अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ की पूजा कैसे करें? - amaavasya ke din peepal ke ped kee pooja kaise karen?

अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ की पूजा कैसे करें? - amaavasya ke din peepal ke ped kee pooja kaise karen?

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अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ की पूजा कैसे करें? - amaavasya ke din peepal ke ped kee pooja kaise karen?

कष्टों से मिलेगी मुक्ति, अमावस्या के दिन पीपल के नीचे कर लें ये उपाय

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24 जनवरी दिन शुक्रवार को माघ मास की अमावस्या तिथि है। इस दिन पीपल पेड़ के नीचे कुछ उपायों को करने से व्यक्ति को सारे कष्टों से मुक्ति मिल जाती है। धर्म शास्त्रों में पीपल वृक्ष की पूजा को बहुत फलदाययी बताया गया है। पीपल वृक्ष में देवी देवताओं का खासकर भगवान श्री विष्णु का वास माना जाता है। अमावस्या के दिन पीपल वृक्ष की विशेष पूजा करने से सभी संकट दूर होने के साथ धन, समृद्धि, यश, कीर्ति आदि की भी प्राप्ति भी होने लगती है। साथ ही इसकी पूजा से पूर्वज पितृ प्रसन्न व तृप्त होकर सभी मनोकामनाएं पूरी होने का आशीर्वाद देते हैं।

अमावस्या पर ऐसे करें पीपल वृक्ष की पूजा

अमावस्या तिथि के दिन सूर्योदय के कुछ समय पूर्व एवं सूर्यास्त के तुरंत बाद अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति की कामना से पीपल वृक्ष के पास जाकर पहले सरसों के तेल का एक दीपक व सुंगंधित धुप जलावें, फिर हल्दी, कुमकुम, चावल, पुष्प से पूजन कर शक्कर मिला मीठा जल एक लोटा चढ़ावें।


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अमावस्या पर ऐसे करें पीपल वृक्ष की पूजा

अमावस्या तिथि के दिन सूर्योदय के कुछ समय पूर्व एवं सूर्यास्त के तुरंत बाद अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति की कामना से पीपल वृक्ष के पास जाकर पहले सरसों के तेल का एक दीपक व सुंगंधित धुप जलावें, फिर हल्दी, कुमकुम, चावल, पुष्प से पूजन कर शक्कर मिला मीठा जल एक लोटा चढ़ावें। जल चढ़ाने के बाद थोड़ा सा शक्कर या गुड़ का प्रसाद पीपल की जल में चढ़ा दें। अब पीपल पेड़ की 11 परिक्रमा पित्रों का आशीर्वाद प्राप्त हो इस भाव से करें। उक्त क्रम दोनों समय करना है, कुछ ही दिनों में लाभ दिखाई देने लगेगा।

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अमावस्या पर पीपल पूजा के लाभ

1- अमावस्या को पीपल वृक्ष की पूजा करने से अपार सुख समृद्धि मिलती है।

2- अमावस्या के के दिन पीपल वृक्ष की हर रोज विशेष पूजा करने से अपार धन वैभव की प्राप्ति होती है।

3- अमावस्या के दिन पीपल वृक्ष के नीचे बैठकर पूजा करने के बाद श्री हनुमान चालीसा का पाठ करने वाले को घोर संकटो से मुक्ति मिलती है।

4- अमावस्या तिथि पर पीपल के वृक्ष के नीचे मीठा जल चढ़ाने के बाद सरसों के तेल का दीपक जलाकर 7 परिक्रमा करने से मनचाही इच्छा पूरी होती है।

5- अमावस्या तिथि को पीपल के वृक्ष के नीचे दीपक जलाकर पंच मेवा (पांच प्रकार की मिठाई) अर्पित करने से पितृ दोष में मुक्ति मिलती है।

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  • सर्वपितृमोक्ष अमावस्या पर 3 शुभ योग, इस संयोग में किए गए तर्पण से कई सालों तक तृप्त रहेंगे पितर

6 अक्टूबर, गुरुवार को अश्विन महीने की अमावस्या है। इसे सर्वपितृ अमावस्या भी कहते हैं। इस दिन 11 साल बाद गजछाया योग बन रहा है। इस दिन सर्वार्थसिद्धि और चतुर्ग्रही योग भी रहेगा, जिससे पर्व का महत्व कई गुना बढ़ गया है। इस शुभ संयोग में तीर्थ स्नान, पीपल पूजा, दीपदान और श्राद्ध करने से पितर तृप्त हो जाते हैं।

