शिव पुराण में बताया गया है कि शिवलिंग पर चढ़ाने के लिए 5 पत्ते वाला बेलपत्र का मिल जाना सबसे अच्छा होता है। लेकिन यह बहुत ही दुर्लभ होन के कारण आसानी से नहीं मिल पाता है। इसलिए आप 3 पत्र वाला बेलपत्र भी चढ़ा सकते हैं। याद रखें कि तीन पत्ते में यदि एक भी पत्ता टूटा हो तो ऐसा बेलपत्र शिवजी को नहीं चढ़ाना चाहिए। Show बेलपत्र पर नहीं होने चाहिए ऐसे निशानशिवजी की पूजा के लिए बेलपत्र चुनते समय एक बात का ध्यान रखें के पत्तों के ऊपर धारियां नहीं होनी चाहिए। कुछ पत्रों पर चक्र के निशान होते हैं ऐसे निशान वाले बेलपत्र शिवजी को नहीं चढ़ाने चाहिए। या फिर किसी अन्य प्रकार के दाग धब्बे पत्ते पर हों तो ऐसे बेलपत्र चढ़ाना दोषपूर्ण माना गया है। मान्यता है कि चक्र और वज्र वाले बेलपत्र खंडित माने जाते हैं। पूजा में इनका फल नहीं प्राप्त होता है। बेलपत्र नहीं होना चाहिए इस अवस्था मेंसावन के शिवजी पर बेलपत्र चढ़ाने के लिए चुनते वक्त देखें कि यह कहीं से भी कटा और फटा नहीं होना चाहिए। शिव पुराण में ऐसे बेलपत्र को शिवजी पर चढ़ाना वर्जित माना गया है। अगर आपके पास अधिक बेलपत्र न हों तो एक भी चढ़ा सकते हैं। एक बेलपत्र चढ़ाने से भी उतना ही फल प्राप्त होता है। इस तरह से शिवलिंग पर चढ़ाएं बेलपत्रशिवपुराण में बेलपत्र शिवलिंग पर कैसे चढ़ाएं, इस बारे में भी बताया गया है। बेलपत्र को उलटकर चिकनी वाली तरफ से शिवलिंग पर चढ़ाना चाहिए। यह भी बताया गया है कि अगर आप अधिक बेलपत्र नहीं जुटा पाए हैं तो एक को भी जल से बार-बार धोकर शिवजी को चढ़ा सकते हैं। इन दिनों में तोड़ें बेलपत्रसावन सोमवार को बेलपत्र को तोड़ने के लिए यह नियम बताया गया है कि इस दिन चढ़ाने के लिए बेलपत्र रविवार को ही तोड़कर रख लें। शिवपुराण में बताया गया है कि सोमवार के दिन बेलपत्र नहीं तोड़ा जाता है। कहते हैं सोमवार और चतुर्दशी के दिन बेलपत्र तोड़ने से शिवजी अप्रसन्न होते हैं। बेलपत्र भगवान शिव को अति प्रिय है। इसके तीन पत्तों में सत, रज और तम तीनों गुणों का वास माना जाता है। वहीं यह भी कहा जाता है कि बेलपत्र के तीन पत्ते त्रिदेवों के साथ होने के प्रतीक हैं। बेल का यह महत्व यूं ही नहीं है। इसमें कई औषधीय गुण भी पाए जाते हैं साथ ही यह नेगेटिविटी को भी दूर करने में कारगर माने जाते हैं। आइए जानें बेलपत्र के उपाय जो हमेशा आएंगे आपके काम।बलौदाबाजार । सावन और फिर भगवान शिव के पूजन की बात आए और बिल्व पत्र की चर्चा ना हो, यह नामुमकिन है। महीना सावन का ही है और जगह-जगह शिवजी के अभिषेक और वंदन की धूम है। पूजन में उन्हें बेल पत्र अर्पित करके प्रसन्ना किया जा रहा है। माना जाता है कि बिल्व पत्र भगवान शिव को बेहद प्रिय है। कहा भी गया है 'दर्शनम् बिल्व पत्रस्य, स्पर्शनमं पाप नाशनम्' अर्थात बेल पत्र का दर्शन कर लेने मात्र से पापों का शमन हो जाता है। बेल पत्र अगर दुर्लभ या विशेष