`( आ पाठ पढ़िए प्रश्नों के उत्तर दीजिए 1 इस कविता की कवयित्री क्या कहना चाहती हैं ?`? - `( aa paath padhie prashnon ke uttar deejie 1 is kavita kee kavayitree kya kahana chaahatee hain ?`?

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मेरा नया बचपन

पाठ -13

HINDI

अभ्यास-माला

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो :

(क) बचपन में ऐसी कौन-सी विशेषता होती है, जिसकी बार बार याद आती है ? 

उत्तर : बचपन होता है चिंता रहित खेलना खाना और निर्भय स्वच्छंद ढंग से चलने-फिरने का चमय, इसलिए बचपन की याद बार-बार आती है। 

(ख) कवयित्री क्यों चाहती हैं कि उनका बचपन फिर से लौट आए ? 

उत्तर : कवयित्री चाहती है कि उनका बचपन फिर से लौ आए; क्यों कि बचपन देती है वह निर्मल शान्ति और व्याकुल व्यथा को मिटाने बाली निर्मल तथा स्वाभाबिक बिश्रान्ति । 

(ग) वह प्यारा जीवन निष्पाप का अर्थ स्पष्ट करो। 

उत्तर : वह प्यारा जीवन निष्पाप का अर्थ यही है कि मनुष्य का बचपन प्यारा और निष्पाप जीवन होता है। 

(घ) मेरा नया बचपन कविता के प्रतिपाद्य को स्पष्ट करो।

उत्तर : ‘मेरा नया बचपन कविता के जरिये कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान जीने अपने बचपन की याद करते हुए कहती है। कि उनकी बचपन उनके लिए सबसे सुखदायक समय था। बचपन में लोग चिंता से मुक्त रहकर खेलता, खाता और स्वच्छंद ढंग से घुमफिर कर आनन्द में जीवन बिता सकता है। इसलिए वह बचपन की फिर एक बार लौट आ जाने के लिए बुला रही है। परन्तु उनकी बिटिया जव घर में आयी, तब बिटिया के रूप में वे अपनी बचपन को देख रही है। बिटिया की मंजुल मूर्ति देखकर उनका मन की संताप भी दूर हो गयी। 

2. आशय स्पष्ट करो :

(क) बार बार आती है मुझको 

      मधुर याद बचपन तेरी ।

                 गया ले गया तू जीवन की,

                 सबसे मस्त खुशी मेरी।

उत्तर : प्रस्तुत पंक्ति की अर्थ यही है कि कवि को बचपन की याद बार-बार आती है, क्यों कि बचपन सबसे मस्त खुशी का समय है। बचपन चल जाने पर मनुष्य की खुची भी चली जाती है। 

(ख) मैं बचपन को बुला रही थी,

       बोल उठी बिटिया मेरी,

               नंदन-वन-सी फूल उठी, 

               यह छोटी-सी कुटिया मेरी।

उत्तर : प्रस्तुत पंक्तियाँ की भावार्थ यही है कि-कवयित्री बचपन की याद करके बचपनको पुनः बुला रही थी; परन्तु उनकी बेटी का जन्म होने के बाद उनकी छोटी-सी कुटिया नन्दन-बन की तरह फुल उठी है और अपनी बिटिया के रूप में कवयित्री को बचपन फिर मिला है। 

3. निम्नलिखित कथनों में से सही कथन पर का चिह्न लगाओ : 

(क) कवयित्री को बार-बार बचपन की याद आती है, क्योंकि 

(अ) उनकी माँ उन्हें बहुत प्यार करती थी। 

(आ) बचपन अतुलित आनंद का भंडार होता है।

(इ) बचपन में कोई काम नहीं करना पड़ता ।

उत्तर : (आ) बचपन अतुलित आनंद का भंडार होता है।

(ख) बड़े-बड़े मोती से आँसु 

(अ) झूला झूलाते थे । 

(आ) जयमाला पहनाते थे।

(इ) आनंद दिलाते थे ।

उत्तर : (आ) जयमाला पहनाते थे। 

(ग) बचपन में रोने पर कवयित्री की माँ 

(अ) उन्हें गोद में उठाकर खुब प्यार करती थी। 

(आ) उन्हें बिल्ली मे डराती थी।

(इ) उनकी पिटाई कर देती थी। 

उत्तर : (अ) उन्हें गोद में उठाकर खूब प्यार करती थी।

(घ) कवयित्री की बिटिया उन्हें क्या खिलाने आई थी

(अ) मिठाई । 

(आ) चॉकलेट।

(इ) मिट्टी।

उत्तर : (इ) मिट्टी। 

4. रिक्त स्थानों की पूर्ति करो : 

