वसंत ऋतु में नीलकंठ के लिए जालीघर में बंद रहना असहनीय हो जाता था, क्यों? - vasant rtu mein neelakanth ke lie jaaleeghar mein band rahana asahaneey ho jaata tha, kyon?

वसंत ऋतु में नीलकंठ के लिए जालीघर में बंद रहना असहनीय क्यों हो जाता था?

वसंत ऋतु के आरम्भ होते ही अपने स्वभाव के कारण नीलकंठ अस्थिर हो उठता था। वर्षा ऋतु में जब आम के वृक्ष मंजरियों से लद जाते थे। अशोक का वृक्ष नए गुलाबी पत्तों से भर जाता, तो वह बाड़े में स्वयं को रोक नहीं पाता था । उसे मेघों के उमड़ आने से पूर्व ही इस बात की आहट हो जाती थी कि आज वर्षा अवश्य होगी। वह उसका स्वागत करने के लिए अपने स्वर में मंद केका करने लगता और उसकी गूँज सारे वातावरण में फैल जाती थी। उस वर्षा में अपना मनोहारी नृत्य करने के लिए वह अधीर हो उठता और जालीघर से निकलने के लिए छटपटा जाता था।

Concept: गद्य (Prose) (Class 7)

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बसंत ऋतु में नीलकंठ के लिए जाली घर में बंद रहना क्यों असहनीय हो जाता था?

Solution : नीलकंठ को फलों के वृक्षों की अपेक्षा पुष्पित और पल्लवित वृक्ष ज्यादा अच्छे लगते थे। वसंत ऋतु में जब आम के वृक्षों पर सुनहरी मंजरियाँ लद जाती थीं और अशोक वृक्ष लाल रंग वाले फूलों से भर उठता था तब नीलकंठ के लिए जाली घर में रहना मुश्किल हो जाता था

नीलकंठ सबसे अधिक प्रसन्न कब होता है?

नीलकंठ सबसे अधिक प्रसन्न कब होता था? Solution : वर्षा ऋतु में जब आकाश बादलों से ढक जाता था, वसन्त की ऋतु में आम के वृक्ष सुनहली मंजरियों से लद जाते थे और अशोक के वृक्ष जब नए लाल पल्लवों से ढक . जाते थे, तब नीलकंठ अत्यधिक प्रसन्न होता था

क्या नीलकंठ भी अपनी मुक्ति के लिए प्रयास करता होगा आपको क्या लगता है?

उसको देखकर सब पशु-पक्षी तो भाग गए पर सिर्फ़ एक खरगोश का शावक न भाग पाया और साँप उसे निगलने का प्रयास करने लगा। खरगोश का शावक उसकी कैद से छूटने के प्रयास में क्रंदन करने लगा।

नीलकंठ और राधा के बीच दूरी का कारण कौन बना?

उसी बीच राधा ने दो अंडे दिए, जिनको वह पंखों में छिपाए बैठी रहती थी। पता चलते ही कुब्जा ने चोंच मार-मारकर राधा को ढकेल दिया और फिर अंडे फोड़कर ठूंठ जैसे पैरों से सब ओर छितरा दिए । इस कलह-कोलाहल से और उससे भी अधिक राधा की दूरी से बेचारे नीलकंठ की प्रसन्नता का अंत हो गया।