अन्धविश्वास से आप क्या समझते हैं? - andhavishvaas se aap kya samajhate hain?

आदिम मनुष्य अनेक क्रियाओं और घटनाओं के कारणों को नहीं जान पाता था। वह अज्ञानवश समझता था कि इनके पीछे कोई अदृश्य शक्ति है। वर्षा, बिजली, रोग, भूकंप, वृक्षपात, विपत्ति आदि अज्ञात तथा अज्ञेय देव, भूत, प्रेत और पिशाचों के प्रकोप के परिणाम माने जाते थे। ज्ञान का प्रकाश हो जाने पर भी ऐसे विचार विलीन नहीं हुए, प्रत्युत ये अंधविश्वास माने जाने लगे। आदिकाल में मनुष्य का क्रिया क्षेत्र संकुचित था इसलिए अंधविश्वासों की संख्या भी अल्प थी। ज्यों ज्यों मनुष्य की क्रियाओं का विस्तार हुआ त्यों-त्यों अंधविश्वासों का जाल भी फैलता गया और इनके अनेक भेद-प्रभेद हो गए। अंधविश्वास सार्वदेशिक और सार्वकालिक हैं। विज्ञान के प्रकाश में भी ये छिपे रहते हैं। अभी तक इनका सर्वथा उच्द्वेद नहीं हुआ है।

अंधविश्वासों का वर्गीकरण[संपादित करें]

अंधविश्वासों का सर्वसम्मत वर्गीकरण संभव नहीं है। इनका नामकरण भी कठिन है। पृथ्वी शेषनाग पर स्थित है, वर्षा, गर्जन और बिजली इंद्र की क्रियाएँ हैं, भूकंप की अधिष्ठात्री एक देवी है, रोगों के कारण प्रेत और पिशाच हैं, इस प्रकार के अंधविश्वासों को प्राग्वैज्ञानिक या धार्मिक अंधविश्वास कहा जा सकता है। अंधविश्वासों का दूसरा बड़ा वर्ग है मंत्र-तंत्र। इस वर्ग के भी अनेक उपभेद हैं। मुख्य भेद हैं रोग निवारण, वशीकरण, उच्चाटन, मारण आदि। विविध उद्देश्यों के पूर्त्यर्थ मंत्र प्रयोग प्राचीन तथा मध्य काल में सर्वत्र प्रचलित था। मंत्र द्वारा रोग निवारण अनेक लोगों का व्यवसाय था। विरोधी और उदासीन व्यक्ति को अपने वश में करना या दूसरों के वश में करवाना मंत्र द्वारा संभव माना जाता था। उच्चाटन और मारण भी मंत्र के विषय थे। मंत्र का व्यवसाय करने वाले दो प्रकार के होते थे-मंत्र में विश्वास करने वाले और दूसरों को ठगने के लिए मंत्र प्रयोग करने वाले।

जादू, टोना[संपादित करें]

जादू-टोना, शकुन, मुहूर्त, मणि, ताबीज आदि अंधविश्वास की संतति हैं। इन सबके अंतस्तल में कुछ धार्मिक भाव हैं, परंतु इन भावों का विश्लेषण नहीं हो सकता। इनमें तर्कशून्य विश्वास है। मध्य युग में यह विश्वास प्रचलित था कि ऐसा कोई काम नहीं है जो मंत्र द्वारा सिद्ध न हो सकता हो। असफलताएँ अपवाद मानी जाती थीं। इसलिए कृषि रक्षा, दुर्गरक्षा, रोग निवारण, संततिलाभ, शत्रु विनाश, आयु वृद्धि आदि के हेतु मंत्र प्रयोग, जादू-टोना, मुहूर्त और मणि का भी प्रयोग प्रचलित था।

