अर्जुन पुरस्कार जीतने वाली दूसरी भारतीय महिला कौन है? - arjun puraskaar jeetane vaalee doosaree bhaarateey mahila kaun hai?

क्रिकेट

Published: June 30, 2021 08:04 PM

Arjuna Award‘खेलरत्न’ के लिए भेजा गया इस महिला क्रिकेटर का नाम, ‘अर्जुन अवार्ड’ के दावेदार कौन? जानें

अर्जुन पुरस्कार जीतने वाली दूसरी भारतीय महिला कौन है? - arjun puraskaar jeetane vaalee doosaree bhaarateey mahila kaun hai?

    -विनय कुमार

    भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने देश के सर्वोच्च खेल सम्मान ‘राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार’ (Rajiv Gandhi Khel Ratna Award) के लिए महिला क्रिकेट की धाकड़ खिलाड़ी मिताली राज (Mitali Raj) और मेन्स टीम इंडिया के धुरंधर स्पिनर रविचंद्रन अश्विन (Ravichandran Ashwin) के के नाम सुझाए हैं। ,’अर्जुन पुरस्कार’ (Arjun Award) के लिए BCCI भारतीय टीम के गबरू बल्लेबाज शिखर धवन (Shikhar Dhawan) लोकेश राहुल (Lokesh Rahul) और घातक तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह (Jaspreet Bumrah) के नाम शामिल हैं। गौरतलब है कि पिछले साल इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के लिए शिखर धवन के नाम की अनदेखी को लेकर खबरें आई थीं।

    BCCI के एक ऑफिशल ने कहा, ‘‘अर्जुन पुरस्कार (Arjun Award) के लिए किसी महिला क्रिकेटर के नाम की सिफारिश नहीं की गई है। ‘खेल रत्न’ (Khel Ratna Award) के लिए मिताली (Mitali t) का नाम दिया गया है।’’ अब देखना ये है कि यह खेल मंत्रालय द्वारा नियुक्त पैनल ओलंपिक ईयर में मिताली राज को इस राष्ट्रीय पुरस्कार (National Award) के लिए चुनता भी है या नहीं। मिताली राज ने पिछले सप्ताह इंटरनेशनल क्रिकेट में 22 साल पूरे किए। 38 साल की मितली ने अपने अंतरराष्ट्रीय करियर में 7000 से ज्यादा रन बनाए हैं और  एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय (ODI Matches) मैचों में सबसे सफल महिला बल्लेबाज हैं।

    दूसरी तरफ, ‘भारतीय राष्ट्रीय राइफल संघ’ (NRAI) ने ‘राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार’ (Rajiv Gandhi Khel Ratna Award) के लिए डबल ट्रैप वर्ल्ड चैम्पियन अंकुर मित्तल (Ankur Mittal) और ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर चुकीं अंजुम मोदगिल (Anjum Modgil) के नाम की सिफारिश की है। अंकुर मित्तल ने आज से करीब 3 साल पहले 2018 में ‘डबल ट्रैप वर्ल्ड चैंपियनशिप’ जीता था। और उसी साल उन्हें ‘अर्जुन पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया था। अंजुम मोदगिल 2018 वर्ल्ड चैम्पियनशिप में रजत पदक (Silver Medal) जीत चुकी हैं, और उन्हें भी 2019 में ‘अर्जुन पुरस्कार’ मिला।

    ‘अर्जुन पुरस्कार’ के लिए NRAI ने ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने वाले दो निशानेबाजों इलावेनिल वलारिवान और अभिषेक वर्मा के नाम भेजे हैं। इलावेनिल महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल शूटिंग में दुनिया की नंबर वन निशानेबाज (shooter) हैं। और अभिषेक वर्मा (Abhishek Verma) पुरूषों की 10 मीटर एयर पिस्टल रैंकिंग )Air Pistol Rankings) में टॉप पर हैं। नेशनल अवार्ड के लिए 50 मीटर पिस्टल वर्ल्ड चैंपियन ओम प्रकाश मिठरवाल (Om Prakash Mitharwal) भी प्रतियोगी हैं।

    ‘भारतीय कुश्ती महासंघ’ (WFI) ने ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर चुके और वर्ल्ड चैंपियनशिप में पदक जीतने वाले पहलवानों रवि दाहिया (Ravi Dahiya) और दीपक पूनिया (Deepak Puniya) के साथ तेजी से उभरती हुई पहलवान अंशु मलिक (Anshu Malik) को ‘अर्जुन पुरस्कार’ (Arjun Award) के लिए चुना गया है। दीपक पुनिया ने नूर सुल्तान में 2019 वर्ल्ड चैंपियनशिप में रजत पदक (Silver Medal) जीता था और रवि दहिया (Ravi Dahiya) ने कांस्य पदक (Bronz Medal) के साथ ‘तोक्यो ओलंपिक’ (Tokyo Olympics) के लिए क्वालीफाई किया था। रवि दाहिया टोक्यो खेलों की 57 किलोग्राम स्पर्धा में पदक के मजबूत दावेदार के टेलर पर उभरे हैं, जहां उन्हें चौथी वरीयता मिली है।

