शनि की साढ़ेसाती कैसे उतरती है? - shani kee saadhesaatee kaise utaratee hai?

कई नासमझ ज्योतिष ग्रहों की सत्ता को नहीं मानते हैं ना ही साढ़ेसाती का महत्व समझते हैं। जब शनि की साढ़ेसाती लगती है तब वो चाहे राजा हो या रंक किसी को भी नहीं छोड़ती। इससे न राजा नल, राजा हरीशचन्द्र और रावण भी नहीं बच पाएँ तो आम इन्सान की क्या बिसात?


शनि जब मंगल की राशि वृश्चिक में, मेष में नीचस्थ या इन्हीं ग्रहों से दृष्ट हो तब अवश्य अपना दुष्प्रभाव दिखाता ही है। कहा भी है की शनि की वक्र दृष्टि जिस पर पड़ जाए उसको बर्बाद कर देती है। शनि जिस भाव को जिस निगाह से देखता है उस प्रकार फल देता हैं। शनि मित्र भाव से देखेगा तो मित्रवत व्यवहार करेगा, शत्रुवत देखेगा वैसा ही प्रभाव देगा। जब शनि की उच्च या स्वदृष्टि पड़ेगी तो उत्तम फल देगा ही। शनि वृषभ लग्न में कर्म व भाग्य का मालिक होता है। अतः साढ़ेसाती में इन भावों से संबंधित फल में अच्छे या बुरे प्रभाव डालता है।
शनि इस लग्न में कन्या राशि पर साढ़ेसाती का प्रथम ढैया शनि के सिंह राशि पर आने से लगेगा। शनि सूर्य का शत्रु है जबकि सूर्य पुत्र शास्त्रों में शनि को माना गया है फिर भी यह चतुर्थ भाव पर शत्रु दृष्टि डालने से माता को कष्ट या मृत्यु तुल्य कष्ट देगा, पारिवारिक सुख में भी खलल डालेगा, राजनीती में भी बाधा का कारण बनेगा। मकान संबंधित परेशानियाँ देगा। संपत्ति के मामलों में भी बाधक बनेगा। यदि इस प्रकार परेशानी हो तो वे रात को दूध ना पिएँ। मछली को दाना डालें। शनि की उच्च दृष्टि षष्ट भाव पर पड़ने से शत्रु पक्ष प्रभावहीन होंगे। शनि की सप्तम दृष्टि कर्म भाव पर पड़ने से कर्म क्षेत्र में वृद्धि, व्यापार में उन्नति होगी। पिता से लाभ, राजकाज में सफलता, शनि का दशम मित्र दृष्टि लग्न पर पड़ने से प्रभाव में वृद्धि, भाग्योन्नति होती है।

शनि की साढ़ेसाती कैसे उतरती है? - shani kee saadhesaatee kaise utaratee hai?

शनि की मध्य साढ़ेसाती शनि के कन्या पर आने से शुरू होगी। यह भाग्येश व कर्मेश पंचम त्रिकोण में होने से सन्तान लाभ, विद्या में प्रगति, मनोरंजन के क्षेत्र में सफलता मिलती है। लेकिन तृतीय शत्रु दृष्टि सप्तम भाव पर पड़ने से पत्नी या पति को कष्ट। दैनिक व्यवसाय में बाधा, विवाह में देरी होती है। यदि अशुभ परिणम मिलते हो तो ये उपाय करें- 48 वर्ष की आयु से पहले मकान न बनाएँ। मन्दिर में बादाम चढाएँ व उनमें से आधे वापस लाकर घर में रखें। पुत्र के जन्मदिन पर मिठाई न बाटें। कुत्ता पालें। काले सुरमे को बहते जल में प्रवाहित करें। इस प्रकार से अशुभ प्रभाव कम होंगे।


शनि की सप्तम गोचर दृष्टि एकादश भाव पर, सम दृष्टि पड़ने से लाभ के क्षेत्र में मिली जुली स्थिति रहेगी। शनि की दशम मित्र दृष्टि द्वितीय भाव पर पड़ने से धन की बचत, कुटुंब का सहयोग, वाणी से लाभ रहता है।

