उलाहना पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तरउलाहना लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. उलाहना दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. उलाहना भाव-विस्तार/पल्लवन प्रश्न.
उत्तर: 1 ‘सदा सहना ………छोटे सलामत हैं’: 2. ‘अमीरी से जरा
नीचे उतर आओ’: उसके इस देन से अमीर वर्ग प्रभावित होता है। इससे वह खूब फूलता-फलता रहता है। उसे इस प्रकार देखकर मजदूर की उससे अपेक्षा होती है कि वह कभी समय निकालकर अपनी अमीरी की ऊँचाई से उतर वह गरीबी की जमीन पर आता तो उसकी निराशा, हताशा, आशा और उत्साह की किरणों से जगमगा उठती है। 3. ‘उठो कारा……..के सहलाओ’: उसके दुखों-अभावों को समझे, उसकी गरीबी की कारा बना दे, अर्थात गरीबी को नियंत्रित करके उसे दूर कर दे। इस प्रकार वह मजदूर वर्ग के बलबूते पर रहते हुए उन्हें न भूलें। उन्हें अपना समझकर उनके दुःख-सुख में हाथ बँटाए। मजदूर वर्ग की उससे अपेक्षा है कि वह एक मसीहा के रूप में आकर सदियों से चले आ रहे उनके दुखों और अभावों के गहरे घावों पर ममता का मरहम लगाकर उन्हें सहला दे। उलाहना भाषा अध्ययन प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. हर कदम-कदम पे सबको साथ ले, मातृभूमि पर भी हमको गर्व हो, श्रम सभी का एक मूलमंत्र हो हो अनाथ दुखिया अगर राह में भाईचारा सबके दिल में हो सदा प्रश्न – (क) इस पद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए।
उत्तर: (ख) उपर्युक्त पद्यांश के द्वारा कवि ने परस्पर एकता, अखंडता और भाईचारा को बनाए रखने का भाव भरा है। अपनी मातृभूमि के प्रति गर्व रखते हुए उसकी रक्षा के लिए हमेशा तत्पर रहने का मूल मंत्र दिया है। सबमें करुणा और प्रेम जगाने के लिए सहानुभूति की आँखें सोखने की आवश्यकता पर भी कवि ने बल दिया है। (ग)
उलाहना योग्यता विस्तार प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. उलाहना परीक्षोपयोगी अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तरउलाहना लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. उलाहना दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर प्रश्न 1. वे याद की टीसें भुला देते हैं। वे बलिदान के मंदिर गिराते हैं। वे शहीदों के बलिदान को भुला देते हैं। वे अपने आप ही बिना किसी के कहे-सुने बहके-बहके काम करने लगते हैं। प्रश्न 2. प्रश्न 3. उलाहना कवि-परिचय प्रश्न 1. रचनाएँ: भाषा-शैली: महत्त्व: उलाहना पाठ का सारांश प्रश्न 1. उसने देश के लिए कुर्बान होनेवाले को भुला दिया है। वह लोगों से अपनी प्रशंसा की तालियाँ बजवाकर भी देश-समाज के दिल को नहीं जीत पाया। बड़ी-बड़ी सड़कें, बड़े-बड़े पुल, बड़े-बड़े बाँध, बड़े-बड़े कारखाने, और बड़ी-बड़ी इमारत तो उसने बनवाई, लेकिन इन्हें बनाने वाले मजदूरों के अभाव के आँसुओं को वह नहीं पोंछ पाया। छोटों का तो जीवन हमेशा सहन करना, श्रम-साधना करना होता