अमेरिका की जॉन होपकिंस यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने कैंसर की पहचान के लिए ब्लड टेस्ट का सहारा लिया. खून के नमूनों की जांच में वैज्ञानिकों को आठ प्रकार के ट्यूमर का पता चला. शरीर में ट्यूमर कोशिकाओं का पता ऐसे वक्त में लगा जब उनकी शुरुआत ही हो रही थी. वे शरीर के दूसरे हिस्सों में नहीं फैली थी. ट्यूमर कोशिकाओं के निर्माण और अनियंत्रित तरीके से शरीर में फैलने को ही कैंसर कहा जाता है. Show
वैज्ञानिकों ने 1,005 मरीजों के खून के नमूने लिए. इनमें से 70 फीसदी मामलों में वैज्ञानिक कैंसर का शुरुआती चरण में ही पता लगा पाए. टेस्ट से लिवर, पेट, पैंक्रियाज, आहार नलिका, आंत, फेफड़े, स्तन कैंसर और महिलाओं के अंडाशय में ट्यूमर की कोशिकाओं का पता चला. अंडाशय, लिवर, पेट, पैंक्रियाज और आहार नलिका के कैंसर का जल्द पता लगाने का अब तक कोई कारगर तरीका मौजूद नहीं है. ब्लड टेस्ट के जरिए इन अंगों के कैंसर का पता 69 से 98 फीसदी सटीक ढंग से चला. कैंसर के ज्यादातर मामलों में बहुत लंबे समय तक यह भी पता नहीं चलता कि कैंसर की शुरुआत कहां से हुई. लेकिन नए ब्लड टेस्ट के जरिए 83 फीसदी मामलों में मूल स्रोत का भी पता लगाने का दावा किया गया है. इस टेस्ट में खून के नमूनों की डीएनए जांच की जाती है. वैज्ञानिक कैंसर के 16 जीनों को खून में मौजूद डीएनए म्यूटेशन में खोजते हैं. इस दौरान रक्त में मौजूद 10 प्रवाही प्रोटीनों के स्तर भी जांच की जाती है. टेस्ट को "कैंसरसीक" नाम दिया गया है. विज्ञान पत्रिका साइंस में छपी रिपोर्ट में कहा गया है, "कैंसरसीक का लक्ष्य कैंसर को बहुत जल्दी पकड़ना है, इससे पहले कि बीमारी अपने लक्षण दिखाए." वैज्ञानिक चाहते हैं कि आम लोगों के लिए इस ब्लड टेस्ट का खर्च 500 डॉलर तक सीमित रहे. इसके लिए शोध को अतिरिक्त फंड की भी जरूरत है. लेकिन क्या यह टेस्ट दुनिया भर में कैंसर के बढ़ते मामलों से निपट सकेगा? लंदन की क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी में कैंसर से जुड़े विभाग के उप निदेशक मंगेश थोराट कहते हैं, "फर्स्ट स्टेज में कैंसर का पता लगाने के मामले में इस टेस्ट की संवेदनशीलता काफी कम है, करीब 40 फीसदी. स्टेज वन और स्टेज टू को मिलाकर भी डिक्टेक्शन करीब 60 फीसदी है. इस लिहाज से कहा जा सकता है कि जिस स्टेज में हम कैंसर का पता लगाना चाहते हैं, उससे यह टेस्ट अभी भी काफी दूर है." ज्यादातर कैंसर विशेषज्ञों के मुताबिक नए टेस्ट को अभी कई चरणों में अपनी सटीकता साबित करनी होगी. लेकिन इससे सब सहमत है कि कैंसर के खिलाफ लड़ाई में यह ब्लड टेस्ट नया रास्ता साबित हो सकता है. ओएसजे/एमजे (एएफपी) होम /न्यूज /जीवन शैली /जानिए क्या नियमित ब्लड टेस्ट करवाने से कम हो सकता है कैंसर का खतरा? नियमित ब्लड टेस्ट से करें कैंसर का खतरा कम, courtesy-canva अगर रेगुलर ब्लड टेस्ट कराया जाए, तो कैंसर होने की आशंका कम होती है. इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि रेगुलर ब्लड टेस्ट कराने से आपको अपनी हेल्थ कंडीशन का पता रहता है और कैंसर के लक्षण अगर शरीर में पनप रहे हैं, तो उसे समय रहते पहचान कर इलाज शुरू किया जा सकता है.अधिक पढ़ें ...