उत्तर: (क) जिसे खोजती थी बरसों से 

                अब जाकर उसको पाया, 

                      भाग गया था मुझे छोड़कर,

                      वह बचपन फिर से आया।

 (ख) आ जा बचपन ! एक बार फिर, ‘

        दे दे अपनी निर्मल शांति

               व्याकुल व्यथा मिटाने वाली, 

               वह अपनी प्राकृत विश्रांति ।

Sl. No. Contents
Chapter 1 भारत हमको जान से प्यार है
Chapter 2 कश्मीरी सेब
Chapter 3 मैडम मेरी क्यूरी
Chapter 4 जलाशय के किनारे कुहरी थी
Chapter 5 उससे न कहना
Chapter 6 भारतीय संगीत की एक झलक
Chapter 7 पहली बूँद
Chapter 8 भारत दर्शन (डायरी के पन्नों से)
Chapter 9 जैसे को तैसे
Chapter 10 गोकुल लीला
Chapter 11 भारत की भाषिक एकता
Chapter 12 वाढ़ का मुकाबला
Chapter 13 मेरा नया बचपन
Chapter 14 मैं हूं महाबाहु ब्रह्मपुत्र

5. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो : 

(क) ‘मेरा नया बचपन’ कविता की रचयिता कौन हैं ? 

उत्तर : मेरा नया बचपन कविता की रचयिता सुभद्रा कुमारी चोहान है। 

(ख) कवयित्री किसे बुला रही थी ? 

उत्तर : कवयित्री अपनी बचपन को बुला रही थी। 

(ग) कवयित्री को नया जीवन किस रूप में प्राप्त हुआ ?

उत्तर : कवयित्री को नया जीवन अपनी बिटिया की रूप में प्राप्त हुआ। 

(घ) कवयित्री को मिट्टी खिलाने कौन आई थी ? 

उत्तर : कवयित्री को मिट्टी खिलाने अपनी बिटिया आई थी। 

(ङ) अपनी बिटिया की किस बात से कवयित्री बहुत खुश हुई ? 

उत्तर : माँ ओं’ अपनी बिटिया की इस बात से कवयित्री बहुत खुश हुई।

(च) कवयित्री के पास बचपन क्या बनकर आया ? 

उत्तर : कवयित्री के पास बचपन अपनी बिटिया बनकर आया था। 

(छ) किसकी मंजुल मूर्ति देखकर कवयित्री में नव-जीवन जाग उठा ? 

उत्तर : अपनी बिटिया की मंजुल मूर्ति देखकर कवयित्री में

नव-जीवन जाग उठा।

(ज) क्या तुम्हें भी बचपन प्रिय है ? 

उत्तर : जी हाँ, मेरा भी बचपन प्रिय है। 

पाठ के आस-पास

1. बचपन का अतुलित आनंद क्या है ? विस्तार से बताओ। 

उत्तर : बचपन अतुलित आनन्द का भंडार होता है। कवयित्री आपनी नन्ही सी बेटी को पाकर खोद भी अपने बचपन में लौट जाना चाहती। वह निर्मल खेलना खाना निर्भय स्वच्छंद विचरण, बचपन की भोली-सी मधुर सरलता, रोना और हठ करना। यह छोटी-छोटी सी खुशियाँ भी जीवन को आनन्द से भर देती है।

2. कविता को पढ़ते हुए तुम्हें अपना बचपन की क्या या बातें याद आती है ? 

उत्तर : खोद लिखो।

भाषा-अध्ययन

1. पर्यायवच शब्दों की जनकरी :

आकश – गगन, आसमान । 

पृथ्वी – धरनी, धरा। 

इस प्रकार निम्नलिखित शब्दों के दो-दो पर्यायवाची शब्द লিखो। 

मधर – सुदर, मीठा

खुशी – आनंद, प्रमोद। 

निर्मल – पबित्र साफ। 

माँ – मातृ, माता, जननी। 

मंजुल – उजवल, सुंदर। 

सरलता – सहजता, कोमलता। 

2. आओ, सरंश लेखन सीखे :