है। इसलिए तुम भी उनसे घुल-मिलकर रहना सीखो। यह भी समझो कि बड़े-बड़े ऐसे मिट गए कि उनका कोई नाम-निशान भी शेष नहीं है, लेकिन छोटे आज भी सलामत हैं। वे तो तुम्हारी चरण-रेखा देखते हैं, लेकिन तुम्हें तो उनके दुःख-दर्द को समझने का समय नहीं होता है। वे तो तुम्हारे मान-सम्मान के लिए मर-मिटते हैं। इसे समझकर तुम अपनी अमीरी से हटकर गरीबी की ओर आ जाओ। तुम्हारी आँचाज संसार का जादू है, तुम्हारी बाँहों में संसार की ताकत है। कभी कुटिया निवासी बनकर तो देखो। तुमने असंभव जैसे कई काम किए हैं। इसलिए अब तुम अपनों के पास आओ। युग का मसीहा बनकर सदियों के लगे गहरे घाव पर ममता के मलहम लगाकर सहला दो। उलाहना संदर्भ-प्रसंगसहित व्याख्या प्रश्न 1. शब्दार्थ:
प्रसंग: व्याख्या: विशेष:
पद्यांश पर आधारित
सौन्दर्यबोध संबंधी प्रश्नोत्तर
उत्तर: 1. प्रस्तुत पद्यांश में अमीर वर्ग के प्रति जन-सामान्य की शिकायत है। अमीर वर्ग द्वारा अपने देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान करने वाले देशभक्तों को भुला देना जन-सामान्य को मान्य नहीं है। इसे कवि ने मुहावरेदार भाषा के द्वारा प्रस्तुत किया है। शब्द-चयन सामान्य स्तर के हैं लेकिन बड़े सजीव हैं। शैली-विधान भावपूर्ण है। रूपक अलंकार से कथन को आकर्षक बनाने का प्रयास किया है। 2. प्रस्तुत पद्यांश का भाव रोचक किन्तु मर्मस्पर्शी है। देश के बलिदानियों को सहज ढंग से भुलाकर बहके-बहके भाषणों की बौछार लगाकर वाहवाही लूटना आज के राजनेताओं का राजनीतिक कुचक्र.है। इसके नीचे आम जनता पिस जाती है। लेकिन राजनेता उसी ढर्रे पर अपनी राजनीति का पहिया चलाते रहते हैं। उसे आम जनता तनिक भी नहीं समझ पाती है। वह भौचक्की बनी रहकर कुछ भी नहीं कर पाते हैं। इस प्रकार के तथ्य इस पद्यांश में भावपूर्ण शब्दों के द्वारा प्रस्तुत किए गए हैं। 3. ‘तुम्हीं जब बलिदान के मंदिर गिराते हो।’ काव्य-पंक्ति का भाव है-राजनेताओं के द्वारा अंगरशहीदों की उपेक्षा कर वर्तमान देश-भक्तों को हतोत्साहित करना। इससे राजनेताओं के देश-द्रोही भावों का संकेत हो रहा है। पद्यांश पर आधारित विषय-वस्तु से संबंधित प्रश्नोत्तर
उत्तर:
प्रश्न 2. सदा सहना, सदा श्रम साधना मर-मर, शब्दार्थ:
प्रसंग: व्याख्या: ऐसा इसलिए कि ये जीवन भर सभी प्रकार की विपत्तियां सहते रहते हैं। मरते दम तक घोर परिश्रम से मुँह नहीं फेरते हैं। इस प्रकार के जीवन जीनेवाले ही आज सलामत हैं, जबकि सभी बड़े मिट गए। यह समझकर तुम इनसे कुछ देर के लिए घुलमिल कर रहते, तो इनके जीवन के गम का बोझ हल्का हो जाता। इनके मुरझाए चेहरे थोड़ी देर के लिए ही सही, खिल उठता। फिर ये अपने जीवन के बोझ को उठाकर और आगे ले जाने की हिम्मत जुटा पाते। विशेष:
पद्यांश पर आधारित काव्य-सौन्दर्य संबंधी प्रश्नोत्तर
