उत्तल दर्पण द्वारा बना प्रतिबिंब हमेशा क्या होता है? - uttal darpan dvaara bana pratibimb hamesha kya hota hai?

विषयसूची

  • 1 उत्तल दर्पण द्वारा प्रतिबिंब कैसे बनता है?
  • 2 उत्तल दर्पण से बने प्रतिबिंब की क्या विशेषताएं हैं?
  • 3 अवतल दर्पण तथा उत्तल दर्पण से बनने वाले आभासी प्रतिबिंब में क्या अंतर है?
  • 4 उत्तल दर्पण से आप क्या समझते हैं?
  • 5 अवतल दर्पण तथा उत्तल दर्पण से बनने वाले आभासी प्रतिमा में क्या अंतर है?
  • 6 उत्तल दर्पण का सूत्र क्या होता है?
  • 7 दर्पण सूत्र कितना होता है?

उत्तल दर्पण द्वारा प्रतिबिंब कैसे बनता है?

इसे सुनेंरोकेंउत्तल दर्पण में हमेशा आभासी (काल्पनिक) और हासित प्रतिबिंब बनता है।

उत्तल दर्पण से बने प्रतिबिंब की क्या विशेषताएं हैं?

इसे सुनेंरोकें(i) प्रतिबिम्ब दर्पण के पीछे ध्रुव व फोकस के बीच बनता है। (ii) प्रतिबिम्ब वस्तु से छोटा बनता है। (iii) प्रतिबिम्ब आभासी व सीधा बनता है।

क्या एक उत्तल दर्पण किसी वस्तु का वास्तविक प्रतिबिंब बना सकता है?

इसे सुनेंरोकेंउत्तल दर्पण हमेशा आभासी बिम्ब बनाता है। अवतल लेंस केवल आभासी बिम्ब बनाते हैं क्योंकि किरणें अपवर्तित होने के बाद, वे कभी अभिसरित नहीं होती हैं और इसलिए कोई वास्तविक बिम्ब नहीं होगा।

अवतल दर्पण तथा उत्तल दर्पण से बनने वाले आभासी प्रतिबिंब में क्या अंतर है?

इसे सुनेंरोकेंअवतल दर्पण से बनने वाला आभासी प्रतिबिम्ब साधा तथा वस्तु से बड़ा होता है जबकि उत्ल दर्पण से बनने वाला आभासी प्रतिबिम्ब उल्टा तथा वस्तु से छोटा होता है।

उत्तल दर्पण से आप क्या समझते हैं?

इसे सुनेंरोकेंउत्तल दर्पण (convex mirror / कान्वेक्स मिरर) — जिस दर्पण का परावर्तक तल बाहर की तरफ उभरा रहता है उसे उत्तल दर्पण कहते हैं।

उत्तल लेंस के द्वारा किसी वस्तु का आभासी प्रतिबिंब कब बनता है?

इसे सुनेंरोकेंयदि वस्तु उत्तल लेंस के फोकस और प्रकाशिक-केंद्र के बीच रखी गई हो, तो प्रतिबिंब आभासी (काल्पनिक) बनेगा।

अवतल दर्पण तथा उत्तल दर्पण से बनने वाले आभासी प्रतिमा में क्या अंतर है?

उत्तल दर्पण का सूत्र क्या होता है?

इसे सुनेंरोकें1f=1v+1u जहाँ f, v तथा u क्रमश: फोकस दूरी प्रतिबिम्ब दूरी तथा वस्तु दूरी है। f वक्रता त्रिज्या p की आधी होती है अवतल दर्पण के लिए f ऋणात्मक उत्तल दर्पण के लिए ‌f धनात्मक होता है।

अवतल उत्तल दर्पण में क्या अंतर है दो अंतर लिखो?

इसे सुनेंरोकेंउत्तल दर्पण पर पड़ने वाला प्रकाश बाहर की ओर प्रतिबिम्बित होता है। अवतल दर्पण अपने ऊपर पड़ने वाले प्रकाश को अंदर की ओर प्रतिबिंबित करता है। उत्तल दर्पण में प्रत्येक स्थिति में प्रतिबिंब दर्पण के पीछे बनता है, और वस्तु से छोटा, सीधा तथा आभासी बनता है। अवतल दर्पण से निर्मित प्रतिबिंब वास्तविक तथा उल्टा बनता है।

दर्पण सूत्र कितना होता है?

इसे सुनेंरोकें1/f = (1/u + 1/v) फिटकरी का रासायनिक सूत्र क्या है?

