अमेरिका स्वतंत्रता संग्राम का भारत पर क्या प्रभाव पड़ा? - amerika svatantrata sangraam ka bhaarat par kya prabhaav pada?

अमेरिका द्वारा स्वतन्त्रता की घोषणा (4 जुलाई, 1776 ई.)

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“हम इन सत्यों को स्वयंसिद्ध मानते हैं कि सभी मनुष्य जन्म से एकसमान हैं, सभी मनुष्यों को परमात्मा ने कुछ ऐसे अधिकार प्रदान किये हैं जिन्हें छीना नहीं जा सकता है और इन अधिकारों में जीवन, स्वतन्त्रता और अपनी समृद्धि के लिए प्रयत्नशील रहने का अधिकार शामिल है।”

  • स्वतन्त्रता संग्राम के कारण :
    • 1. व्यापारिक स्वतन्त्रता पर अनुचित प्रतिबन्ध
    • 2. सप्तवर्षीय युद्ध में फ्रांस पर इंग्लैण्ड की विजय
    • 3. स्वतन्त्रता प्रेमी
    • 4. स्टाम्प एक्ट
    • 5. बोस्टन दुर्घटना
    • 6. जॉर्ज तृतीय की कठोर नीति
    • 7. स्वतन्त्रता की घोषणा एवं क्रान्ति का आरम्भ
  • ‘स्वाधीनता के युद्ध’ के परिणाम :
    • 1. पुरातन व्यवस्था का अन्त
    • 2. जॉर्ज तृतीय के व्यक्तिगत शासन का अन्त
    • 3. नवीन बस्तियों की खोज
    • 4. आयरलैण्ड को कानून बनाने की स्वतन्त्रता
    • 5. फ्रांस की क्रान्ति
    • 6. भारत में स्थिति दृढ़
  • अमेरिका के स्वतन्त्रता युद्ध के प्रभाव :
    • 1. संयुक्त राज्य का निर्माण
    • 2. पुरानी औपनिवेशिक नीति का अन्त
    • 3. जॉर्ज तृतीय के व्यक्तिगत शासन का अन्त
    • 4. प्रजातान्त्रिक विचारधारा का विकास
    • 5. धार्मिक स्वतन्त्रता
    • 6. सामाजिक सुधारों की प्रेरणा
    • 7. आयरलैण्ड पर प्रभाव
    • 8. फ्रांस की राज्य क्रान्ति पर प्रभाव
    • 9. उपनिवेशों की स्वतन्त्रता का मार्ग प्रशस्त
    • 10. ब्रिटेन की व्यापारिक प्रगति तथा उद्योग-धन्धों पर प्रभाव
    • 11. अंग्रेजों के साम्राज्य के प्रति दृष्टिकोण में बदलाव
    • 12. ब्रिटेन के नये उपनिवेशों की स्थापना
  • क्रान्ति में इंग्लैण्ड की पराजय व अमेरिका की विजय के कारण :

स्वतन्त्रता संग्राम के कारण :

1. व्यापारिक स्वतन्त्रता पर अनुचित प्रतिबन्ध

इंग्लैण्ड की संसद ने उपनिवेशों की व्यापारिक स्वतन्त्रता पर प्रतिबन्ध लगा दिया था। उपनिवेशों को व्यापारिक क्षेत्र में कोई भी ऐसा कार्य नहीं करने दिया जाता था, जिससे इंग्लैण्ड के व्यापार को हानि पहुँचे।

2. सप्तवर्षीय युद्ध में फ्रांस पर इंग्लैण्ड की विजय

फ्रांस का अमेरिका में अधिक आतंक था। फ्रांस वालों ने अपने उपनिवेश वहाँ स्थापित किये थे। 17वीं सदी के धार्मिक युद्धों के कारण बहुत से अंग्रेज अमेरिका में जा बसे थे। अतएव इन उपनिवेशों की अधिकांश जनता अंग्रेज ही थी। यूरोप के सप्तवर्षीय युद्ध में इंग्लैण्ड ने फ्रांस को पराजित कर उसका आतंक उपनिवेश वालों के मन से हटा दिया। अब उन्हें किसी बाह्य शक्ति का भय नहीं था।

