(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});उदारवादी सिद्धांतउदारवादी सिद्धांत के सभी वृत्तांतों का केंद्र बिंदु स्वतंत्रता ही है। हालाँकि, स्वतंत्रता के संदर्भ को उदारवादी चिंतकों ने विभिन्न प्रकार से परिभाषित किया है। जैसा कि एक लेखक ने कहा है, उदारवादी राजनीति का एक सिद्धांत है जो सबसे पहले लोकनीति निर्माण में व्यक्ति की स्वतंत्रता पर बल देता है। स्वतंत्रता, इस अर्थ में, अवरोधों से स्वतंत्रता दिलाना है, विशेषकर एक अधिनायकवादी राज्य के द्वारा लगाए गए
प्रतिबंधों से मुक्ति दिलाना या उससे स्वतंत्र होना है। वास्तव में यह विचारों का कोई निश्चित स्वरूप नहीं है) बल्कि यह एक बौद्धिक आंदोलन है जो नई स्थितियों और चुनौतियों का सामना करने के लिए नए विचारों को समाहित करता है। बैरी (1995) के अनुसार उदारवादी स्पष्टीकरण और मूल्यांकन दोनों स्वीकार करता है और अपनाता है। इसका विश्लेषणात्मक संबंध घटनाओं के उस क्रम से है जिसको हम सामाजिक व्यवस्था के नाम से जानते हैं और जिसमें आर्थिक, विधिक और राजनीतिक परिघटनाएँ शामिल होती हैं। उदारवादी के मत में राज्य एक
आवश्यक बुराई है। उदारवादी राज्य को एक साधन के रूप में देखता है और व्यक्ति को साध्य के रूप में यह राज्य की अबाध सत्ता को स्वीकार्य नहीं करता है। Show ■ पुरुष / महिला एक तार्किक रचना है। उदारवादी सिद्धांत के चिंतक :उदारवादी की प्रारंभिक व्याख्या करने वालों में जॉन लॉक (1632-1704), एडम स्मिथ (1723-90) और जेरेमी बैंथम (1748-1832) के नाम उल्लेखनीय हैं। लॉक को उदारवादी के जनक के रूप में जाना जाता है, एड्म स्मिथ को अर्थशास्त्र और राजनीतिक अर्थशास्त्र के जनक और बेन्थम को उपयोगितावाद के संस्थापक के रूप में जाना जाता है। ये सभी विद्वान अहस्तक्षेप (laissez-faire) सिद्धांत के समर्थक हैं, जिसमें व्यक्ति की आर्थिक गतिविधियों में राज्य के न्यूनतम हस्तक्षेप के सिद्धांत को स्थापित किया
गया है। वे पुरातन उदारवादी के संस्थापक हैं, जिसको नकारात्मक उदारवादी भी कहते हैं, क्योंकि यह व्यक्ति के आपसी क्रियाकलाप के क्षेत्र में राज्य के विरुद्ध भूमिका की परिकल्पना करते हैं। लॉक सहिष्णुता और व्यक्ति की स्वतंत्रता पर बल केंद्रित करते हैं। बेंथम बाजार अर्थव्यवस्था और राज्य की गतिविधियों के क्षेत्र में प्रतिबंध लगाने पर जोर देते हैं । मिल उपयोगितावाद के विचार में संशोधन करने के पक्ष में हैं और सामान्य कल्याण को उन्नत करने के लिए राज्य की गतिविधियों में विस्तार करने के पक्ष में दावेदार थे।
उन्होंने व्यक्ति की स्वतंत्रता को उन्नत करने के लिए राज्य की भूमिका को अहम् बताया है। राज्य की भूमिका सकारात्मक बताई गई है। उदारवाद का मूल सिद्धांत क्या है?उदारवाद एक राजनीतिक और नैतिक दर्शन है जो स्वतंत्रता, शासित की सहमति और कानून के समक्ष समानता पर आधारित है। उदारवाद आमतौर पर सीमित सरकार, व्यक्तिगत अधिकारों (नागरिक अधिकारों और मानवाधिकारों सहित), पूंजीवाद (मुक्त बाज़ार ), लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता, लिंग समानता, नस्लीय समानता और अंतर्राष्ट्रीयता का समर्थन करता है।
उदारवाद के दो प्रकार कौन से हैं?उदारवाद के दो रूप हैं, एक को शास्त्रीय उदारवाद कहा जाता है और दूसरे को समकालीन उदारवाद कहा जाता है।
उदारवाद के प्रमुख सिद्धांत व लोकतंत्र क्या है?उदारवाद सुधारों का एक सिद्धांत है क्योंकि यह आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्रों में सुधार के प्रति समर्पित रहा है। यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता, व्यक्तिगत स्वायत्तता का सिद्धांत है, क्योंकि इसने मानव व्यक्तित्व के विकास के पक्ष में तर्क दिए हैं।
उदारवादियों के प्रमुख उद्देश्य क्या थे?उत्तर: उदारवादियों के प्रमुख उद्देश्य इस प्रकार थे- ये लोग सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार (सभी नागरिकों को वोट का अधिकार देने) के पक्ष में नहीं थे। उनका मानना था कि वोट का अधिकार केवल संपत्तिधारियों को ही मिलना चाहिए। वे नहीं चाहते थे कि महिलाओं को भी मतदान का अधिकार मिले। वे एक स्वतन्त्र न्यायपालिका चाहते थे।
|