अपनी बेटी की शादी आजादी के सिपाही से कौन करना चाहता था? - apanee betee kee shaadee aajaadee ke sipaahee se kaun karana chaahata tha?

विषयसूची

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  • 1 लेखिका की नानी अपनी इकलौती बेटी की शादी किसी आजादी के सिपाही से क्यों कराना चाहती थी?
  • 2 नानी की परम्परा क्या है?
  • 3 नानी की कहानी की क्या विशेषता है?
  • 4 लेखिका की नानी ने आजादी के आंदोलन में कैसे भागीदारी की?
  • 5 लेखिका की नानी ने अपनी पुत्री के लिए वर खोजने का दायित्व किसे सौंपा और क्यों?
  • 6 लेखिका की नानी को किसका बेहद शौक था?
  • 7 दादी माँ के स्वभाव की क्या विशेषताएं थी?
  • 8 लेखिका ने अपनी नानी की कौन कौन सी विशेषताओं का उल्लेख किया लिखिए?

लेखिका की नानी अपनी इकलौती बेटी की शादी किसी आजादी के सिपाही से क्यों कराना चाहती थी?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर : लेखिका की नानी ने जब अपने आप को को मौत के करीब पाया तो उन्हें अपनी 15 वर्षीय इकलौती पुत्री के शादी की फिक्र होने लगी। वे अपने पति के अनुसार किसी साहबों के फ़रमा बरदार के साथ अपनी बेटी की शादी नहीं होने देना चाहती थी।

नानी की परम्परा क्या है?

इसे सुनेंरोकेंलेखिका की नानी अपने पति के जीवन में किसी भी प्रकार का दखल नहीं देती थीं। लेकिन वह घर की चारदीवारी में भी रहकर अपने ढ़ंग से जीवन जीती थीं। जब लेखिका की माँ की शादी की बात आई तो उनकी नानी ने अपनी बात बड़े ही अधिकार से मनवा लीं। इसलिए लेखिका अपनी नानी के व्यक्तित्व से प्रभावित थीं।

लेखिका ने अपनी दादी के बारे में कौन कौन सी विशेषताएं बताई है 2?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर : उनकी दादी भिन्न स्वभाव की स्वामिनी थीं। लेखिका के अनुसार उनकी दादी लोगों से विपरीत ही चला करती थीं। वह सदैव लीक से हटकर बात करती थीं, उन्हें कतार में चलने का शौक नहीं था। परन्तु हमारी समझ से उनकी दादी लड़कियों से बहुत प्यार करती थीं सायद यही वजह रही हो कि वो अपने पतोहू से पहले बच्चे के रुप में कन्या चाहती थीं।

नानी की कहानी की क्या विशेषता है?

इसे सुनेंरोकेंनानी की कहानी आर. के. नारायण की पड़नानी के जीवन पर लिखी रचना है जो उन्होंने अपनी नानी से सुनी। ज्यों-ज्यों उनकी नानी यह कहानी बताती हैं त्यों-त्यों लेखक की रचना भी विस्तार लेती है।

लेखिका की नानी ने आजादी के आंदोलन में कैसे भागीदारी की?

इसे सुनेंरोकेंQuestion 2: लेखिका की नानी की आजादी के आंदोलन में किस प्रकार भागीदारी रही? उत्तर: लेखिका की नानी ने दामाद बनाने के लिए ऐसे व्यक्ति को ढ़ूँढ़ने की बात की जो आजादी का सिपाही हो। इस तरह से लेखिका की नानी परोक्ष रूप से आजादी के आंदोलन में भागीदारी रहीं।

मेरे संग की औरते पाठ के आधार पर बताओं कि लेखिका ने बच्चों की शिक्षा के लिए क्या प्रयास किए?

इसे सुनेंरोकेंउसने वहाँ के कैथोलिक विशप से प्राइमरी स्कूल खोलने का अनुरोध किया। लेखिका ने कर्नाटक के बागनकोट के स्थानीय तथा समृद्ध लोगों की मदद से एक प्राइमरी स्कूल खोला, जिसमें अंग्रेजी-हिंदी-कन्नड़ तीन भाषाएँ पढ़ाई जाती थीं। लेखिका ने इसे सरकार से मान्यता भी दिलवाई, जिससे स्थानीय बच्चों को शिक्षा के लिए दूर न जाना पड़े।

लेखिका की नानी ने अपनी पुत्री के लिए वर खोजने का दायित्व किसे सौंपा और क्यों?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर: लेखिका की नानी ने अपनी बेटी के लिए स्वतंत्रता सेनानी वर खोजने का दायित्व अपने पति के मित्र स्वतंत्रता-सेनानी प्यारे लाल शर्मा को सौंपा क्योंकि उन्हें भरोसा था कि प्यारे लाल जी उनकी इच्छा अवश्य पूरी कर पायेंगे।

लेखिका की नानी को किसका बेहद शौक था?