शनि की अंतिम उतरती साढ़ेसाती शनि के षष्ट भाव पर आने से होगी। इस समय शत्रु नाश, कोर्ट कचहरी में विजय, मामा से सहयोग, कर्ज हो तो उतरता है। बस देने की नियत होना चाहिए। शनि की यहाँ से तृतीय दृष्टि आयु भाव अष्टम पर सम पड़ने से आयु में वृद्धि, गुप्त धन, यश लाभ रहता है। शनि की सप्तम द्वादश भाव पर नीच दृष्टि पड़ने से बाहरी संबंध खराब होते है व यात्रा में कष्ट रहता है।
यदि ऐसी स्थिति हो तो ये उपाय करें- सरसों का तेल मिट्टी के बर्तन या काँच की शीशी में बन्द करके तालाब के पानी के अन्दर दबाएँ। रात के समय किया गया यह उपाय लाभदायक होगा। शनि की दशम गोचर दृष्टि तृतीय भाव पर सम पड़ने से भाई से मिलाजुला सहयोग रहता है। शत्रु नाश होकर पराक्रम में वृद्धि होती है।

उतरती साढ़ेसाती Utarti sadhe sati : प्रणाम गुरुजनों आज हम आप लोगों को उतरती साढ़ेसाती के बारे में बताएंगे क्या आप जानते हैं कि उतरती साढ़ेसाती क्या है और का प्रयोग क्यों किया जाता है क्या आप जानते हैं कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार उतरती साढ़ेसाती को 7 साल तक चलने वाली दशक को शनि की साढ़ेसाती की दशा कहा जाता है क्योंकि यह दशा अन्य ग्रहों की तुलना में शनि की गति सबसे धीमी है शनि एक राशि में कम से कम ढाई साल तक रहता है.

शनि की साढ़ेसाती कैसे उतरती है? - shani kee saadhesaatee kaise utaratee hai?

उसी की वजह से किसी किसी के जीवन में उतरती साढ़ेसाती भी लग जाती है तो आज हम आप लोगों को उसी के बारे में बताएंगे और यह भी बताएंगे कि उतरती साढ़ेसाती क्या है और इस उतरती साढ़ेसाती के लक्षण क्या है और इनका उपाय आप कैसे कर सकते हैं अगर आप इन सारी चीजों को जानना चाहते हैं तो इस लेख को अंतत जरूर पढ़ें तभी आपको इसकी संपूर्ण जानकारी प्राप्त होगी और आप उतरती साढ़ेसाती के बारे में पता चल पाएगा।

क्या आप जानते हैं कि शनि साढ़ेसाती क्या है शनि की साढ़ेसाती 7 साल तक चलने वाली दशा को शनि की साढ़ेसाती की दशा कहा जाता है ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अन्य ग्रहों की तुलना में शनि की तुलना जब धीमी होती है और शनि एक राशि में कम से कम ढाई साल तक विराजमान रहता है उसके बाद वह दूसरी राशि में प्रवेश कर जाता है.

शनि एक साथ तीन राशि को प्रभावित करता है इसीलिए जब किसी व्यक्ति की जन्म राशि से 12 पहले दूसरे भाव में होता है तो उसको शनि की साढ़ेसाती कहते हैं अगर आपके ऊपर साढ़ेसाती चलती है तो आपको कुछ ऐसे लक्षण दिखाई देते हैं जैसे कि शारीरिक पीड़ा मानसिक पीड़ा कलह और अधिक खर्च ऐसी समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं अब आप जान सकते हैं कि उस व्यक्ति को शनि साढेसाती लगी है।

उतरती साढ़ेसाती | Utarti sadhe sati

शनि की जो भी अंतिम उतरती साढ़ेसाती होती है वह छठे भाव पर आने से ही होती है और जब भी या उतरती साढ़ेसाती आती है तो शत्रु नाश होता है और कोर्ट कचहरी जैसे चीजों में विजय प्राप्त होती है और किसी भी समस्या आने पर मामा से सहयोग मिलता है अगर आप के ऊपर कोई कर्ज चढ़ा है तो वह भी उतर जाता है.