3. स्वतन्त्रता प्रेमी

उपनिवेशवासी चिरकाल से स्वतन्त्रता के प्रेमी थे। वे अपनी स्वतन्त्रता में किसी प्रकार की कमी नहीं चाहते थे। अपनी मातृभूमि इंग्लैण्ड की तरह वे अपनी स्वतन्त्रता पर किसी प्रकार का भी प्रहार सहन नहीं कर सकते थे, इसलिए अब वे क्रान्ति के लिये तैयार हो गये।

4. स्टाम्प एक्ट

सन् 1765 ई. में स्टाम्प एक्ट पारित किया गया जिसके अनुसार समस्त कानूनी कागजों पर टिकट लगाना आवश्यक घोषित किया गया। कानून पास करते समय संसद में उपनिवेश का कोई प्रतिनिधि नहीं था। अतः इसके खिलाफ आवाज उठानी शुरू कर दी गई।

5. बोस्टन दुर्घटना

सन् 1772 ई. में उन्होंने एक राजकीय जहाज को जला दिया और सन् 1773 ई. में मोहक लोगों ने बोस्टन बन्दरगाह पर एक जहाज में से 340 चाय से भरी हुई पेटियाँ समुद्र में फेंक दीं। इस अप्रिय घटना से इंग्लैण्ड क्रोधित हो गया और बन्दरगाह को व्यापार के लिए निषेध कर दिया। इससे वहाँ के निवासी विद्रोही हो गये।

6. जॉर्ज तृतीय की कठोर नीति

जॉर्ज तृतीय ने अपनी कठोर नीति के कारण अपनी जनता को अपने विरुद्ध कर लिया था। विदेश नीति में भी उसको सफलता नहीं मिली थी। अतएव इंग्लैण्ड की जनता उसके विरुद्ध हो गयी और अमेरिका वालों को बल मिला।

7. स्वतन्त्रता की घोषणा एवं क्रान्ति का आरम्भ

इंग्लैण्ड की यातनाओं से तंग आकर 4 जुलाई, 1776 को उपनिवेश के सभी राज्यों ने मिलकर स्वतन्त्रता की घोषणा कर दी और इंग्लैण्ड से सम्बन्ध विच्छेद करने का निश्चय किया। इस उद्घोषणा के परिणामस्वरूप अमेरिका के उपनिवेशों और इंग्लैण्ड में सन् 1776 ई. में लेकिंग्स्टन नामक स्थान पर युद्ध छिड़ गया ।

‘स्वाधीनता के युद्ध’ के परिणाम :

अमरीका के स्वाधीनता संग्राम के निम्नलिखित परिणाम हुए-

1. पुरातन व्यवस्था का अन्त

इस युद्ध ने बस्तियों की पुरानी व्यवस्था में परिवर्तन की नींव डाली। अंग्रेज राजनीतिज्ञों ने समझ लिया कि उन्हें उपनिवेशों का शोषण करने की नीति को छोड़ना पड़ेगा, तभी वे अन्य उपनिवेशों को अपने अधीन रख सकेंगे। अतः अंग्रेजों की उपनिवेश नीति में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन हुआ।

2. जॉर्ज तृतीय के व्यक्तिगत शासन का अन्त

इस युद्ध के परिणामस्वरूप इंग्लैण्ड में जॉर्ज तृतीय के व्यक्तिगत शासन का अन्त हुआ, लॉर्ड नार्थ को त्यागपत्र देना पड़ा, तथा इस प्रकार अंग्रेजों को पुनः नागरिक स्वतन्त्रता प्राप्त हुई।

3. नवीन बस्तियों की खोज

इस युद्ध से इंग्लैण्ड की प्रतिष्ठा पर तीव्र आघात हुआ। अब उसके समक्ष अनेक ऐसी समस्याएँ उत्पन्न हो गयी। एक बड़ी संख्या में अंग्रेज भक्त अमरीकन कनाडा में जा बसे। ‘उनके वहाँ बस जाने से कनाडा में अंग्रेजों और फ्रांसीसियों में समय-समय पर झगड़ा होना स्वाभाविक था।

अमेरिका स्वतंत्रता संग्राम का भारत पर क्या प्रभाव पड़ा? - amerika svatantrata sangraam ka bhaarat par kya prabhaav pada?

