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Indian Penal Code: भारतीय दंड संहिता की धाराओं में अदालत (Court), पुलिस (Police) और अन्य कानूनी एजेंसियों (Legal agencies) की कार्य प्रणाली से जुड़े प्रावधान (Provision) दर्ज हैं. ऐसे ही आईपीसी (IPC) की धारा 107 (Section 107) में ऐसे व्यक्ति के बारे में बताया गया है, जो किसी बात के किए जाने का दुष्प्रेरण (Abetment) करता है. आइए जानते हैं कि आईपीसी की धारा 107 इस बारे में क्या जानकारी देती है? आईपीसी की धारा 107 (Indian Penal Code Section 107) प्रथम- उस बात को करने के लिए किसी व्यक्ति को उकसाता
(Incites) है, अथवा साधारण भाषा में कहें तो दुष्प्रेरण (Abetment) का अर्थ है, किसी व्यक्ति को कोई कार्य करने के लिए, और यदि वह व्यक्ति कोई कार्य कर रहा है, तो उसे वह कार्य करने से रोकने के लिए उकसाना या प्रेरित करना. लेकिन हर बार सामान्यतः किसी व्यक्ति को किसी कार्य के लिए उकसाना कोई अपराध (Offence) नहीं माना जाता है लेकिन जब भी ऐसे किसी दुष्प्रेरण में कोई गैर कानूनी बात आ जाएगी, तो ऐसा दुष्प्रेरण एक अपराध माना जाएगा. इसे भी पढ़ें--- IPC Section 106: घातक हमले के खिलाफ निजी रक्षा का अधिकार बताती है IPC की धारा 106 क्या होती है आईपीसी (IPC) अंग्रेजों ने लागू की थी IPC ये भी पढ़ेंः
धारा 107 का विवरणभारतीय दंड संहिता की धारा 107 के अनुसार, वह व्यक्ति किसी चीज़ के किए जाने का दुष्प्रेरण करता है, जो -
स्पष्टीकरण 1-- अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर दुर्व्यपदेशन या तात्विक तथ्य द्वारा, जिसे प्रकट करने के लिए वह आबद्ध है, जानबूझकर छिपाने द्वारा, स्वेच्छा से किसी चीज़ का किया जाना कारित करता है अथवा कारित करने का प्रयत्न करता है, तो उसे उस चीज़ को करने के लिए उकसाना कहा जाता है । भारतीय दंड संहिता की धारा 107 (किसी बात का दुष्प्रेरण करना)भारतीय दंड संहिता की धारा 107 में दुष्प्रेरण के अपराध के बारे में समझाया है, दुष्प्रेरण का शाब्दिक
अर्थ है, किसी व्यक्ति को कोई कार्य करने के लिए, और यदि वह व्यक्ति कोई कार्य कर रहा है, तो उसे वह कार्य करने से रोकने के लिए उकसाना या प्रेरित करना होता है। सामान्यतः किसी व्यक्ति को किसी कार्य के लिए उकसाना कोई अपराध नहीं माना जाता है, किन्तु जब ऐसे किसी दुष्प्रेरण में कोई गैर क़ानूनी तत्त्व आ जाता है, तो ऐसा दुष्प्रेरण एक अपराध की श्रेणी में आ जाता है। भारतीय दंड संहिता में दुष्प्रेरण के कई प्रकारों को समझाया गया है, और दुष्प्रेरण के अपराध के साथ - साथ इस अपराध की सजा के बारे में भी बताया गया
है। दुष्प्रेरण क्या और कैसे होता हैभारतीय दंड संहिता की धारा 107 में दुष्प्रेरण की परिभाषा को कई उदाहरणों के साथ समझाया गया है, जिसके अनुसार यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति से किसी कार्य को करने के लिए उकसाता है, या उस व्यक्ति को दुष्प्रेरण करता है, तो भारतीय दंड संहिता के अनुसार यह निम्न प्रकार से किया जाता है, प्रथम द्वितीय तृतीय दुष्प्रेरण के लिए आवश्यक तत्वभारतीय दंड संहिता कि धारा 107 में वर्णित दुष्प्रेरण के अपराध के लिए कुछ आवश्यक तत्त्व निम्न हैं
कानून की भाषा में उकसाने का अर्थ है, किसी व्यक्ति को कोई कार्य करने के लिए उत्तेजित करना, सक्रीय रूप से किसी कार्य को
