सब्सक्राइब करे youtube चैनल (What are Pilgrimages in hindi) तीर्थ यात्रा किसे कहते हैं | तीर्थयात्रा क्या हैं परिभाषा बताइए अर्थ मतलब ? तीर्थयात्राएँ क्या हैं ? (What are Pilgrimages?) तीर्थयात्रा और तीर्थयात्री की परिभाषाएँ (Definition of Pilgrimage and Pilgrim) उपर्युक्त परिभाषाओं से यह बिल्कुल स्पष्ट हो जाता है कि तीर्थयात्रा में बार-बार दिखाई पड़ने वाली दो महत्वपूर्ण विशेषताएँ हैं:
‘‘तीर्थयात्राएँ असाधारण पवित्र यात्राएँ होती हैं‘‘ (सरस्वती, 1985-103)। यह सही है कि तीर्थयात्रा जिस रूप में भारत में या और कहीं भी की जाती है उसके पीछे तीर्थयात्री के अत्यधिक विविध उद्देश्य होते हैं। बॉक्स
30.01 तीर्थयात्रा का व्यक्तिवादी पक्ष (Individualistic Aspect of Pilgrimage) सांसारिक अस्तिव से संबंधित कुछ विशिष्ट उद्देश्य होते हैं। इनमें सामान्यतया उस देवी या देवता से प्रतिज्ञा की जाती है जिससे तीर्थयात्री अपनी किसी महत्वपूर्ण समस्या का समाधान के लिए आशीर्वाद की कामना करता है। जैसे, कोई पुत्र प्राप्ति की कामना लेकर तीर्थयात्रा कर सकता है। दूसरे प्रकार का उद्देश्य धार्मिक पुण्य कमाना है। इस प्रकार के उद्देश्य की परिभाषा देना कठिन है। इसे धन या व्यवसाय में सफलता के लिए प्रार्थना करना नहीं बल्कि आत्मा की शुद्धि करने की इच्छा के रूप में समझा जा सकता है। प्रत्येक तीर्थयात्रा से संबंधित एक पवित्र परिसर होता है। टर्नर (1974 रू 189) के अनुसार तीर्थयात्राएँ गतिविधियों की प्रक्रियाएँ होती हैं और उसके अनुसार ष्तीर्थयात्राओं में वस्तुगत स्तर पर प्रक्रियाओं का एक संबद्ध जाल होगा जिनमें प्रत्येक में एक विशेष स्थल की यात्रा शामिल होगी। इस प्रकार के स्थल, विश्वासियों या श्रद्धालुओं के अनुसार, ऐसे स्थान होते हैं जहाँ दैवीय या अतिमानवीय शक्ति का कोई रूप प्रकट हुआ हो, जिसे मीरशा एलिएड ‘‘ईशदर्शन‘‘ (जीमवचींदल) कहता है । ( टर्नर 1974: 189)। तीर्थयात्रा की पवित्रता (Sacredness of Pilgrimage) इस संदर्भ में दो उदाहरण दिए जा सकते हैं ब्राहमण पुरोहितों का मंदिरों में या संस्कारों के संपादन के समय गंगा की धाराओं पर तीर्थयात्रियों से पैसे ऐंठना काशी में एक आम दृश्य होता है। दूसरा उदाहरण डोमों का पवित्र अग्नि पर अधिकार का है। जिसकी आवश्यकता मृतकों के मोक्ष के लिए होती है। वह मृतक ब्राह्मण भी हो सकता है। तीर्थस्थान की पवित्रता तीर्थयात्रियों में शुद्धता के प्रति चिंता के कारण होती है। तीर्थयात्रियों को अपने शरीर और मन से अपवित्रता के धब्बों को धो देना होता है। जहाँ तक हिंदू तीर्थयात्रियों की बात है, तीर्थयात्रा अति संयम के कारण अपने आप में शुद्धीकरण होती है। तीर्थयात्रा और तीर्थस्थानों से जुड़ी पवित्रता के स्तर के लिए बॉक्स 30.02 देखें । पवित्र होने और शुभ होने के बीच के अंतर का ज्ञान करने के लिए अगला अनुभाग 30.2.4 भी देखें। बॉक्स 30.02 