लेखक अपने भावों या विचारों को कई प्रकार की शैलियों में व्यक्त करता है। लेखक के विचारों को संक्षेप में लिखना ही सारांश लेखन है। । सारांश, सामान्यतः मूल रूप का एक तिहाई भाग होना चाहिए। इसमें अलग से कोई नयी बात जोड़नी नहीं चाहिए। सारांश लिखते समय सरल और उपयुक्त भाषा का प्रयोग करना चाहिए। क्लिष्ट सामासिक और आलंकारिक शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। सारांश लिखते समय मूल अंश को बार-बार पढ़ना चाहिए और मूल भावं या स्थल को रेखांकित करना चाहिए। तत्पश्चात मूल अंश के सारांश को सरल भाषा में लिखना चाहिए। सारांश में शीर्षक भी लिखना चाहिए।

3. अभ्यास:

मूल अंश : ज्ञानराशि के संचित कोश का नाम साहित्य है। सब तरह के भावों को प्रकट करने की योग्यता रखने वाली और निर्दोष होने पर भी, यदि कोई भाषा अपने निज का कोई साहित्य नहीं रखती तो वह रूपवती भिखारिन की तरह कदापि आदरणीय नहीं हो सकती। उसकी शोभा, उसकी श्री संपन्नता, उसकी मान मर्यादा, उसके साहित्य पर ही अवलंवित रहती है। जिस जाति विशेष में साहित्य का अभाव आपको दिखाई पड़े आप निःसंदेह निश्चित समझिए कि वह जाति असभ्य, किंवा अपूर्ण सभ्य है। जिस जाति की सामाजिक अवस्था जैसी होती है उसका साहित्य भी वैसा ही होता है। जातियों की क्षमता और सजीवता यदि कहीं प्रत्यक्ष देखने को मिल सकती है तो यह साहित्य रूपी आईने में ही संभव है।

मूल अंश का सारांश :

   शीर्षक – साहित्य का महत्व

उत्तर : किसी जाति या राष्ट्र का ज्ञान उसके साहित्य में संचित रहता है। प्रत्येक भाषा का साहित्य होना चाहिए। साहित्य किसी देश या जाति की ऐतिहासिक, सामाजिक, राजनैतिक और धार्मिक स्थिति का पता चलता है। इससे उसकी सभ्यता, संस्कृति और मनोभाव का परिचय भी मिलता है। 

योग्यता – विस्तार 

1. शिशु अपनी शैशवावस्था में अनेक शरारते करता है। अपने आस-पास के शिशु द्वारा किए गए व्यवहारों की एक सूची सुनाओ। 

उत्तर : खोद करो। 

2. सुभद्रा कुमारी चौहान की कुछ अन्य कविताएँ पुस्तकालय

लेकर पठ़ो। 

उत्तर : खोद करो।

`( आ पाठ पढ़िए प्रश्नों के उत्तर दीजिए 1 इस कविता की कवयित्री क्या कहना चाहती हैं ?`? - `( aa paath padhie prashnon ke uttar deejie 1 is kavita kee kavayitree kya kahana chaahatee hain ?`?

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कवयित्री क्या कहना चाहती हैं?

इन सब तर्को से कवयित्री यही कहना चाहती है कि अभी कठिन समय नहीं है सभी कार्य हो रहे हैं। इसलिए अपने अभीष्ट मार्ग पर बढ़ने हेतु समय का विचार मत करो आगे बढ़ो और सफलता प्राप्त करो। अंतरिक्ष के पार की दुनिया से क्या सचमुच कोई बस आती है जिससे खतरों के बाद भी बचे हुए लोगों की खबर मिलती है?

कविता की कवयित्री कौन है?

सुभद्रा कुमारी चौहान (१६ अगस्त १९०४-१५ फरवरी १९४८) हिन्दी की सुप्रसिद्ध कवयित्री और लेखिका थीं।

4 पठित पाठ के आधार पर बताइए कि कवयित्री ने अपनी कविता के माध्यम से मनुष्य को क्या करने की प्रेरणा देना चाहती हैं?

Answer: कवयित्री व्यक्ति को अपने परिजनों के मोहपूर्ण बंधन से मुक्त होने का संदेश देती है। उनके अनुसार मनुष्य के मार्ग में ये बंधन सबसे बड़ी बाधा होते हैं। ये बंधन मनुष्य को आगे नहीं बढ़ने देते हैं

कविता में अमरता सुत किसे और क्यों कहा गया है?

उत्तर: संत इस कविता में 'अमरता- सुत' का संबोधन मनुष्य के आत्मा के लिए है। कवयित्री के अनुसार आत्मा अमर है। जो व्यक्ति अपने जीवन के मर सूद पर चलता है। उसकी आत्मा कभी नष्ट नहीं होती।