इसे सुनेंरोकेंAnswer. ✎… ‘मेरे संग की औरतें’ पाठ में लेखिका मृदुला गर्ग की नानी भले ही एक पर्दानशी, पारंपरिक सोच-विचार, रीति-रिवाजों को मारने वाली कम पढ़ी-लिखी महिला थीं। लेकिन उनके मन में अपने देश के आजादी को पाने का जुनून और शौक था।

लेखिका परदादी के किन गुणों से प्रभावित थी और क्यों?

इसे सुनेंरोकें’मेरे संग की औरते’ पाठ में लेखिका ‘मृदुला गर्ग’ परदादी प्रगतिशील विचारों से प्रभावित थी। उस दौर में जब पुरुष सत्ता प्रधान इस समाज में हमेशा पुत्र की कामना की जाती है। तब लेखिका की परदादी ने अपनी पतोहू (पोते की पत्नी) के लिये पुत्री की कामना की। उनकी इस बात ने महिला को पुरुष के समान महत्व देने की पहल की शुरुआत की।

दादी माँ के स्वभाव की क्या विशेषताएं थी?

इसे सुनेंरोकेंदादी माँ का स्वभाव दयालु है। उनके स्वभाव का यही पक्ष सबसे अच्छा लगता है। दादी माँ अपने घर के सदस्य से लेकर गरीबों तक की मदद करने से पीछे नहीं हटती हैं। जैसे – (i) रामी चाची के उधार न चुकाने पर भी दादी माँ उनकी बेटी की शादी में आर्थिक सहायता करती हैं।

लेखिका ने अपनी नानी की कौन कौन सी विशेषताओं का उल्लेख किया लिखिए?

लेखिका ने अपनी माँ के व्यक्तित्व की निम्नलिखित विशेषताओं का उल्लेख किया है:

  • उन्हें हिंदी तथा संस्कृत का अच्छा ज्ञान था।
  • वे धार्मिक स्वभाव की महिला थीं।
  • वे पूजा-पाठ किया करती थीं तथा ईश्वर में आस्था रखती थीं।
  • लेखिका की माता अच्छे संस्कार वाली महिला थीं तथा वह लिखा भी करती थीं।

लेखिका की नानी की कौन सी विशेषता पाठ में बताई गयी हैं * 1 Point पर्दा प्रथा वाली परंपरावादी अनपढ़ उपरोक्त सभी?

इसे सुनेंरोकेंनानी कभी अपनी पति के तौर-तरीकों से प्रभावित नहीं हुई थीं। इसके विपरीत वे अपनी परंपराओं का निर्वाह करने वाली तथा पर्दा करने वाली स्वतंत्र विचारों वाली स्त्री थी। यही सब बातें जान- सुनकर लेखिका अपने नानी के व्यक्तित्व से प्रभावित थीं।

लेखिका की नानी अपनी पुत्री का विवाह कैसे युवक से कराना चाहती थी?

लेखिका की नानी अपनी बेटी का विवाह एक क्रांतिकारी से करने की इच्छुक थी इसलिए नानी ने अपने जीवन के अंतिम दिनों में प्रसिद्ध क्रांतिकारी प्यारेलाल शर्मा से भेंट की थी । उस भेंट में उन्होंने यह इच्छा प्रकट की थी कि वे अपनी बेटी की शादी किसी क्रांतिकारी से करवाना चाहती है।

मेरी लड़की के लिए वर आप तय करेंगे लेखिका की नानी ने स्वतंत्रता सेनानी प्यारेलाल शर्मा से ऐसा क्यों कहा बताइये?

उत्तर : लेखिका की नानी ने स्वतंत्रता सेनानी प्यारेलाल शर्मा से मिलकर यह कहा था कि मेरी पुत्री का विवाह किसी आजादी के सिपाही को ढूँढ़कर करवा दीजिएगा क्योंकि वह यह नहीं चाहती थी कि उसकी पुत्री की शादी साहबों के फरमाबरदारों से हो। प्रश्न 3.

पाठ मेरे संग की औरतें में लेखिका की नानी अपने अंतिम समय में किससे मिलना चाहती थीं और क्यों?

कैंब्रिज विश्वविद्यालय से डिग्री लेकर जब वे लौटे और विलायती रीति-रिवाज के संग ज़िंदगी बसर करने लगे तो, नानी के अपने रहन-सहन पर, उसका कोई असर नहीं पड़ा, न उन्होंने अपनी किसी इच्छा-आकांक्षा या पसंद-नापंसद का इज़हार पति पर कभी किया। दखल नहीं दिया, न उसमें साझेदारी की, पर अपनी जिंदगी को अपने ढंग से जीती ज़रूर रहीं ।

लेखिका की नानी ने अपनी पुत्री के लिए वर खोजने का दायित्व किसे सौंपा और क्यों?

उत्तर: लेखिका की नानी ने अपनी बेटी के लिए स्वतंत्रता सेनानी वर खोजने का दायित्व अपने पति के मित्र स्वतंत्रता-सेनानी प्यारे लाल शर्मा को सौंपा क्योंकि उन्हें भरोसा था कि प्यारे लाल जी उनकी इच्छा अवश्य पूरी कर पायेंगे।