मणि धातु, काष्ठ या पत्ते की बनाई जाती है और उस पर कोई मंत्र लिखकर गले या भुजा पर बाँधी जाती है। इसको मंत्र से सिद्ध किया जाता है और कभी-कभी इसका देवता की भाँति आवाहन किया जाता है। इसका उद्देश्य है आत्मरक्षा और अनिष्ट निवारण।

योगिनी, शाकिनी और डाकिनी संबंधी विश्वास भी मंत्र विश्वास का ही विस्तार है। डाकिनी के विषय में इंग्लैंड और यूरोप में 17वीं शताब्दी तक कानून बने हुए थे। योगिनी भूतयोनि में मानी जाती है। ऐसा विश्वास है कि इसको मंत्र द्वारा वश में किया जा सकता है। फिर मंत्र पुरुष इससे अनेक दुष्कर और विचित्र कार्य करवा सकता है। यही विश्वास प्रेत के विषय में प्रचलित है।

फलित ज्योतिष का आधार गणित भी है। इसलिए यह सर्वांशतः अंधविश्वास नहीं है। शकुन का अंधविश्वास में समावेश हो सकता है। अनेक अंधविश्वासों ने रूढ़ियों का भी रूप धारण कर लिया है।

मार्क्सवादी दृष्टिकोण में अंधविश्वास[संपादित करें]

मार्क्सवादी दृष्टिकोण में अंधविश्वास वह विचार पद्धति है जिसे आमतौर पर धर्मशास्त्रीय तथा बुर्जुआ साहित्य में सच्ची आस्था के मुकाबले रखा जाता है जो आदिम जादू से जुड़ा होता है। किसी भी धर्म के अनुयायी के दृष्टिकोण से अन्य धर्मों के सिद्धांत तथा अनुष्ठान अंधविश्वास की श्रेणी में आते हैं। मार्क्सवादी निरीश्वरवाद धार्मिक आस्था तथा किसी भी तरह के अंधविश्वास को पूर्णतः अस्वीकार करता है।[1]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. दर्शनकोश, प्रगति प्रकाशन, मास्को, १९८0, पृष्ठ- ५, ISBN:५-0१000९0७-२

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

  • जादू-टोना

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

  • https://web.archive.org/web/20141018115219/http://www.jagran.com/bihar/nalanda-8580090.html तंत्रमंत्र व अंधविश्वास कानूनी अपराध : भंते बुद्घ]

अंधविश्वास पर इसलिए लोग करते हैं विश्वास

डॉ. संजय तेवतिया Updated Sun, 18 Nov 2018 08:27 AM IST

अन्धविश्वास से आप क्या समझते हैं? - andhavishvaas se aap kya samajhate hain?

अंधविश्वास मन-मस्तिष्क में इतना गहरा असर छोड़ता है कि जीवनभर व्यक्ति अंधविश्वासों से बाहर नहीं आ पाता। - फोटो : file photo

अंधविश्वास एक ऐसा विश्वास है, जिसका कोई उचित कारण नहीं होता है। एक छोटा बच्चा अपने घर, परिवार एवं समाज में जिन परंपराओं, मान्यताओं को बचपन से देखता एवं सुनता आ रहा होता है, वह भी उन्हीं का अक्षरशः पालन करने लगता है। यह अंधविश्वास उसके मन-मस्तिष्क में इतना गहरा असर छोड़ देता है कि जीवनभर वह इन अंधविश्वासों से बाहर नहीं आ पाता। अंधविश्वास अधिकतर कमजोर व्यक्तित्व, कमजोर मनोविज्ञान एवं कमजोर मानसिकता के लोगों में देखने को मिलता है। जीवन में असफल रहे लोग अधिकतर अंधविश्वास में विश्वास रखने लगते हैं एवं ऐसा मानते हैं कि इन अंधविश्वासों को मानने एवं इन पर चलने से ही शायद वह सफल हो जाएं।

