धर्मदास के पदों पर कबीर वाणी का गहरा प्रभाव इस कथन की समीक्षा कीजिए - dharmadaas ke padon par kabeer vaanee ka gahara prabhaav is kathan kee sameeksha keejie

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धर्मदास के पदों पर कबीर वाणी का प्रभाव है इस कथन की सोदाहरण समीक्षा कीजिए?

धर्मदास के पदों में कबीर की अपेक्षा तीखापन कम रहा है। उनके पद सरलता लिये रहे हैं, उन्होंने अपने पदों की भाषा कबीर की अपेक्षा कम कठोर रखी है। उनके पद भी कबीर की ही भांति निर्गुण भक्ति की भावना से ओतप्रोत रहे हैं। उन्होंने अपने पदों में पूरबी भाषा का अधिक प्रयोग किया है।

संत धर्मदास पर क्योंकि वाणी का प्रभाव था?

धर्मदास जी के पद लोक मंगल की भावना से प्रेरित, लोक काव्य के अधिक निकट है। लोक गीतों की शैली अपनाये हुए अत्यन्त सरस, मधुर, लालित्यपूर्ण और गेय हैं। हिन्दी के अतिरिक्त बघेलखण्डी और छत्तीसगढ़ी भाशा में उनकी रचनायें मिलती हैं। वस्तुतः लोगों तक अपनी बात पहुँचाने के लिए उन्होंने लोक जीवन के निकट की भाशा का प्रयोग किया है।

कबीर के शिष्य धर्मदास ने उनका जन्म स्थान किसे माना है?

उपर्युक्त के अनुसार कबीर का जन्म संवत् 1455 के ज्येष्ठ सुदी पूर्णिमा सोमवार को हुआ था। विद्वानों ने संवत् 1575 में कबीर साहब का देहावसान माना है। मत-मतान्तर होने पर भी प्रायः सभी विद्वान् कबीर का जन्म काशी में मानते है। अपने जन्म स्थल बनारस के साथ कबीर साहब वैसा ही घनिष्ठ सम्बन्ध बताते हैं जैसा जल और मछली का होता है ।

धर्मदास के गुरु का क्या नाम है?

धर्मदास वंशावली परंपरा के पहले गुरु सुदर्शन नाम थे। उनके बाद उनके वंश ने गुरु गद्दी संभाली। यह प्रक्रिया निरंतर जारी है। फिलहाल प्रकाश मुनि नाम साहेब वंशावली परंपरा के गुरु हैं।