    ‘WFI’ ने 19 साल की अंशु मलिक के नाम की भी पुरस्कार के लिए सिफारिश की है। अंशु ने पिछले साल, यानी 2020 में सीनियर सर्किट पर डेब्यू करने के बाद 6 टूर्नामेंट में 5 पदक जीते। इसमें एशियाई खिताब भी शामिल रहा। ओलंपिक में जगह बनाने से चूकने वाली सरिता मोर (Sarita More) ने  अल्माटी में 59 किलोग्राम वर्ग में खिताब जीता था। उन्हें भी ‘अर्जुन पुरस्कार’ के लिए नामित किया गया है। ‘द्रोणाचार्य पुरस्कार’ (Dronacharya Award) के लिए कोच विक्रम, कुलदीप मलिक और सुजीत मान (Sujit Maan) के नाम भेजे गए हैं। ‘ध्यानचंद पुरस्कार’ के लिए WFI ने सज्जन सिंह, जय प्रकाश (Jay Prakash) और दुष्यंत शर्मा (Dushyant Sharma) के नाम की सिफारिश की है। 89 साल के सज्जन सिंह (Sajjan Singh) 1960 ‘रोम ओलंपिक’ (Rome Olympics 1960 India) में हिस्सा ले चुके हैं।

    2022 में फीफा अंडर-17 वूमेंस वर्ल्ड कप की मेजबानी करने वाला भारत महिला फुटबॉल में देश को एक नई दिशा देने का काम करेगा।

    चार दशकों से अधिक पुराने इतिहास के बाद, भारत में महिला फुटबॉल पिछले 10 वर्षों से आगे बढ़ रही है। भारतीय महिला फुटबॉल टीम ने मुख्य कोच मेमोल रॉकी की देख-रेख में 2018 में एशियाई ओलंपिक क्वालिफ़ायर्स के दूसरे दौर में पहुंचने में सफल रही थी, जो इतिहास में पहली बार हुआ था, इससे पचा चलता है कि टीम कितना आगे बढ़ चुकी है।

    भारतीय सरजमीं पर युवा विश्व कप की मेजबानी अगली पीढ़ी के लिए चीज़ों को बेहतर करने और प्रेरणा देने का काम करेगी।

    एक उज्ज्वल भविष्य की ओर देखने से पहले, भारतीय महिला फुटबॉल खिलाड़ियों को अतीत और वर्तमान पर ध्यान देना होगा, जिन्होंने कई बाधाओं के बावजूद ये सब संभव बना दिया।

    शांति मलिक – भारत की प्रसिद्ध महिला खिलाड़ी

    1975 से 1991 तक, भारत में महिलाओं का फुटबॉल, महिला फुटबॉल फेडरेशन ऑफ इंडिया (WFFI) द्वारा चलाया जाता था, जो कि एशियन लेडीज फुटबॉल कंफेडरेशन (ALFC) के तहत संचालित होता था।

    ALFC, हालांकि, फीफा और एशियाई फुटबॉल परिसंघ (AFC) दोनों द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं था, इसलिए राष्ट्रीय टीम ने कई मैचों और प्रतियोगिताओं को अनौपचारिक रूप से खेला।

    इसके बावजूद, भारतीय टीम उस समय एशिया में एक प्रमुख ताकत थी और 1979 और 1983 एएफसी महिला चैंपियनशिप में उपविजेता रही और हांगकांग में 1981 के संस्करण में तीसरे स्थान पर रही।

    उस समय की भारतीय महिला टीम की सबसे बड़ी स्टार कप्तान शांति मल्लिक थीं। एक बेहतरीन स्कोरर और एक नेतृत्व की क्षमता रखने वाली मल्लिक तकनीकी रूप से भी प्रतिभाशाली फुटबॉलर थीं और जैसा कि कहा जाता है, उन्हें अपने पूरे अंतरराष्ट्रीय कैरियर में एक बार भी रेड या येलो कार्ड नहीं मिला था।

    बंगाल की ये खिलाड़ी 1978 में एक कुशल क्रिकेटर, हॉकी खिलाड़ी और एक राष्ट्रीय स्तर की हैंडबॉल चैंपियन भी थीं।

    उनकी बहुत सी फुटबॉल उपलब्धियों को आधिकारिक रूप से रिकॉर्ड बुक में प्रदर्शित नहीं किया जा सकता था, लेकिन मलिक देश में महिला फुटबॉल के लिए एक सच्ची अग्रणी थीं और 1983 में प्रतिष्ठित अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित होने वाली पहली भारतीय महिला फुटबॉल खिलाड़ी बनीं।

    ओइनम बेम्बेम देवी - भारतीय फुटबॉल की दुर्गा

    बेमबेम देवी को भारतीय महिला फुटबॉल का लीजेंड खिलाड़ी माना जाता है। Photo: AIFF.