लेकिन उसे देने की नियत होनी चाहिए जब शनि की तीसरी दृष्टि आयु भाव पर पड़ती है तो आयु में वृद्धि होती है और आपको कोई गुप्त धन या फिर यश लाभ भी होता है उसके बाद जब भी शनि की सप्तमी द्वादश भाव पर नीच दृष्टि पड़ती है तो कोई भी बाहरी संबंध खराब होते हैं या फिर यात्रा में कष्ट होता है।

उतरती साढ़ेसाती के उपाय

यदि आपको कोई ऐसी समस्या होती है तो उसका उपाय जरूर करें –

अगर आपको इन सारी समस्याओं को दूर करना है तो एक मिट्टी के बर्तन में सरसों का तेल या फिर कांच की शीशी में सरसों का तेल लेकर तालाब के पानी के अंदर दबाए अगर आप इस उपाय को करके इसका लाभ लेना चाहते हैं तो रात के समय इसका उपयोग करें इसके आपको बहुत से लाभ प्राप्त होंगे अगर शनि की दशम गोचर दृष्टि तृतीय भाव पर पढ़ती है तो भाई से मिला जुला सहयोग रहता है और शत्रु से नाश होकर पराक्रम में वृद्धि भी होती है इस उपाय के बहुत से लाभ प्राप्त होते हैं।

उतरती साढ़ेसाती क्या है ? | Utarti sadhe sati kya hai ?

उतरती साढ़ेसाती का महत्व बहुत ही अनोखा है क्योंकि जब शनिदेव की साढ़ेसाती लगती है तब वह चाहे राजा हो या रंक किसी को भी नहीं छोड़ते हैं क्योंकि इनके प्रकोप से राजा हरिश्चंद्र और श्रवण भी नहीं बच पाए हैं तो आम इंसान तो बिल्कुल भी नहीं बच सकता है।

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मंगल की राशि में वृश्चिक की राशि में मेष की राशि में जब इन ग्रहों पर दृष्टि पड़ जाती है तब वह अपना दुष्प्रभाव दिखाता ही है ऐसा कहा भी जाता है कि शनि की वक्र दृष्टि जिस भी व्यक्ति के ऊपर पड़ जाती है उसको बर्बाद कर देती है लेकिन कई बार ऐसा होता है कि शनि जिस भी व्यक्ति को जिस निगाह से देखता है.

उस प्रकार ही उस व्यक्ति को फल देता है अगर शनि मित्र भाव की दृष्टि से देखता है तो मित्रवत व्यवहार करेगा अगर वह शत्रु की नजर से देखता है तो वह शत्रु जैसा व्यवहार करेगा लेकिन जब शनि की उच्च या स्वदृष्टि पढ़ती है तो वह उच्चतम फल देता है लेकिन शनि वृषभ लग्न में कर्म व भाग्य का मालिक होता है उसके बाद अंत में साढ़ेसाती में इन भावों को संबंधित फल अच्छे बुरे प्रभाव डालता है।

शनि की साढ़ेसाती कैसे उतरती है? - shani kee saadhesaatee kaise utaratee hai?

जब भी कन्या राशि की साढ़ेसाती का प्रथम ढैया शनि के सिंह राशि पर आने लगता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि शनि सूर्य भगवानका शत्रु है जबकि शास्त्रों में शनि को ही सूर्यपुत्र माना गया है उसके बावजूद भी यह चतुर्थ भाव में शत्रु दृष्टि डालने से माता को या फिर पिता को कष्ट देता है और पारिवारिक सुख में भी खलल डाल देता है और कई ऐसे कार्य है जैसे राजनीति में भी बाधा का कारण बनता है और मकान संबंधित कोई भी समस्या उत्पन्न कर देता है.

धन संपत्ति के मामले में भी बाधा बना देता है अगर इसी प्रकार परेशानियां होती रहती है तो वह रात को दूध ना पिए और इस साढ़ेसाती को हटाने के लिए मछली खुदा ना डालें जब आप ऐसा करते हैं तो शनि की उच्च दृष्टि भाव पर पड़ने से शत्रु पक्ष प्रभावहीन हो जाता है जब भी शनि की सप्तमी दृष्टि करमवा भाव पर बढ़ने से कर्म क्षेत्र में वृद्धि और व्यापार में उत्पत्ति होती है पित्र लाभ की प्राप्ति होती है राजकाज में भी सफलता प्राप्त होती है जब सनी की दशमी मित्र दृष्टि पढ़ती है तो प्रभाव में वृद्धि भाग्योदय पर मिलती है।

