08-Sep-2020 06:03 AM 7249 बोर्हेस ने कहा था कि शब्द साझा स्मृतियों के संकेत होते हैं अज्ञेय को पढ़कर ये बात बरबस ही याद आ जाती है। हर संकेत से पाठक की कोई न कोई स्मृति जुड़ी रहती है और यदि कोई संकेत नया होए तो भी वह उसे इस तरह प्रस्तुत करते कि पाठक जल्द ही अपनी कोई कोई न स्मृति उस से जोड़ ही लेता है। असाध्य वीणा जापान की एक प्राचीन कथा ष्टेमिंग ऑफ हार्पष् पर आधारित हैए परन्तु यह अज्ञेय की प्रतिभा ही है कि इस कथा को उन्होंने कुछ इस तरह कविता में मथा है कि यह कविता नितांत भारतीय प्रतीत होती है। पढ़ने के बाद बहुत देर तक ज़ुबां पर अपनी ही मिट्टी का स्वाद चस्पा रहता है। असाध्य वीणा का पाठ करने में आनंद की एक अलग सी अनुभूति होती है। ष्असाध्य वीणाष् जो ऋषि वज्रकीर्ति द्वारा जीवन.पर्यन्त की गयी उनकी साधना की परम सिद्धि है। राजा का विश्वास था कि वीणा असाध्य नहीं है। ष्असाध्य वीणाष् ष्राजन! पर मैं तो क्योंकि वीणा को साधना सिर्फ़ वीणा को साधना नहीं था वज्रकीर्ति की साधना के आगे नतमस्तक हो उसे आत्मसात करना था साथ ही उस किरीट तरु की स्मृतियों और अनुभूतियों को समझने का प्रायस करना थाए जो सम्पूर्ण समर्पण के बिना अपना अहंकार त्यागे सम्भव नहीं था। अपनी गोद में
लेते हुए भी उस वीणा को प्रियवन्द ने अपनी गोद में नहीं लिया अपितु स्वयं जा बैठे उस वीणा की गोद में उन्होंने वीणा को साधने का प्रायस नहीं किया स्वयं को साधने का जतन किया सम्पूर्ण समर्पण से। ष्मैं नहींए नहीं ! मैं कहीं नहीं ! जितने भी ज्ञानी कलाकार आये वे सब वीणा को साधने का प्रायस करते रहे इसलिये असफल रहे जबकि प्रियवन्द ने अपने भीतर झांका और वीणा की सहायता ले स्वयं को साधने का प्रायस करने लगा जिसमें अंततः उसे सफलता भी प्राप्त हुई। वीणा जब बजी तो सबने उसे अलग अलग सुना यह कविता इसलिए महत्वपूर्ण है कि जयशंकर प्रसाद की कामायनी के बाद पहली बार कोई बड़ी कविताए इतने बड़े फलक पर जाकर रचनात्मक अद्वैत की प्रतिष्ठा करती है। इस कविता के भीतर जब संगीत बजता हैए तो सब उसे अपनी.अपनी तरह से सुनते हैं। उसी तरह इस कविता को भी हम सब अपनी.अपनी तरह से पढ़ते हैं। इस तरह कविता और संगीत एक ही धरातल पर खड़े हो जाते हैं। एक युवा कवि की तरह मैं इसमें से कौन.सा संगीत सुनना चाहता हूंघ् वह यह कि कला अद्वैत में पलती है। साधक और साधना को एक होना पड़ता हैए संगीत और संगीतकार को एक हाेना पड़ता हैए रचना और रचनाकार को एक हाेना पड़ता हैण् मैं बड़े सिद्धांतों की बात किए बिना एक होने के इस भाव को अपने साथ रखना चाहता हूं। एक कवि के तौर पर मुझे अपनी कविता के साथ एक होना होगा। साधना के उस शिखर तक पहुंचना ही होगाण् क्या जीवन का सबसे बड़ा संघर्ष यही नहीं हैघ् हम सबका जीवन एक असाध्य वीणा हैए बजने से इंकार कर रही है। क्योंघ् क्योंकि हम अपनी वीणा से एक नहीं हो रहेए इसी जीवन को हम किसी पराए की तरह जी रहे हैं। जिन.जिन लोगों ने अपने जीवन के साथ एक होकर उसे जिया हैए देख लीजिएए उन सबके जीवन की वीणा सजी हैए उन सभी ने इस मनुष्य.जाति को अपने होने के सुंदर संगीत से गुंजायमान किया है। वीणा से एकाकार हो जाएँए जीवन से एकाकार हो जाएँए दोनों ही असाध्य नहीं रहेंगेए एक होना एक चमत्कार हैए जानिएगाए बेहद हैरतंगेज़ संगीत पैदा होगा।
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