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image formation by convex mirror in hindi , उत्तल दर्पण से प्रतिबिम्ब बनना , उत्तल दर्पण से बनने वाले प्रतिबिंब कैसा बनता है :-

उत्तल दर्पण से प्रतिबिम्ब बनना :

(i) यदि वस्तु दर्पण के सामने स्थित हो :- यदि वस्तु उत्तल दर्पण के सामने स्थित हो तब वस्तु AB के B बिन्दु से चलने वाली प्रथम किरण मुख्य अक्ष के समान्तर होती है अत: यह परावर्तन के पश्चात् मुख्य फोकस से आती हुई प्रतीत होती है।

बिंदु B से चलने वाली दूसरी प्रकाश किरण वक्रता केन्द्र से आती हुई प्रतीत होती है तथा प्रथम परावर्तित प्रकाश किरण को बिन्दु B’ पर प्रतिच्छेद करती है जिससे वस्तु AB का प्रतिबिम्ब A’B’ बनता है।

  • प्रतिबिम्ब सीधा बनेगा।
  • प्रतिबिम्ब आभासी होगा।
  • प्रतिबिम्ब वस्तु के आकार से छोटा।

(ii) यदि वस्तु अनन्त पर स्थित हो :- यदि वस्तु AB को अनन्त पर रखा जाता है तब वस्तु AB के B बिंदु से चलने वाली प्रथम प्रकाश किरण परावर्तन के पश्चात् मुख्य फोकस से आती हुई प्रतीत होती है तथा बिंदु B से चलने वाली दूसरी प्रकाश किरण परावर्तन के पश्चात् वक्रता केंद्र से आती हुई प्रतीत होती है तथा प्रथम परावर्तित प्रकाश किरण को बिंदु B’ पर प्रतिच्छेद करती है। इस प्रकार वस्तु AB का प्रतिबिम्ब A’B’ बनता है जो आभासी , सीधा तथा वस्तु से बहुत छोटा बिन्दुवत होता है।

गोलीय दर्पण की फोकस दूरी

△ANC

tanθ = AN/NC

यदि θ बहुत छोटा हो –

tanθ = θ

θ = AN/NC  समीकरण-1

△ANF में –

tan2θ = AN/NF

चूँकि tan2θ = 2θ

2θ = AN/NF = 2 x (AN/NC) = AN/NF

अत:

R = 2f

2/R = 1/f

f = R/2

चित्र में दर्शाए अनुसार उत्तल दर्पण के लिए बिम्ब से आने वाली प्रथम प्रकाश किरण मुख्य अक्ष के समान्तर होती है जिससे यह परावर्तन के पश्चात् मुख्य फोकस से आती हुई प्रतीत होती है। बिम्ब से चलने वाली दूसरी प्रकाश किरण वक्रता केंद्र से गुजरती है अत: यह परावर्तन के पश्चात् उसी पथ पर लौट आती है। परावर्तन नियम से प्रथम आपतित प्रकाश किरण तथा परावर्तित प्रकाश किरण में आपतन कोण व परावर्तित कोण समान होंगे।

अवतल दर्पण की फोकस दूरी

△ANC में

tanθ = AN/NC  समीकरण-1

△AFN में

tan2θ = AN/NF   समीकरण-2

यदि दर्पण का द्वारक बहुत छोटा हो तथा N व P सम्पाती तो θ का मान बहुत छोटा होगा –

tanθ = θ ; tan2θ = 2θ

समीकरण-1 व समीकरण-2 से –

θ = AN/NC  समीकरण-3

2θ = AN/NF  समीकरण-4

चुंकि θ = AN/NC

2(AN/NC) = AN/NF

2/-R = 1/f

2f = R

R/2 = f

दर्पण सूत्र या V , u व f में सम्बन्ध

समकोण △ABC व समकोण △A’B’C से –

∟ACB = ∟A’CB’ (शीर्षाभिमुख)

∟BAC = ∟B’A’C (समकोण)

समकोण △ABC व समकोण △A’B’C एक दूसरे के समरूप त्रिभुज है।

AB/A’B’ = AC/A’C समीकरण-1

समकोण △MNF व समकोण △A’B’F से –

∟A’FB’ = ∟MFN  (शीर्षाभिमुख)

∟FA’B’ = ∟MNF (समकोण)

समकोण △MNF व समकोण △A’B’F एक दुसरे के समरूप त्रिभुज है।

MN/A’B’ = NF/A’F  समीकरण-2

AB/A’B’ = NF/A’F  समीकरण-3

चूँकि MN = AB

समीकरण-1 व समीकरण-3 की तुलना करने पर –

AC/A’C = NF/A’F  समीकरण-4

AC = AP – CF

A’C = CP – A’P

A’F = A’P – FP

यदि द्वारक छोटा हो तो बिंदु N , बिंदु P पर सम्पाती होगा।

NF = FP

(AP-CP)/(CP-A’P) = FB/(A’P – FP)

[(-u) – (-2f)]/[(-2f ) – (-v) = -f/[(-v) – (f)]