Cancer Blood Test -अगर कैंसर का जल्दी से पता लग जाता है तो इसका इलाज होने की संभावना बढ़ जाती है. ब्लड टेस्ट कराने से कैंसर का जल्द पता लगाने में मदद मिल सकती है. एनआईएचआर की रिपोर्ट की रिपोर्ट के मुताबिक शरीर में प्लेटलेट्स का बढ़ जाना भी कैंसर का संकेत हो सकता है. एक सामान्य प्लेटलेट काउंट प्रत्येक लीटर ब्लड में 150-400 x10⁹ प्लेटलेट्स के रूप में मापा जाता है. प्लेटलेट्स आपस में चिपककर ब्लड क्लॉट बन जाते हैं, जिसकी वजह से बॉडी से ब्लीडिंग बंद हो जाती है. बॉडी में प्लेटलेट्स बढ़ जाने पर शरीर में थ्रोम्बोसाइटोसिस की प्रॉब्लम शुरू हो सकती है. इसके कारण दिल का दौरा भी पड़ सकता है. बढ़ी हुई प्लेटलेट भी कैंसर की और इशारा करती है. इन सभी का खतरा समय से ब्लड टेस्ट करवाने से कम हो सकता है, क्योंकि ऐसा करने से किसी भी स्थिति को उसकी शुरुआती स्टेज में पकड़ा जा सकता है. आइए जानते हैं नियमित ब्लड टेस्ट कराने से कैंसर का खतरा कैसे कम हो सकता है. इसे भी पढ़ें:स्विमिंग करते समय कान में पानी जाने पर हो सकता है स्विमर्स इयर इंफेक्शन, जानिए बचाव का तरीका ब्लड टेस्ट के फायदे इसे भी पढ़ें: ऑटिज्म क्या है? इस डिसऑर्डर से जूझ रहे बच्चों की ऐसे करें देखभाल कैंसर में ब्लड टेस्ट के प्रकार इन टेस्ट से लोगों की कैंसर का पता अर्ली स्टेज में लगाया जा सकता है. इन टेस्ट के आधार पर रोगी को बेहतर इलाज मिल सकता है और समय रहते अगर बिमारी पकड़ में आ गई, तो रोगी का ट्रीटमेंट हो सकता है और वह पहले की तरह अपनी ज़िंदगी जी सकता है. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी| Tags: Cancer, Health, Lifestyle FIRST PUBLISHED : June 27, 2022, 13:58 IST कैंसर का पता लगाने के लिए कौन सा टेस्ट होता है?अभी कैंसर को डिटेक्ट करने के लिए अलग-अलग तरह के टेस्ट किए जाते हैं। इनमें सीटी स्कैन, MRI, अल्ट्रासाउंड, लैब टेस्ट और कई तरीके के अलग-अलग टेस्ट शामिल हैं। ग्रेल कंपनी ने कैंसर को डिटेक्ट करने के लिए ब्लड टेस्ट तैयार किया है। इस टेस्ट में केवल ब्लड को एनालाइज कर 50 से भी ज्यादा तरह के कैंसर का पता लगाया जा सकता है।
शरीर में कैंसर का पता कैसे लगाएं?कैंसर के आम लक्षण हैं वजन में कमी, बुखार, भूख में कमी, हड्डियों में दर्द, खांसी या मूंह से खून आना. अगर किसी भी व्यक्ति को ये लक्षण दिखाई देते हैं, तो उसे तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
कैंसर की जांच कैसे की जाए?शरीर के किसी अंग या भाग में कैंसर का पता लगाने के लिए ऊतक की जांच (बॉयोप्सी) की जाती है। जिस अंग में कैंसर की आशंका होती है वहां से चिकित्सा विशेषज्ञ कोशिका के हिस्से (ऊतक या टिशू) का थोड़ा भाग निकाल उसे माइक्रोस्कोपिक या फिर पॉलीमरेज चेन रिएक्शन (पीसीआर) जांच के लिए लैब में भेजते हैं।
क्या एक रक्त परीक्षण शरीर में कैंसर का पता लगा सकता है?हाल ही में प्रकाशित शोध के परिणामों से संकेत मिलता है कि एक विशिष्ट रक्त परीक्षण 50 से अधिक प्रकार के कैंसर का सटीक रूप से पता लगा सकता है, जो कि बीमारी के विकास के उच्च जोखिम वाले लोगों के बीच कई कैंसर स्क्रीनिंग परीक्षण के रूप में उपयोग किया जा सकता है।
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