    फोटो क्रेडिट AIFF

    मणिपुर से आने वाली ओइनम बेमबेम देवी ने 15 साल की उम्र में भारतीय महिला टीम की सीनियर टीम में प्रवेश किया और 2016 में संन्यास लेने से पहले 21 साल तक टीम की सेवा की।

    मिडफील्डर ने राष्ट्रीय टीम के लिए 85 मैच खेले और 32 गोल किए। हालाँकि, ये बेमबेम ने जो हासिल किया है, उसके आगे ये गोल की संख्या कुछ भी नहीं है।

    बेमबेम की कप्तानी में, भारतीय महिला फुटबॉल टीम ने तीन बैक-टू-बैक SAFF कप खिताब (2010 में बांग्लादेश में, 2012 में श्रीलंका और 2014 में पाकिस्तान में) और दो दक्षिण एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक (2010 में बांग्लादेश और 2016 में भारत में) जीते।

    उन्हें 2001 में ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन (AIFF) की पहली महिला खिलाड़ी के रूप में नामित किया गया और 2013 में उन्होंने फिर से पुरस्कार जीता।

    2017 में, वह मल्लिक के बाद अर्जुन पुरस्कार जीतने वाली केवल दूसरी भारतीय महिला फुटबॉल खिलाड़ी बनीं और तीन साल बाद, पद्म श्री - भारत का चौथा सबसे बड़ा नागरिक पुरस्कार जीतने वाली पहली महिला फुटबॉलर बनीं।

    बेमबेम का ऐसा प्रभाव था कि उन्हें अक्सर भारत में महिलाओं के फुटबॉल का दुर्गा (डिफेंस की देवी) कहा जाता था। बेमबेम ने भारतीय महिला फुटबॉल खिलाड़ियों की आने वाली पीढ़ी को प्रेरित किया और एक कोच के रूप में ऐसा करना जारी रखा।

    उन्होंने पहले ही 2017 में इंडियन स्पोर्टस लीग (IWL) का खिताब जीतने में मणिपुर से ईस्टर्न स्पोर्टिंग यूनियन फुटबॉल क्लब की मदद की है और वो अंडर -15, अंडर -16 और अंडर -17 महिलाओं की राष्ट्रीय टीमों के साथ शामिल हैं।

    “महिला फुटबॉल में बेमबेम एक प्रेरणा हैं। मौजूदा महिला खिलाड़ियों की राष्ट्रीय टीम की स्टार स्ट्राइकर बाला देवी ने कहा, "उन्हें एक खिलाड़ी के रूप में लगभग हर संभव पुरस्कार मिला है।"

    बाला देवी - रेंजर्स नंबर 10

    बेमबेम से प्रेरित वर्तमान टीम के कई सितारों में से एक, स्ट्राइकर बाला देवी ने पहले ही भारतीय महिला फुटबॉल इतिहास में अपना नाम लिख दिया है।

    बेमबेम की तरह, बाला ने 15 साल की उम्र में सीनियर टीम में प्रवेश किया और 2005 से टीम में मुख्य भूमिका निभा रही हैं। इस स्ट्राइकर ने राष्ट्रीय टीम में लगातार स्कोर करने के रिकॉर्ड को अपने पास रखा है। जिन्होंने 58 अंतर्राष्ट्रीय मैचों में 52 गोल किए हैं।

    इन अविश्वसनीय रिकॉर्ड के साथ, ये आश्चर्य की बात नहीं थी जब वो 2020 में स्कॉटिश जाइंट रेंजर्स एफसी की टीम में शामिल हुईं।

    भारतीय स्ट्राइकर बाला देवी ने स्कॉटिश जाइंट रेंजर्स एफसी के लिए जनवरी 2020 में हस्ताक्षर किए। Photo: AIFF

    फोटो क्रेडिट AIFF

    2014 और 2015 में दो बार की एआईएफएफ विमेंस प्लेयर ऑफ द ईयर का खिताब जीतने वाली बाला देवी ने जनवरी 2020 में स्कॉटिश महिला प्रीमियर लीग के साथ 18 महीनों के लिए अनुबंध पर हस्ताक्षर किए, जिससे वह विदेशी महिला लीग में एक पेशेवर अनुबंध पर हस्ताक्षर करने वाली भारतीय महिला फुटबॉल खिलाड़ी बन गई।