इसके अतिरिक्त, अब तक इंग्लैण्ड अपराधियों को अमरीका भेजा करता या अतः जब इसे इन अपराधियों को भेजने के लिए नए स्थान की खोज करनी पड़ी। इन्ही परिस्थितियों में अंग्रेजों ने आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैण्ड में जाकर बसना प्रारम्भ कर दिया और वहां बस्तियों की स्थापना करने लगे। इस प्रकार एक नए अंग्रेजी साम्राज्य ने जन्म लिया।

4. आयरलैण्ड को कानून बनाने की स्वतन्त्रता

आयरलैण्ड को भी इस युद्ध के परिणामस्वरूप कानून बनाने की स्वतन्त्रता मिल गयी। उत्तरी अमरीका में इंग्लैण्ड की पराजय का लाभ उठाते हुए, आयरलैण्ड ने वैधानिक स्वतन्त्रता (Legislative Independence) की मांग की, जो उसे सन् 1782 ई. में प्राप्त हो गई।

5. फ्रांस की क्रान्ति

फ्रांस की राज्य-क्रान्ति पर भी अमरीका के इस संग्राम का व्यापक प्रभाव पड़ा। फ्रांसीसी सेनाएँ विजयी बस्तियों की ओर लड़ने के लिए अमरीका भेजी गयी थीं। वहाँ से जब ये सेनाएँ स्वदेश लौटीं तो उन्होंने अनुभव किया कि यदि वे दूसरे लोगों को स्वतन्त्रता प्राप्त कराने में सहायक हो सकती हैं तो क्या वह स्वयं स्वतन्त्र नहीं हो सकतीं। इन सेनाओं ने फ्रांस की क्रान्ति में अत्यन्त महत्वपूर्ण कार्य किया।

6. भारत में स्थिति दृढ़

यद्यपि इंग्लैण्ड को इस युद्ध के कारण अमरीका से हाथ धोना पड़ा, किन्तु उसका भारत पर अधिकार पहले से अधिक हो गया, क्योंकि उसने युद्ध के दौरान फ्रांस से भारतीय सैटिलमेण्ट्स को ले लिया था।

अमेरिका के स्वतन्त्रता युद्ध के प्रभाव :

एच. डब्ल्यू, एल्सन के अनुसार, अमेरिकन क्रान्ति परिणामों की दृष्टि से मानव इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना थी। इस स्वतन्त्रता युद्ध के निम्नलिखित महत्वपूर्ण प्रभाव पड़े-

1. संयुक्त राज्य का निर्माण

स्वतन्त्रता युद्ध के फलस्वरूप संयुक्त राज्य अमेरिका के नये राज्य का निर्माण हुआ। स्वतन्त्रता के सिद्धान्त को आधार बनाकर इस संग्राम का सूत्रपात किया गया था। इस आधार की अमेरिकी रक्षा करना चाहते थे। अतः उन्होंने अपने संविधान में इस प्रकार की व्यवस्थाएं की जिससे संघीय राज्यों की स्वतंत्रता अक्षुण्ण बनी रही रहे।

2. पुरानी औपनिवेशिक नीति का अन्त

इस स्वतन्त्रता युद्ध ने पुरानी औपनिवेशिक नीति “उपनिवेश इंग्लैण्ड को लाभ पहुँचाने के लिए है” का अन्त किया। अंग्रेजों ने यह अनुभव किया कि केवल व्यापारिक शोषण के आधार पर उपनिवेशों पर अधिकार नहीं रखा जा सकता। ब्रिटेन के नीति निर्धारकों के दृष्टिकोण में यह परिवर्तन महत्वपूर्ण था। इसके पश्चात् ब्रिटिश राष्ट्रमण्डल का विकास हुआ।

3. जॉर्ज तृतीय के व्यक्तिगत शासन का अन्त

लॉर्ड नार्थ के प्रधानमन्त्रित्व काल में (सन् 1770- 89 ई.) जॉर्ज तृतीय का व्यक्तिगत शासन पराकाष्ठा पर था। स्वतन्त्रता युद्ध में ब्रिटेन की पराजय का एक परिणाम यह हुआ कि लॉर्ड नार्थ को प्रधानमन्त्री पद से त्याग-पत्र देना पड़ा। उसके त्यागपत्र देते ही राजा के अधिकारों को सीमित करने की कार्यवाहियाँ प्रारम्भ हो गयी। जॉर्ज तृतीय के व्यक्तिगत शासन का अन्त हुआ। अंग्रेजों को पुनः स्वतन्त्रता प्राप्त हुई।