शनि की साढ़ेसाती जब भी शुरू होती है तब वह कन्या राशि पर आने से ही शुरू होती है भाग्येश व कर्मेश पंचम त्रिकोण होता है तो संतान लाभ भी मिलता है और आप की वृद्धि में भी प्रगति होती है और हर प्रकार के मनोरंजन में भी सफलता प्राप्त होती है लेकिन तृतीय शत्रु दृष्टि में अगर सप्तमी भाव पर पड़ जाती है तो पति या पत्नी को कष्ट होने लगता है दैनिक व्यवहार भी खराब हो जाते हैं और किसी भी व्यक्ति के विवाह में भी देरी होने लगती है अगर आपको इसके अशुभ परिणाम मिलते हैं तो इसका उपाय करें।

साढ़ेसाती के उपाय

इसका उपाय करने के लिए आपको 48 साल की उम्र में पहले घर ना बनवाएं उसके पहले आप मंदिर में बादाम चढ़ाएं व उसमें से आधे वापस लेकर घर में रख दें अपने पुत्र के जन्मदिन पर मिठाई बिल्कुल भी ना बाटे और अपने घर में कुत्ता जरूर पाले और किसी भी बहते जल में काले सुर में में को प्रवाह कर दें अगर आप ऐसा करते हैं तो उसका अशुभ प्रभाव खत्म हो जाता है।

शनि की साढ़े साती के लक्षण | Shani ki sadhe sati ke lakshan

शनि की साढ़ेसाती कैसे उतरती है? - shani kee saadhesaatee kaise utaratee hai?

  1. अगर आपके ऊपर साढ़ेसाती का प्रकोप है तो आपकी हथेली की रेखाओं का रंग बदल जाता है या फिर आपकी हथेली की रेखाओं का रंग नीला या फिर काला पड़ सकता है।
  2. साढ़ेसाती का प्रकोप ऐसा फैलता है कि आपके सर की चमक गायब हो जाएगी और आपके माथे पर काले रंग दिखने लगेंगे।
  3. कई बार तो ऐसा होता है कि अपनी छवि गायब होने के डर से आप हमेशा डरे हुए और परेशान रहते हैं।
  4. आप बहुत गुस्सा करने लगते हैं हर एक बात पर आपको गुस्सा और क्रोध आता है।
  5. आप की बोली भाषा और विचार बदल जाते हैं।
  6. अगर आप शनि भगवान के दोष को दूर करना चाहते हैं तो शनिवार का दिन आपके लिए बहुत ही शुभ माना गया है इस दिन अगर आप कुछ विशेष उपाय करते हैं तो शनिदेव प्रसन्न होकर आपके सारे दुखों को दूर कर देते हैं।

शनि की साढ़े साती के उपाय | Shani ki sadhe sati upay

  1. शनि साढ़ेसाती के उपाय कुछ इस प्रकार हैं जैसे कि शनि देव हमेशा कर्मों के हिसाब से ही फल देते हैं।
    अगर आप शनि भगवान की पूजा करते हैं तो शनिवार के दिन काले उड़द की दाल और पीलिया काला कपड़ा दान करना चाहिए और उनकी पूजा में लोहे का प्रयोग जरूर करना चाहिए।
  2. अगर आप शनिदेव को प्रसन्न करना चाहते हैं या फिर उन्हें शांत करना चाहते हैं तो हनुमान भगवान की पूजा करें अगर आप हनुमान भगवान की पूजा करते हैं तो शनि देव शांत रहते हैं।
  3. शनिदेव की पूजा करने के लिए आपको सुबह आप स्नान आदि से संपन्न होकर घर या फिर किसी शनिदेव के मंदिर में जाकर उनकी पूजा करनी चाहिए।
  4. अगर आपके ऊपर शनि की साढ़ेसाती चल रही है तो आपको दौरान नहीं करना चाहिए और उस व्यक्ति को कोई भी ऐसा काम नहीं करना चाहिए या फिर कोई ऐसा जोखिम नहीं उठाना चाहिए जिससे वह ना बच सके ऐसा भी कोई जोखिम उठाने से बचें।
  5. यदि उस व्यक्ति के ऊपर शनि की साढ़ेसाती चल रही हो तो उस समय उस व्यक्ति को किसी भी व्यक्ति से वाद-विवाद नहीं करना चाहिए।
  6. शनि की साढ़ेसाती चलते समय उस व्यक्ति को वाहन सावधानी पूर्वक चलाना चाहिए।
  7. अगर आपके ऊपर शनि की साढ़ेसाती चल रही है तो शनिवार और मंगलवार के दिन काले कपड़े ना तो खरीदने चाहिए और ना ही पहनने चाहिए।
  8. अगर किसी भी व्यक्ति के ऊपर शनि की साढ़ेसाती चल रही हो तो उस व्यक्ति को शनिवार या मंगलवार के दिन शराब और व्यसन से बचना चाहिए।
  9. शनि की साढ़ेसाती चल रहे व्यक्ति को रात में यात्रा नहीं करनी चाहिए।

FAQ : उतरती साढ़ेसाती

शनि की साढ़ेसाती कैसे उतरती है?

