विद्युत लेपन किसे कहते हैं दैनिक जीवन में विद्युत लेपन का क्या उपयोग है? - vidyut lepan kise kahate hain dainik jeevan mein vidyut lepan ka kya upayog hai?

विद्युत धारा द्वारा, धातुओं पर लेपन करने की विधि को विद्युतलेपन (Electroplating) कहते हैं। बहुधा लोहे की वस्तुओं को संक्षरण से बचाने तथा चमक के लिए, उन पर ताँबे, निकल अथवा क्रोमियम का लेपन किया जाता है। आधार धातु पर लेपन करने के बाद, लेपन की जानेवाली धातु के बाहरी गुण दिखाई देते हैं। इससे वस्तु का बाहरी रूप रंग निखर जाता है तथा साथ ही वस्तु संक्षारण से भी बचती है। विद्युत्लेपन द्वारा लेपित की जानेवाली धातु, आधार धातु से अच्छी प्रकार संबद्ध हो जाती है और लेपन प्राय: स्थायी रूप में किया जा सकता है।

विद्युतलेपन के लिये आवश्यक अवयव[संपादित करें]

विद्युत्लेपन सज्जा के मुख्य अंश निम्नलिखित हैं -

1. विद्युत् लेपन बाथ (Electroplating Bath) - जिसमें लेपन की जानेवाली धातु का यौगिक भरा होता है, जो धारा के प्रवाहित होने से धातु के आयनों में टूट जाता है और ये आयन आधार धातु की पृस्ठ (बाहरी सतह) पर लेपित हो जाते हैं।

2. दिष्ट धारा (direct current) का स्रोत (source) - यह सामान्यत: एक दिष्टकारी (rectifier) होता है और प्रत्यावर्ती धारा को दिष्ट धारा में बदलता है।

3. आधार धातु की वस्तु जिसपर लेपन किया जाना हो - यह धारा के ऋण टर्मिनल (negative terminal) से संबद्ध होती है। धन (positive) टर्मिनल ऐनोड से संबद्ध होता है, जो लेपन की जानेवाली धातु के यौगिक में डूबा रहता है। जब दोनों टर्मिनलों के बीच धारा प्रवाहित होती है, तो लेपन धातु के धन आयन कैथोड (cathode) के तल की ओर को चलते हैं और धात्वीय रूप में परिवर्तित होकर तल से लिपट जाते हैं। लेपन की मोटाई धारा के घनत्व एवं लेपन के काल पर निर्भर करती है।

विद्युत्लेपन के लिए दिष्ट धारा ही प्रयोग की जा सकती है, अन्यथा लेपन क्रिया होगी ही नहीं। जहाँ संभरण प्रत्यावर्ती धारा का होता है वहाँ इसे दिष्ट धारा में परिवर्तित करना आवश्यक होता है। यह दिष्टकारी (रेक्टिफायर) अथवा मोटर-जनित्र समुच्चय (motor generator set) द्वारा किया जा सकता है।

विधि[संपादित करें]

विद्युत लेपन किसे कहते हैं दैनिक जीवन में विद्युत लेपन का क्या उपयोग है? - vidyut lepan kise kahate hain dainik jeevan mein vidyut lepan ka kya upayog hai?

किसी धातु पर ताँबे का लेपन

किसी वस्तु पर विद्युत्लेपन करने से पहले, उसे अच्छी प्रकार साफ किया जाता है। उसपर किसी प्रकार का तैल पदार्थ, ग्रीज, अथवा धूल के कण नहीं होने चाहिए, अन्यथा लेपन पुख्ता (अच्छी प्रकार से) नहीं होगा। साफ करने के लिए कुछ रासायनिक विलयनों (कास्टिक सोडा) का भी प्रयोग किया जाता है और उनसे धोने के बाद, धात्वीय आक्साइडों को हटाने के लिए, लेपन की जानेवाली वस्तु को सल्फ्यूरिक अम्ल अथवा हाइड्रोक्लोरिक अम्ल के तनु विलयन में डाल दिया जाता है। इसके पश्चात् वह वस्तु लेपन किए जाने के लिए कैथोड (निगेटिव एलेक्ट्रोड) के रूप में लेपन वाथ (कंटेनर ) में लटका दी जाती है।

लेपन बाथ, सामान्यत: अचालक (जैसे -पीवीसी, रबर) पदार्थ की टंकी (tank) के रूप में होता है, जिसमें लेपन की जानेवाली धातु का रासायनिक विलयन भरा होता है। ताम्र (कापर) लेपन के लिए, यह विलयन ताम्र सल्फ़ेट का होता है। निकल लेपन के लिए निकल सल्फ़ेट का प्रयोग किया जाता है। इनके कुछ दूसरे रासायनिक यौगिक, इनके विशिष्ट लेपन के लिए प्रयोग किए जाते हैं। वैसे तो कोई भी धातु, किसी दूसरी धातु पर लेपित की जा सकती है, परंतु व्यावहारिक रूप में अधिकांशत: लोहे की वस्तुओं पर ताम्र, निकल अथवा क्रोमियम का लेपन किया जाता है और ताँबे तथा पीतल की वस्तुओं पर चाँदी अथवा सोने का लेपन किया जाता है।