    रेंजर्स की पहली एशियाई अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी बाला ने स्कॉटिश क्लब की महिला टीम के लिए प्रतिष्ठित नंबर 10 जर्सी को भी हासिल किया।

    अदिति चौहान – पूर्व स्टार खिलाड़ी

    हालाँकि, बाला यूरोप में खेलने वाली पहली भारतीय महिला फुटबॉलर नहीं हैं।

    भारतीय राष्ट्रीय टीम की गोलकीपर अदिति चौहान ने महिला प्रीमियर लीग साउथर्न डिवीजन में वेस्ट हैम लेडीज़ टीम के लिए खेला है। ये इंग्लैंड की महिला फुटबॉल में एक तीसरी डिवीजन सेमी-प्रोफेशनल लीग है।

    वो 2015 से 2018 तक हैमर्स के साथ थीं और लंदन में तीसरे एशियाई फुटबॉल पुरस्कारों में 2015 वुमन इन फुटबॉल अवार्ड भी जीता।

    अदिति सालों से भारतीय महिला राष्ट्रीय फुटबॉल टीम की पहली पसंद की गोलकीपर रही हैं और उन्होंने कई अन्य सफलताओं के बीच 2018 में भारत के लिए ओलंपिक क्वालिफायर के दूसरे दौर में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

    आशालता देवी - बेमबेम के रास्ते पर चलने वाली खिलाड़ी

    भारतीय महिल राष्ट्रीय टीम की कप्तान के रूप में आशालता देवी ने अपनी भूमिका को शानदार तरीक से निभाया और एशिया की सबसे बेहतरीन डिफेंडर्स में से एक मानी गईं।

    भारत की प्रसिद्ध महिला खिलाड़ी के तौर पर अशालता ने टोक्यो 2020 के लिए अपने ओलंपिक क्वालिफ़ायर्स अभियान के दौरान भारत की कप्तानी की और 2019 के दक्षिण एशियाई खेलों में टीम का नेतृत्व किया।

    भारत की कप्तान आशालता देवी 2019 में एएफसी महिला खिलाड़ी की पुरस्कार के लिए चुनी गई थीं। Photo: AIFF

    फोटो क्रेडिट AIFF

    कड़ी मेहनत करने वाली डिफेंडर 2012 से सीनियर टीम के साथ हैं और उन्हें 2019 में एआईएफएफ विमेंस प्लेयर ऑफ द ईयर चुना गया।

    वो एएफसी प्लेयर ऑफ द ईयर 2019 पुरस्कार के लिए अंतिम तीन खिलाड़ी की शॉर्टलिस्ट में भी शामिल थीं। उन्हें चीन की ली यिंग और विजेता जापान की साकी कुमागई के साथ नामित किया गया था। जिसमें एक पूर्व महिला फीफा विश्व कप विजेता और 2012 लंदन ओलंपिक में रजत पदक विजेता थीं।

    भारतीय कप्तान ने दिवेही प्रीमियर लीग में मालदीवियन फुटबॉल क्लब न्यू रेडियंट के लिए विदेशों में भी खेला है।

    इन प्रतिष्ठित पांच के अलावा, डंगमेई ग्रेस, रत्नाबाला देवी, दलिमा छिब्बर और युवा संजू यादव - 2020 एआईएफएफ प्लेयर ऑफ द ईयर विजेता के लिए फेवरेट हैं- सभी भारतीय महिला फुटबॉल खिलाड़ियों की अगली पीढ़ी के लिए योग्य रोल मॉडल के रूप में उभरी हैं।

    अर्जुन पुरस्कार जीतने वाली दूसरी भारतीय महिला कौन थी?

    पिछले 2 दशकों में भारतीय महिला फुटबॉल की ध्वजवाहक ओइनम बेमबेम देवी को अर्जुन पुरस्कार के विजेता के रूप में नामित किया गया है। बेमबेम पुरस्कार जीतने वाली दूसरी भारतीय महिला फुटबॉलर बनीं, पहली बार 1983 में शांति मुलिक को अर्जुन पुरस्कार मिला था।

    अर्जुन पुरस्कार पाने वाले प्रथम महिला कौन है?

    प्रतिष्ठित पुरस्कार पाने वाली पहली महिला बंगाली लेखिका आशापूर्णा देवी थीं जिन्हें 1976 में सम्मानित किया गया था।

    अर्जुन पुरस्कार पाने वाले पहले भारतीय कौन है?

    Detailed Solution. विकल्प 1 सही है, अर्थात् पी. के. बनर्जी।