हल करने पर –

uv = 4f + vf

दोनों तरफ uvf का भाग करने पर –

uv.uvf = uf/uvf + vf/uvf

1/f = 1/v + 1/u

उत्तल दर्पण के मुख्य अक्ष पर दर्पण के सामने बिंदु AB को रखा गया है। बिम्ब के बिंदु B से चलने वाली प्रथम प्रकाश किरण मुख्य अक्ष के समान्तर होती है तथा परावर्तन के पश्चात् यह मुख्य फोकस से आती प्रतीत होती है तथा बिंदु B से चलने वाली दूसरी प्रकाश किरण वक्रता केंद्र मे से गुजरती है तथा यह प्रकाश किरण परावर्तन के पश्चात् वक्रता केन्द्र से आती प्रतीत होती है तथा प्रथम परावर्तित प्रकाश किरण को बिंदु B’ पर प्रतिच्छेद करती है , इस प्रकार प्रतिबिम्ब A’B’ की रचना होती है।

△ABC व △A’B’C से –

AB/A’B’ = AC/A’C

AB/A’B’ = (AP-PC)/(PC – PA’)

AB/A’B’ = (-u + R)/(R-v)

AB/A’B’ = (-u + 2f)/(2f – v) समीकरण-1

△A’B’F तथा ENF से –

EN/A’B’ = NF/A’F

AB/AB’ = f/fv  समीकरण-2

समीकरण-1 व 4 से –

-uf + uv + 2f2 = 2fv

f2 = fv

uv = fv + uf

uv = f(v + u)

1/f = (v + u)/(uv + uv)

1/f = 1/u + 1/v

आवर्धन (m)

किसी दर्पण की आवर्धन क्षमता प्रतिबिम्ब की ऊँचाई व बिम्ब की ऊँचाई के अनुपात के बराबर होती है अर्थात दर्पण से बने प्रतिबिम्ब की ऊँचाई तथा बिम्ब की ऊंचाई के अनुपात को ही दर्पण की आवर्धन क्षमता कहलाती है।

दर्पण का आवर्धन (m) = प्रतिबिम्ब की ऊँचाई (A’B’)/ बिम्ब की ऊंचाई (AB)

m = A’B’/AB  समीकरण-1

समकोण △ABP व समकोण △A’PB’ से –

∟APB = ∟A’PB’ (परावर्तन के नियम से)

∟BAP = ∟B’A’P (90 डिग्री के कोण)

अत: समकोण △ABP = समकोण △A’B’P (समरूप है )

इसलिए ,

A’B’/AB = A’P/AP  समीकरण-2

AB = +h

A’B’ = -h

A’P = -v

AP = -v

समीकरण-1 व 2 से –

m = A’B’/AB = A’P/AP

m = -h’/+h

m = -v/-u

m = h’/h = -v/u

यहाँ m का धनात्मक चिन्ह आभासी व सीधा प्रतिबिम्ब को प्रदर्शित करता है।

तथा m का ऋणात्मक चिन्ह वास्तविक व उल्टा प्रतिबिम्ब का प्रदर्शित करता है।

यदि m>1 तो प्रतिबिम्ब बड़ा होगा।

यदि m=1 हो तो प्रतिबिम्ब समान होगा।

यदि m<1 हो तो प्रतिबिम्ब छोटा होगा।

उत्तल दर्पण में बना प्रतिबिंब हमेशा क्या होता है?

Solution : उत्तल दर्पण में हमेशा आभासी (काल्पनिक) और हासित प्रतिबिंब बनता है।

उत्तल दर्पण से बने प्रतिबिंब की क्या विशेषताएं हैं?

Solution : उत्तल दर्पण द्वारा बने प्रतिबिम्ब की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं- <br> (i) प्रतिबिम्ब दर्पण के पीछे ध्रुव व फोकस के बीच बनता है। <br> (ii) प्रतिबिम्ब वस्तु से छोटा बनता है। <br> (iii) प्रतिबिम्ब आभासी व सीधा बनता है।

उत्तल दर्पण से प्रतिबिंब सदैव कैसे बनता है?

समतल दर्पण में प्रतिबिम्ब सदैव सीधा होता है। उत्तल में, बनने वाला प्रतिबिंब आभासी होता है और सभी स्थितियों के लिए सीधा होता है। अत: विकल्प 1 सही है। समतल दर्पण से वस्तु की दूरी समतल दर्पण से प्रतिबिम्ब की दूरी के समान होती है।

अवतल दर्पण द्वारा बना प्रतिबिंब क्या होता है?

Solution : अवतल दर्पण से बने प्रतिबिम्ब की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं- <br> (i) यदि वस्तु ध्रुव व फोकस बिन्दु के बीच हो तो प्रतिबिम्ब आभासी, सीधा व वस्तु से बड़ा बनता है । <br> (ii) यदि वस्तु वक्रता केन्द्र पर हो तो प्रतिबिम्ब वास्तविक, उल्टा तथा वस्तु के आकार के बराबर बनता है।