Written By : केशव कुमार | Edited By : Keshav Kumar | Updated on: 08 Jul 2022, 12:17:19 PM Show
जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे पर हमले की चारों तरफ निंदा (Photo Credit: News Nation) highlights
नई दिल्ली: जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे ( Former PM Shinzo Abe) को एक राजनीतिक अभियान में भाषण के दौरान सीने में गोली मार दी गई. रिपोर्ट के मुताबिक हमले के तुरंत बाद आबे को दिल का दौरा ( Carddiac Arrest) भी आया. उन्हें इलाज के लिए तुरंत एयरलिफ्ट कर नारा मेडिकल यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया. डॉक्टरों के मुताबिक उनकी हालत गंभीर है. हमलावर को घेरकर पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ( PM Narendra Modi) ने ट्वीट कर शिंजो आबे पर हमले को दुखद बताया है.
शिंजो आबे भारत के करीबी और खास दोस्तों में शामिल हैं. आबे जापान के ऐसे प्रधानमंत्री रहे हैं, जिन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान सबसे ज्यादा बार भारत का दौरा किया. भारत सरकार ने 25 जनवरी, 2021 को उन्हें अपने दूसरे बड़े सम्मान पद्म विभूषण से नवाजा था. इसके अलावा जापान के हित में उनके कदमों की दुनियाभर में चर्चा होती रहती है. आइए जानते हैं शिंजो आबे कौन हैं और जापान की राजनीति में उनका कैसा हस्तक्षेप रहा है. भारत के नजदीकी मित्र अपने कार्यकाल के दौरान सबसे ज्यादा बार भारत का दौरा करने वाले जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे पर हमले की चारों तरफ निंदा हो रही है. पीएम नरेंद्र मोदी उन्हें अपना मित्र बताते हैं. शिंजो आबे अपने पहले कार्यकाल (2006-07) के दौरान पहली बार भारत आए. अपने दूसरे कार्यकाल (2012-2020) के दौरान शिंजो आबे ने तीन बार भारत का दौरा किया. वो जनवरी 2014, दिसंबर 2015 और सितंबर 2017 में भारत के दौरे पर आए. हर बार भारत और भारतीयता को लेकर उनकी दिलचस्पी और नजदीकी दिखी. आबे गुजरात और वाराणसी समेत देश के अन्य कई इलाकों में भी गए. लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता 67 साल के शिंजो आबे पहली बार 2006-07 के दौरान प्रधानमंत्री रहे. आबे को एक आक्रामक नेता माना जाता है. आबे लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी(LDP) पार्टी से जुड़े हैं. आंत से जुड़ी बीमारी अल्सरट्रेटिव कोलाइटिस की वजह से शिंजो को 2007 में प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था. शिंजो आबे लगातार 2803 दिनों (7 साल 6 महीने) तक जापान के प्रधानमंत्री रहे. इससे पहले यह रिकॉर्ड उनके चाचा इसाकु सैतो के नाम था. राजनीतिक परिवार से हैं शिंजो शिंजो आबे के दादा नोबुसुके किशी (Nobusuke Kishi) भी जापान के प्रधानमंत्री रहे थे. नोबुसुके किशी साल 1957-60 तक जापान के प्रधानमंत्री रहे थे. वहीं शिंजो आबे के पिता शिंटारो आबे (Shintaro Abe) साल 1982-86 तक जापान के विदेश मंत्री रहे थे. उनके चाचा इसाकु सैतो भी लंबे समय तक जापान के प्रधानमंत्री रहे थे. इस तरह जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे एक बहुत ताकतवर राजनीतिक परिवार से संबंध रखते हैं. राजनीतिक करियर जापान की राजधानी टोक्यो में 21 सितंबर, 1964 को शिंजो आबे का जन्म हुआ था. वे 26 सितंबर, 2006 को 52 साल की उम्र में पहली बार जापान के प्रधानमंत्री बने. 