12. भारत में खाद्य संकट के क्या परिणाम हुए थे? - 12. bhaarat mein khaady sankat ke kya parinaam hue the?

खाद्य संकट: दो साल में खाद्य असुरक्षा का सामना कर रही आबादी की संख्या दोगुनी हुई, संयुक्त राष्ट्र महासचिव

संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों ने रूसी-यूक्रेन युद्ध को देखते हुए देशों से खाद्य उत्पादन बढ़ाने और निर्यात बंद नहीं करने का आह्वान किया

By DTE Staff

On: Thursday 19 May 2022

 

12. भारत में खाद्य संकट के क्या परिणाम हुए थे? - 12. bhaarat mein khaady sankat ke kya parinaam hue the?

 

12. भारत में खाद्य संकट के क्या परिणाम हुए थे? - 12. bhaarat mein khaady sankat ke kya parinaam hue the?

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12. भारत में खाद्य संकट के क्या परिणाम हुए थे? - 12. bhaarat mein khaady sankat ke kya parinaam hue the?
हंगर वाच की सर्वे रिपोर्ट बताती है कि हर 20 में से एक परिवार को अक्सर रात का खाना खाये बगैर सोना पड़ा। फोटो: अमित शंकर

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने आगाह किया कि रूस-यूक्रेन युद्ध से उत्पन्न खाद्य संकट नियंत्रण से बाहर हो रहा है, इसके चलते सबसे ज्यादा गरीब देश प्रभावित हो रहे हैं।

"ग्लोबल फूड सिक्योरिटी कॉल टू एक्शन" पर बुलाई गई मंत्रिस्तरीय बैठक में गुटेरेस ने कहा, " इस (युद्ध) संकट की वजह से लाखों लोगों को खाद्य असुरक्षा, कुपोषण, सामूहिक भूख और अकाल का सामना करना पड़ रहा है। यह संकट अभी सालों तक चल सकता है।"

इन दोनों देशों से लगभग 50 देशों में खाद्यान्न निर्यात किया जाता है, लेकिन युद्ध के कारण अन्न संकट खड़ा हा गया है और खाने-पीने की चीजों के दामों ने पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। कोविड-19 महामारी की वजह से पहले ही बुरे दौर से गुजर रही दुनिया के सामने भुखमरी का संकट खड़ा हो गया है।

वैश्विक भूख का स्तर एक नई ऊंचाई पर है। "ग्लोबल फूड सिक्योरिटी कॉल टू एक्शन" पर सुरक्षा परिषद की बैठक से ठीक पहले एक बयान में उन्होंने कहा, केवल दो वर्षों में गंभीर रूप से भूख का सामना कर रहे लोगों की संख्या दोगुनी हो गई है। यह संख्या महामारी से पहले 13.5 करोड़ थी, जो अब बढ़ कर 27.6 करोड़ हो गई है।

दरअसल, वैश्विक खाद्य बाजार की घेराबंदी की जा रही है। रूस दुनिया का सबसे बड़ा गेहूं निर्यातक है जबकि यूक्रेन छठा सबसे बड़ा निर्यातक है। काला सागर क्षेत्र के रूप में पहचाने जाने वाले ये दोनों देश विश्व स्तर पर व्यापार की जाने वाली सभी खाद्य कैलोरी का 12 प्रतिशत उत्पादन करते हैं। इन दोनों की वैश्विक गेहूं निर्यात में 29 प्रतिशत, मक्का निर्यात में 19 प्रतिशत और सूरजमुखी तेल के निर्यात में 78 प्रतिशत हिस्सेदारी है।

इसके अलावा नाइट्रोजन उर्वरकों के निर्यात के मामले में रूस का स्थान दुनिया में सबसे ऊपर है, जबकि पोटेशियम उर्वरकों के निर्यात के मामले में इसका स्थान दूसरा और फास्फोरस उर्वरकों में तीसरा स्थान है। इस तरह केवल खाद्य वस्तुओं, बल्कि उर्वरकों के वैश्विक बाजार में रूस की अच्छी-खासी दखल है।