4. प्रजातान्त्रिक विचारधारा का विकास

इस स्वतन्त्रता युद्ध के फलस्वरूप अमेरिका में प्रजातान्त्रिक भावनाएँ पनपने लगी। उस समय की प्रचलित धारणाओं तथा व्यवस्थाओं पर इस क्रान्ति ने आघात किया। इसने दैवी राजतन्त्र तथा कुलीनतन्त्रीय एकाधिकार पर चोट की तथा समानता एवं स्वतन्त्रता का पाठ पढ़ाया। संयुक्त राज्य अमेरिका ने यद्यपि अध्यक्षात्मक सरकार की स्थापना की, परन्तु फिर भी प्रजातान्त्रिक संस्थाओं को अपनाया। इसने संसद, प्रतिनिधि संस्था, जनता की प्रभुसत्ता अर्थात् अमेरिकी जनतन्त्र की नींव डाली। मॉण्टेस्क्यू का शक्ति पृथक्करण का सिद्धान्त अमेरिकी संविधान निर्माताओं ने स्वीकार किया।

5. धार्मिक स्वतन्त्रता

अमेरिकन स्वतन्त्रता युद्ध का एक प्रभाव यह हुआ कि पूर्ण धार्मिक स्वतन्त्रता के सिद्धान्त की स्थापना हुयी। एंग्लिकन चर्च की पुरानी व्यवस्थाओं का अन्त हो गया तथा सभी को धार्मिक स्वतन्त्रता प्रदान की गयी।

6. सामाजिक सुधारों की प्रेरणा

1781 ई में मैसाचुसेट्स ने एक न्यायिक निर्णय के फलस्वरूप सभी दासों को स्वतन्त्र घोषित कर दिया। न्यू जर्सी राज्य ने सन् 1804 ई. में एक नियम बनाकर दासता को धीरे धीरे समाप्त करने का प्रयास किया।

अमेरिकन स्वाधीनता के कारण भू-स्वामित्व में परिवर्तन आया। राजभक्तों के पास जो बड़ी-बड़ी जागीरें थीं उन्हें जब्त कर लिया गया।

उत्तराधिकार के नियमों में महत्वपूर्ण सुधार किये गये। व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसकी भूमि को उसके सभी पुत्रों के मध्य विभाजित करने का नियम बनाया गया।

7. आयरलैण्ड पर प्रभाव

इस युद्ध के परिणामस्वरूप आयरलैण्ड में वैधानिक स्वतन्त्रता की माँग तेज हुई। अमेरिका में अपनी पराजय से भयभीत इंग्लैण्ड की सरकार ने आयरिश जनता की माँगें पूरी कर दी। सन् 1780 ई. में यंगरपिट ने ‘एक्ट ऑफ यूनियन’ पास करके इंग्लैण्ड की संसद के साथ आयरिश संसद को मिला दिया, परन्तु इससे आयरलैण्ड की जनता सन्तुष्ट नहीं हुई, उन्होंने अपना आन्दोलन जारी रखा।

8. फ्रांस की राज्य क्रान्ति पर प्रभाव

अमेरिकी स्वतन्त्रता युद्ध का प्रभाव फ्रांस की राज्य क्रान्ति पर भी पड़ा। अमेरिकी स्वतन्त्रता युद्ध के प्रभावों के बारे में बैब्स्टर ने लिखा है, “अमेरिका की राज्य क्रान्ति ने विश्व के राष्ट्रों, विशेषकर यूरोप के राज्यों का पथ प्रदर्शन किया। इसी ने फ्रांस की राज्य क्रान्ति को नेता प्रदान किये।” फ्रांसीसी सैनिकों ने अमेरिका के स्वाधीनता युद्ध में भाग लिया। वे अमेरिकी विचारों, संस्थाओं तथा रहन-सहन से बड़े प्रभावित युद्ध हुए। स्वदेश लौटकर उन्होंने अमेरिकी शासन पद्धति तथा संस्थाओं के नमूनों पर अपने देश में भी व्यवस्थाओं की माँग की। इसके अतिरिक्त फ्रांस द्वारा अमेरिकियों को मदद दिये जाने के कारण फ्रांस की आर्थिक स्थिति अत्यन्त खराब हो गयी। फ्रांस का आर्थिक दिवाला निकल गया। फ्रांस की राज्य क्रान्ति का तात्कालिक कारण फ्रांस की दयनीय आर्थिक स्थिति ही थी।