1941 में फुमिमारो कोनो के बाद वो जापान के सबसे कम उम्र के प्रधानमंत्री रहे. इसके अलावा 2006-07 और 2012 से 2020 तक, दो टर्म में करीब 9 साल तक जापान के प्रधानमंत्री रहे. साल 2020 में भी उन्होंने सेहत के मुद्दे पर ही पद छोड़ा था. ये भी पढ़ें- जापान: जानें कैसी है शिंजो आबे की हालत? PM किशिदा ने दी जानकारी शिंजो आबे की उपलब्धियां जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे की कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां रही हैं. जापान को भारत का भरोसेमंद दोस्त और प्रमुख आर्थिक सहयोगी बनाने में आबे का बड़ा योगदान है. वहीं जापान में आर्थिक सुधार लागू करने के लिए उन्होंने काफी काम किया. उनके इन कदमों को दुनिया भर में सराहा भी गया. दूसरे विश्व युद्ध के बाद जापानी सैनिकों को पहली बार विदेशी सरजमीं पर लड़ने भेजने की मंजूरी देना भी उनकी उपलब्धियों में दर्ज है. शिंजो आबे ने साल 2007 में जापान, भारत, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के बीच चतुर्भुज सुरक्षा वार्ता शुरू की थी. अगस्त 2007 में भारत दौरे के दौरान उन्होंने दोनों देशों के बीच मैत्रीपूर्ण द्विपक्षीय संबंधों के लंबे इतिहास पर एक नए द्विपक्षीय एशियाई गठबंधन के लिए भी सहमति दी थी. संबंधित लेखFirst Published : 08 Jul 2022, 12:04:48 PM For all the Latest Specials News, Exclusive News, Download News Nation Android and iOS Mobile Apps.शिंज़ो आबे: जापान के पूर्व प्रधानमंत्री को गोली मारने वाले शख़्स को जानिए8 जुलाई 2022 इमेज स्रोत, yomiuri इमेज कैप्शन, 41 साल के तेत्सुया यामागामी जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंज़ो आबे शुक्रवार को दिन में 11:30 बजे देश के पश्चिमी हिस्से नारा में एक चुनावी सभा को संबोधित कर रहे थे, तभी पीछे से उन्हें गोली मार दी गई. गोली लगने के बाद उन्हें कार्डियक अरेस्ट भी हुआ. बाद में अस्पताल में उनका निधन हो गया. गोली चलाने वाले 41 साल के संदिग्ध को पुलिस ने घटनास्थल से ही गिरफ़्तार कर लिया था. जापान के सरकारी प्रसारक एनएचके के अनुसार, संदिग्ध हमलावर शिंज़ो आबे से नाख़ुश था और उसने हत्या के इरादे से ही गोली चलाई थी. गोली लगने के बाद शिंज़ो आबे को हेलिकॉप्टर से नारा मेडिकल यूनिवर्सिटी अस्पताल में भर्ती किया गया था लेकिन उनकी जान नहीं बचाई जा सकी. एनएचके अनुसार, गोली लगने से शिंज़ो आबे की गर्दन ज़ख़्मी हुई थी. उनके सीने के करीब से भी ब्लीडिंग की ख़बर थी. जापान के प्रधानमंत्री फ़ुमियो किशिदा ने कहा है कि 67 साल के आबे की हालत गंभीर है और वह उनके ठीक होने के लिए दुआ कर रहे हैं. वीडियो कैप्शन, शिंज़ो आबे: जापान के पूर्व प्रधानमंत्री को रैली के दौरान गोली मारी हमलावर कौन है?एनएचके के अनुसार, हमलावर की पहचान 41 साल के तेत्सुया यामागामी के रूप में हुई है. समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक़, उन्होंने पुलिस से कहा है कि वो आबे से असंतुष्ट थे और उनकी हत्या करना चाहते थे. हमलावर ग्रे टी-शर्ट और ट्राउजर में था. रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के हवाले से एनएचके ने बताया है, "संदिग्ध सेल्फ डिफेंस फ़ोर्स का पूर्व मेंबर है और इसने हैंडमेड गन से गोली मारी है. 2005 तक इसने तीन साल सेल्फ डिफेंस फ़ोर्स में काम किया था." नारा में रहने वाली 50 साल की एक महिला शिंज़ो आबे की जनसभा में मौजूद थीं. उन्होंने एनएचके से कहा, "मैं आबे का भाषण सुन रही थी, तभी देखा कि हेलमेट पहने एक व्यक्ति ने दो गोली मारी. दूसरी गोली लगने के बाद आबे गिर गए थे. उस व्यक्ति को तत्काल गिरफ़्तार कर लिया गया. तत्काल एम्बुलेंस बुलाई गई और आबे को हॉस्पिटल भेजा गया. मैं हैरान थी कि हमलावर मेरे सामने ही खड़ा था." शिंज़ो आबे की डेमोक्रेटिक लिबरल पार्टी के पदाधिकारी जो उनके साथ जनसभा में थे, उन्होंने पत्रकारों से कहा, "उस व्यक्ति ने गोली 10 मीटर की दूरी से मारी थी. ऐसा लगा कि किसी ने पटाखा फोड़ा हो. मैं अब भी हैरान हूँ कि मेरे ही सामने इतना कुछ हुआ. मैं भरोसा नहीं कर सकता. गोली मारने के बाद भी वह शांत था और भागा नहीं." जापान के राष्ट्रपति फ़ुमियो किशिदा ने शुक्रवार को हमलावर के बारे में कहा, "अभी हमें हमलावर की आपराधिक पृष्ठभूमि के बारे में जानकारी नहीं है. पुलिस की जाँच के बाद ही पता चल पाएगा. हमारे लिए हमलावर की पृष्ठभूमि की जानकारी काफ़ी अहम है."