लेपन में एक और व्यावहारिक कठिनाई है। यदि किसी सक्रिय धातु को ऐसे धातु के यौगिक के विलयन में डाल दिया जाए जिसमें आयन प्रचुर मात्रा में हों, (जैसे लोहे को ताम्र सल्फ़ेट के बाथ में) तो पृथक्करण क्रिया होने लगती है। ऐसे लेपन टिकाऊ नहीं होते। ताँबे या पीतल पर चाँदी-सोने का लेपन करने में भी यही कठिनाई होती है इनमें प्रयोग होनेवाले रासायनिक विलयनों का संघटन बहुत संतुलित रखा जाता है।

लेपन वाथ में, सामान्यत:, एक और यौगिक, जिसे योजित कारक (Additive agent) कहते हैं, मिलाया जाता है। गोंद, जिलेटिन, ऐल्ब्यूमिन आदि सामान्य प्रयोग में आनेवाले योजित कारक हैं।

ताम्र लेपन में ताम्र सल्फेट के स्थान पर ताम्र साइनाइड का प्रयोग भी किया जाता है। इसे बहुधा इस्पात पर पहला ताम्र आवरण देने के लिए प्रयोग करते हैं और बाद में ताम्र आवरण पर निकल अथवा क्रोमियम का लेपन किया जाता है। ताम्र लेपन में भी पहले ताम्र साइनाइड द्वारा पहला आवरण देने के पश्चात् दूसरा आवरण ताम्र सल्फ़ेट द्वारा दिया जाता है। चमक पैदा करने के लिए, साधारणतया, कुछ सोडियम थायोसल्फ़ेट भी लेपन बाथ में मिला दिया जाता है। अच्छे और टिकाऊ लेपन के लिए धारा घनत्व लगभग 100 ऐंपियर प्रति वर्ग मीटर होता है। इस विषय में अनुभव ही मुख्य कसौटी है।

कुछ उपयोग[संपादित करें]

  • निकल लेपन अधिकतर इस्पात के पुर्जों पर किया जाता है, जिससे उनमें चमक आ जाए, तल भी चिकना हो जाए तथा क्षरण भी रोका जा सके।
  • क्रोमियम लेपन, निकल लेपन की भाँति ही होता है, परंतु सजावट के लिए उससे भी सुंदर माध्यम है।
  • चाँदी-सोने का लेपन मुख्यत: सजावट तथा गहनों के लिए, अथवा बरतनों पर किया जाता है।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

  • विद्युतधातुकर्म (electrometallurgy)

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

  • Electrochemistry Encyclopedia article

विद्युत लेपन क्या है इसकी एक उपयोगिता लिखिए?

विद्युत धारा द्वारा किसी पदार्थ पर वांछित धातु की परत निक्षेपित करने की प्रक्रिया को विद्युतलेपन कहते हैं । विलयन होते हैं। (b) किसी विलयन से विद्युत धारा प्रवाहित होने पर प्रभाव उत्पन्न होता है। (c) यदि कॉपर सल्फेट विलयन से विद्युत धारा प्रवाहित की जाए तो कॉपर बैटरी के टर्मिनल से संयोजित प्लेट पर निक्षेपित होता है।

विद्युत लेपन करने का क्या कारण है?

विद्युत् लेपन करने के क्या कारण हैं ? Solution : विद्युत् लेपन के कारण (1)पुलों तथा स्वचालित वाहनों को जंग से बचाने के लिए लोहे पर जिंक की परत चढ़ाई जाती है। (2) खाद्य पदार्थों के भंडारण के लिए उपयोग में लाए जाने वाले लोहे के डिब्बों पर टिन का विद्युत् लेपन किया जाता है ताकि खाद्य पदार्थ लोहे के संपर्क में न आए।

विद्युत लेपन क्या है प्रक्रिया में अम्लीय जल का प्रयोग क्यों किया जाता है?

धातुओं को संक्षारण से बचाने के क्या-क्या उपाय हैं?

विद्युत लेपन करने में विद्युत का कौन सा प्रभाव है *?

सही उत्‍तर रासायनिक प्रभाव है। विद्युत लेपन: यह बिजली का उपयोग करके किसी अन्य सामग्री पर किसी वांछित धातु की एक परत जमा करने की प्रक्रिया है।