दुनिया के लगभग 50 देश अपनी खाद्य आपूर्ति के लिए रूस-यूक्रेन पर निर्भर हैं, विशेष रूप से गेहूं, मक्का और सूरजमुखी के तेल के लिए। इन देशों में से अधिकांश एशिया, मध्य पूर्व और अफ्रीका के गरीब और आयात पर निर्भर रहने वाले देश शामिल हैं।

2021 में जो 53 देश खाद्य संकट का सामना कर रहे थे, उनमें से 36 देश ऐसे थे, जो अपने कुल गेहूं आयात का 10 प्रतिशत से अधिक यूक्रेन और रूसी निर्यात पर निर्भर थे। इनमें से 21 देशों में खाद्य संकट काफी गहरा था। 2019 में इन देशों में गेहूं और उसके उत्पादों द्वारा प्रति व्यक्ति प्रति दिन औसतन 408 किलो कैलोरी मुहैया कराई जाती थी।

वर्ल्ड फूड प्रोग्राम (डब्ल्यूएफपी) के अनुसार, अकेले पूर्वी अफ्रीका में, जहां गेहूं और गेहूं उत्पादों का औसत अनाज खपत का एक तिहाई हिस्सा होता है, गेहूं के कुल आयात का 90 प्रतिशत दोनों देशों से आता है।

गुटेरेस ने कहा, “दो हफ्ते पहले, मैंने अफ्रीका के साहेल क्षेत्र का दौरा किया, जहां मैं उन परिवारों से मिला, जो यह नहीं जानते कि उनका अगला भोजन कहां से आएगा। कुपोषण - एक बर्बाद करने वाली बीमारी जो इलाज न किए जाने पर जान ले सकती है - बढ़ रही है। जानवर पहले से ही भूख से मर रहे हैं। नेताओं ने मुझे बताया कि यूक्रेन में युद्ध के कारण तबाही जैसा हालात बन गए हैं।”

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार 5 लाख से अधिक लोग अकाल की स्थिति में रह रहे हैं, जो 2016 के मुकाबले लगभग 500 प्रतिशत अधिक हैं।

उन्होंने कहा, "अगर उर्वरक की ऊंची कीमतें जारी रहती हैं, तो अनाज और खाद्य तेल का वर्तमान संकट और बढ़ सकता है, जो अन्य खाद्य पदार्थों को भी प्रभावित कर सकता है। इससे एशिया और अमेरिका में अरबों लोग प्रभावित हो सकते हैं।"

14 मई को भारत द्वारा गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध की उन्नत देशों ने आलोचना की है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में भी जी7 देशों ने भारत से अपने फैसले को वापस लेने के लिए कहा। हालांकि भारत गेहूं का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है, लेकिन भारत अमूमन गेहूं निर्यात नहीं करता। गेहूं की आपूर्ति की मौजूदा कमी को देखते हुए, भारत ने पहले 10 मिलियन टन निर्यात का वादा किया था, जो दुनिया में पैदा हुए इस संकट को कम कर सकता था।

भारत के विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने इस आलोचना के जवाब में संयुक्त राष्ट्र की बैठक में कहा, “कई कम आय वाले लोग आज बढ़ती लागत और खाद्यान्न तक पहुंच में कठिनाई की दोहरी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। यहां तक कि भारत जैसे देशों जहां अभी खाद्यान्न का पर्याप्त स्टॉक है, वहां भी खाद्य कीमतों में अनुचित वृद्धि देखी गई है। इससे साफ है कि जमाखोरी और अटकलों का काम चल रहा है। हमें इस चुनौती से निपटना है।”

संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों और विश्व बैंक ने हाल ही में देशों से खाद्य उत्पादन में तेजी लाने का आह्वान किया है, जो मौजूदा संकट की ओर इशारा करता है। विश्व बैंक ने 18 मई को खाद्य असुरक्षित क्षेत्रों में खाद्य उत्पादन और पोषण आपूर्ति को बढ़ाने के उद्देश्य से 30 अरब डॉलर मूल्य की परियोजना की घोषणा की।