करने के लिए कोई सुझाव देना, इसके आलावा प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष संकेत द्वारा प्रेरित करना, फुसलाना, प्रार्थना करना, विनती करना, किसी कार्य को करने या करने से रोकने के लिए उत्साहित करना। परन्तु कोई कार्य दुष्प्रेरण की श्रेणी में केवल तभी आएगा जब वह कार्य स्वयं अपराध हो। दुष्प्रेरण मौन स्वीकृति देने से भी किया जा सकता है।
कोई व्यक्ति कुछ अन्य व्यक्तियों के साथ मिल कर षडयंत्र द्वारा भी दुष्प्रेरण कर सकता है, जब
दुष्प्रेरण के लिए सजा का प्रावधानभारतीय दंड संहिता की धारा 109 में दुष्प्रेरण के लिए दंड के प्रावधान का स्पष्टीकरण दिया गया है, जिसके अनुसार जो कोई व्यक्ति किसी अपराध का दुष्प्रेरण करता है, और यदि दुष्प्रेरित व्यक्ति उस दुष्प्रेरित कार्य को दुष्प्रेरण के परिणामस्वरूप करता है, तो ऐसे व्यक्ति को न्यायालय उस अपराध की सजा से दण्डित किया जाता है, जिस अपराध का उस व्यक्ति ने दुष्प्रेरण किया है। धारा 107 में वकील की जरुरत क्यों होती है?भारतीय दंड संहिता में धारा 107 का अपराध भी अन्य सभी धाराओं की भांति एक बड़ा अपराध है, जिसमें इस अपराध के दोषी को धारा 109 के अनुसार उस अपराध की सजा दी जाती है, जिस अपराध को करने का अपराधी दुष्प्रेरण करता है। ऐसे अपराध से किसी भी आरोपी का बच निकलना बहुत ही मुश्किल हो जाता है, इसमें आरोपी को निर्दोष साबित कर पाना बहुत ही कठिन हो जाता है। ऐसी विकट परिस्तिथि से निपटने के लिए केवल एक वकील ही ऐसा व्यक्ति हो सकता है, जो किसी भी आरोपी को बचाने के लिए उचित रूप से लाभकारी सिद्ध हो सकता है, और अगर वह वकील अपने क्षेत्र में निपुण वकील है, तो वह आरोपी को उसके आरोप से मुक्त भी करा सकता है। और किसी बात का दुष्प्रेरण करने जैसे मामलों में ऐसे किसी वकील को नियुक्त करना चाहिए जो कि ऐसे मामलों में पहले से ही पारंगत हो, और धारा 109 जैसे मामलों को उचित तरीके से सुलझा सकता हो। जिससे आपके केस को जीतने के अवसर और भी बढ़ सकते हैं। धारा 107 के तहत क्या सजा है?भारतीय दंड संहिता की धारा 107 (किसी बात का दुष्प्रेरण करना)
भारतीय दंड संहिता की धारा 107 में दुष्प्रेरण के अपराध के बारे में समझाया है, दुष्प्रेरण का शाब्दिक अर्थ है, किसी व्यक्ति को कोई कार्य करने के लिए, और यदि वह व्यक्ति कोई कार्य कर रहा है, तो उसे वह कार्य करने से रोकने के लिए उकसाना या प्रेरित करना होता है।
धारा 107 और 116 का मतलब क्या होता है?गुंडे-बदमाशों के अतिक्रमण तोड़ने के बाद अब पुलिस और प्रशासन इन पर सख्ती के लिए दिवाली बाद नई कार्रवाई शुरू करेगा। इसके तहत इनके खिलाफ आईपीसी की धारा 107 और 116 के तहत प्रकरण बनाए जाएंगे और इन्हें एसडीएम कोर्ट में पेश कर 50 हजार और इससे अधिक राशि के बाउंडओवर कराए जाएंगे। बाउंडओवर तोड़ने वालों को सीधे जेल भेजा जाएगा।
धारा 106 107 क्या है?IPC की धारा 106 के अनुसार, जिस हमले से मृत्यु की आशंका (Death due to attack) युक्तियुक्त रूप से कारित होती है उसके विरुद्ध प्राइवेट प्रतिरक्षा (Private defense) के अधिकार का प्रयोग करने में यदि प्रतिरक्षक (Defender) ऐसी स्थिति में हो कि निर्दोष व्यक्ति की अपहानि की जोखिम के बिना वह उस अधिकार का प्रयोग कार्यसाधक रूप से ...
धारा 107 116 3 क्या है?धारा 107/116 की कार्यवाई में नोटिस सुनाये जाने के उपरान्त समय रीति से 116 धारा के अन्तर्गत आगे सुनवाई होती है। यदि पक्षकार इस बीच शान्तिभंग करते है तो फिर मजिस्ट्रेट 116(3) बंधपत्र निष्पादित करने का आदेश पारित कर जमानत दाखिल करने का आदेश कर सकता है। अत यह कार्यवाई दण्डात्मक न होकर निरोधात्मक होती है।
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