उत्तर: 1. प्रस्तुत पद्यांश में देश के कर्णधार कहे जाने वाले राजनेताओं द्वारा अनेक प्रकार के साधनों-सुविधाओं को देने का उल्लेख है। इसके साथ ही सामान्य जन के प्रति उनकी उपेक्षा और दूरी का भी उल्लेख है। इस प्रकार इस पद्यांश में परस्पर विरोधी बातों को बड़े ही रोचक रूप में प्रस्तुत किया गया है। फलस्वरूप प्रस्तुत हुए विरोधाभास अलंकार का चमत्कार तब और हृदयस्पर्शी दिखाई देता है जब उसके सहयोगी अलंकार पुनरुक्ति प्रकाश ‘मर-मर’ और अनुप्रास अलंकार ‘सदा सहना’ पर हमारा ध्यान जाता है। इसकी भाव और भाषा भी कम प्रभावशाली नहीं है। 2. उपर्युक्त पद्यांश का भाव-सौन्दर्य आकर्षक है। देश में विकास के बढ़ते चरण के बावजूद सामान्यजन की बदहवाली के चित्र स्वाभाविक होने के साथ-साथ मार्मिक और विचारणीय हैं। इस प्रकार के तथ्य को विश्वसनीय रूप में प्रस्तुत करने का ढंग सचमुच बड़ा ही अनूठा है। इस तरह उपर्युक्त पद्यांश का भाव-सौन्दर्य हृदयस्पर्शी और उद्धरणीय बन गया है। 3. ‘बड़े रस्ते, बड़े पुल, बाँध, क्या कहने!’ का मुख्य भाव यह है कि देश में चहुंमुखी विकास हो रहे हैं। इसे देखकर सबका मन बाग-बाग हो रहा है। पद्यांश पर आधारित विषयवस्तु से संबंधित प्रश्नोत्तर
उत्तर:
प्रश्न 3. तुम्हारी बाँह में बल है, जमाने का, शब्दार्थ:
प्रसंग: पूर्ववत्। व्याख्या: विशेष:
पद्यांश पर आधारित काव्य-सौन्दर्य संबंधी प्रश्नोत्तर
उत्तर: 2. प्रस्तुत पद्यांश का भाव-सौन्दर्य आकर्षक रूप में है। इसमें भावों की तारतम्यता और क्रमबद्धता सुनियोजित रूप में है। इससे मार्मिकता का जो पुट प्रस्तुत हो रहा है, वह न केवल भाववर्द्धक है, अपितु प्रेरक है। सरलता से प्रयुक्त हुए भाव सहज ही ग्रहणीय और हृदयस्पर्शी बन गए हैं। 3. ‘अमीरी से जरा नीचे उतर आओ’ का मुख्य भाव परस्पर समानता और सहयोग का वातावरण उत्पन्न करता है। पद्यांश पर आधारित विषय-वस्तु से संबंधित प्रश्नोत्तर
उत्तर: 1. कवि-माखनलाल चतुर्वेदी कविता-‘उलाहना’। 2. ‘उन्हें भी देखने का तुम समय पाओ’ का व्यंग्यार्थ है-अमीर वर्ग आम आदमी के दुखों और अभावों को समझने से कतराता रहता है। उसे तो अपने सुख-विलास से ही फुरसत नहीं मिलती है। फिर वह आम आदमी के लिए कहाँ समय निकाल पाएगा। दूसरी ओर आम आदमी उससे सहयोग प्राप्त करने की हमेशा आशा लगाए रहता है। प्रश्न 4. उठो, कारा बनाओ इस गरीबी की, शब्दार्थ:
प्रसंग: पूर्ववत्। व्याख्या: विशेष:
पद्यांश पर आधारित काव्य-सौन्दर्य संबंधी प्रश्नोत्तर
उत्तर: 2. प्रस्तुत पद्यांश की भाव योजना में क्रमबद्धता और अनुरूपता है। अमीर वर्ग को समुत्साहित करते हुए आमजन को अपने कल्याणार्थ प्रेरित करने का प्रयास सचमुच में काबिलेतारीफ़ है। इसके लिए दिए गए उल्लेखों को दृष्टान्तों के माध्यम से प्रस्तुत करने का भी प्रयास कम कलात्मक नहीं है। फलस्वरूप यह पद्यांश भाववर्द्धक बन गया है। 3. ‘गरीबी को कारा’ बनाने से तात्पर्य अभावों पर पूरी तरह नियंत्रण रखने से है। पद्यांश पर आधारित विषयवस्त से संबंधित प्रश्नोत्तर
उत्तर:
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