तीर्थयात्रा में शुभ-अशुभ (Auspiciousness in Pilgrimage) तीर्थयात्री ऐसी वस्तुओं या व्यक्तियों को अत्यंत महत्व देते हैं जो शुभंकर होते हैं, चाहे ऐसी वस्तुएँ या व्यक्ति अपवित्रता से ग्रस्त ही क्यों न हों, इस तरह पुरी के जगन्नाथ मंदिर की तीर्थयात्रा करने वालों से यह कहा जाता है कि देवदासियों के दर्शन और उनकी प्रदक्षिणा करना शुभ होता है, अर्थात उनसे कल्याण होता है। मंदिर में पूजा करने वाले कुछ लोग नृत्य करती हुई देवदासियों के चरणों की धूल लेते हैं या फिर जहाँ वे नृत्य करती हैं वहाँ जमीन पर लोटते हैं। ऐसा वे अपने कल्याण की आशा में या देवी कृपा प्राप्त करने की आशा में करते हैं। (मार्गलीन 1985: 109), क्योंकि उन्हें यह बताया जाता है कि देवदासियाँ जगन्नाथ की पत्नी लक्ष्मी का साक्षात रूप हैं। वास्तव में, केवल देवदासियों का दिन और वर्ष की विभिन्न घड़ियों में मंदिर के बाहरी गर्भगृह में नाचने-गाने का अधिकार होता है। वे मंदिर परिसर में होने वाले अनेक अन्य शुभ अनुष्ठानों और कार्यक्रमों से भी जुड़ी होती हैं। इसलिए तीर्थयात्री उन्हें आदर की दृष्टि से देखते हैं। लेकिन देवदासियों को मंदिर के आंतरिक गर्भ गृह में जाने की अनुमति नहीं होती। इस निषेध । का कारण देवदासियों का गणिका या वेश्या होना होता है। इस तरह उनका शरीर अपवित्र होता है। लेकिन तीर्थयात्रियों के लिए देवदासियों के दर्शन या उनकी पूजा शुभ होती है (मार्गलीन 1985 रू 35)। विभिन्न धार्मिक परंपराओं में तीर्थयात्राएँ (Pilgrimages in ffDierent Religious Traditions) तीर्थों की सामाजिक-ऐतिहासिक पृष्ठभूमि (Socio Historical Background of Pilgrimages) तीर्थयात्राएँ क्यों करते हैं?तीर्थ यात्रा करने से व्यक्ति को हर तरह की जलवायु का सामना करना होता है जिसके चलते वह सेहतमंद बनता है और नए नए अनुभव प्राप्त करता है। पहाड़ों पर शुद्ध हवा से नए जीवन का संचार होता है। 10. तीर्थ यात्रा के दौरान व्यक्ति अपने देश और धर्म को जानने का प्रयास करता है।
तीर्थ यात्रा से क्या लाभ है?शास्त्रों के अनुसार, जो व्यक्ति दूसरे कार्य से अगर तीर्थ स्थल पर पहुंच जाता है तो उसको भी पुण्य फल की प्राप्ति होती है। उस व्यक्ति को तीर्थ जाने का आधा पुण्य फल प्राप्त होता है।
तीर्थयात्रा का अर्थ क्या है?तीर्थ धार्मिक और आध्यात्मिक महत्त्व वाले स्थानों को कहते हैं जहाँ जाने के लिए लोग लम्बी और अकसर कष्टदायक यात्राएँ करते हैं। इन यात्राओं को तीर्थयात्रा (pilgrimage) कहते हैं।
तीर्थ करने से क्या होता है?इसलिए धार्मिक स्थलों पर जाने से व्यक्ति के स्वास्थ्य में भी सुधार होता है। तीर्थ यात्रा पर जाने से हमारे आध्यात्मिक, भौगोलिक और ऐतिहासिक ज्ञान में वृद्धि होती है। क्योंकि जब आप किसी यात्रा पर जाते हैं तो इस दौरान कई जगहों का इतिहास और महत्व आपको जानने का मौका मिलता है।
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