इमेज स्रोत, TORU HANAI/Reuters शिंज़ो आबे की शख़्सियतशिंज़ो आबे का जन्म 1954 में एक राजनीतिक परिवार में हुआ था. उनके पिता शिंतारो आबे भी नेता थे और जापान के विदेश मंत्री रहे थे. शिंज़ो आबे के दादा नोबुसुके किशी जापान के प्रधानमंत्री रहे थे. 2006 में शिंज़ो आबे दूसरे विश्व युद्ध के बाद जापान के सबसे कम उम्र के प्रधानमंत्री बने थे. हालांकि उन्होंने उसी साल इस्तीफ़ा दे दिया था और फिर 2012 से 2020 तक जापान के प्रधानमंत्री रहे. आबे ने सेहत से जुड़ी समस्याओं के कारण 2020 में इस्तीफ़ा दे दिया था. हालांकि अपनी पार्टी में आबे अब भी सबसे लोकप्रिय नेता हैं. 67 वर्षीय आबे को कई साल से अल्सरेटिव कोलाइटिस की समस्या थी, लेकिन कहा जा रहा है कि हाल में उनकी स्थिति ज़्यादा बिगड़ गई थी. शिंज़ो आबे का कार्यकाल सितंबर 2021 में ख़त्म होने वाला था. आबे जापान के सबसे लंबे समय तक पीएम रहने का रिकॉर्ड तोड़ चुके थे. 2007 में भी उन्होंने अल्सरेटिव कोलाइटिस की वजह से अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. ये एक बड़ी आंत की एक गंभीर बीमारी है, जिससे आबे किशोरावस्था से जूझ रहे हैं. जापान में हाई प्रोफ़ाइल हत्या या हत्या की कोशिश का इतिहास रहा है. इनमें 1932 में जापान के प्रधानमंत्री इनुकाई सुयोशी की हत्या एक नेवी अधिकारी ने कर दी थी. यह नाकाम तख़्तापलट का हिस्सा था. जापान का नाम उन देशों में शुमार है, जहाँ बंदूक रखने को लेकर बेहद कड़े क़ानून हैं. शिंज़ो आबे ने इसी साल फ़रवरी में कहा था कि जापान को लंबे समय से जारी एक वर्जना को तोड़ देना चाहिए और परमाणु हथियारों पर सक्रिय बहस शुरू करनी चाहिए. जापान देश में कुल कितने राज्य हैं?जापान को ४७ प्रशासनिक प्रान्तों और आठ पारंपरिक क्षेत्रों में विभाजित किया गया है।
भारत के प्रधानमंत्री का नाम क्या है?नरेन्द्र मोदीभारत / प्रधानमंत्रीnull
जापान के संविधान के अनुसार प्रधानमंत्री की नियुक्ति कौन करता है?उत्तर - जापान में प्रधानमंत्री की नियुक्ति सम्राट करता है ।
जापान में मंत्रिमंडल का मुखिया कौन होता है?कार्यकारी जापान की कार्यकारी शाखा, प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में होता है। प्रधानमंत्री, मंत्रिमण्डल का प्रमुख होता हैं, और विधायी अंग, नेशनल डाइट द्वारा नामित किया जाता है। मंत्रिमंडल, राज्यमंत्री से मिलकर बना होता हैं और किसी भी समय प्रधानमंत्री द्वारा नियुक्त या बहिष्कृत किया जा सकते है।
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