संस्कृत व्याकरण में क्रिया के मूल-रूप (तिड्न्त) को धातु (Verb) कहते हैं। धातुएँ ही संस्कृत भाषा में शब्दों के निर्माण अहम भूमिका निभाती हैं। धातुओं के साथ उपसर्ग, प्रत्यय आदि मिलकर तथा सामासिक क्रियाओं के द्वारा सभी शब्द जैसे – संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया आदि बनते हैं। Show
दूसरे शब्दों में- संस्कृत का लगभग हर शब्द धातुओं के रूप में अलग किया जा सकता है। कृ, भू, मन्, स्था, अन्, गम्, ज्ञा, युज्, जन्, दृश् आदि कुछ प्रमुख धातुएँ हैं। संस्कृत में लगभग 3356 धातुएं हैं। धातु-रूप का अध्ययनहमारे संस्कृत के पाठ्यक्रम में अधिकतर परस्मैपद धातु रूप की 6 लकारों का अध्ययन किया जाता है- लट् लकार, लृट् लकार, लोट् लकार, लङ्ग् लकार, विधिलिङ्ग् लकार और लिट् लकार। संस्कृत व्याकरण में धातु रूप के अंतर्गत लट्, लङ्ग् लकार का प्रयोग तथा संज्ञा एवं सर्वनाम शब्द रूप के अनुरूप क्रिया के प्रथम, मध्यम एवं उत्तम पुरुषों का प्रयोग होता है। संस्कृत में क्रिया (Verb in Sanskrit)संस्कृत क्रिया or Sanskrit Verbs तीन व्यक्तियों में संयुग्मित होती है (जैसा कि अंग्रेजी में होता है।): पहला, दूसरा और तीसरा व्यक्ति। क्रियाओं के भी तीन संख्यात्मक रूप होते हैं: एकवचन, द्विवचन और बहुवचन। कोई भी क्रिया जो केवल दो वस्तुओं को संदर्भित करती है, उसमें से द्विवचन होना चाहिए। तिड्न्त प्रकरण (धातु रूप)क्रिया वाचक प्रकृति को ही धातु (तिड्न्त ) कहते है। जैसे : भू, स्था, गम् , हस् आदि। संस्कृत में धातुओं की दस लकारे होती है। संस्कृत की लकारेसंस्कृत में धातुओं की दस लकारे होती है। जो निम्नलिखित प्रकार से हैं:-
धातु रूप के तीन पुरुष होते है –
उत्तम पुरुष: अस्मद् शब्द रूप उत्तम पुरुष में आते हैं । मध्यम पुरुष: युस्मद् शब्द रूप मध्यम पुरुष में आते हैं । प्रथम पुरुष: अन्य सभी रूप प्रथम पुरुष में आते हैं। प्रत्येक पुरुष के तीन वचन होते हैं –
सभी विभक्तियों (धातु रूपों) को दो भागों में बांटा गया है-
Dhatu Roop Trickधातु रूप लिखने की trick नीचे दी गई है। इस table से आप सभी प्रकार के धातु रूप आसानी से बना सकते हैं। हमारे पाठ्यक्रम में अधिकतर परस्मैपद धातु रूप की 6 लकारों का अध्ययन किया जाता है- लट् लकार, लृट् लकार, लोट् लकार, लङ्ग् लकार, विधिलिङ्ग् लकार और लिट् लकार। परस्मैपद पद की सभी लकारों की धातु रूप सरंचना1. लट् लकार (वर्तमान काल, Present Tense)
2. लोट् लकार (अनुज्ञा, Imperative Mood)
3. लङ्ग् लकार (भूतकाल, Past Tense)
4. विधिलिङ्ग् लकार (चाहिए के अर्थ में, Potential Mood)
5. लुट् लकार (First Future Tense or Periphrastic)
6. लृट् लकार (भविष्यत्, Second Future Tense)
7. लृङ्ग् लकार (हेतुहेतुमद्भूत, Conditional Mood)
8. आशीर्लिन्ग लकार (आशीर्वाद देना, Benedictive Mood)
9. लिट् लकार (Past Perfect Tense)
1०. लुङ्ग् लकार (Perfect Tense)
आत्मेनपद पद की सभी लकारों की धातु रूप सरंचना1. लट् लकार (वर्तमान काल, Present Tense)
2. लोट् लकार (अनुज्ञा, Imperative Mood)
3. लङ्ग् लकार (भूतकाल, Past Tense)
4. विधिलिङ्ग् लकार (चाहिए के अर्थ में, Potential Mood)
5. लुट् लकार (First Future Tense or Periphrastic)
6. लृट् लकार (भविष्यत्, Second Future Tense)
7. लृङ्ग् लकार (हेतुहेतुमद्भूत , Conditional Mood)
8. आशीर्लिन्ग लकार (आशीर्वाद देना, Benedictive Mood)
9. लिट् लकार (Past Perfect Tense)
10. लुङ्ग् लकार (Perfect Tense)