9. उपनिवेशों की स्वतन्त्रता का मार्ग प्रशस्त

अमेरिकी स्वतन्त्रता युद्ध ने उपनिवेशों की स्वतन्त्रता के लिए मार्ग प्रशस्त किया था, इसी कारण अंग्रेजों की उपनिवेश नीति में क्रान्तिकारी परिवर्तन हुए। गोरे उपनिवेशों का स्वशासन दिया जाना प्रारम्भ हुआ। कनाडा, आस्ट्रेलिया तथा न्यूजीलैण्ड को औपनिवेशक स्वराज मिला।

10. ब्रिटेन की व्यापारिक प्रगति तथा उद्योग-धन्धों पर प्रभाव

स्वतन्त्रता युद्ध के पूर्व अमेरिका के तेरह उपनिवेश ब्रिटेन के प्रमुख व्यापारिक केन्द्र थे तथा आर्थिक समृद्धि के स्रोत थे, परन्तु उपनिवेशों के स्वतन्त्र हो जाने से इंग्लैण्ड के उद्योग-धन्धों एवं वाणिज्य व्यावसाय को काफी आघात पहुँचा। इंग्लैण्ड को कच्चे माल की प्राप्ति एवं तैयार माल की खपत के लिए अन्य बाजारों को खोजना आवश्यक हो गया।

11. अंग्रेजों के साम्राज्य के प्रति दृष्टिकोण में बदलाव

डॉ. प्लम्ब का विचार है, “अमेरिका युद्ध ने अंग्रेजों का साम्राज्य के प्रति दृष्टिकोण ही बदल डाला।” भारत के प्रति उनके व्यवहार में परिवर्तन हुआ। भारत में अंग्रेजी साम्राज्य के विभिन्न भागों में प्रशासकीय तथा वैधानिक सुधार इसी का परिणाम था। सन् 1784 ई. में पिट्स इण्डिया एक्ट का पारित होने का एक यह भी कारण था ।

12. ब्रिटेन के नये उपनिवेशों की स्थापना

अमेरिका को खोने के पश्चात् ब्रिटेन ने अपने नये साम्राज्य को स्थापित किया। अंग्रेजों के पास आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों को भेजने के लिए अब कोई स्थान नहीं था, अतः इंग्लैण्ड ने आस्ट्रेलिया में उपनिवेश स्थापित किया। न्यूजीलैण्ड के उपनिवेश की स्थापना भी अमेरिका स्वतन्त्रता युद्ध का ही परिणाम था।

इस प्रकार अमेरिकी स्वतन्त्रता युद्ध के प्रभाव व्यापक एवं विश्वव्यापी पड़े।

क्रान्ति में इंग्लैण्ड की पराजय व अमेरिका की विजय के कारण :

  1. युद्ध में जॉर्ज वाशिंगटन ने कुशल नेतृत्व प्रदान किया।
  2. उपनिवेशों में स्वतन्त्रता तथा एकता की भावना थी।
  3. युद्ध संचालन में ब्रिटिश सेनापतियों ने अयोग्यता का परिचय दिया।
  4. इंग्लैण्ड और अमेरिका की लम्बी दूरी थी।
  5. इंग्लैण्ड की अन्य यूरोपीय देशों से शत्रुता थी।
  6. ब्रिटिश सेना का दूर-दूर तक विस्तार हो गया था।
  7. उपनिवेश वालों के आदर्श ऊँचे थे।

अमेरिका स्वतंत्रता संग्राम का भारत पर क्या प्रभाव पड़ा? - amerika svatantrata sangraam ka bhaarat par kya prabhaav pada?