तीर्थ स्नान और दीपदान से पितृ शांति
जिन लोगों की अकाल मृत्यु हुई या जिनकी तिथि याद नहीं हैं। उनके श्राद्ध और तर्पण के लिए सर्वपितृमोक्ष अमावस्या का दिन श्रेष्ठ रहेगा। श्राद्ध पक्ष के आखिरी दिन तीर्थ स्नान करने की भी परंपरा है। साथ ही इस दिन सभी ज्ञात-अज्ञात पितृजन, पुरुखों के सामूहिक श्राद्धकर्म के बाद शाम को दीपदान का भी विशेष महत्व है।

पितृ शांति के लिए पीपल में दूध चढ़ाएं
सर्वपितृ अमावस्या पर पंचबलि कर्म (ब्रह्मण, गाय, कुत्ते, कौवे और चीटीं का भोजन) के साथ ही पीपल की सेवा और पूजा करने से पितृ प्रसन्न होते हैं। लोटे में दूध, पानी, काले तिल और जौ मिलाकर पीपल की जड़ में चढ़ाना चाहिए। शास्त्रों का कहना है कि जो नरक से रक्षा करता है, वही पुत्र है। इस दिन किया श्राद्ध पुत्र को पितृदोषों से मुक्ति दिलाता है।

आसान विधि से श्राद्ध
श्राद्ध वाली तिथि पर सूर्योदय से पहले उठकर नहाएं।
साफ कपड़े पहनकर पितरों की तृप्ति के लिए श्राद्ध और दान का संकल्प लें। श्राद्ध होने तक कुछ न खाएं।
दिन के आठवें मुहूर्त यानी कुतुप काल में श्राद्ध करें। जो कि 11.36 से 12.24 तक होता है।
दक्षिण दिशा में मुंह रखकर बाएं पैर को मोड़कर, घुटने को जमीन पर टीका कर बैठ जाएं।
तांबे के चौड़े बर्तन में जौ, तिल, चावल गाय का कच्चा दूध, गंगाजल, सफेद फूल और पानी डालें।
हाथ में कुशा घास रखें और उस जल को हाथों में भरकर सीधे हाथ के अंगूठे से उसी बर्तन में गिराएं। इस तरह 11 बार करते हुए पितरों का ध्यान करें।
पितरों के लिए अग्नि में खीर अर्पण करें। इसके बाद पंचबलि यानी देवता, गाय, कुत्ते, कौए और चींटी के लिए अलग से भोजन निकाल लें।
ब्राह्मण भोजन करवाएं और श्रद्धा के अनुसार दक्षिणा और अन्य चीजों का दान करें।

अमावस्या पर पीपल के पेड़ की पूजा कैसे करें?

प्रथम उपाय प्रात: काल में पीपल के वृक्ष को एक जनेऊ समर्पित करें और दूसरा जनेऊ भगवान विष्णु के नाम का भी उसी पीपल को अर्पित कर दीजिए। फिर पीपल वृक्ष और भगवान विष्णु की प्रार्थना करें। इसके बाद 108 बार पीपल वृक्ष की परिक्रमा कर स्वयं द्वारा शुद्ध रूप से तैयार की गई मिठाई पीपल के वृक्ष को अर्पित करें

पीपल में जल कितने बजे चढ़ाना चाहिए?

पीपल के वृक्ष पर जल सूर्योदय के बाद ही चढ़ाना चाहीए। जिससे आपके ऊपर माता लक्ष्मी की कृपा द्रष्टि सदा बनी रहे। पुराणों के अनुसार जो व्यक्ति पीपल के वृक्ष की परिक्रमा करता है उसकी सर्व मनोकामनाएं पूर्ण होती है, साथ ही शत्रुओं का नाश भी होता है।

पीपल के पेड़ में कितने बजे पूजा करना चाहिए?

इसलिए सूर्योदय से पहले न तो पीपल की पूजा करनी चाहिए और न ही इस वृक्ष के पास जाना चाहिए, ऐसा करने से घर में दरिद्रता चली आती है। हमेशा सूर्योदय के बाद ही पीपल की पूजा करें।

अमावस्या के दिन घर में क्या करना चाहिए?

अमावस्‍या के अन्‍य उपाय शाम के वक्‍त किसी अच्‍छे पुरोहित को बुलाकर घर में हवन करवाएं। अमावस्‍या की तिथि प्रमुख रूप से पितरों को समर्पित होती है। इस दिन पितरों के निमित्‍त दान-पुण्‍य जरूर करें। अमावस्या को पीपल के वृक्ष की पूजा करें तथा पेड़ को जनेऊ व अन्य पूजन सामग्री अर्पित करें।