धातुओं का वर्गीकरण (भेद) – धातु-विभागसंस्कृत की सभी धातुओं को 10 भागों में बांटा गया है। प्रत्येक भाग का नाम “गण (Conjugation) है। Dhatu Roop List
1. भ्वादिगण (प्रथम गण – First Conjugation)लट्, लोट्, लङ्ग्, विधिलिङ्ग् – इन चार लकारों में भ्वादिगी धातु के उत्तर में ‘अ’ होता है। ‘अ’ अंतिम वर्ण मे सदा युक्त होता है। लट्, लोट्, लङ्ग्, विधिलिङ्ग् लकार में निम्न धातुओं में भ्वादिगणीय परिवर्तन होते हैं – दृश् – पश्य, शद् – शीय, घ्रा – जिघ्र, इष् – इच्छ, दाण – यच्छ, ऋ
– ऋच्छ, सद् – सीद्, गम् – गच्छ, ध्मा – धम्, भ्वादिगण की प्रमुख धातुएँ
2. अदादिगण (द्वितीय गण – Second Conjugation)अदादिगण में गण चिह्न कुछ भी नहीं रहता है। धातु का अत्यंक्षर विभक्ति से मिल जाता है। जैसे –
लट् लकार के तीनों पुरुषों के एकवचन को, लोट् लकार के प्रथम पुरुष के एकवचन को और उत्तम पुरुष के तीनों वचनों को तथा लङ्ग् लकार के तीनों पुरुषों के एकवचन को छोड़कर शेष विभक्तियों में ‘अस्‘ धातु के अकार का लोप हो जाता है। जैसे –
विधिलिंग की सभी विभक्तियों में अकार का लोप हो जाता है। जैसे-
‘अस्‘ धातु के लोट् लकार के मध्यमपुरुष एकवचन में एधि, हन् धातु के लोट् मध्यमपुरुष एकवचन में जहि और शास् धातु के लोट् मध्यमपुरुष एकवचन में शाधि रूप हो जाते है। ‘अस्‘ धातु लट्, लोट्, लङ्ग्, और विधिलिङ्ग् को छोड़कर अन्य लकारों में ‘भू’ हो जाता है और ‘भू’ धातु की ही तरह ‘अस्‘ धातु रूप होते है। ‘हन्‘ धातु के लट्, लोट् और लङ्ग् लकार के प्रथम पुरुष वहुवचन में ‘घ्नन्तु’ हो जाता है। जैसे –
ति, सि, मि, तु, आनि, आव, आम, ए, आवहै, द्, स्, और अम् विभक्तियों में अदादिगणीय धातुओं के अन्त्य स्वर और आधा लघु स्वर का गुण होता है। अदादिगण की प्रमुख धातुएं
3. ह्वादिगण (जुहोत्यादि) (तृतीय गण – Third Conjugation)
ह्वादिगण की प्रमुख धातुएं
4. दिवादिगण (चतुर्थ गण – Fourth Conjugation)
दिवादिगण की प्रमुख धातुएं
5. स्वादिगण (पञ्चम् गण – Fifth Conjugation)
स्वादिगण की प्रमुख धातुएं
6. तुदादिगण (षष्ठं गण – Sixth Conjugation)
तुदादिगण की प्रमुख धातुएं
7. तनादिगण (सप्तम् गण – Seventh Conjugation)
तनादिगण की प्रमुख धातुएं
8. रूधादिगण (अष्टं गण – Eighth Conjugation)
रुधाधिगण की प्रमुख धातुएं
9. क्रयादिगण (नवम् गण – Ninth Conjugation)
क्रयादिगण की प्रमुख धातुएं
10. चुरादिगण (दशम् गण – Tenth Conjugation)
चुरादिगण की प्रमुख धातुएं
धातु में कितने लकार होते हैं?सभी विभक्तियों (धातु रूपों) को दो भागों में बांटा गया है-
परस्मैपद के 9 रूप आत्मेनपद के 9 रूप मिलाकर प्रत्येक लकार में 18 रूप होते हैं। कुल 10 लकारें होती है। इस प्रकार कुल एक धातु की (10 *18) 180 विभक्तियाँ(धातु रूप) होती हैं।
लकारो की संख्या कितनी है?लेट् लकार - अनेक कालों तथा अनेक मनोभावों को प्रकट करने वाले इस लकार का प्रयोग वेद में ही पाया जाता है। लौकिक संस्कृत में इसका अभाव है। लोट् लकार — आज्ञा देने के भाव को प्रकट करने के लिए लोट् लकार का प्रयोग किया जाता है।
संस्कृत में पांच लकार कौन कौन से होते हैं?संस्कृत की 10 लकारों का परिचय. लट् लकार (वर्तमान काल). लिट् लकार (परोक्ष भूत काल). लुट् लकार (अनद्यतन भविष्यत काल). लृट् लकार (सामान्य भविष्यत काल). विधिलिङ्ग् लकार (चाहिए के अर्थ में). लोट् लकार (आज्ञार्थक). लङ्ग् लकार (अनद्यतन भूत काल). आशीर्लिन्ग लकार (आशीर्वादात्मक). गाय में कौन सा लकार है?उत्तराणि ― ― - अ.
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