अंधविश्वास न केवल अशिक्षित एवं निम्न आय वर्ग के लोगों में देखने को मिलता है, बल्कि यह काफी शिक्षित, विद्वान, बौद्धिक, उच्च आय वर्ग एवं विकसित देशों के लोगों में भी कम या ज्यादा देखने को मिलता है। यह आमतौर पर पीढ़ी दर पीढ़ी देखने को मिलता है। अंधविश्वास समाज, देश, क्षेत्र, जाति एवं धर्म के हिसाब से अलग-अलग तरह के होते हैं। विभिन्न प्रकार के अंधविश्वास आमतौर पर समाज में देखने को मिलते हैं, जैसे आंख का फड़कना, घर से बाहर किसी काम से जाते समय किसी व्यक्ति द्वारा छींक देना, बिल्ली का रास्ता काट जाना, 13 तारीख को पड़ने वाला शुक्रवार या 13 नवंबर को अशुभ मानना, हथेली पर खुजली होना, काली बिल्ली में भूत-प्रेत का वास होना, परीक्षा देने जाने से पहले सफेद वस्तु जैसे दही आदि का सेवन करना, सीधे हाथ पर नीलकंठ नामक चिड़िया का दिखाई देना, सीढ़ी के नीचे से निकलना, मुंह देखने वाले शीशे का टूटना, घोड़े की नाल का मिलना, घर के अंदर छतरी खोलना, लकड़ी पर दो बार खटखटाना, कंधे के पीछे नमक फेंकना, मासिक धर्म के दौरान महिला को अपवित्र मानकर उसके मंदिर में प्रवेश को वर्जित करना, श्राद्ध के दिनों में नया काम शुरू न करना या नए कपड़े न सिलवाना आदि।

अन्धविश्वास से आप क्या समझते हैं?

अंधविश्वास एक ऐसा विश्वास है, जिसका कोई उचित कारण नहीं होता है। एक छोटा बच्चा अपने घर, परिवार एवं समाज में जिन परंपराओं, मान्यताओं को बचपन से देखता एवं सुनता आ रहा होता है, वह भी उन्हीं का अक्षरशः पालन करने लगता है।

अंधविश्वास कैसे पैदा होता है?

यह माना जाता रहा कि अंधविश्वास पुराने दौर की मान्यताओं और आधुनिकता के प्रति अज्ञान से पैदा होता है। जबकि आधुनिक विचारों एवं जीवन शैली में अंधविश्वासों की कोई जगह नहीं होती। सर्वेक्षण बताते हैं कि धर्म और जाति या सामाजिक मान्यताओं का आंख मूंद कर अनुसरण करने से अंधविश्वास के बादल घनीभूत होते हैं।

अंधविश्वास कितने प्रकार के होते हैं?

अनुक्रम.
1 अच्छे अंधविश्वास 1.1 नज़र बट्टू 1.2 अनुशठान के उपहार में एक रुपय जोड़ना शुभ है 1.3 नदी में सिक्के फेंकना 1.4 पानी का गिरना 1.5 शुभ यात्रा 1.6 नारियल तोडना.
2 बुरे अंधविश्वास 2.1 सूर्य डूबने के बाद सफाई 2.2 साँप मिथकों 2.3 कांच का टूट्ना 2.4 १३ 2.5 छींकना तथा टोकना 2.6 नाखून काटना 2.7 सूर्यग्रहण ... .
3 सन्दर्भ.

भारत में अंधविश्वास क्यों है?

अंधविश्वास एक तर्कहीन विश्वास है जिसका आधार अलौकिक प्रभावों की मनगढ़ंत व्याख्या है। भारत तो अंधविश्वासों का गढ़ है। अधिकांश भारतीयों का अंधविश्वासों में एक अविश्वसनीय विश्वास है जो प्रायः आधारहीन होते हैं। दरअसल कुछ अंधविश्वास लोगों के व्यक्तिगत जीवन तक ही सीमित है जैसे 'बिल्ली को देखकर रास्ता बदलना' आदि।