्राविडोड्रजाः। हीना वनेचराणां च विभाषा नाटके स्मृताः ॥

राजस्थान में नमस्ते कैसे कहते हैं?

खम्मा घणी – राजस्थान अतः खम्मा घणी, इस अभिवादन का अर्थ है, आपके आतिथ्य सत्कार में मेरे द्वारा किसी भी प्रकार की चूक अथवा अनादर हुआ हो तो उसके लिए मैं क्षमाप्रार्थी हूँ।