शनि की उतरती साढ़ेसाती तब आती है शनि के षष्ट भाव पर आने से होती है और जब शनि का षष्ट भाव आता है तो उस समय शत्रु का नाश होता है और कोर्ट कचहरी के चक्कर में आप उससे विजय पाते हैं किसी भी व्यापार में या फिर किसी भी चीज में मामा की सहायता आपको मिलती है कर्ज से मुक्ति मिलती है अगर आपकी देने की नियत है तो अगर शनि की कृतियां दृष्टि आयु भाव अष्टम पर पढ़ती है तो आपकी आयु में वृद्धि होती है आपको गुप्त धन प्राप्त होता है यश में लाभ होता है।

इंसान के जीवन में साढ़ेसाती कितनी बार आती है?

हर एक इंसान के जीवन में साढ़ेसाती तो रहता ही है शनि का एक राशि पर ढाई वर्ष तक प्रकोप रहता है और जितनी भी राशि है उनका चक्र 30 वर्ष में पूरा हो जाता है अधिकतम आयु 90 वर्ष मानी जाती है साढ़ेसाती का प्रकोप जीवन में तीन बार आ सकता है।

साढ़े साती कब खत्म होगी आपको कैसे पता चलेगा?

शनि की साढ़ेसाती जन्म से ही चलती है जब शनि या शनि ग्रह के राशि चक्र में प्रवेश होता है तो चंद्र राशि के तुरंत बाद शनि की राशि चक्र के बाहर निकलने के साथ उसकी अवधि समाप्त हो जाती है इसीलिए शनि की साढ़ेसाती कैलकुलेटर के बराबर चलती है।

निष्कर्ष

जैसा कि आज हमने आप लोगों को उतरती साढ़ेसाती के बारे में बताया और शनि देव के साढ़ेसाती के लक्षण भी बताए हैं अगर आपने हमारी इस लेख को अच्छे तरीके से पढ़ा है तो आपको इन सभी के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त होगी अगर किसी भी व्यक्ति के ऊपर शनि की साढ़ेसाती चल रही है तो उस व्यक्ति को ऐसा कोई काम नहीं करना चाहिए जिससे शनि की साढ़ेसाती का प्रकोप और बढ़ सके उम्मीद है कि हमारे द्वारा दिया गया या नहीं आपको अच्छा लगा होगा और आपके लिए उपयोगी साबित हुआ होगा।

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( कुछ नया सीखने की जादुई दुनिया )

शनि की साढ़ेसाती से बचने के लिए क्या उपाय करें?

शनि शांति के उपाय अरिष्ट शनि को शांत करने के लिए हनुमान जी की उपासना करना बहुत फलदायी होता है। साथ ही शनिवार के दिन भगवान हनुमान को तिल के तेल और सिंदूर का लेप चढ़ाएं। शनिवार के दिन शमी के पेड़ की जल को काले कपड़े में बांधकर भुजा या गले में पहनने से भी शनि की पीड़ा शांत होती है।

साढ़ेसाती का क्या असर होता है?

यदि शनि ग्रह किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली के बारहवें, पहले, दूसरे और जन्म के चंद्र के ऊपर से होकर गुजरे तो उसे शनि की साढ़े साती कहते हैं। कहते हैं कि शनि की साढ़ेसाती के पहले चरण में शनि जातक की आर्थिक स्थिति पर, दूसरे चरण में पारिवारिक जीवन और तीसरे चरण में सेहत पर सबसे ज्‍यादा असर डालता है।

शनि की साढ़ेसाती में क्या नहीं करना चाहिए?

साढ़े साती की अवधि के दौरान इन कामों से बचना चाहिए- - ड्राइविंग करते समय सतर्क रहना चाहिए। - रात में अकेले यात्रा करने से बचना चाहिए। - शनिवार और मंगलवार को शराब के सेवन से बचें। - शनिवार और मंगलवार को काले रंग का सामान नहीं खरीदना चाहिए