प्रकार का हो तो फिर इसके क्या कहने..। वहीं ग्राम चांपा स्थित एक खेत में ऐसा ही दुर्लभ बेल पत्र मिला है। अमूमन देखा जाता है कि बेल पत्र पर तीन पत्तियां होती हैं लेकिन यह बेलपत्र चार पत्तियों वाला है। जानकार बताते हैं कि इस तरह के बेल पत्र का मिलना और दर्शन बेहद शुभ होता है। इसको शिवजी को अर्पित करने से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। शिवजी को समर्पित किया बेल पत्र चार पत्तियों वाला यह बेल पत्र मिलने के बाद ग्राम चांपा में ग्रामीणों की भीड़ लग गई। कई पुरोहित और जानकार भी पहुंच गए। पंडितों का कहना है कि यह चार पत्तियों वाले बेल पत्र दुर्लभ माना गया है। इस तरह के बेल पत्र में यदि राम का नाम लिखकर उसे शिवजी को अर्पित कर दिया जाए तो उसका अनंत फल प्राप्त होता है। इसी तरह इस बेल पत्र में राम का नाम लिखकर उसे उनके प्रिय भगवान शिवजी को अर्पित कर दिया। बेल पत्र से जुड़ी कुछ खास बातें BalodaBazar: बड़ी मात्रा में महुआ शराब सहित दो आरोपित गिरफ्तार - बिल्व वृक्ष के आसपास सांप नहीं आते। - अगर किसी की शव यात्रा बिल्व वृक्ष की छाया से होकर गुजरे तो उसका मोक्ष हो जाता है। Balod Bazar: जमीन विवाद में हत्या के 15 आरोपितों को आजीवन कारावास की सजा यह भी पढ़ें- वायुमंडल में व्याप्त अशुद्घियों को सोखने की क्षमता सबसे ज्यादा बिल्व वृक्ष में होती है। - चार, पांच, छह या सात पत्तों वाला बिल्व पत्र पाने वाला परम भाग्यशाली होता है। इसे शिव को अर्पण करने से अनंत गुना फल मिलता है। चार पत्ती वाला बेलपत्र मिले तो क्या करना चाहिए?पंडितों का कहना है कि यह चार पत्तियों वाले बेल पत्र दुर्लभ माना गया है। इस तरह के बेल पत्र में यदि राम का नाम लिखकर उसे शिवजी को अर्पित कर दिया जाए तो उसका अनंत फल प्राप्त होता है। इसी तरह इस बेल पत्र में राम का नाम लिखकर उसे उनके प्रिय भगवान शिवजी को अर्पित कर दिया।
चार पत्ती वाला बेलपत्र का महत्व क्या होता है?भट्ट ने बताया धर्म शास्त्रों में 5 पत्तों के बेलपत्र का मतलब पांच प्रमुख देवताओं ब्रह्मा, विष्णु, महेश, गणेश और मां भगवती से होता है। 4 पत्तों से चार वेदों का होता है। ऐसा ही 9 पत्तों का महत्व नव दुर्गा से है।
4 बेलपत्र से क्या होता है?बेलपत्र को दिल के रोगियों के लिए भी बहुत ही खास औषधि माना जाता है। बेलपत्र का काढ़ा बनाकर पीने से रक्चसंचार दुरुस्त होता है, रक्तसंचार अच्छा होने से हृदय मजबूत होता है। ऐसा होने से हर्ट अटैक का खतरा कम होता है। इसकी पत्तियों का रस पीने से श्वास संबंधी रोगों में भी आराम मिलता है।
शिव जी पर कितने बेलपत्र अर्पित करने चाहिए?शिवलिंग पर कितने बेलपत्र चढ़ाना है शुभ
शिव पुराण के अनुसार, आपके पास जितने बेलपत्र हो उतने ही चढ़ा सकते हैं। वैसे तो शिवजी को 3 से लेकर 11 बेलपत्र चढ़ाना शुभ माना जाता है।
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